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० आशा पटेल ० 
नई दिल्ली । दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में सांसद, स्वतंत्रता सेनानी मधु लिमये को उनकी जन्म शताब्दी  समारोह के अवसर पर शिद्दत से याद किया गया। विभिन्न राज्यों के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह के मंच पर उपस्थित देश के विपक्षी दलों के नेताओं ने विचारधारा की सीमाओं को तोड़कर एकजुट होने को समय की जरूरत बताया।अध्यक्षीय वक्तव्य में सत्यपाल मलिक ने मधु लिमये को याद करते हुए कहा कि वे कहते थे संसद भाषण के लिए नहीं, सरकारों को पकड़ने के लिए होती है। संवैधानिक संस्थाओं को जिस तरह नष्ट करने की कोशिश हो रही है उसे देखते हुए 
आज विपक्षी दलों को एक होने के साथ साथ यह तय करने की जरूरत है कि आगामी चुनावों में सत्तापक्ष के मुकाबले केवल एक ही उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाये। अगर ऐसा न हुआ तो भविष्य में कभी चुनाव भी शायद ही हों। सावधानी से काम नहीं किया तो सब बरबाद हो जायेंगे। इस समय अच्छाइयों को इस ढंग से खतम किया जा रहा है कि हमें पता ही नहीं चला। समय ऐसा भी आ सकता है कि मीडिया की आज़ादी खतम हो जाये और उसे निर्देशित किया जाये।
मधु लिमये की महानता और को याद करते हुए सत्यपाल मलिक ने कहा- ' वो आसमान था जो सर झुकाकर चलता था। ' मधु जब संसद में प्रिविलेज मोशन के तहत बोलते थे तब सरकार के मंत्रियों की पिंडलियां कांपती थीं। प्रिविलेज मोशन में सरकार को घेरने की जैसी महारत हासिल थी वैसी दुनिया में शायद ही किसी को हासिल थी। मधु लिमये के साहित्य प्रकाशन के लिए समापन समारोह के संयोजक रमाशंकर सिंह की सराहना करते हुए श्री मलिक ने कहा कि यदि देश के नायकों पर केन्द्रित साहित्य हम नहीं छापेंगे तो आने वाली पीढ़ियों को इनके विषय में कुछ पता ही नहीं होगा।
मधु किस प्रकार अपने से कनिष्ठ के विचार और असहमति का भी सम्मान करते थे उसे याद करते हुए सीपीएम के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने बताया कि मधु ने स्टैट्समैन के एक लेख में जब वामपंथियों के कुछ दोष गिनाये तो जवाब में येचुरी ने एक चिठ्ठी लिखी थी जिसका न केवल मधु जी ने उत्तर दिया था बल्कि सीपीएम नेता वीटी रणदिवे से प्रशंसा करते हुए पूछा था कि आपकी पार्टी में सीताराम कौन हैं। बाद में रणदिवे सीताराम येचुरी को मधु जी से मिलाने ले गये। सीताराम येचुरी ने कहा कि समाजवादी व वामपंथी विचारधारा की राजनीति में समन्वय के अभाव से देश को नुकसान हुआ है। इस कमी को दूर कर एकजुट होना जरूरी है।
बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली ने मौजूदा वक्त को अघोषित आपातकाल बताते हुए कहा कि लोकतंत्र को यदि बचाना है तो सबको एकजुट होना पड़ेगा।जनता दल ( यू) के महासचिव के सी त्यागी ने राजनीतिक विचारधाराओं के श्रेष्ठता के द्वंद्व को आज के समय के लिए नुकसानदेह बताते हुए कहा कि मधु जी समाजवादी और वामपंथी एकता के सदैव पक्षधर रहे। आज लोकतंत्र की अंतिम परीक्षा का समय है। ऐसे वक्त में मधु जी के रास्ते पर चलकर ही लोकतंत्र को बचाया जा सकता है। सीपीआई नेता सैय्यद अजीज़ पाशा ने मधु लिमये को याद करते हुए कहा कि उन्होंने कभी जेल से रिहाई की अपील नहीं की। मधु पर महात्मा गाँधी का गहरा प्रभाव रहा। बहुत किताबें उन्होंने सामयिक प्रश्नों पर लिखीं।

सीपीआई ( माले) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि देश की आज़ादी के समय पांच राजनीतिक धारायें थीं। आज एक धारा को छोड़कर बाक़ी हाशिये पर हैं। आज़ादी के आन्दोलन की तरह आज सबके एकजुट होने और व्यापक विपक्षी एकता की जरूरत है। किसानों के हित में संघर्ष व समान नागरिकता आंदोलन समय की मांग है।रालोद नेता त्रिलोक त्यागी ने मधु जी को बहुत आत्मीयता से याद करते हुए कहा कि उन जैसी सादगी अब दूर दूर तक दिखाई नहीं देती। खुद चाय बनाकर पिलाते थे। आज छोटे छोटे नेता भी अपना स्टाफ़ और सहायक रखते हैं। मधु जी अपने सारे काम खुद करते थे। 

एक ओर राजनीति में ईमानदारी के वे पुरोधा थे दूसरी ओर ज्ञान का भंडार। मधु अगर दोहरी सदस्यता का सवाल न उठाते तो जनता पार्टी नहीं टूटती। लेकिन उन्होंने सत्ता के वजाय समय पर सवाल उठाना जरुरी समझा। कांग्रेस नेता सन्दीप दीक्षित ने कहा कि मधु जी से यह सीखना जरूरी है कि हम अपने जीवन में सादगी अपनायें। राजनीतिक दल पूंजीवाद में न जियें।इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय चौटाला ने बताया कि चौधरी देवीलाल जी से मधु लिमये जी की सादगी के किस्से सुने थे। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी होने की पेंशन ली न सांसद होने की। मधु जी संविधानविद थे। संसद में पूरी तैयारी से जाते थे।

पत्रकार- सम्पादक शुभव्रत भट्टाचार्य ने कहा कि समाजवादियों और वामपंथियों की एकता कोई नयी बात नहीं है। आजादी से बहुत पहले यह सम्भव हुआ था और आज भी यह सम्भव है।मधु जी को याद करते हुए उन्होंने कहा राजकुमार जैन के विद्यार्थी जीवन में हिन्दी में परीक्षा देने पर पावंदी लगाई गई तब मधु उनके पक्ष में खड़े हुए थे। उन जैसी सादगी अब देखने को नहीं मिलती।कवि- आलोचक- संस्कृतिविद अशोक वाजपेयी ने कहा समता और मुक्ति मधु लिमये के केन्द्रीय सरोकार थे। उनके लिए राजनीति बौद्धिक कर्म था। मधु जी एक सभ्य और सुसंस्कृत राजनेता थे।

 शास्त्रीय संगीत से उनका गहरा लगाव था। पं . कुमार गंधर्व के गायन की प्रशंसा में आपातकाल में नरसिंहगढ़ की जेल से लिखी चिट्ठी में कहा था कि ऐसा लगता है कि उनका संगीत जीवन के रहस्य को छू सा रहा है। साहित्यकार निर्मल वर्मा एक गोष्ठी में मधु को सुनने के बाद यह देख चकित हुए थे कि ऐसे सुसभ्य और शास्त्रीय कलाओं के मर्मज्ञ भी राजनीति में हैं। आज का समय संस्कृति- शून्य समय है और अधिकांश राजनेता असभ्य। विरोध को अपराध माना जा रहा है। आयोजन में एकत्रित विभिन्न विचारधाराओं के राजनेताओं की उपस्थिति पर अशोक वाजपेयी ने कहा ऐसा लगता है हमारा आत्मविश्वास लौट रहा है।

समारोह में स्वागत भाषण देते हुए प्रोफेसर आनंद कुमार ने दुष्यंत कुमार की गजल पढ़ी - ' फिर धीरे धीरे यहाँ का मौसम बदलने लगा है/ वातावरण सो रहा था फिर आंख मलने लगा है। 'समारोह में मधु लिमये के बेटे अनिरुद्ध लिमये सहित मधु जी के विचार और संघर्ष के साथी डा . जी जी पारीख ( मुम्बई) रावेला सोमैया ( हैदराबाद) , विजय नारायण सिंह ( बनारस) , राजनीति प्रसाद सिंह ( पटना), कल्याण जैन( इन्दौर), सरदार जयपाल सिंह दुगल, पंडित रामकिशन ( राजस्थान) और जयवंत रामचंद्र भोंसले ( महाराष्ट्र) का सम्मान प्रशस्ति व अंगवस्त्र से किया गया। प्रशस्ति का वाचन मधु लिमये जन्मशती समारोह के संयोजक रमाशंकर सिंह ने किया।

जन्मशती समारोह समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर राजकुमार जैन, व सदस्यगण हरभजन सिंह सिद्धू, महेन्द्र शर्मा, श्रीमती मंजू मोहन , शाहनवाज़ कादरी ने मधु लिमये के वैचारिक साथियों को सम्मानित किया। मधु लिमये ,रावेला सौमैया , जीजी पारीख की प्रशस्ति को क्रमशः अनिरुद्ध लिमये, डॉ सुनीलम व टी गोपाल सिंह ने ग्रहण किया।समारोह का शुभारंभ पंडित कुमार गंधर्व की सुपुत्री विदुषी कलापिनी कोमकली के कबीर गायन से हुआ। उनके साथ तबले पर शम्भूनाथ भट्टाचार्य, हारमोनियम पर चेतन निगम व मंजीरे पर अनुरोध जैन ने संगत की।इस अवसर प्रख्यात कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल, गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, हरीश खन्ना, प्रोफेसर अजीत झा, डॉ अनिल ठाकुर,सहित राजधानी व देश के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

0 संवाददाता द्वारा ० 

" केन्द्र सरकार के अधीन विभागों में 62 लाख, 29 हजार पद खाली पड़े हैं तथा सेना में 2 लाख, 55 हजार से अधिक पद खाली हैं, ऐसी परिस्थिति में 17 से 21 वर्ष के युवकों को ठेके पर अग्निपथ योजना के नाम पर सेना में लेना तथा चार वर्ष पश्चात् 25 फीसदी युवा जो मैरिट में नहीं आयेंगे उन्हें रिजेक्ट कर हटा देना युवाओं के साथ अन्याय है "

जयपुर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गलत नीतियों की चर्चा करते हुए आज पूरा देश उद्वेलित है, 8 साल पहले जब मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने थे तो उन्होंने देश के युवा, व्यापारी, किसान, महिलाओं, पिछड़ों, कर्मचारियों, अर्थशास्त्रियों से देश में अच्छे दिन लाने का वादा किया था जिसके ऐवज में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अचानक रात्रि में 8 बजे नोटबंदी की घोषणा कर देश की अर्थव्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने का कार्य किया और देश के व्यापारी बरबाद हो गये। इसी प्रकार देश में तीन काले कृषि कानून लागू कर किसानों के हितों पर कुठाराघात करते हुए 15 माह तक सड़कों पर बैठकर संघर्ष करने हेतु किसानों को मजबूर किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिन्होंने दो करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष देने का वादा किया था, जिसके हिसाब से 16 करोड़ युवाओं को रोजगार मिलना चाहिये था, उन युवाओं के हितों पर कुठाराघात करते हुए सेना भर्ती की अग्निपथ योजना लागू कर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का कार्य किया है।

उक्त विचार राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, जयपुर पर प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि देश के सैनिक भारत की सुरक्षा हेतु सर्दी, गर्मी, बरसात की परवाह किये बगैर विपरीत परिस्थितियों में सीमाओं पर तैनात रहते हैं तथा अपने जीवन की कुर्बानी देने से भी पीछे नहीं हटते हैं, ऐसे वीर युवाओं से अग्निपथ योजना के नाम पर केन्द्र सरकार द्वारा धोखा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के अधीन विभागों में 62 लाख, 29 हजार पद खाली पड़े हैं तथा सेना में 2 लाख, 55 हजार से अधिक पद खाली हैं, ऐसी परिस्थिति में 17 से 21 वर्ष के युवकों को ठेके पर अग्निपथ योजना के नाम पर सेना में लेना तथा चार वर्ष पश्चात् 25 फीसदी युवा जो मैरिट में नहीं आयेंगे उन्हें रिजेक्ट कर हटा देना युवाओं के साथ अन्याय है ।

