नई दिल्ली : इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स का उद्घाटन दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक मीडिया इंटरैक्शन के साथ हुआ। यह संस्था उन कंपनियों का एक संघ है जो रिवर्स लॉजिस्टिक्स डोमेन में सक्रिय हैं तथा ई-व्यर्थ के संग्रहण और चैनलीकरण को बढ़ावा देकर हरित आपूर्ति श्रृंखला के विकास द्वारा सर्कुलर इकोनोमी में योगदान देना चाहती हैं। यह बड़े पैमाने पर ज्ञात है कि रिवर्स लॉजिस्टिक्स हरित आपूर्ति श्रृंखला के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है, यह अनौपचारिक सेक्टर एवं अंतिम उपभोक्ताओं से इलेक्ट्रॉनिक-स्क्रैप के संग्रहण एवं चैनलीकरण को बढ़ावा देकर पर्यावरण के अनुकूल डिस्पोज़ल को सुनिश्चित करती है; जिसमें अनौपचारिक सेक्टर (हब एण्ड स्पोक मॉडल), एक्सटेंडेड प्रोड्युसर रिस्पॉन्सिबिलिटी (ईपीआर) फ्रेमवर्क और इनोवेशन्स का उपयोग किया जाता है।
पीआरओ एवं डिस्मेंटलर्स ने इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स के गठन की सराहना की। पीआरओ, प्रोड्युसर्स यानि उत्पादकों को कई कार्यों में सहयोग प्रदान करते हैं जैसे संग्रहण के लक्ष्य हासिल करना; घर-घर से संग्रहण के लिए विशेष संग्रहण प्रणाली स्थापित करना, फिर से खरीद/ वापस लेने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना, संग्रहण केन्द्र/ बिन्ुदओं की स्थापना करना (संग्रहण के लिए गोदाम बनाना तथा केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के निर्देशानुसार गोदाम के माध्यम से संचालन करना); लॉजिस्टिक्स तथा घर-घर से ई-व्यर्थ के संग्रहण की व्यवस्था करना;
संग्रहित ई-व्यर्थ की पहचान कर इसके चैनलीकरण को सुनिश्चित करना तथा डिसमेंटलर्स एवं रीसायकर्ल्स के माध्यम से प्रसंस्कृत अपशिष्ट के डिस्पोज़ल द्वारा व्यर्थ के पर्यावरण अनुकूल प्रबन्धन को सुनिश्चित करना; उपभोक्ताओं/ थोक उपभोक्ताओं/ उत्पादकों एवं अन्य हितधारकों के लिए जागरुकता प्रोग्रामों का आयोजन करना; कानूनों के अनुसार विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व योजना (एक्सटेंडेड प्रोड्युसर रिस्पॉन्सिबिलिटी प्लान) बनाना। वहीं दूसरी ओर डिस्मेंटलर्स व्यर्थ का पृथक्करण और छंटाई कर इसे नष्ट करने में योगदान देते हैं- स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो वे प्री-प्रोसेसर्स की तरह काम करते हैं, इससे पहले कि ई-स्क्रैप रीसायक्लर्स तक पहुंचे और इसकी रीसायक्लिंग एवं कीमती धातुओं का निष्कर्षण किया जाए।
इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स ने विभिन्न हितधारकों की मौजूदगी में पीआरओ, व्यर्थ प्रबन्धन एजेन्सियों एवं डिस्मेंटलर्स की मौजूदा एवं भावी स्थितियों पर चर्चा की। मौजूदा मूल्य श्रृंखला एवं संचालन प्रथाओं के मद्देनज़र भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा बनाए गए नए ई-व्यर्थ प्रबन्धन नियमों 2022 पर विचार-विमर्श किया। पाया गया कि ई-व्यर्थ प्रबन्धन विनियम के तहत नए प्रस्तावित नियम पीआरओ, संग्रहण केन्द्रों, डिस्मेंटलर्स और उपभोक्ता की परिभाषाओं एवं ज़िम्मेदारियों में छूट देते हैं। इसके अलावा, नए निर्देशों में सिर्फ रीसायक्लर्स को ध्यान में रखा गया है। जिसके चलते संरचित एवं औपचारिक संग्रहण और डिस्मेंटलिंग सेंटरों के नेटवर्क के विकास के लिए निवेश एवं प्रयास करने वाले संगठनों की उपेक्षा हो जाती है।
