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० योगेश भट्ट ० 

◆ देश-दुनिया के उच्च स्तरीय वक्ताओं, सरकार के मंत्रियों, व्यापार जगत के प्रमुखों और उद्यमियों से जानकारी हासिल होग◆ स्वच्छ पर्यावरण और डिजिटल परिवर्तन में स्वीडन की अहम भूमिका के सा उद्योग क्षेत्रों और व्यापार एवं नवाचार के प्रतिस्पर्धी परिवेश का योगदान जानने का अवस◆ प्रगतिशील व्यापार परिवेश और वैश्विक विकास में तेजी के तरीकों के साथ व्यापार की स्थापना, विस्तार, नवाचार, सहयोग और निवेश पर पैनी नज 
◆ उद्योग जगत के साथियों, संभावित भागीदारों, अनुसंधान एवं विकास और नवाचार संस्थानों, स्वीडिश व्यवसायों और सरकारी अधिकारियों से संपर्क का अवसर

नई दिल्ली : स्वीडन के स्टॉकहोम स्थित ग्रैंड होटल में 20 और 21 जून को आयोजित ज्वाइन स्वीडन समिट में शामिल होने के लिए स्वीडन की सरकार ने व्यापार जगत प्रमुखों और अहम् निर्णय लेने वालों को आमंत्रित किया है। यह विशिष्ट आयोजन डिजिटल परिवर्तन और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए नवाचार सहयोग संभावनाओं पर केंद्रित होगा। आयोजन हाइब्रिड मोड में होगा, जिसमें आमने-सामने बात करने के साथ-साथ अधिक से अधिक संख्या में लोगों को ऑनलाइन शामिल करने के लिए इसका सीधा प्रसारण भी होगा। पूरी दुनिया की सैकड़ों कंपनियों के प्रतिनिधि, थिंक टैंक और उद्योग प्रमुख इससे जुड़ेंगे। स्टॉकहोम के इस शिखर सम्मेलन में लगभग 150 विदेशी और 100 स्वीडिश मेहमान आएंगे, जबकि डिजिटल प्रसारण सभी के लिए खुला है जो स्वीडन में व्यापार परिदृश्य के बारे में अधिक जानने के इच्छुक हैं।

शिखर सम्मेलन में शिक्षा, राजनीति, उद्योग और नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी लोग एकजुट हो कर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे और स्वीडन में निवेश की संभावना और व्यावसायिक अवसरों को जानेंगे। यह पूरी दुनिया के गेम चेंजरों के लिए स्वीडिश उद्योग प्रमुखों, सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों, संभावित भागीदारों और राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तरों पर कार्यरत अनुसंधान और नवाचार संस्थानों से जुड़ने का मंच होगा।

दो दिवसीय कार्यक्रम का थीम ‘पायनियर द पॉसिबल’ बहुत व्यापक है। इसमें स्वच्छ पर्यावरण और डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में स्वीडन के व्यापार समुदाय की प्रतिस्पर्धी क्षमता को प्रमुखता से दिखाया जाएगा। विभिन्न सत्रों में स्वीडिश सरकार के मंत्रालयों के साथ नेटवर्किंग के अवसर और उद्योग विशेष से संवाद शामिल होंगे। पहले दिन मुख्य रूप से दो महत्वपूर्ण सत्र होंगे: ‘ज्वाइन स्वीडन टू ग्रो वर्ल्ड लीडिंग कम्पनीज़’ और ‘ज्वाइन स्वीडन टू लीड द ग्रीन ट्रांजिशन’। दूसरे दिन के पांच प्रभाग होंगे जो सस्टेनेबल प्रोडक्शन के लिए औद्योगिक परिवर्तन; सस्टेनेबल बैटरी वैल्यू चेन के लिए सहयोग; सुरक्षित, सस्टेनेबल और स्वचालित परिवहन; चिकित्सा का भविष्य - संपर्कित और सटीक स्वास्थ्य सेवा पर जोर देंगे।

शिखर सम्मेलन के बारे में भारत में स्वीडन के राजदूत क्लास मोलिन ने कहा,‘‘स्वीडन सस्टेनेबल ग्रोथ के सभी अहम् पहलुओं - परिवहन, स्वच्छ ऊर्जा और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग के लिए आवश्यक स्वच्छ पर्यावरण और डिजिटल परिवर्तन में सबसे आगे है। भारत से हमारे द्विपक्षीय संबंध में भी नवाचार और सस्टेनेबिलिटी मुख्य घटक रहे हैं। ज्वाइन स्वीडन समिट को मैं दोनों देशों में नई साझेदारी और सस्टेनेबल ग्रोथ के लिए नए निवेश को बढ़ावा देने का बहुत ही सामयिक अवसर के रूप में देखता हूं। स्वीडन दुनिया के सबसे इनोवेटिव देशों में से एक है और आने वाले कल के स्मार्ट और सस्टेनेबल समाज को आकार देने वाले सिस्टम-वाइड सॉल्यूशन में अग्रणी रहा है। हम पूरी दुनिया के व्यवसाय जगत का स्वागत् करते हैं कि स्वीडन आएं, स्वीडन में व्यापार के लिएं सहयोग और खुलापन की परंपरा का लाभ उठायें।’’