 उन्होंने कहा कि चार वर्ष की सेना भर्ती के लिये भी युवाओं को दो दफा परीक्षा देनी होगी, पहले भर्ती के लिये, उसके बाद 25 प्रतिशत की भर्ती में शामिल होने के लिये सफल होना होगा जो कि आज के युवातम् भारत के उन युवाओं जिनके वोट से नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं के साथ घोर अन्याय है तथा उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस निर्णय से आज पूरा देश जल रहा है, युवा सड़कों पर आन्दोलनरत है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने अग्निपथ योजना लागू करने से पूर्व देश की संसद में चर्चा नहीं की, ना ही देश के विद्वानों व जनप्रतिनिधियों के विचार जानने का कार्य किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार नोटबंदी के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को रसातल में पहुँचाने का कार्य किया गया, उसी प्रकार अग्निपथ योजना से युवाओं को जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गाँधी ने अपने भविष्य को तय करने के लिय मतदान का अधिकार प्रदान किया था, के भविष्य के साथ खिलवाड़ मोदी सरकार कर रही है।

डोटासरा ने कहा कि मोदी सरकार देश के युवाओं, किसानों, महिलाओं, व्यापारियों, पिछड़ों से किये गये अपने वादों को पूरा करने की बजाए विपक्षी नेताओं को ईडी के नोटिस देने में व्यस्त है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गाँधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गाँधी ने देश की एकता व अखण्डता को अक्षुण रखने के लिये अपना जीवन कुर्बान कर दिया, आज उन्हीं के पुत्र को केन्द्र सरकार द्वारा ईडी का नोटिस दिया जाकर देश के गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस सेना के शौर्य के पीछे छिपकर प्रधानमंत्री मोदी पुनः सत्ता में आये, आज ठेके पर सैनिक लगाकर उसी सेना को कमजोर करने का कार्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश में अच्छे दिन आने की बजाए आक्रोश का माहौल बन गया है, देश में रेल जल रही हैं, सड़कों पर हिंसक झड़प हो रही है, किन्तु केन्द्र सरकार देशहित में सोचने की बजाए विपक्षी नेताओं को प्रताड़ित करने में व्यस्त है। उन्होंने देश एवं राजस्थान के युवाओं से शांति बनाये रखने की अपील करते हुए कहा कि इस कठिन परिस्थिति में कांग्रेस पार्टी युवाओं के साथ खड़ी है तथा युवाओं को न्याय दिलाने के लिये हर संघर्ष में उनके साथ है।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा आज विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में कांग्रेस नेताओं को ही प्रवेश करने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली में केन्द्र सरकार की दमनकारी नीति के विरूद्ध मोर्चा खोले हुए हैं, उन्हें प्रताड़ित करने के लिये आज सीबीआई ने उनके भाई के घर छापा डाल दिया। उन्होंने कहा कि देश में घोषित किये बिना ही आपातकाल लागू है, किसी को भी जेल में डाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा मुख्यमंत अशोक गहलोत के भाई के खिलाफ की गई कार्यवाही संवैधानिक संस्थाओं के दुरूपयोग का ही एक उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि देश में ऐसा माहौल बन गया है कि जो युवाओं, रोजगार, मंहगाई, किसान और विकास की बात करेगा उसका दमन करने के लिये मोदी सरकार किसी भी सीमा तक जा सकती है। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने देश में तानाशाही सरकार की नींव रख दी है तथा भविष्य में लोकतांत्रिक परम्परा के अनुसार चुनाव भी होंगे या नहीं, इसी भय के साथ देशवासी जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा लिये गये संकल्प के अनुसरण में कांग्रेस के सभी नेता एवं कार्यकर्ता केन्द्र की तानाशाह सरकार के विरूद्ध लड़ेंगे तथा युवाओं को न्याय दिलायेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता सीने पर गोली खा सकते हैं किन्तु पीठ दिखाकर पीछे नहीं हटेंगे, क्योंकि हमारी विचारधारा महात्मा गाँधी की है, गोडसे की नहीं। डोटासरा ने केन्द्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि युवाओं के हितों से खिलवाड़ करने वाली अग्निपथ योजना को तत्काल वापस लिया जाये। 

उन्होंने मांग की कि धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर ध्रुवीकरण की राजनीति तुरंत बंद होनी चाहिये तथा कांग्रेस नेताओं को प्रताड़ित करने का जो कार्य केन्द्र सरकार कर रही है उस पर तुरंत विराम लगे। उन्होंने कहा कि आज देश में भय का माहौल है, युवा, किसान, व्यापारी संवैधानिक संस्थाओं तथा सरकारी एजेंसियों के दुरूपयोग से डरे हुए हैं, यह माहौल देश के लिये घातक है। उन्होंने कहा कि देश जल रहा है किन्तु नरेन्द्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह सीबीआई, ईडी के छापे डलवाकर मस्त हैं। उन्होंने कहा कि देश में जिस प्रकार आक्रोश फैल रहा है उसे सम्भालना मोदी सरकार के लिये सम्भव नहीं होगा। प्रेसवार्ता में राजस्थान सरकार के मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, डॉ. महेश जोशी, परसादीलाल मीणा, बृजेन्द्र सिंह ओला ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली, भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी को टॉप रैंकर्स मैनेजमेंट क्लब द्वारा मीडिया शिक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए 'टॉप रैंकर्स एक्सीलेंस अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया। मॉरीशस गणराज्य की उच्चायुक्त शांति बाई हनुमानजी, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बीपी सिंह और जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज के निदेशक एके बाजोरिया ने नई दिल्ली में आयोजित 22वीं नेशनल मैनेजमेंट समिट में प्रो. द्विवेदी को यह सम्मान दिया। इस अवसर पर नई दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के चेयरमैन वी एम बंसल, केरमाइन एनर्जी के चेयरमैन डॉ. एके बाल्यान एवं टॉप रैंकर्स मैनेजमेंट कंसल्टेंट्स के प्रबंध निदेशक वीएसके सूद भी उपस्थित थे
प्रो. संजय द्विवेदी देश के प्रख्यात पत्रकार, मीडिया प्राध्यापक, अकादमिक प्रबंधक एवं संचार विशेषज्ञ हैं। डेढ़ दशक से अधिक के अपने पत्रकारिता करियर के दौरान वह विभिन्न मीडिया संगठनों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन कर चुके हैं। प्रो. द्विवेदी माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के प्रभारी कुलपति भी रहे हैं। वह कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर में पत्रकारिता विभाग के संस्थापक अध्यक्ष भी रह चुके हैंप्रो. द्विवेदी वर्तमान में भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई), पुणे की सोसायटी एवं गवर्निंग काउंसिल के सदस्य हैं। वह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा; विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन; मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद एवं असम विश्वविद्यालय, सिलचर के 'बोर्ड ऑफ स्टडीज' के सदस्य हैं।
राजनीतिक, सामाजिक और मीडिया के मुद्दों पर उनके 3000 से ज्यादा लेख विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने 32 पुस्तकों का लेखन एवं संपादन किया है। वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा अनुमोदित शोध पत्रिकाओं 'कम्युनिकेटर' एवं 'संचार माध्यम' के प्रधान संपादक हैं। प्रो. द्विवेदी 'राजभाषा विमर्श' एवं 'संचार सृजन' के प्रधान संपादक तथा 'मीडिया विमर्श (त्रैमासिक)' के मानद सलाहकार संपादक भी हैं। मीडिया क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

० योगेश भट्ट ० 

हैदराबाद,। मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू) के जनसंचार और पत्रकारिता विभाग (एमसीजे) द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से साक्ष्य आधारित स्वास्थ्य पत्रकारिता पर दो दिवसीय कार्यशाला का  यहां समापन हुआ। एमएएनयूयू, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के 120 से अधिक छात्रों और स्वास्थ्य पत्रकारों ने यूनिसेफ के क्रिटिकल अप्रैजल स्किल्स (CAS) के माध्यम से स्वास्थ्य पत्रकारिता में साक्ष्य-आधारित रिपोर्टिंग और तथ्य-जांच के महत्व को सीखा। कार्यशाला के माध्यम से नियमित टीकाकरण, कोविड-19 टीकाकरण, एंटीबायोटिक्स, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों में साक्ष्य-आधारित पत्रकारिता के महत्व पर चर्चा करने के लिए सीएएस के चिकित्सकों, पत्रकारिता के छात्रों और विषय विशेषज्ञों को एक साथ लाया गया।
2014 में यूनिसेफ द्वारा ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी, थॉमसन रॉयटर्स और आईआईएमसी के सहयोग से काम करने वाले स्वास्थ्य पत्रकारों और पत्रकारिता एवं जन संचार के छात्रों के लिए विकसित सीएएस कार्यक्रम को बाद में आईआईएमसी और एमएएनयूयू द्वारा अपने पाठ्यक्रम में एक वैकल्पिक मॉड्यूल के रूप में शामिल किया गया था। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एमएएनयूयू के कुलपति, प्रो सैयद ऐनुल हसन ने कहा, “हाल की महामारी ने दुनिया का ध्यान स्वास्थ्य संचार के महत्व की ओर आकर्षित किया है। टीकाकरण पर जागरुकता बढ़ाने के लिए मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालाँकि, हमारे कई पत्रकार गैर-चिकित्सा पृष्ठभूमि से आते हैं, इसलिए सीएएस कार्यक्रम के

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एमएएनयूयू के कुलपति, प्रो सैयद ऐनुल हसन ने कहा, “हाल की महामारी ने दुनिया का ध्यान स्वास्थ्य संचार के महत्व की ओर आकर्षित किया है। टीकाकरण पर जागरुकता बढ़ाने के लिए मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालाँकि, हमारे कई पत्रकार गैर-चिकित्सा पृष्ठभूमि से आते हैं, इसलिए सीएएस कार्यक्रम के माध्यम से पत्रकारों को स्वास्थ्य पत्रकारिता में प्रशिक्षित करने और जनता के बीच वैज्ञानिक मानसिकता को प्रोत्साहित करने में मदद मिलती है। ”

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यूनिसेफ इंडिया के एडवोकेसी, कम्युनिकेशन एंड पार्टनरशिप के प्रमुख जाफरीन चौधरी ने कहा, “यूनिसेफ लंबे समय से मीडिया के साथ मिलकर सर्वसम्मति और लोगों को शिक्षित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका पर काम कर रहा है। गलत सूचना से बचाव के लिए सटीक, संतुलित, विश्लेषणात्मक रिपोर्टिंग और तथ्य जांच के लिए मीडिया पेशेवरों में कौशल को मजबूत करने के लिए 2014 में महत्वपूर्ण ' क्रिटिकल अप्रैजल स्किल्स पाठ्यक्रम' विकसित किया गया था। इसका उद्देश्य बच्चों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर सटीक और विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट्स को बढ़ावा देना है, जैसे टीकाकरण, माता-पिता को अपने बच्चों का टीकाकरण करवाने और उन्हें बचपन की बीमारियों से बचाने के लिए सही जानकारी और आत्मविश्वास प्रदान करना है।"

जागरूकता की कमी, भय के माहौल और टीकाकरण के बारे में गलत धारणाएं कोविड-19 और नियमित टीकाकरण के समक्ष कुछ प्रमुख चुनौतियाँ रही हैं। प्रो. एहतेशाम अहमद खान, डीन, जनसंचार और पत्रकारिता विभाग, एमएएनयूयू ने कहा “भ्रामक धारणाएं, मिथक एवं गलत सूचना और सूचना की