सर्कुलर इकोनोमी का निर्माण ऐसी संग्रहण एवं निपटान प्रणाली की स्थापना पर निर्भर करता है, जहां मूल्य श्रृंखला में विभिन्न प्रतिभागी शामिल हों। इनमें अनौपचारिक सेक्टर, पीआरओ और डिस्मेंटलर्स शामिल हैं। पीआरओ ई-व्यर्थ मूल्य श्रृंखला में उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं और सशक्त एवं समेकित रिवर्स मूल्य श्रृंखला में संग्रहण प्रणाली के विकास में मदद करते हैं। वे ई-व्यर्थ से संबंधित डेटा के लिए एसपीसीबी एवं सीपीसीबी को सहयोग प्रदान करते हैं। उनकी क्षमता निर्माण गतिविधियां रिहायशी कॉलोनियों, डीलरों, रीटेलरों, थोक उपभोक्ताओं, घरों, कार्यालयों एवं अनौपचारिक सेक्टर से संग्रहण को सुनिश्चित करती हैं।
डॉ विजय सिंघल, सेवानिवृत्त सीईई, आरपीसीबी भी इस मौके पर मौजूद थे, उन्होंने कहा, ‘‘तेज़ी से बढ़ती ई-व्यर्थ की मात्रा मनुष्य के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है, इसे देखते हुए सर्कुलर इकोनोमी की दिशा में जल्द से जल्द काम करने की ज़रूरत है। सर्कुलर इकोनोमी कई पहलुओं पर निर्भर करती है, जैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग एवं डिस्पोज़ल, मौजूदा संसाधनों का प्रभावी उपयोग, हरित मूल्य श्रृंखला के निर्माण में विभिन्न हितधारकों की भूमिका और यह सुनिश्चित करना कि सर्कुलर इकोनोमी को बढ़ावा देने के लिए की जाने वाली गतिविधियां नौकरियों के सृजन एवं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकें। इलेक्ट्रोनिक्स की बात करें तो ये सभी पहलु द्वितियक सामग्री के प्रसंस्करण, मरम्मत एवं पुनःनिर्माण तथा सर्विस सेक्टर एवं सर्कुलर इकोनोमी में नए अवसर उत्पन्न कर सकते हैं।’
मिस निशा बंथ, प्रवक्ता, इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स ने कहा, ‘‘प्रभावी नियमों और समाज के ज़िम्मेदाराना व्यवहार का संयोजन ई-व्यर्थ के खतरे पर लगाम लगाने और सर्कुलर इकोनेामी के निर्माण में कारगर हो सकता है। सर्कुलर इकोनोमी के लिए तय किए गए नियम इस डोमेन में ज़िम्मेदाराना व्यवहार की दिशा में स्पष्ट निर्देश देते हैं। ये नियम सर्कुलर इकोनोमी के संदर्भ में सामाजिक एवं कारोबारी संबंधों को परिभाषित एवं विनियमित करते हैं। प्राकृतिक संसाधन तेज़ी से कम हो रहे हैं और वर्तमान में जिस तरह से इनका उपयोग किया जा रहा है, इसे देखते हुए स्थायी आर्थिक विकास हेतु सर्कुलर इकोनोमी मॉडल के निर्माण के लिए कानून बनाना बहुत ज़रूरी हो जाता है। जहां एक ओर दुनिया के कई देश कानूनों के माध्यम से सर्कुलर इकोनोमी के विकास पर काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत सर्कुलर इकोनामी को बढ़ावा देने के लिए कानूनों का आधुनिकीकरण करना चाहता है। हालांकि पीआरओ जैसे संगठनों द्वारा किए गए निवेश और प्रयासों को समझना ज़रूरी है, जो संरचित एवं औपचारिक संग्रहण एवं डिस्मेंटलिंग सेंटरों के विकास में सक्रिय हैं। इन संस्थाओं को सहयोग प्रदान करने के लिए नियम बनाए जाने चाहिए, ताकि उत्पादक संगठन ई-व्यर्थ प्रबन्धन प्रक्रियाओं की दिशा में अपनी ज़िम्मेदारी को निभा सकें।’