इस आयोजन में यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान और ऑस्ट्रेलिया जैसे 11 प्रमुख बाजारों के गणमान्य लोग भाग लेने के लिए आमंत्रित हैं। इसका उद्देश्य नए स्वच्छ पर्यावरण औद्योगिक युग के लिए आवश्यक सहयोग को सुदृढ़ बनाना है। इसलिए पूरी दुनिया के कई महत्वपूर्ण संगठन के प्रतिभागी बतौर मुख्य वक्ता मौजूद होंगे। साथ ही, आमंत्रितों की सूची में शामिल होंगे विभिन्न क्षेत्रों (जैसे ऑटोमोबाइल, स्वास्थ्य और चिकित्सा, प्रौद्योगिकी और नवाचार) के व्यापार प्रमुख और उद्योग प्रतिनिधि। इनमें कुछ खास नाम हैं वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, सैंडविक कोरोमेंट, वोल्वो, टेक महिंद्रा, ओवाको, गूगल, फाइजर, ब्लूमबर्ग फिलैंथ्रॉपीज़, रिन्यूसेल और हिताची एनर्जी, नॉर्थवोल्ट और वोक्सवैगन।

आयोजन के मुख्य वक्ताओं में खास तौर से उल्लेखनीय हैं एना हॉलबर्ग, विदेश व्यापार और नॉर्डिक कार्य मंत्री; कार्ल-पीटर थोरवाल्डसन, व्यापार, उद्योग और नवाचार मंत्री; एना एकस्ट्रॉम, शिक्षा मंत्री; लीफ जोहानसन, अध्यक्ष, एस्ट्राजेनेका; रॉबर्ट फाल्क, सीईओ, एनराइड; एरियल पोराट, वीपी यूरोप, सीमेंस एनर्जी; पिया सैंडविक, सीईओ, राइज़; ओले-पीटर ओटरसन, प्रिंसिपल, करोलिंस्का इंस्टिट्यूट इंटरनेशनल कंपनी (टीबीसी) और अन्य।

भारतीय कंपनियों के लिए आयोजन को अहम् बताते हुए भारत में स्वीडन की व्यापार आयुक्त सेसिलिया ऑस्करसन ने कहा, ‘‘आज अधिकतर भारतीय सीईओ प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिलाने में सस्टेनेबलिटी और डिजिटलीकरण की अहम् भूमिका मानते हैं जैसा कि ईवाई सीईओ सर्वे 2022 से जाहिर है। भारत भी 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने को वचनबद्ध है। इसके लिए सस्टेनेबल प्रौद्योगिकियों में भारी निवेश चाहिए। स्वीडन ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2021 के अनुसार दुनिया का दूसरा सबसे इनोवेटिव देश है। इसलिए यह भारतीय कंपनियों के परिवर्तन से जुड़े लक्ष्य पूरे करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों और नवाचारों का एक प्रमुख स्रोत है। साथ ही, नॉर्डिक देश जिनका 1.7 ट्रिलियन अमरीकी डालर का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद है आज भारतीय कंपनियों को व्यवसाय बढ़ाने का बड़ा अवसर देते हैं। कई प्रमुख भारतीय कम्पनियां जैसे एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टीसीएस, विप्रो, आदित्य बिड़ला समूह, टेक महिंद्रा, भारत फोर्ज और कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन आदि पहले ही स्वीडन में उल्लेखनीय निवेश कर चुकी हैं।’’

आयोजन में भागीदारी निःशुल्क है। साथ ही, मेहमानों को शिखर सम्मेलन के दौरान और बाद में भी उनकी मांग पर सेशन और व्यक्तिगत बैठकें करने की सुविधा दी जाएगी। स्वीडन इस तरह की पहल कर पूरे उद्योग जगत में स्वच्छ परिवर्तन का ब्लूप्रिंट तैयार कर रहा है और आयोजन में आप देखेंगे कि स्वीडन स्वच्छ परिवर्तन और डिजिटलीकरण के लिए क्यों एक स्प्रिंगबोर्ड का काम करेगा। आज वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए संयुक्त प्रतिबद्धता और घनिष्ठ सहयोग आवश्यक है। स्वच्छ पर्यावरण के इस सफर में यह बड़ा कदम ‘ज्वाइन स्वीडन समिट’ अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को विचार साझा करने और परस्पर लक्ष्यों को साकार करने का मंच देगा।