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली  । 
आंग्ल भाषा में एक कहावत है - ' ए मैन इज़ नोन वाई हिज़ कंप़नी दैट हि कीप्स ' - यह सुभाषित सीएसयू के लिए इसलिए भी लागू होता दिखता है कि विगत कुछ मासों से यहां सक्रिय अकादमिक गतिविधियां दिख रही हैं ।इसी क्रम में नैक के निदेशक प्रो एस सी शर्मा जैसे चर्चित शिक्षाविद्, वैज्ञानिक , टेक्नोक्रेट , व्यूरोक्रेट तथा नियमविद् का केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के लोकप्रिय तथा विजनरी कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी से मिलना भी बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जाना चाहिए 

।इसका बहुत बडा़ कारण यह भी माना जा सकता है कि स्टैनर्ड विश्वविद्यालय, यू एस ए ने हिन्दुस्तान के विश्व के लब्धप्रतिष्ठ दो प्रतिशत वैज्ञानिकों में प्रो शर्मा को स्थान दिया है। इन्होंने ग्रीन टेक्नोलॉजी की विद्या के क्षेत्र में महनीय अनुसंधान किया है । अन्तरराष्ट्रीय थेमरेक सम्मान - 2013,लौस वेगाज, यू एस ए से सम्मानित प्रो शर्मा को संगीत विद्या में योगदान देने के लिए भी सम्मानित किया गया है ।

अब दुनिया का ध्यान संस्कृत में गुंफित विज्ञान तथा पर्यावरण संरक्षण की बातों की ओर भी जा रहा है ।अतः नैक के निदेशक तथा सीएसयू के कुलपति का ,वह भी अपने विश्वविद्यालय प्रांगण में पधारने से यह आशा की जा सकती है कि संस्कृत की पारंपरिक ज्ञान व्यवस्था को लेकर वेदों ,पुराणों या उपनिषदों आदि में जो इन्भौरमेंटल जस्टिस के रुप में की गयी है उसको प्रो शर्मा के ग्रीन टेक्नोलॉजी चिन्तन के माध्यम से एक अभिनव वातायन खुल सकता है । कुलपति प्रो वरखेड़ी स्वयं भारतीय शास्त्र परंपरा के विद्वान् तथा कम्प्यूटेशनल लिंग्विस्टिक के जाने माने विद्वान् हैं । अतः इन दोनों के समन्वित दृष्टि से संस्कृत विद्या के क्षेत्र में नवाचार की संभावना और बढ़ ही गयी है ।

 संस्कृत संगीत के लिए माईट्रौकौन्ड्रिया की तरह जीवनदायिनी रही है । अतः इस क्षेत्र में भी अभिनव वितान खुल सकता है । संस्कृत का विश्वविद्यालय परिवार यह आशा करता है कि प्रो शर्मा जी का बहुआयामी ज्ञान फलक विश्वविद्यालय के परम उत्साही, दूरद्रष्टा तथा नदीष्ण कुलपति प्रो वरखेड़ी जी के लिए बौद्धिक ऊर्जा गृह का काम करेंगे । केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति ने भी इस महत्त्वपूर्ण भेंट को लेकर तोष जताया है ।

० संवाददाता द्वारा ० 

तामिया /छिन्दवाड़ा - कपड़ा बैंक सेवा सहयोग संगठन जिला छिंदवाड़ा एक ऐसी विश्वसनीय संस्था जो जमीनी स्तर पर गरीब एवं जरुरतमंदों की मदद के लिए कार्य करती है । हाल ही में जिला के ब्लाक तामिया में कपड़ा बैंक टीम एवं स्थानीय सदस्यों की मीटिंग के आयोजित की गई जिसमें संस्था की निःशुल्क, निःस्वार्थ, सेवा बने स्वभाव की भावना से प्रभावित होकर तामिया, जुन्नारदेव, दमुआ एवं देलाखरी में विशेष रूप से सामाजिक कार्यकर्ता संदीप नागवंशी के अनुमोदन पर कपड़ा बैंक शाखा का आरंभ करने की योजना पर विचार विमर्श गया। जिला मीडिया प्रभारी श्याम कोलारे ने जानकारी दी कि तामिया में स्थानीय कार्यकर्ता रंजना यादव निवासी माता मंदिर के पीछे यादव कॉलोनी तामिया में कपड़ा बैंक कार्यालय (कपड़ा कलेक्शन पाइंट) का शुभारम्भ किया गया । 

कपड़ा कलेक्शन पाइंट का शुभारम्भ कपड़ा बैंक संस्थापक हेमलता महेश भावरकर के एवं महिला विंग जिला प्रभारी आराधना शुक्ला की उपस्थिति में कोषाध्यक्ष मनीष कुशवाहा जिला कलेक्शन प्रभारी ओम बारसिया, संदीप नागवंशी और पूरी टीम एवं प्रभा गुप्ता, गुड्डी शालू, पारुल शर्मा, स्वाति सूर्यवंशी, परिणीता मौर्य की उपस्थिति एवं मार्गदर्शन में किया गया । सभी दानदाता अपने सभी प्रकार के कपड़े एवं अन्य उपयोगी सामग्री उक्त कपड़ा बैंक के नवीन कलेक्शन सेंटर में जमा कर सकते है जिससे यह सामग्री समय-समय पर जरूरतमंदों की मदद के लिये प्रदान किया जा सके। वर्तमान में कपड़ा बैंक कलेक्शन प्वाइंट जिला में अन्य 10 स्थानों पर संचालित हो रहा है जिसमे दानदाताओं से कपड़े एवं अन्य सामग्री प्राप्त हो रही है । जिला में कलेक्शन पॉइंट शू पैलेस फव्वारा चौक छिंदवाड़ा, 

बनी-ठनी नागपुर रोड चित्रकूट कंपलेक्स कामठी ज्वेलर्स के सामने, लाइक बुटीक गली नंबर 3 गुलाबरा, डीके रेफ्रिजरेशन वर्लपूल ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर गुलाबरा, बाजार एमपी ऑनलाइन मनीष कुशवाहा एटीएम के सामने कुकड़ा जगत रोड छिंदवाड़ा, हैवेल्स गैलेक्सी श्याम टॉकीज नरसिंहपुर रोड छिंदवाड़ा, हॉटस्पॉट हेलो फ्लोरा फर्नीचर के बाजू में शनिचरा बाजार छिंदवाड़ा, एमपी ऑनलाइन साहनी मल्टी प्लस सर्विस संजू ढाबा के सामने परासिया रोड छिंदवाड़ा, माँ कला केंद्र रॉयल चौक खजाना कटपीस के पास छिंदवाड़ा, कृष्णा नर्सरी डॉ बजाज के क्लिक के पास नरसिंहपुर रोड छिन्दवाड़ा में संचालित की जा रही ।

० संवाददाता दवरा ० 

जयपुर । केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा संवैधानिक संस्थाओं का दुरूपयोग विपक्षी नेताओं का दमन करने तथा बिना किसी आधार के नेशनल हैराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी एवं कांग्रेस नेता राहुल गाँधी को ईडी का नोटिस दिये जाने के विरूद्ध राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के नेतृत्व में हजारों कांग्रेस कार्यकर्ताओं एवं नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, जयपुर से अम्बेडकर सर्किल स्थित ईडी कार्यालय तक पैदल मार्च निकाला तथा धरना देकर केन्द्र सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया।
रने को सम्बोधित करते हुए राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि गत् 8 वर्ष से मोदी एवं मोदी सरकार देश में तानाशाहीपूर्ण तरीके से शासन कर रहे हैं तथा देश की राजनीति का दुर्भाग्य है कि फासिस्टवादी ताकत केन्द्र में नीति निर्धारण कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के आम चुनावों में जनता से जो वादे भाजपा ने किये थे, सत्ता में आने के पश्चात् उनका लेखा-जोखा अथवा हिसाब भाजपा सरकार जनता के बीच नहीं रख रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जनता से किये वादे को पूरा करने की बजाए किसानों के स्वाभिमान पर चोट करने का कार्य किया, विरोधी नेताओं के विरूद्ध षड़यंत्र के तहत् झूठे मुकदमें दर्ज करने का कार्य किया। 
उन्होंने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार ने वादे के मुताबिक ना तो युवाओं को रोजगार दिया, ना किसानों की आय दुगुनी की, ना ही देश की सीमाओं को सुरक्षित किया, ना महामारी काल में जनता की रक्षा की, ना ही केन्द्र सरकार ने बच्चों को शिक्षित करने पर किसी प्रकार का ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार का कर्त्तव्य था कि गाँव-ढाणी में बैठे आमजन को राहत प्रदान करने, किसानों की आय दुगुनी करने, देश में सामाजिक समरसता बनाने हेतु संवैधानिक संस्थाओं का उपयोग करते जिससे इन संस्थाओं की साख में बढ़ोत्तरी होती। उन्होंने कहा कि केन्द्र में सरकार बनाते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन कर किसानों के हितों को विपरीत रूप से प्रभावित करने का प्रयास किया तथा दूसरे कार्यकाल में तीन काले कृषि कानून लागू कर किसानों के साथ छलावा किया।

 उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में नोटबंदी लागू करने के तीन कारण बताये थे, किन्तु नोटबंदी के पश्चात् ना तो भ्रष्टाचार समाप्त हुआ, ना कालाधन देश में वापस आया, ना आतंकवाद समाप्त हुआ। उन्होंने कहा कि भाजपा के शासन के दौरान ना तो किसानों की आय दुगुनी हुई, ना सामाजिक समरसता कायम रह सकी, ना ही महिलाओं एवं युवाओं के उत्थान हेतु कोई योजना केन्द्र सरकार ने बनाई, किन्तु इन मुद्दों पर भाजपा जवाब नहीं देती है। डोटासरा ने कहा कि आज देश का वातावरण खराब किया जा रहा है, जनता भयभीत है, केन्द्र सरकार द्वारा चुन-चुन कर विपक्षी नेताओं के विरूद्ध साजिश के तहत् झूठे मुकदमें दर्ज किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा जनता की निजता के अधिकार का हनन् किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी आपस में बात करें तो पैगासस सॉफ्टवेयर के दुरूपयोग से उनकी बातें केन्द्र सरकार सुन रही है। उन्होंने कहा कि नेता अपने कार्यकर्ता से क्या बात करते हैं, केन्द्रीय मंत्री किसके सम्पर्क में है, मुख्यमंत्री लोगों से क्या कहते हैं, ये सभी जानकारी पैगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से जासूसी कर केन्द्र सरकार तक पहुंच रही है जो देशवासियों की निजता का उल्लंघन है। 

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा किये जा रहे असंवैधानिक कार्यों के कारण देश को बड़ी हानि उठानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है, वहाँ पर सब ठीक चलता है किन्तु जिन राज्यों में भाजपा के अलावा अन्य किसी दल की सरकार है, वहाँ पर सरकार गिराने का षड़यंत्र किया जाता है तथा यदि राजस्थान की तरह सरकार गिराने के षड़यंत्र में भाजपा सफल ना हो सके तो साम्प्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ कर सामाजिक समरसता को बिगाड़ने का कार्य भाजपा करती है। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में चुनाव नजदीक आते हैं वहाँ पर संवैधानिक संस्थाओं ईडी, सीबीआई एवं इनकम टैक्स के नोटिस तथा छापे पड़ने चालू हो जाते हैं तथा संवैधानिक संस्थाओं का दुरूपयोग कर विपक्षी नेताओं के दमन का प्रयास भाजपा की केन्द्र सरकार करती है।