आईएफआरएल के बारे में: इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स का गठन एक सर्वोच्च संस्था के रूप में किया गया है, जो सर्कुलर इकोनोमी के विकास के लिए कार्यरत है, इसकी स्थापना वकीलों एवं पेशेवरों के समूह ने की है जो पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करना चाहते हैं। आईएफआरएल का मुख्यालय उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में है, यह संस्था अपने सदस्यें को सेवाओं एवं प्रोग्रामों की व्यापक रेंज उपलब्ध कराती है। इन सदस्यों में पीआरओ, व्यर्थ प्रबन्धन एजेन्सियां, डिस्मेंटलिंग सेवा प्रदाता, संग्रहण एवं परिवहन सेवा प्रदाता, राज्यों के संगठन एवं सरकारी प्रतिनिधि शामिल हैं।
संस्था सेमिनार, वेबिनार, सम्मेलनों, प्रशिक्षण सत्रों, कार्यशालाओं के आयोजन द्वारा ऐसा मंच प्रस्तुत करती है जो सार्वजनिक नीति प्रतिनिधित्व, व्यर्थ प्रबन्धन में एडवोकेसी, स्थायित्व एवं सर्कुलर इकोनोमी को बढ़ावा देता है; स्वदेशी एवं अन्तर्राष्ट्रीय मार्केटिंग में सवाओं को सहयोग प्रददान करता है; बेहतर ट्रेसेबिलिटी के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग को सुनिश्चित करता है; उद्योग संबंधी प्रकाशनों, कार्यक्रम उन्मुख नेटवर्किंग के अवसरों; स्मार्टसिटीज़ के समाधानों, इंडस्ट्री 4.0 स्टार्ट-अप इकोसिस्टम एवं उद्योग से संबंधित अन्य सेवाओं को बढ़ावा देता है।
इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स ने विभिन्न हितधारकों की मौजूदगी में पीआरओ, व्यर्थ प्रबन्धन एजेन्सियों एवं डिस्मेंटलर्स की मौजूदा एवं भावी स्थितियों पर चर्चा की। मौजूदा मूल्य श्रृंखला एवं संचालन प्रथाओं के मद्देनज़र भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा बनाए गए नए ई-व्यर्थ प्रबन्धन नियमों 2022 पर विचार-विमर्श किया। पाया गया कि ई-व्यर्थ प्रबन्धन विनियम के तहत नए प्रस्तावित नियम पीआरओ, संग्रहण केन्द्रों, डिस्मेंटलर्स और उपभोक्ता की परिभाषाओं एवं ज़िम्मेदारियों में छूट देते हैं। इसके अलावा, नए निर्देशों में सिर्फ रीसायक्लर्स को ध्यान में रखा गया है। जिसके चलते संरचित एवं औपचारिक संग्रहण और डिस्मेंटलिंग सेंटरों के नेटवर्क के विकास के लिए निवेश एवं प्रयास करने वाले संगठनों की उपेक्षा हो जाती है।
सर्कुलर इकोनोमी का निर्माण ऐसी संग्रहण एवं निपटान प्रणाली की स्थापना पर निर्भर करता है, जहां मूल्य श्रृंखला में विभिन्न प्रतिभागी शामिल हों। इनमें अनौपचारिक सेक्टर, पीआरओ और डिस्मेंटलर्स शामिल हैं। पीआरओ ई-व्यर्थ मूल्य श्रृंखला में उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं और सशक्त एवं समेकित रिवर्स मूल्य श्रृंखला में संग्रहण प्रणाली के विकास में मदद करते हैं। वे ई-व्यर्थ से संबंधित डेटा के लिए एसपीसीबी एवं सीपीसीबी को सहयोग प्रदान करते हैं। उनकी क्षमता निर्माण गतिविधियां रिहायशी कॉलोनियों, डीलरों, रीटेलरों, थोक उपभोक्ताओं, घरों, कार्यालयों एवं अनौपचारिक सेक्टर से संग्रहण को सुनिश्चित करती हैं।
