"कहानी का रचना ,आलोचना, मूल्यांकन और संवाद से गुजरना आवश्यक" संतोष श्रीवास्तव
भोपाल -अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की राष्ट्रीय इकाई द्वारा गूगल मीट पर तीन कहानी - तीन समीक्षक का आयोजन सम्पन्न हुआ।इस आयोजन की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कहानीकार उर्मिला शीरीष के द्वारा की गई।
आयोजन का प्रारंभ अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की संस्थापक अध्यक्ष प्रसिद्ध साहित्यकार संतोष श्रीवास्तव के बीज वक्तव्य से हुआ जिसमें उन्होंने मंचासीन विद्वद्जनों का स्वागत करते हुए कहा कि जब तक रचना ,आलोचना, मूल्यांकन और संवाद से न गुजरे तब तक किसी कहानी को समझने बूझने की प्रक्रिया से जुड़े सवालों को उत्तरित करने का सार्थक प्रयास नहीं किया जा सकता ।इसी सार्थकता की तलाश में यह कहानी संवाद अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
आयोजन में विजयकांत वर्मा जी की कहानी -"भरा-पूरा घर",अनीता रश्मि जी की कहानी- "पड़ोसी,सिक्कड़ और एक ख़त" तथा राज बोहरे जी की कहानी - "बिजनेस वेब डाॅट कॉम" तथा का पाठ क्रमशः कहानीकारों द्वारा किया गया। सभी कहानियां समसामयिक परिवेश से संबंधित कथावस्तु की थीं।
विजयकांत वर्मा की कहानी की समीक्षा करते हुए विनीता राहुरीकर ने कहानी की कथा वस्तु की प्रशंसा की तथा कहानी में घर के संस्कारों के स्वत: हस्तांतरण की बात स्वीकारते हुए कहानी के उद्देश्य को सफल बनाया। कहानी की शैली पर बात करते हुए उन्होंने अधिक विवरण को संवादों के माध्यम से स्थापित करने का सुझाव दिया।
वहीं अनीता रश्मि जी की कहानी पर नीता श्रीवास्तव जी ने समीक्षा करते हुए कहा कि, नाम से ही एक जिज्ञासा पनपने लगती है मन में ..आखिर है क्या इसमें ! बेहद महत्वपूर्ण और संवेदन शील विषय पर कहानी जिसमें न केवल समाज की एक गंभीर समस्या या बीमारी को हाइलाइट किया बल्कि अपने लेखकीय दायित्व को भी निभाया है | कहानी की भाषा उत्कृष्ट है।सहज सुंदर और आकर्षक है। कहानी पर कुछ प्रश्न अंकित करते हुए नीता श्रीवास्तव जी ने कहानी कार को पाठकों के मन में उभरी आशंकाओं का उल्लेख किया ,जिस पर अनीता रश्मि जी का ध्यानाकृष्ट हुआ।
राज बोहरे जी की कहानी पर आयोजन की अध्यक्ष उर्मिला शीरीष ने कहा कि एक सशक्त और माने हुए कथाकार , उपन्यासकार की कहानी बहुत बढ़िया शैली में पाठ किया ,कहानी का पाठ भी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। कहानी की विषयवस्तु पर उर्मिला जी ने कहा कि बाज़ारवाद ने आम व्यक्ति खासतौर से मध्यम वर्गीय समाज के घरों में प्रवेश कर गया है। चैनल सिस्टम में पुरुष की अपेक्षा महिलाओं को अधिक टारगेट किया जा रहा है। आम आदमी के सपनों को बेचा जा रहा है। मध्यम वर्गीय समाज के जीवन में आए हुए बदलाव को बहुत व्यापक ढंग से यथार्थ रूप में सामने रखती है।
अपनी अध्यक्षीय उद्बोधन ने उर्मिला शीरीष जी ने समीक्षकों द्वारा आलोचनात्मक दृष्टि से समीक्षा करने पर प्रशंसा की।कहानीकार को ऐसी समीक्षा से आगे के सृजन के लिए सचेत करती है। उन्होंने कहा कि कहानी की शुरुआत अपने अनुभवों को दूसरों से बांटना चाहता है कहानी केवल आत्म अभिव्यक्ति का साधन नहीं बल्कि मानवीय संबोधन व संवाद है कहानी गोष्ठी के सार्थक आयोजन पर बात करते हुए उर्मिला शीरीष ने कहा कि सामाजिक परिप्रेक्ष्य में बदलते समीकरण को रेखांकित करना लेखक का कार्य है जो आज की कहानियों में परिलक्षित होता है। संतोष श्रीवास्तव जी की प्रशंसा करते हुए उर्मिला शीरीष जी ने इसे कहानी विधा के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन कहा।
आयोजन का आभार व्यक्त करते हुए प्रसिद्ध लेखिका व विश्व मैत्री मंच की राष्ट्रीय इकाई की टीम मेंबर सरस दरबारी ने संक्षिप्त में कहानियों तथा उन पर आई समीक्षाओं पर सारगर्भित बात रखते हुए आयोजन में उपस्थित सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम का संचालन रूपेंद्र राज तिवारी ने किया
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