 उन्होंने कहा कि झूठे केस में कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी एवं कांग्रेस नेता श्री राहुल गाँधी को ईडी का नोटिस देकर केन्द्र की भाजपा सरकार ने हद पार की है तथा केन्द्र सरकार का यह रवैया तानाशाही की पराकाष्ठा है। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से आह्वान करते हुए कहा कि यदि इस वक्त केन्द्र की भाजपा सरकार के खिलाफ आवाज नहीं उठाई तो आने वाली पीढ़ियां कभी माफ नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार जिस प्रकार से तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाये हुए है, कांग्रेस के समस्त कार्यकर्ताओं को पूरी ताकत से फासीवादी सरकार का सामना करना होगा अन्यथा आने वाले समय में चुनाव बंद हो गये यह भी सुनने और पढ़ने को मिल सकता है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का सामना करने की ताकत किसी क्षेत्रीय दल में नहीं है केवल कांग्रेस पार्टी ही मोदी सरकार की दमनकारी नीतियों के विरूद्ध संघर्ष कर सकती है क्योंकि कांग्रेस कार्यकर्ता देश के प्रत्येक गाँव, ढाणी और शहरों में मौजूद है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की निरकुंशता के कारण अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इकट्ठा नहीं होने दिया जा रहा है तथा दिल्ली में धरना एवं प्रदर्शन करने से रोका जा रहा है । उन्होंने कहा कि धरना-प्रदर्शन लोकतंत्र के आभूषण होते हैं, किन्तु भाजपा की केन्द्र सरकार लोकतंत्र के इन आभूषणों को बेड़िया बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी, आर्थिक मंदी, महामारी प्रकोप आदि मुद्दों पर श्री राहुल गाँधी ने लगातार केन्द्र सरकार को चेताया, किन्तु सत्ता में बैठे लोग श्री राहुल गाँधी द्वारा कही गई बातों की अनदेखी करते रहे जिस कारण देश को अनेक संकटों का सामना करना पड़ा। डोटासरा ने कहा कि नेशनल हैराल्ड अखबार आजादी के आन्दोलन में अंग्रेजों के खिलाफ लोगों की आवाज उठाने का कार्य करता था तथा इस अखबार का आजादी के

आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है । उन्होंने कहा कि घाटे में जा रहे अखबार को कांग्रेस पार्टी ने आजादी के आन्दोलन की धरोहर मानकर 90 करोड़ रूपये का ऋण दिया, ऋण ना चुका पाने पर नेशनल हैराल्ड द्वारा कानूनी प्रावधानों के अन्तर्गत यंग इण्डिया जो कि नॉन प्रोफिट ऑर्गेनाईजेशन है को अपने शेयर प्रदान करती है, इस सम्पूर्ण कार्यवाही को भारत का कानून एवं संविधान इजाजत प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि सुब्रह्मणयम स्वामी जिन्होंने इस मामले का मुकदमा दर्ज करवाया था, स्वयं मानते हैं कि इस प्रक्रिया में किसी कानून का : उल्लंघन नहीं हुआ है तथा स्वीकार करते हैं कि उन्होंने यह सब कार्यवाही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को खुश करने के लिये की थी।

 उन्होंने कहा कि प्रकरण कोर्ट में विचारधीन है, ऐसी स्थिति में ईडी का नोटिस देकर केन्द्र की भाजपा सरकार ने निरंकुश एवं तानाशाह होने का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भूल जाते हैं कि लोगों ने अपने हित एवं विकास के लिये सरकार बनाने हेतु मतदान किया था तथा सभी जनप्रतिनिधि देश में ट्रस्टी के नाते नियमानुसार लोककल्याणकारी कार्य करने हेतु बाध्य हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी एवं कांग्रेस नेता राहुल गाँधी को नोटिस देकर केन्द्र सरकार ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के स्वाभिमान को ललकारा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के किसी भी अत्याचार से कांग्रेस कार्यकर्ता नहीं डरेंगे तथा चाहे लाठी खानी पड़े अथवा जेल जाना पड़े कांग्रेस कार्यकर्ता श्री राहुल गाँधी के साथ मजबूती के साथ इंसाफ की लड़ाई लड़ने हेतु खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि यदि झूठे मुकदमें में श्री राहुल गाँधी को गिरफ्तार करने की कुचेष्टा केन्द्र सरकार ने की तो कांग्रेस कार्यकर्ता गिरफ्तारियां देकर देशभर की जेलें भर देंगे।

धरने को मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला, डॉ. चन्द्रभान, गोविन्द राम मेघवाल, शकुंतला रावत, ममता भूपेश रमेशचन्द मीणा, परसादीलाल मीणा, प्रतापसिंह खाचरियावास, राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह गुढा, विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, इन्द्राज गुर्जर, जगदीश जांगिड़, संदीप यादव, गिरिराज सिंह मलिंगा, प्रदेश उपाध्यक्ष नसीम अख्तर इंसाफ, सामाज कल्याण बोर्ड की चेयरमेन डॉ. अर्चना शर्मा, आरटीडीसी के चेयरमेन धर्मेन्द्रसिंह राठौड़, कैशकला बोर्ड के चेयरमेन महेन्द्र गहलोत, एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष अभिषेक चौधरी, रिद्धकरण चौधरी, दिनेश सूण्डा सहित अनेक नेताओं ने सम्बोधित किया।

० आरिफ़ जमाल ० 

नयी दिल्ली - गोपाल किरन समाज सेवी संस्था द्वारा इंडियन सोशल  इंस्टीट्यूट ,लोधी रोड, दिल्ली  में राष्ट्रीय शिक्षा संवाद व सावित्रीबाई फुले ग्लोबल आइकॉन शिक्षक अवार्ड 2022 का आयोजन किया गया। कार्यक्रम गोपाल किरन समाज सेवी संस्था के अध्यक्ष श्रीप्रकाश सिंह निमराजे के मार्गदर्शन व नेतृत्व मे संगीता शाक्य ,आर. के.मेहरा, कैलाश चंद मीणा के संरक्षत्व में तथा  शैलेश प्रजापति के समन्वय में  यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।  कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रूप में प्रोफेसर खेम सिंह डहेरिया ,कुलपति, हिंदी विश्वविद्यालय,भोपाल, विशेष अतिथि -डॉ. रमेश चन्दा भारद्वाज, कुलपति ,महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल ,हरियाणा  विशेष अतिथि कुलबीर सिधू , जनरल रक्षा विभाग, भारत सरकार।
 
आर. बी. वर्मा,डायरेक्टर, मौसम विभाग, भारत सरकार।  विनोद कुमार शनवाल,विभागाध्यक्ष, शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश,जगदीश ग्रेवाल, (डी. जी. एम), आई. एफ़. सी आई,नई दिल्ली,डॉ. डेनियल फर्नांडिस, एजुकेटिव डायरेक्टर, इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट ,नई दिल्ली निधि लाड़,( सी.ए.) रायपुर,डॉ. बी. मिश्रा अवार्ड प्रेसीडेंट, वाटरशेड, ग्रामीण विकास मंत्रालय, रघुवीर सिंह  दिल्ली ,वार्डन नागरिक सुरक्षा,डॉ. सुरेंद्र सिंह,दिल्ली विश्वविद्यालय,
धर्मराज बैरवा,दिल्ली जल बोर्ड,देवीदीन,(से. नि.ज्वाइंट डायरेक्टर,रक्षा मंत्रालय) के आतिथ्य में आयोजित हुई। संस्था के बारे में तथा कार्यक्रम के उद्देश्यों पर श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ने प्रकाश डाला ओर कहा कि डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने कहा था कि शिक्षा वो शेरनी का दूध है।जो पियेगा वो दहाडेगा। मंच  संचालन अवर्तिका फर्स्वाण ने किया।कार्यक्रम में झांसी से पधारी कु.अंशिका यशिका, ने बुद्ध वंदना तो बबीता ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया साथ ही मनस्वी त्यागी ने सुंदर भरतनाट्यम की प्रस्तुति  दी । 
इस अवसर पर  झारखंड की प्रोफेसर मीना कुमारी की पुस्तक प्राचीन भारत में नारी शिक्षा का लोकार्पण भी किया गया  । साथ ही श्रीप्रकाश सिंह निमराजे को दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. सुरेंद्र सिंह, (यूथ फॉर सोशल जस्टिस),मध्यप्रदेश धार की कल्पना शाह, विनोद संखवार ने मिलकर सम्मानित किया। देश भर से 135 लोगों को स्मृति चिन्ह,शील्ड तथा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम में गुजरात,राजस्थान,दिल्ली,पंजाब हरियाणा,चंडीगढ़,जम्मू,हिमाचल,झारखंड,महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़,उत्तरप्रदेश,बिहार,उत्तराखंड, तेलगांना, गोवा, आदि राज्य से  शिक्षको ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य पूरे देश  की शिक्षा  में समानता ओर गुणवत्ता हो,निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कुलों को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है,बच्चों की ऑफ लाइन और ऑनलाइन पढ़ाई में  आउटपुट क्या निकला, विद्यालयों की घटती  संख्या , शिक्षकों को रोजगार की समस्या , नई शिक्षा नीति, का प्रभाव आदि विषयों पर व्यापक चर्चा की गई ।  शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली  सावित्रीबाई फुले के बारे प्रतिभागियों से जानने के प्रयास किया तो यह बात सामने आई की देश में बमुश्किल 15 प्रतिशत लोग ही उनके बारे मैं जान पाये है। 

कार्यक्रम की रूपरेखा पुष्पा अनिल , एच.निशा खान के साथ उसके क्रियान्वयन में शैलेश प्रजापति, नसीम बानो ,सुशीला देवी, प्रीति चौधरी ,अंजू सैनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।  देश के इतिहास में यह ऐतिहासिक अवसर था जब पहली बार इतने शिक्षको ने  एक साथ बैठ कर चर्चा  की। इस कार्यक्रम को सफल नसीम बानो,नवजीत,जयजीत आदि का विशिष्ट सहयोग रहा।  अंत में आभार सुशीला देवी ने किया।


०  संवाददाता द्वारा ० 

 कोलकाता: देशभर में भारतीय रेलवे की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय लेवल क्रॉसिंग जागरूकता दिवस (आईएलसीएडी) मनाया गया। इस दौरान सड़क मार्ग से यातायात करने वाले लोगों को जागरूक करने के साथ उनकी सुरक्षा और ज्यादा सुनिश्चित करने के लिए पूर्व रेलवे के सियालदह मंडल की ओर से रेलवे के शीर्ष अधिकारियों, पर्यवेक्षकों, रेलवे सुरक्षा बल, नागरिक सुरक्षा, और सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों के साथ मिलकर मानवयुक्त रेलवे लेवल क्रॉसिंग पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

 शैलेन्द्र प्रताप सिंह (डीआरएम, सियालदह डिवीजन, पूर्व रेलवे) ने कहा: "लेवल क्रॉसिंग जागरूकता कार्यक्रम" के तहत दिया जाने वाला संदेश तेजी से आए दिन सड़क मार्ग का उपयोग करनेवाले राहगीरों से लेकर आम जनता तक पहुंचाया जा रहा है। जिसका मूल उद्देश्य रेलवे लेवल क्रॉसिंग पर होने वाली मौतों को कम करना है। रेलवे की तरफ से समय-समय पर नागरिकों को जागरूक करने के साथ लेवल क्रॉसिंग पर रेलवे फाटकों को पार करते समय सुरक्षा प्रोटोकॉल और रेलवे द्वारा जारी दिशानिर्देशों को अपनाने के लिए विभिन्न तरह का अभियान चलाया जाता है। देश की भावी युवा पीढ़ी लेवल क्रॉसिंग पार करते समय रेलवे द्वारा जारी दिशा निर्देशों को जाने और उनका सख्ती से पालन करे, 

इसपर भी प्रमुखता से जोर दिया जाता है। इस दौरान सुजीत एस प्रियदर्शी (एडीआरएम, सियालदह, पूर्वी रेलवे) ने कहा, देशभर में लेवल क्रॉसिंग से होकर आए दिन सफर करने वाले लोगों को सफर के दौरान उनके जीवन की सुरक्षा के लिए लेवल क्रॉसिंग के महत्व को समझाने और उनमें जागरूकता फैलाने के लिए उन्हें पैम्फलेट और हैंडबिल दिया गया। इस दिन के महत्व को समझाने के लिए बीटी स्टेशन और सियालदह स्टेशन पर संयुक्त रूप से नुक्कड़ नाटक और रोड शो का भी आयोजन किया गया।

