गिरीश चावला की लघुकथा संग्रह इशिका का लोकार्पण
० इरफ़ान राही ० नई दिल्ली-कहानी में सब कुछ कह देना लगभग एक शर्त हो सकती है पर वहीं लघुकथा में बहुत कुछ अनकहा होता है। यही अनकहापन लघुकथा का चरमोत्कर्ष है और इसकी यही सार्थकता गिरीश चावला की पुस्तक पूर्ण करती है। उक्त बात समारोह अध्यक्ष एवं गगनांचल के सम्पादक डॉ. आशीष कंधवे ने कही। मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा दिल्ली के हिन्दी भवन में लेखक गिरीश चावला के लघुकथा संग्रह 'इशिका-हमारा स्वाभिमान' का विमोचन एवं काव्य गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें मुख्य अतिथि मुख्य अतिथि सुभाष चंदर (वरिष्ठ साहित्यकार व्यंग्यश्री), कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.आशीष कंधवे (संपादक, गगनांचल,भारत सरकार) ने की। साथ ही विशिष्ट अतिथि कोमल वर्मा, धर्मेंद्र 'मुकुल' (साहित्यकार व अभिनेता), योगिता वासवानी (शिक्षाविद व रंगकर्मी), अर्श परमिंदर शाह (लेखक व अभिनेता) रहे।कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन किया व शारदे वंदना शीतल मारवाह ने प्रस्तुत की। तत्पश्चात मातृभाषा उन्नयन संस्थान की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भावना शर्मा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए संस्थान के विषय में उपस्थित जन समूह को अवगत कराया। इसके पश्चात सभी अतिथियों का स्वागत सत्कार किया गया। तत्पश्चात लेखक गिरीश चावला की पुस्तक ‘इशिका हमारा स्वाभिमान' लघुकथा संग्रह का लोकार्पण, समारोह के अतिथियों के करकमलों से संपन्न हुआ।
मुख्य अतिथि व्यंग्यश्री सुभाष चन्दर ने अपने उदबोधन में कहा कि 'लघुकथा बुनने की चीज़ है, साथ ही बारीकी से ईमानदारी से अपनी बात कहने की आवश्यकता होती है इसमें। लेखक अपने सामाजिक सरोकारों के प्रति गंभीर है और उनमें एक बेचैनी रही है, ऐसा क्यों हो रहा है, क्या नहीं होना चाहिए और इन्हीं बेचैनी की ज़ुबान है ये लघुकथाएँ।' विशिष्ट अतिथि योगिता वासवानी ने कहा 'इशिका संग्रह की हर एक लघुकथा समाज के लिए संदेश है और अर्थबोध की व्यापकता इसमे समाहित है, साथ ही सरल भाषा शैली है जो हर वर्ग के लिए सुगम है।' विशिष्ट अतिथि कोमल वर्मा ने अपने सम्बोधन में लघुकथा की विशिष्टताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि 'लेखक की लघुकथा को उस पर खरा पाया, सभी कथाओं में कसावट पाई।' फिर पुस्तक की अपनी पसंदीदा लघुकथा काa पाठ किया।'
विशिष्ट अतिथि अर्श परमिंदर शाह ने गिरीश को शुभकामनायें दीं और बताया कि लेखक समाज के प्रति बहुत ही संवेदनशील है और उसी संवेदनशीलता के दर्शन उनकी लेखनी में होते हैं। विशिष्ट अतिथि धर्मेंद्र मुकुल ने अपने वक्तव्य में बताया कि साहित्य क्या है, उसकी महत्ता क्या है! लेखक की लघुकथाएँ आसपास के परिवेश को दर्शाती हैं और हमारे अंदर भावनाओं के छुपे हुए स्रोतों को भी अंगड़ाई लेने को विवश करती हैं।
लेखक द्वारा किये गए उत्कृष्ट कार्य के महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उनकी लेखनी की प्रशंसा की। विमोचन एवं उदबोधन के पश्चात दूसरा सत्र काव्य पाठ का आरंभ हुआ, जिनमें नीलम नील, प्रीति खरवार, भगीरथ सिन्हा, विजय विद्रोही, चंद्रकांता चंद्रेश, जयप्रकाश विलक्षण, इरफ़ान राही ने काव्य पाठ किया। सभी सम्मानित कवियों को मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा भाषा सारथी से सम्मानित किया।कार्यक्रम का संचालन भावना शर्मा ने किया और मातृभाषा उन्नयन संस्थान, दिल्ली इकाई की सचिव सुरभि सप्रू ने आभार व्यक्त किया।