डॉ विजय सिंघल, सेवानिवृत्त सीईई, आरपीसीबी भी इस मौके पर मौजूद थे, उन्होंने कहा, ‘‘तेज़ी से बढ़ती ई-व्यर्थ की मात्रा मनुष्य के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है, इसे देखते हुए सर्कुलर इकोनोमी की दिशा में जल्द से जल्द काम करने की ज़रूरत है। सर्कुलर इकोनोमी कई पहलुओं पर निर्भर करती है, जैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग एवं डिस्पोज़ल, मौजूदा संसाधनों का प्रभावी उपयोग, हरित मूल्य श्रृंखला के निर्माण में विभिन्न हितधारकों की भूमिका और यह सुनिश्चित करना कि सर्कुलर इकोनोमी को बढ़ावा देने के लिए की जाने वाली गतिविधियां नौकरियों के सृजन एवं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकें। इलेक्ट्रोनिक्स की बात करें तो ये सभी पहलु द्वितियक सामग्री के प्रसंस्करण, मरम्मत एवं पुनःनिर्माण तथा सर्विस सेक्टर एवं सर्कुलर इकोनोमी में नए अवसर उत्पन्न कर सकते हैं।’
मिस निशा बंथ, प्रवक्ता, इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स ने कहा, ‘‘प्रभावी नियमों और समाज के ज़िम्मेदाराना व्यवहार का संयोजन ई-व्यर्थ के खतरे पर लगाम लगाने और सर्कुलर इकोनेामी के निर्माण में कारगर हो सकता है। सर्कुलर इकोनोमी के लिए तय किए गए नियम इस डोमेन में ज़िम्मेदाराना व्यवहार की दिशा में स्पष्ट निर्देश देते हैं। ये नियम सर्कुलर इकोनोमी के संदर्भ में सामाजिक एवं कारोबारी संबंधों को परिभाषित एवं विनियमित करते हैं। प्राकृतिक संसाधन तेज़ी से कम हो रहे हैं और वर्तमान में जिस तरह से इनका उपयोग किया जा रहा है, इसे देखते हुए स्थायी आर्थिक विकास हेतु सर्कुलर इकोनोमी मॉडल के निर्माण के लिए कानून बनाना बहुत ज़रूरी हो जाता है। जहां एक ओर दुनिया के कई देश कानूनों के माध्यम से सर्कुलर इकोनोमी के विकास पर काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत सर्कुलर इकोनामी को बढ़ावा देने के लिए कानूनों का आधुनिकीकरण करना चाहता है। हालांकि पीआरओ जैसे संगठनों द्वारा किए गए निवेश और प्रयासों को समझना ज़रूरी है, जो संरचित एवं औपचारिक संग्रहण एवं डिस्मेंटलिंग सेंटरों के विकास में सक्रिय हैं। इन संस्थाओं को सहयोग प्रदान करने के लिए नियम बनाए जाने चाहिए, ताकि उत्पादक संगठन ई-व्यर्थ प्रबन्धन प्रक्रियाओं की दिशा में अपनी ज़िम्मेदारी को निभा सकें।’
आईएफआरएल के बारे में: इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स का गठन एक सर्वोच्च संस्था के रूप में किया गया है, जो सर्कुलर इकोनोमी के विकास के लिए कार्यरत है, इसकी स्थापना वकीलों एवं पेशेवरों के समूह ने की है जो पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करना चाहते हैं। आईएफआरएल का मुख्यालय उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में है, यह संस्था अपने सदस्यें को सेवाओं एवं प्रोग्रामों की व्यापक रेंज उपलब्ध कराती है। इन सदस्यों में पीआरओ, व्यर्थ प्रबन्धन एजेन्सियां, डिस्मेंटलिंग सेवा प्रदाता, संग्रहण एवं परिवहन सेवा प्रदाता, राज्यों के संगठन एवं सरकारी प्रतिनिधि शामिल हैं।
संस्था सेमिनार, वेबिनार, सम्मेलनों, प्रशिक्षण सत्रों, कार्यशालाओं के आयोजन द्वारा ऐसा मंच प्रस्तुत करती है जो सार्वजनिक नीति प्रतिनिधित्व, व्यर्थ प्रबन्धन में एडवोकेसी, स्थायित्व एवं सर्कुलर इकोनोमी को बढ़ावा देता है; स्वदेशी एवं अन्तर्राष्ट्रीय मार्केटिंग में सवाओं को सहयोग प्रददान करता है; बेहतर ट्रेसेबिलिटी के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग को सुनिश्चित करता है; उद्योग संबंधी प्रकाशनों, कार्यक्रम उन्मुख नेटवर्किंग के अवसरों; स्मार्टसिटीज़ के समाधानों, इंडस्ट्री 4.0 स्टार्ट-अप इकोसिस्टम एवं उद्योग से संबंधित अन्य सेवाओं को बढ़ावा देता है।
एक टिप्पणी भेजें