ट्रेन लेवल क्रॉसिंग का रोजाना इस्तेमाल करनेवाले लोगों के लिए, 'हमारा जीवन हमारे समय से कहीं अधिक कीमती है' के नारे के साथ विभिन्न लोगों के मोबाइल में एसएमएस भेजने का अभियान भी शुरू किया गया। रेलवे की तरफ से देशभर के लोगों तक यह संदेश धड़ल्ले से पहुंच रहा है। मैसेज में कहा गया है कि, किसी भी रेलवे के लेवल क्रॉसिंग को पार करने से पहले आप क्रॉसिंग के पास थोड़ा रुकें, इसके बाद अपने दोनों तरफ ट्रेनों को देखें। कोई खतरा नहीं दिखने पर फिर लेवल क्रॉसिंग को पार करें।  विपिन कुमार (सीनियर डिवीजनल इंजीनियर, सियालदह डिवीजन, पूर्वी रेलवे) ने कहा, रेलवे की तरफ से यह संदेश दिया जा रहा है कि, अगर लेवल क्रॉसिंग के रास्ते बंद हो तो कभी भी आप उसे जबरदस्ती पर न करें। इसके अलावा मोबाइल फोन में बातें करते हुए कभी भी लेवल क्रॉसिंग को पर न करें। इस संदेश का मकसद लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और दुर्घटना को कम करना है।

"अंतर्रष्ट्रीय लेवल क्रॉसिंग अवेयरनेस डे", देशभर में लेवल क्रॉसिंग पर सेफ्टी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक विश्वव्यापी पहल है। वर्ष 2009 के बाद से इंटरनेशनल यूनियन ऑफ रेलवे (यूआईसी), दुनिया भर में रेलवे संगठन और दुनिया भर के रेलवे समुदाय के समर्थन से यह अभियान चलाया जा रहा है। लगभग 50 देश आमतौर पर आईएलसीएडी के इस वार्षिक अभियान में भाग लेते हैं। यह सम्मेलन रेलवे में काम करनेवाले प्रतिनिधियों, लेवल क्रॉसिंग के आसपास की सड़कों पर काम करने वाले कर्मियों, शिक्षाविदों की तरफ से देशभर में अन्य लोगों को जागरूक करने के लिए किया जाता है।

० संवाददाता द्वारा ० 

छिन्दवाड़ा - नुन्हारिया मेहरा समाज की आम सभा सृष्टिमाता माता मंदिर मोहन नगर गुलाबरा में आयोजित की गई l आम सभा का मंच संचालन कोमल भावरकर द्वारा किया गया एवं आमसभा की अध्यक्षता वरिष्ठ सदस्य दिमाक सिंग कोलारे जी के द्वारा किया गया l कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम अध्यक्ष द्वारा भारत रत्न डॉ भीमराव आंबेडकर जी के छाया चित्र पर माल्यापर्ण व वरिष्ठ सामाजिक सदस्य विनोद बुनकर जी तथागत भगवान गौतम बुद्ध जी के छाया चित्र पर माल्यापर्ण कर किया गया l

विनोद बुनकर ने आमसभा में प्रस्ताव रखा कि वर्तमान समिति का कार्यकाल समाप्त हो गया इसलिए आगामी कार्यकाल हेतु समिति का चुनाव माह अगस्त में किया जावे, जिसका सभी समामाजिक सदस्यों ने समर्थन किया l आम सभा मे सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि माह अगस्त 2022 में चुनाव किया जावेगा साथ सदयस्ता अभियान में ज्यादा से ज्यादा सदस्य बनाने का लक्ष्य 31 जुलाई तक रखा है l आमसभा में जिला के सभी सामाजिक सदस्यों ने भाग लिया एवं सक्रीय कार्य के लिए सहमती प्रदान की l समिति की आगामी बैठक 19 जून को खुनाझिर में व 26 जून को ग्राम माडई में रखी जायेगी जहाँ सामाजिक शसक्तिकरण के लिए चर्चा की जायेगी व क्षेत्र के सामाजिक कार्यों का संचालन व समीक्षा की जाएगी l नुन्हारिया मेहरा समाज जिला में सामाजिक उत्थान के लिए कई वर्षो से कार्य कर रहा है l सामाजिक गतिविधी जिला के साथ-साथ अन्य सामाजिक निवासरत स्थानों में सक्रियता से कार्य का संचालन किया जा रहा है l

समाज के द्वारा लगातार स्वास्थ, शिक्षा, सामाजिक उत्थान, कुरीति उन्मूलन पर कार्य कर रही है l बैठक में किशनलाल नागलकर, शिवप्रसाद भावरकर, हेमराज बुनकर, राधेलाल भावरकर, सुमित भावरकर, सुरेश केवलारिया, एस.एल.भावरकर, मनोज मस्तकार, राजकुमार भावरकर, दिनेश भावरकर, विजय बुनकर, बाला सतानकर, नर्वद भावरकर, दिनेश खातरकर, टनटीराम बुनकर, मंगल प्रसाद भावरकर, उमाशंकर वस्त्राने, मनीष भावरकर, दिनेश आठनेरिया, सहित सामाजिक लोग उपस्थित रहे l

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर । राजस्थान राज्य विप्र कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष महेश शर्मा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर लालसोट, जिला दौसा में निर्माणाधीन नवीन जिला चिकित्सा केन्द्र का नाम डॉ. अर्चना शर्मा के नाम पर रखने की मांग की है। शर्मा ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि दौसा जिले में ख्यातिप्राप्त चिकित्सक रहीं डॉ. अर्चना शर्मा की क्षेत्र में अच्छी पकड़ थी। उनके आत्महत्या प्रकरण से राजस्थान के चिकित्सकों सहित पूरे ब्राह्मण समाज में आक्रोश व्याप्त है। उक्त चिकित्सालय का नामकरण डॉ. अर्चना शर्मा के नाम पर करने से पूरे राज्य के चिकित्सा वर्ग एवं विप्र समाज में सरकार के प्रति अच्छा एवं सकारात्मक संदेश जायेगा।

उल्लेखनीय है कि विगत् दिनों दौसा जिले के लालसोट कस्बे के आनन्द हॉस्पीटल में प्रसव के दौरान एक प्रसूता की अचानक मौत हो जाने पर भाजपा के कुछ नेताओं व कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा अस्पताल के सामने हंगामा किया गया तथा उन्हें बदनाम करने व ब्लेकमेल करने के उद्देश्य से स्थानीय पुलिस पर दबाव बनाकर गलत धाराओं में डॉ. अर्चना शर्मा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया था जिससे प्रताड़ित व आहत होकर डॉ. अर्चना शर्मा ने आत्महत्या कर ली थी। उक्त प्रकरण में सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए शीघ्र संज्ञान लेकर कार्यवाही की तथा तीव्रता से दोषियों को गिरफ्तार किया।

० एस० एम्० इम्तियाज़ ० 

नई दिल्ली : इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स का उद्घाटन दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक मीडिया इंटरैक्शन के साथ हुआ। यह संस्था उन कंपनियों का एक संघ है जो रिवर्स लॉजिस्टिक्स डोमेन में सक्रिय हैं तथा ई-व्यर्थ के संग्रहण और चैनलीकरण को बढ़ावा देकर हरित आपूर्ति श्रृंखला के विकास द्वारा सर्कुलर इकोनोमी में योगदान देना चाहती हैं। यह बड़े पैमाने पर ज्ञात है कि रिवर्स लॉजिस्टिक्स हरित आपूर्ति श्रृंखला के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है, यह अनौपचारिक सेक्टर एवं अंतिम उपभोक्ताओं से इलेक्ट्रॉनिक-स्क्रैप के संग्रहण एवं चैनलीकरण को बढ़ावा देकर पर्यावरण के अनुकूल डिस्पोज़ल को सुनिश्चित करती है; जिसमें अनौपचारिक सेक्टर (हब एण्ड स्पोक मॉडल), एक्सटेंडेड प्रोड्युसर रिस्पॉन्सिबिलिटी (ईपीआर) फ्रेमवर्क और इनोवेशन्स का उपयोग किया जाता है।

पीआरओ एवं डिस्मेंटलर्स ने इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स के गठन की सराहना की। पीआरओ, प्रोड्युसर्स यानि उत्पादकों को कई कार्यों में सहयोग प्रदान करते हैं जैसे संग्रहण के लक्ष्य हासिल करना; घर-घर से संग्रहण के लिए विशेष संग्रहण प्रणाली स्थापित करना, फिर से खरीद/ वापस लेने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना, संग्रहण केन्द्र/ बिन्ुदओं की स्थापना करना (संग्रहण के लिए गोदाम बनाना तथा केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के निर्देशानुसार गोदाम के माध्यम से संचालन करना); लॉजिस्टिक्स तथा घर-घर से ई-व्यर्थ के संग्रहण की व्यवस्था करना; 

संग्रहित ई-व्यर्थ की पहचान कर इसके चैनलीकरण को सुनिश्चित करना तथा डिसमेंटलर्स एवं रीसायकर्ल्स के माध्यम से प्रसंस्कृत अपशिष्ट के डिस्पोज़ल द्वारा व्यर्थ के पर्यावरण अनुकूल प्रबन्धन को सुनिश्चित करना; उपभोक्ताओं/ थोक उपभोक्ताओं/ उत्पादकों एवं अन्य हितधारकों के लिए जागरुकता प्रोग्रामों का आयोजन करना; कानूनों के अनुसार विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व योजना (एक्सटेंडेड प्रोड्युसर रिस्पॉन्सिबिलिटी प्लान) बनाना। वहीं दूसरी ओर डिस्मेंटलर्स व्यर्थ का पृथक्करण और छंटाई कर इसे नष्ट करने में योगदान देते हैं- स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो वे प्री-प्रोसेसर्स की तरह काम करते हैं, इससे पहले कि ई-स्क्रैप रीसायक्लर्स तक पहुंचे और इसकी रीसायक्लिंग एवं कीमती धातुओं का निष्कर्षण किया जाए।

इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स ने विभिन्न हितधारकों की मौजूदगी में पीआरओ, व्यर्थ प्रबन्धन एजेन्सियों एवं डिस्मेंटलर्स की मौजूदा एवं भावी स्थितियों पर चर्चा की। मौजूदा मूल्य श्रृंखला एवं संचालन प्रथाओं के मद्देनज़र भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा बनाए गए नए ई-व्यर्थ प्रबन्धन नियमों 2022 पर विचार-विमर्श किया। पाया गया कि ई-व्यर्थ प्रबन्धन विनियम के तहत नए प्रस्तावित नियम पीआरओ, संग्रहण केन्द्रों, डिस्मेंटलर्स और उपभोक्ता की परिभाषाओं एवं ज़िम्मेदारियों में छूट देते हैं। इसके अलावा, नए निर्देशों में सिर्फ रीसायक्लर्स को ध्यान में रखा गया है। जिसके चलते संरचित एवं औपचारिक संग्रहण और डिस्मेंटलिंग सेंटरों के नेटवर्क के विकास के लिए निवेश एवं प्रयास करने वाले संगठनों की उपेक्षा हो जाती है।

सर्कुलर इकोनोमी का निर्माण ऐसी संग्रहण एवं निपटान प्रणाली की स्थापना पर निर्भर करता है, जहां मूल्य श्रृंखला में विभिन्न प्रतिभागी शामिल हों। इनमें अनौपचारिक सेक्टर, पीआरओ और डिस्मेंटलर्स शामिल हैं। पीआरओ ई-व्यर्थ मूल्य श्रृंखला में उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं और सशक्त एवं समेकित रिवर्स मूल्य श्रृंखला में संग्रहण प्रणाली के विकास में मदद करते हैं। वे ई-व्यर्थ से संबंधित डेटा के लिए एसपीसीबी एवं सीपीसीबी को सहयोग प्रदान करते हैं। उनकी क्षमता निर्माण गतिविधियां रिहायशी कॉलोनियों, डीलरों, रीटेलरों, थोक उपभोक्ताओं, घरों, कार्यालयों एवं अनौपचारिक सेक्टर से संग्रहण को सुनिश्चित करती हैं।

डॉ विजय सिंघल, सेवानिवृत्त सीईई, आरपीसीबी भी इस मौके पर मौजूद थे, उन्होंने कहा, ‘‘तेज़ी से बढ़ती ई-व्यर्थ की मात्रा मनुष्य के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है, इसे देखते हुए सर्कुलर इकोनोमी की दिशा में जल्द से जल्द काम करने की ज़रूरत है। सर्कुलर इकोनोमी कई पहलुओं पर निर्भर करती है, जैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग एवं डिस्पोज़ल, मौजूदा संसाधनों का प्रभावी उपयोग, हरित मूल्य श्रृंखला के निर्माण में विभिन्न हितधारकों की भूमिका और यह सुनिश्चित करना कि सर्कुलर इकोनोमी को बढ़ावा देने के लिए की जाने वाली गतिविधियां नौकरियों के सृजन एवं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकें। इलेक्ट्रोनिक्स की बात करें तो ये सभी पहलु द्वितियक सामग्री के प्रसंस्करण, मरम्मत एवं पुनःनिर्माण तथा सर्विस सेक्टर एवं सर्कुलर इकोनोमी में नए अवसर उत्पन्न कर सकते हैं।’

मिस निशा बंथ, प्रवक्ता, इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स ने कहा, ‘‘प्रभावी नियमों और समाज के ज़िम्मेदाराना व्यवहार का संयोजन ई-व्यर्थ के खतरे पर लगाम लगाने और सर्कुलर इकोनेामी के निर्माण में कारगर हो सकता है। सर्कुलर इकोनोमी के लिए तय किए गए नियम इस डोमेन में ज़िम्मेदाराना व्यवहार की दिशा में स्पष्ट निर्देश देते हैं। ये नियम सर्कुलर इकोनोमी के संदर्भ में सामाजिक एवं कारोबारी संबंधों को परिभाषित एवं विनियमित करते हैं। प्राकृतिक संसाधन तेज़ी से कम हो रहे हैं और वर्तमान में जिस तरह से इनका उपयोग किया जा रहा है, इसे देखते हुए स्थायी आर्थिक विकास हेतु सर्कुलर इकोनोमी मॉडल के निर्माण के लिए कानून बनाना बहुत ज़रूरी हो जाता है। जहां एक ओर दुनिया के कई देश कानूनों के माध्यम से सर्कुलर इकोनोमी के विकास पर काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत सर्कुलर इकोनामी को बढ़ावा देने के लिए कानूनों का आधुनिकीकरण करना चाहता है। हालांकि पीआरओ जैसे संगठनों द्वारा किए गए निवेश और प्रयासों को समझना ज़रूरी है, जो संरचित एवं औपचारिक संग्रहण एवं डिस्मेंटलिंग सेंटरों के विकास में सक्रिय हैं। इन संस्थाओं को सहयोग प्रदान करने के लिए नियम बनाए जाने चाहिए, ताकि उत्पादक संगठन ई-व्यर्थ प्रबन्धन प्रक्रियाओं की दिशा में अपनी ज़िम्मेदारी को निभा सकें।’

आईएफआरएल के बारे में: इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स का गठन एक सर्वोच्च संस्था के रूप में किया गया है, जो सर्कुलर इकोनोमी के विकास के लिए कार्यरत है, इसकी स्थापना वकीलों एवं पेशेवरों के समूह ने की है जो पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करना चाहते हैं। आईएफआरएल का मुख्यालय उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में है, यह संस्था अपने सदस्यें को सेवाओं एवं प्रोग्रामों की व्यापक रेंज उपलब्ध कराती है। इन सदस्यों में पीआरओ, व्यर्थ प्रबन्धन एजेन्सियां, डिस्मेंटलिंग सेवा प्रदाता, संग्रहण एवं परिवहन सेवा प्रदाता, राज्यों के संगठन एवं सरकारी प्रतिनिधि शामिल हैं।

संस्था सेमिनार, वेबिनार, सम्मेलनों, प्रशिक्षण सत्रों, कार्यशालाओं के आयोजन द्वारा ऐसा मंच प्रस्तुत करती है जो सार्वजनिक नीति प्रतिनिधित्व, व्यर्थ प्रबन्धन में एडवोकेसी, स्थायित्व एवं सर्कुलर इकोनोमी को बढ़ावा देता है; स्वदेशी एवं अन्तर्राष्ट्रीय मार्केटिंग में सवाओं को सहयोग प्रददान करता है; बेहतर ट्रेसेबिलिटी के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग को सुनिश्चित करता है; उद्योग संबंधी प्रकाशनों, कार्यक्रम उन्मुख नेटवर्किंग के अवसरों; स्मार्टसिटीज़ के समाधानों, इंडस्ट्री 4.0 स्टार्ट-अप इकोसिस्टम एवं उद्योग से संबंधित अन्य सेवाओं को बढ़ावा देता है।

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली -कोविड-19 और ओमिक्रॉन से ‘सफलतापूर्वक’ ठीक होने के बाद लोगों के शरीर में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पनपने की संभावना काफी बढ़ गई है। यही कारण है कि भारत में फेफड़ों के रोग के शीर्ष विशेषज्ञ (पल्‍मोनॉ‍लजिस्‍ट) बीमारी ठीक होने के बाद के लक्षणों को लॉन्‍ग कोविड में बदलते हुए देखकर चिंतित हैं। नोएडा के मेट्रो अस्पताल में मेट्रो रेस्पिटरी सेंटर ऑफ पल्मोनोलॉजी एंड स्लीप मेडिसिन के वरिष्ठ सलाहकार और चेयरमैन डॉ. दीपक तलवार ने कहा, “हमारे अस्पताल की ओपीडी रोजाना 50 ऐसे मरीजों से भरी रहती है, जो ट्युबरकुलोसिस या फंगल इंफेक्‍शन से ठीक होने में सफल हो गए हैं, लेकिन उनके शरीर में इससे संबंधित परेशानी बनी है। इनमें से करीब 20 फीसदी मामलों में मरीजों को काफी गंभीर परेशानी हो जाती है, जिसे दूर करना डॉक्टरों के लिए काफी मुश्किल हो जाता है। अक्सर मरीज सोचते हैं कि यह लॉन्ग कोविड है और इसे नजरअंदाज कर देते हैं।”

लॉन्ग कोविड वह स्थिति है कि जब कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज अपनी सेहत में अस्थायी रूप से परेशानियों का अनुभव करते हैं, जैसे उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है। वह किसी चीज को काफी मुश्किल से नोटिस कर पाते हैं। उनके दिमाग में भ्रम की स्थिति बनी रहती है। भूलने की आदत हो जाती है। किसी काम में मन नहीं लगता और मस्तिष्क तरह-तरह के विचारों से भरा रहता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 से ठीक होने वाले मरीजों के लिए लॉन्ग कोविड की समय अवधि तीन से 9 महोंनों तक रखी है। लोग यह अनुमान लगा लेते हैं कि कोरोना के यह लक्षण अपने आप ठीक हो जाएंगे। उन्हें इसका इलाज कराने या डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है।

हालाकि डॉ. तलवार के अनुसार, जिन्हें फेफड़ों के रोग के विशेषज्ञ के रूप में 30 से ज्यादा वर्ष का अनुभव है, ने बताया, “लोगों की ऐसी सोच आदर्श स्थिति से काफी दूर हैऔर कभी-कभी मरीजों के लिए जानलेवा साबित होती है। मरीजों की लापरवाही के कारण लॉन्ग कोविड के 30 फीसदी मामले गंभीर बन जाते हैं।“
पिछले साल लंग इंडिया में प्रकाशित अध्ययन में देश में उभर रहे कोविड के बाद होने वाले सिंड्रोम या लॉन्‍ग कोविड की समानांतर महामारी की चेतावनी दी थी। रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 से ठीक हुए 88 फीसदी मरीजों में यह सिंड्रोम हो सकता है। भारत में महामारी के 4.3 करोड़ मामलो में से 4.2 मरीज ठीक हो चुके हैं। यहां कोविड-19 से मरीजों के ठीक होने की दर 90 फीसदी से अधिक है।

डॉ. तलवार ने कहा, “हालांकि ओमिक्रॉन से ठीक हुए मरीजों में भी रोगों का मुकाबला करने की ताकत में कमी आ जाती है, जिसे कोविड-19 के पिछले वैरिएंट की तुलना में कम घातक माना गया है। इससे भविष्य में कोरोना से ठीक हुए मरीजों के अन्य बीमारियों की चपेट में आने का खतरा पहले से ज्यादा हो जाता है, उनकी इम्‍युनिटी भी कम हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि कोई भी परेशानी होने पर मरीजों को डॉक्टरों के पास जाकर अपनी जांच करानी चाहिए। उन्हें इन लक्षणों के अपने आप खत्म होने का इंतजार नहीं करना चाहिए।

मल्टीसिस्टम डिस्‍ऑर्डर कोविड-19 और इसके वैरिएंट्स को मैनेज करना काफी मुश्किल इसलिए हो जाता है क्योंकि इस रोग का स्‍वभाव काफी जटिल है। यह अलग-अलग तरीकों से शरीर पर हमला करता है, जिनमें किसी के शरीर पर पर हल्का प्रभाव पड़ता है और किसी के लिए यह जानलेवा साबित होता है। कोविड-19 के मरीजों को केवल फेफड़ों की बीमारी नहीं होती। उन्हें कई तरह की दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो जाती हैं, जिसमें असामान्य रूप से रक्त के थक्के जमने लगते हैं, दिल के साथ दिमाग और मांसपेशियों से जुड़ी परेशानी या ऐसे रोग उभरते हैं, जो जठरांत्र के मार्ग को प्रभावित कर सकते हैं, जिसमें उलटी से लेकर डायरिया तक रोग होते हैं।

डॉ. तलवार ने कहा, “सांस संबंधी रोगों के मरीजों की तुलना में कोविड-19 के मरीजों में यह सारी बीमारियां एक साथ काम करती हैं। इससे रोग काफी तेजी से फैलता है और कई बार ऐसी हालत आ जाती है कि बिना वेंटिलेटर के इस तरह के मरीजों की देखभाल करना असंभव हो जाता है। दो साल के अंत तक कोविड से ठीक हो चुके मरीजों को उन रोगियों के फेफड़ों की तुलना में ज्यादा नुकसान पहुंचेगा, जो वायरल निमोनिया से ठीक हुए हैं।”


० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली -  जीतराम भट्ट सचिव गढ़वाली कुमाॅऊनी जौनसारी अकादमी दिल्ली सरकार से गढ़वाल हितैषिणी सभा के एक प्रतिनिधि मण्डल ने अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में भेंट की ,अकादमी द्वारा प्रारम्भ किए गये ग्रीष्मकालीन रंगमंच कार्याशाला पर विस्तृत चर्चा हुई। यह कार्यक्रम गढ़वाली कुमाऊॅनी जौनसारी भाषा सिखाने के प्रयोजन के साथ साथ बच्चों के व्यक्तित्व विकास भी करेगा ।
इस प्रोग्राम के तहत तैरह केन्द्रों पर यह कार्यशाला चलेगी जिसमें छ: केन्द्र गढ़वाली,पाॅच कुमाॅऊनीऔर दो जौनसारी में बच्चों को रंगमंच की विधीवत प्रशिक्षण देंगे और अन्त में इसका मन्चन किया जायेगा । यह कार्यशालाऐं उत्तराखण्ड बाहुल क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में की जायेंगी। गढ़वाल हितैषिणी सभा की ओर से सांस्कृतिक सचिव श्रीमती संयोगिता ध्यानी ने इस कार्य हेतु गढ़वाल भवन के उपयोग का प्रस्ताव अकादमी के समक्ष रखा है। सभा की ओर से शिष्टमण्डल में शामिल रहे सचिव दीपक द्विवेदी ,संगठन सचिव  मुरारीलाल खण्डूरी,कार्यकारिणी सदस्य जोतसिंह भण्डारी ।सभा की ओर से भट्ट को आमन्त्रण पत्र दिया गया व शताब्दी वर्ष शुभंकर भेंट किया गया ।

० इरफान राही ० 

नई दिल्ली- दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली के द्वारका विधानसभा में विधायक कार्यालय में विधायक विनय मिश्रा के आदेशानुसार द्वारका विधानसभा में DCPCR ( दिल्ली बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग) की विधानसभा चाइल्ड प्रोटक्शन कमिटी के सदस्यों इरफान राही, मधु शुक्ला एवं निवेदिता पात्रों द्वारा एक मीटिंग का आयोजन किया गया । जिसमें दिल्ली बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग के उद्देश्यों, कार्यों, अधिकारों एवं प्रयासों पर चर्चा की गई।

इस अवसर पर माननीय विधायक विनय मिश्रा ने चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी के मेंबर्स का परिचय अधिकारियों से करवाया वहीं सीडीपीओ एवं सुपरवाइजर ने भी अपना परिचय दिया और आंगनवाड़ियों से संबंधित कार्यों की विस्तृत जानकारी दी । विधायक विनय मिश्रा ने आंगनवाड़ी सेंटर्स में दी जाने वाली सुविधाओं स्कीम्स की विस्तृत जानकारी अधिकारियों से ली और समीक्षा भी की, उन्होंने विश्वास दिलाया कि दिल्ली सरकार और विधायक कार्यालय से आपको पूरा सहयोग मिलेगा परंतु क्षेत्र के लाभार्थियों को उनका लाभ व अधिकार मिलना चाहिए।  विधायक ने आंगनवाड़ी सेंटर पर विजिट करने की इच्छा जताई। 

मीटिंग का संचालन व संयोजन इरफान राही ने किया जो कि विधानसभा चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के मेंबर हैं । विधानसभा चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी की सदस्य मधु शुक्ला ने अधिकारियों से मांग की कि वह आंगनवाड़ी के किराए में बढ़ोतरी करें और आंगनवाड़ी वर्कर्स एवं सहायिकाओं की समस्याओं को भी ध्यान से सुनें और समाधान निकालें। हाल ही में जुड़ी नई सदस्य निवेदिता पात्रो ने आंगनवाड़ी में आ रहे बच्चों की शिक्षा , टीकाकरण और उनके पोषाहार के बारे में चर्चा की। इस मीटिंग में सागरपुर एवं डाबड़ी प्रोजेक्ट की सीडीपीओ पूनम राणा, मंगला पुरी एवं मायापुरी प्रोजेक्ट की सीडीपीओ प्रतिमा शर्मा , सागरपुर प्रोजेक्ट की सुपरवाइजर सरिता, एवं सीमा मीणा , डाबड़ी प्रोजेक्ट की सुपरवाइजर पूनम , मंगला पुरी प्रोजेक्ट की सुमन मीना मौजूद रहीं ।

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली जीवन में जब हम बड़े लक्ष्यों की तरफ आगे बढ़ते हैं, तो कई बार ये देखना भी जरूरी होता है कि हम चले कहां से थे, शुरुआत कहां से की थी। और जब उसको याद करते हैं, तभी तो हिसाब-किताब का पता चलता है कि कहां से निकले और कहां पहुंचे, हमारी गति कैसी रही, हमारी प्रगति कैसी रही, हमारी उपलब्धियां क्या रहीं। किसी सरकार के लिए पूर्ण बहुमत के साथ 8 साल का समय पूरा करना भी ऐसा ही पुनर्मूल्यांकन का समय है। लेकिन इसके लिए 2014 से पहले के दिनों को याद करना भी आवश्यक है, तब जाकर आज के दिनों का मूल्‍य समझ आएगा।

वर्ष 2014 से पहले अखबार की सुर्खियों में किसकी बात होती थी? टेलीविजन चैनलों में किसकी चर्चा होती थी? आज वक्‍त बदल चुका है। आज चर्चा होती है सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ की। आज चर्चा होती है दुनिया में भारत के स्टार्टअप की, आज चर्चा होती है भारत के 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' की, आज चर्चा होती है भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के साथ आगे बढ़ने की। आज चर्चा जन-धन खातों से मिलने वाले फायदों की हो रही है, जनधन-आधार और मोबाइल से बनी त्रिशक्ति की हो रही है। पहले रसोई में धुआं सहने की मजबूरी थी, आज उज्ज्वला योजना से सिलेंडर पाने की सहूलियत है। पहले खुले में शौच की बेबसी थी, आज घर में शौचालय बनवाकर सम्मान से जीने की आजादी है। पहले इलाज के लिए पैसे जुटाने की बेबसी थी, आज हर गरीब को आयुष्मान भारत का सहारा है। पहले ट्रिपल तलाक का डर था, अब अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने का हौसला है। 2014 से पहले देश की सुरक्षा को लेकर चिंता थी, आज सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक का गर्व है, हमारी सीमा पहले से ज्यादा सुरक्षित है। पहले देश का नॉर्थ ईस्ट अपने असंतुलित विकास से, भेदभाव से आहत था। आज हमारा नॉर्थ ईस्ट दिल से भी जुड़ा है और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से भी जुड़ रहा है। सेवा, सुशासन और गरीबों के कल्याण के लिए बनी योजनाओं ने लोगों के लिए सरकार के मायने ही बदल दिए हैं। अब सरकार माई-बाप नहीं है, अब सरकार सेवक है। अब सरकार जीवन में दखल देने के लिए नहीं, बल्कि जीवन को आसान बनाने के लिए काम कर रही है।

हम लोग अक्सर सुनते हैं कि सरकारें आती हैं, जाती हैं, लेकिन सिस्टम वही रहता है। नरेंद्र मोदी सरकार ने इस सिस्टम को गरीबों के लिए ज्यादा संवेदनशील बनाया और उसमें निरंतर सुधार किए। पीएम आवास योजना हो, स्कॉलरशिप देना हो या फिर पेंशन योजनाएं, टेक्नोलॉजी की मदद से भ्रष्टाचार का स्कोप कम से कम कर दिया है। जिन समस्याओं को पहले 'स्थाई' मान लिया गया था, अब उसके 'स्थाई समाधान' के प्रयास हो रहे हैं। जब सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण का लक्ष्य हो, तो कैसे काम होता है, इसका एक उदाहरण है 'डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम'। इस योजना के माध्‍यम से 10 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधे 21 हज़ार करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए। ये हमारे छोटे किसानों की उनके सम्मान की निधि हैं। बीते 8 साल में ऐसे ही 'डीबीटी' के जरिए सरकार ने 22 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा सीधे देशवासियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए हैं। और ऐसा नहीं हुआ कि 100 पैसे भेजे, तो पहले 85 पैसे लापता हो जाते थे। आज जितने पैसे भेजे गए, वो पूरे के पूरे सही पते पर, सही लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजे गए हैं।

आज इस योजना की वजह से सवा दो लाख करोड़ रुपए की लीकेज रुकी है। पहले यही सवा दो लाख करोड़ रुपए बिचौलियों के हाथों में चले जाते थे। इसी 'डीबीटी' की वजह से देश में सरकारी योजनाओं का गलत लाभ उठाने वाले 9 करोड़ से ज्यादा फर्जी नामों को सरकार ने लिस्ट से हटाया है। पहले फर्जी नाम कागजों में चढ़ाकर गैस सब्सिडी, बच्चों की पढ़ाई के लिए भेजी गई फीस, कुपोषण से मुक्ति के लिए भेजा गया पैसा, सब कुछ लूटने का देश में खुला खेल चल रहा था। अगर कोरोना के समय यही 9 करोड़ फर्जी नाम कागजों में रहते, तो क्या गरीब को सरकार के प्रयासों का लाभ मिल पाता?

गरीब का जब रोजमर्रा का संघर्ष कम होता है, जब वो सशक्त होता है, तब वो अपनी गरीबी दूर करने के लिए नई ऊर्जा के साथ जुट जाता है। इसी सोच के साथ सरकार पहले दिन से गरीब को सशक्त करने में जुटी है। उसके जीवन की एक-एक चिंता को कम करने का प्रयास कर रही है। आज देश के 3 करोड़ गरीबों के पास उनके पक्के और नए घर हैं, जहां आज वो रहने लगे हैं। देश के 50 करोड़ से ज्यादा गरीबों के पास 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा है। 25 करोड़ से अधिक गरीबों के पास 2-2 लाख रुपए का एक्सीडेंट इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस है। लगभग 45 करोड़ गरीबों के पास जनधन बैंक खाता है। देश में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा, जो सरकार की किसी न किसी योजना से जुड़ा न हो और वो योजना उसे लाभ न देती हो। नरेंद्र मोदी सरकार ने गांव में रहने वाले 6 करोड़ परिवारों को साफ पानी के कनेक्शन से जोड़ा है। 35 करोड़ मुद्रा लोन देकर गांवों और छोटे शहरों में करोड़ों युवाओं को स्वरोजगार का अवसर दिया है। रेहड़ी-ठेले-पटरी पर काम करने वाले लगभग 35 लाख साथियों को भी पहली बार बैंकों से ऋण मिला है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में बैंक से पैसा प्राप्‍त करने वालों में 70 प्रतिशत हमारी माताएं-बहनें हैं जो उद्यमी बनकर आज लोगों को रोजगार दे रही हैं।

बीते 8 वर्षों के मोदी सरकार के प्रयासों के जो नतीजे मिले हैं, उनसे भारत का प्रत्येक व्यक्ति बहुत विश्वास से भरा हुआ है। हम भारतवासियों के सामर्थ्य के आगे कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। आज भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक है। आज भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश हो रहा है। आज भारत रिकॉर्ड एक्सपोर्ट कर रहा है। 8 साल पहले स्टार्ट अप्स के मामले में हम कहीं नहीं थे, आज हम दुनिया के तीसरे बड़े स्टार्ट अप इकोसिस्टम हैं। करीब-करीब हर हफ्ते हजारों करोड़ रुपए की कंपनी हमारे युवा तैयार कर रहे हैं। आने वाले 25 साल के विराट संकल्पों की सिद्धि के लिए देश नई अर्थव्यवस्था के नए इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी तेजी से कर रहा है। हम एक दूसरे को सपोर्ट करने वाली मल्टीमोडल कनेक्टिविटी पर फोकस कर रहे हैं। आज सरकार दुनिया का सर्वश्रेष्ठ डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर फोकस कर रही है। देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं के आधुनिकीकरण पर काम हो रहा है। आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत जिला और ब्लॉक स्तर पर क्रिटिकल हेल्थ केयर सुविधाएं तैयार हो रही हैं। हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज हो, इस दिशा में काम चल रहा है।

बीते आठ वर्षों में आजादी के 100वें वर्ष के लिए यानि 2047 के लिए मजबूत आधार तैयार हुआ है। इस अमृतकाल में सिद्धियों के लिए एक ही मंत्र है-'सबका प्रयास'। 'सब जुड़ें, सब जुटें और सब बढ़ें', इसी भाव के साथ सरकार के साथ हम सभी को भी मिलकर काम करना है। आइये हम संकल्प लें कि हम सब नए भारत के निर्माण में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाएंगे।

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली- भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के 54वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि नॉलेज ऐरा में शिक्षा पर सभी का हक है। शिक्षा के माध्यम से आप न केवल अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं, बल्कि समाज को भी नई दिशा दे सकते हैं। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव एवं आईआईएमसी के चेयरमैन श्री अपूर्व चंद्रा, संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह भी उपस्थित थे। दीक्षांत समारोह में आईआईएमसी के 6 परिसरों में संचालित होने वाले 8 पाठ्यक्रमों के वर्ष 2020-21 बैच के लगभग 400 विद्यार्थियों को पीजी डिप्लोमा सर्टिफिकेट एवं 32 विद्यार्थियों को अवॉर्ड प्रदान किये गए।
समारोह के मुख्य अतिथि के तौर विचार व्यक्त करते हुए श्री हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि जनसंचार के शिक्षण और प्रशिक्षण के क्षेत्र में आईआईएमसी की पहचान 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' के तौर पर है। भारतीय पत्रकारिता में यहां के विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण योगदान है। देश ही नहीं, बल्कि दुनिया की जरुरतों के हिसाब से आईआईएमसी अपने विद्यार्थियों को तैयार करता है। इसके लिए संस्थान के सभी प्राध्यापक, अधिकारी एवं कर्मचारी बधाई के पात्र हैं। राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि आज आप सभी विद्यार्थी जीवन में नया कदम रखने जा रहे हैं। आज आपको सोचना चाहिए कि आप में किस काम के लिए 'पैशन' है। अगर आपके अंदर काम के प्रति मोहब्बत, समर्पण और 'पैशन' नहीं है, तो आप अपने प्रोफेशन में नई लकीर नहीं खींच सकते। उन्होंन कहा कि जीवन में विफलताएं आएंगी, लेकिन हर विफलता सफलता के लिए रास्ता खोलती है। आज देश में युवाओं के द्वारा चलाए जा रहे 70 हजार स्टार्टअप हैं। हमारे देश के युवा 'जॉब सीकर' से 'जॉब प्रोवाइडर' बन रहे हैं।

 हरिवंश नारायण सिंह के अनुसार मीडिया में भी स्टार्टअप की जरुरत है। भारत में केंद्र सरकार की 315 योजनाओं और राज्य सरकारों की 500 योजनाओं से लगभग 2 लाख करोड़ रुपए की बचत हो रही है। मीडिया स्टार्टअप के जरिए युवा इस तरह की विभिन्न योजनाओं से जुड़े तथ्यों को जनता के सामने ला सकते हैं। सरकारी योजनाओं को सरल और सहज शब्दों में लोगों तक पहुंचाने का काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौर में भारत ने मेडिकल हब के रूप में अपनी पहचान बनाई है। कोराना ने हमें आपदा में अवसर तलाशने का मौका दिया और टीके से लेकर वेंटिलेटर तक आत्मनिर्भर बनाया।

यवाओं को भविष्य के लिए सीख देते हुए उपसभापति ने कहा कि जिंदगी में जीतना ही नहीं, हारना भी जरूरी है। असफलता का आनंद लेना सीखें। परीक्षा में नकल करके पास होने से बेहतर है, फेल हो जाना। उन्होंने कहा कि आज मीडिया के सामने साख की चुनौती है। नौकरी के बाजार में जो आपको सबसे ज्यादा पैसे दे, उसके लिए काम कीजिए, लेकिन अपनी आत्मा गिरवी मत रखिए। अगर आप ईमानदारी से अपना कार्य करेंगे, तो मीडिया की विश्वसनीयता बनी रहेगी। श्री हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में आईआईएमसी के विद्यार्थी समाज और देश में व्याप्त समस्याओं के समाधान में अपना अमूल्य योगदान देंगे। 

इस अवसर पर संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि आईआईएमसी हिंदी पत्रकारिता, अंग्रेजी पत्रकारिता, विज्ञापन एवं जनसंपर्क, रेडियो एवं टेलीविजन, ओड़िया, मराठी, मलयालम और उर्दू पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करता है। इस वर्ष आईआईएमसी डिजिटल मीडिया में पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी शुरू करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान अपने प्रत्येक विद्यार्थी को हर वह अवसर सुलभ कराने के लिए प्रतिबद्ध है, जो उसके सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विष्णुप्रिया पांडेय ने किया। दीक्षांत समारोह में संस्थान के क्षेत्रीय केंद्रों के निदेशकों सहित समस्त प्राध्यापकों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं वर्तमान बैच के विद्यार्थियों ने भी हिस्सा लिया।


० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली  राष्ट्रीय तयशिक्षा नीति -2020 के आलोक में संस्कृत तथा इस शास्त्र में छुपे ज्ञान परम्परा को उजागर करने के लिए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली तथा श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली द्वारा एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया । 10 वीं तथा 12वीं स्तर पर पाठ लेखन में भारतीय ज्ञान परंपरा को उजागर करने के लिए आयोजित यह कार्यशाला चली । भारतीयता के प्रसार प्रचार के लिए कटिबद्ध विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के 10वीं तथा 12वीं के पाठ निर्माण के लिए लिए यह कार्यशाला में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, 
दिल्ली द्वारा बतौर इन्टेक्यूअल पार्टनर के रुप में देश में अवस्थित अपने विश्वविद्यालय के विविध परिसरों के 24 विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया । इसमें विद्या भारती तथा संस्कृत भारती के भी लगभग 35 विद्वानों/विदुषियों ने भी भाग लिया । श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली ने इस आयोजन के होस्ट पार्टनर के रुप में भौतिक संसाधनों की व्यवस्था के साथ अपना बौद्धिक योगदान भी दिया उद्घाटन सत्र में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने बीज भाषण देते हुए कहा कि संस्कृत के बिना भारतीय ज्ञान परंपरा की चर्चा अधूरी है । अत: यह मेरा पूरा विश्वास है कि इस कार्यशाला के चिंतन से जो पाठ लेखन होगा ,उसका दूरगामी परिणाम होगा । जाने माने शिक्षाविद् चांदकिरण सलूजा ने कहा की यह कार्यशाला पाठ निर्माण की दृष्टि से काफी नयेपन लिए लगता है। विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के संगठन मंत्री रघुनन्दन महोदय ने विद्या भारती के लक्ष्य को लेकर पाठ लेखन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला ।

रिसोर्स पर्सन के रुप में प्रो पी एन शास्त्री,पूर्व कुलपति , केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली, चांद किरण सलूजा,दिल्ली, आचार्य जनार्दन हेगडे, बंगलुरू, आचार्य दिनेश कामत , दिल्ली प्रो वाई एस रमेश,जयपुर तथा एच् आर् विश्वास, बंगलुरू ने पाठ लेखन की भाषा तथा कंनटेंट को लेकर मार्ग प्रशस्त किया । आचार्य हेगडे ने भाषा के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला । राष्ट्रीय शिक्षा- 2020के भाषा को लेकर भारत सरकार के प्रतिनिधि पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री ने कहा कि इस बार की शिक्षा नीति में भाषा को समुचित स्थान मिला है और इसमें अनुवाद की दृष्टि से अनूदित संस्कृत की महत्त्व की भूमिका होगी ।

समापन सत्र में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो मुरलीमनोहर पाठक ने इस कार्यशाला को लेकर अपना तोष जताते साफ़ किया कि पाठ्यक्रम में संस्कृत में विज्ञान, ज्योतिष तथा खगोलशास्त्र आदि को भी जोड़ा जाना चाहिए और आचार्य दिनेश कामत ने कहा कि संस्कृत के लिए आज बहुत सारी संभावनाएं दिख रही हैं ।प्रो वाई एस रमेश ने रिसोर्स पर्सन के साथ साथ प्रतिभागियों के विविध बौद्धिक दलों के चर्चा के माध्यम से पाठ लेखन के उद्देश्यों तथा परामर्शों को भी प्रकाश में लाने का प्रयास किया । साथ ही साथ प्रो रमेश जी ने कार्यशाला का रिपोर्ट प्रस्तुत की ।

श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली की तरफ से इस कार्यशाला के संयोजक प्रो बिहारी लाल शर्मा ने भी अपने महत्त्वपूर्ण विचार रखे।इनके अलावा आचार्य रामसलाही द्विवेदी,प्रो अमिता पाण्डेय तथा प्रो आर पी पाठक ने भी अपने विचार रखें । उद्घाटन तथा समापन सत्रों संचालन क्रमशः डा देशबन्धु (दिल्ली)तथा पवन व्यास (जयपुर) ने किया । केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के पीआरओ तथा इस कार्यशाला के अपने विश्वविद्यालय के तरफ से संयोजक डा अजय कुमार मिश्रा ने उद्घाटन तथा समापन सत्रों के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया । वेद विभाग के आचार्य डा रमाकांत पाण्डेय ने सस्वर मंगला चरण किया

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली - अपनो बुंदेलखंड संस्था के तत्वाधान में दिल्ली एन सी आर क्षेत्र के नोएडा शहर में नोएडा लोक मंच और बुंदेलखंड विकास परिषद के सहयोग से वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस की स्मृति में चार दिवसीय महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। इस महोत्सव के दौरान, बुंदेली सौंधी माटी की खुशबू, नोएडा में महकेगी। एमिटी विश्वविद्यालय के विशाल सभागार में 18 जून को आयोजित मुख्य कार्यक्रम, अपनो बुंदेलखंड प्रतिभा सम्मान समारोह एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में, बुंदेलखंड के गीत, संगीत, नृत्य के साथ साथ नृत्य नाटिकाओं की मनोहारी प्रस्तुतियां भी होंगी और बुंदेलखंड की प्रतिभाओं को सम्मानित भी किया जाएगा। 

राजनेताओं, विद्वानों, अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ ही, बुंदेलखंड के बलिदानियों के वंशजों की गरिमामई उपस्थिति में बलिदानियों को स्मरण किया जाएगा और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। चार दिवसीय इस भव्य महोत्सव की शुरुआत 16 जून को नोएडा पब्लिक लाइब्रेरी में बुंदेलखंड के स्थापत्व और पुरातत्व की प्रदर्शनी के उद्घाटन से होगी। प्रदर्शनी दर्शकों के अवलोकन के लिए तीन दिन 16,17 और 18 जून को खुली रहेगी। 18 जून के एमिटी विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यक्रम के पश्चात, इस महोत्सव के अंतिम दिन 19 जून, 2022 को नोएडा के ईशान नृत्य विद्यालय में बुंदेलखंड के सर्वांगीण विकास पर एक परचर्चा होगी, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर वक्तव्य के साथ प्रश्नोत्तर भी होंगे।

 इस महोत्सव में बुंदेलखंड के विभिन्न क्षेत्रों से, दिल्ली एन सी आर के अलावा देश के अन्य भागों से भी हजारों की संख्या में लोगों की भागीदारी होगी। कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी होगा। यह कार्यक्रम बुंदेलखंड की आन, बान, शान और संस्कृति को समर्पित होगा।

० ओम पीयूष  ० 

नयी दिल्ली - विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में डीडीए पार्क जनक पुरी में लोक सारंग फाउंडेशन, अखिल भारतीय एकता सभा, भक्ति विद विमला गर्ग सभा , भगवान परसुराम सनातन ट्रस्ट , जनकपुरी आर डब्ल्यू ए एवं सहयोगी संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्षारोपण एवम वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें स्कूली छात्रों, अध्यापकों, संस्थाओ के वरिष्ठ अधिकारियों व कर्मचारियों, योग शिक्षक व योगियों, 
सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों व सदस्यों, क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों ने औषधीय गुणों से भरपूर पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण पिपल , स्नेक प्लांट, धतूरा ,इमली, जामुन , आम ,अशोका लम्बी आयु वाले तथा औषधीय नीम, घृत कुमारी, तुलसी, नीबू , बेलपत्र ,सहजन आदि के अनेकों पौधे रोप कर और वितरित कर इनकी देखरेख का संकल्प लिया।वृक्षारोपण एवम वितरण केइस पुनीत अभियान में युवा समाज सेवी रश्मि शर्मा , अरती ,दीक्षा मीना रमेश गुप्ता ,शयाम ,चित्रा ,रिटा ,उमेश , दिवान जी,मीनू पुरवे , स्नेहा एवं अनेकों गणमान्य नागरिकों ने वृक्षारोपण के इस पावन अभियान में अपनी अहम सहभागिता दर्ज करायी।

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