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली: महिला भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंडल (WICCI) के तहत भारत-ऑस्ट्रिया द्विपक्षीय व्यापार परिषद ने IIC (इंडिया इंटरनेशनल सेंटर) दिल्ली में महिला आर्थिक मंच (WEF: 2022) की मेजबानी की। दो दिवसीय कार्यक्रम में वर्तमान में मानवता को चुनौती देने वाले विषयों पर चर्चा की एक श्रृंखला शामिल थे। इसमें प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर कार्बन टैक्स लागू करने की, उद्योग में कार्बन क्रेडिट को बढ़ावा देने की, इंसानों का मेटावर्स में पारगमन आदि की चर्चा भी शामिल थे।

इस कार्यक्रम के श्रृंखला में एक ह्यूमनॉइड लॉन्च शामिल था, एक पुरस्कार समारोह शामिल था और दुनिया का पहले फैशन शो का शुभारंभ भी शामिल था जहां डिजाइनों को एनएफटी में परिवर्तित किया गया और एक मेटावर्स में होस्ट किया गया। *इस कार्यक्रम की मुख्य अथिति महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल थी कई विषयों पर पैनल चर्चा के दौर आयोजित किए जाएंगे। कुछ प्रमुख विषय जो शामिल है -  संस्कृति का डिज़िटाइज़ेशन: ब्लॉकचैन पर ब्रांडेड उत्पादों के लिए ग्रामीण हस्तशिल्प का आईपीआर संरक्षण

• मेटावर्स पर चर्चा • कार्बन कर वापसीयोग्यता पर विवरण • उद्योगों की हरित अर्थव्यवस्था पैनल चर्चा में भाग लेने वाले और अपने विचार रखने वाले कुछ प्रमुख व्यक्ति निम्नलिखित हैं - • सौरभि गावड़े "एसोसिएट डायरेक्टर - कैपजेमिनी इन्वेंट - बैंकिंग और एफएस • कर्नल हरदीपबरारा "पूर्व मुख्य साइबर अधिकारी (सीसीओ) - भारतीय सेना |TEDx • रचना सिंह बिजनेस हेड इंस्टिट्यूट मारंगोनी • पिको वेलास्केज़ हार्वर्ड - स्कूल ऑफ़ डिज़ाइन | VIIRA में संस्थापक और सीईओ | मेटावर्स एडवाइजर - डायर, डिज्नी, एलवीएमएच, आदि • विल्मा मैटिला पूर्व- संयुक्त राष्ट्र - यूएसए - सीबीडीसी और डिजिटल मुद्राओं पर सलाहकार; $2 बिलियन में निवेशक - प्राइवेट सीड फंड, दुबई; क्रिप्टो उद्योग में 8 साल • आकाश पुरी निदेशक - सोथबीज इंटरनेशनल रियल्टी  डिर्क बोल अध्यक्ष - क्रिस्टीज EMEA • कैथरीन डी हेनरी - मेटावर्स आर्किटेक्ट मीडिया मॉन्क्स • डॉ. जियोवाना ग्राज़ियोसी कासिमिरो, डिसेंट्रालैंड के निदेशक - एक्सआर और मेटावर्स| मेटावर्स फैशन वीक के प्रमुख | फैशन, विलासिता और कला • अमन कुमार कंट्री हेड, Bvlgari • समृद्धि शूर सीईओ और निदेशक - हाउस ऑफ क्रिफिन | अध्यक्ष - भारत ऑस्ट्रिया द्विपक्षीय परिषद, WICCI • मासिमिलियानो सुब्बा एमडी, एंथिया आर्ट इन्वेस्टमेंट एजी - स्विट्ज़रलैंड
• जॉर्ज बाक, कला सलाहकार, फिलिप्स ऑक्शन हाउस • लीन इलियट, युवा सह-संस्थापक और सीईओ, इंस्टीट्यूट ऑफ डिजिटल फैशन - लंदन • डॉ. हरप्रीत ए.डी. सिंह: एयर इंडिया के निदेशक • सुश्री अपूर्व बोस: यूएनईपी • सुश्री मेरिट वाल्दासु: संस्थापक एकल पृथ्वी • श्री मुरली: यूएनईपी

हाउस ऑफ क्रिफिन, पीडीपी बाय शुभिका, बीबीटी (बिग बॉयज टॉयज), नई दिल्ली का होटल लीला पैलेस, फॉरेस्ट एसेंशियल्स और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की एमएफ हुसैन गैलरी इस आयोजन के प्रमुख प्रायोजकों में से हैं। हाउस ऑफ क्रिफिन ने इवेंट के दौरान अपने डिजिटल ह्यूमनॉइड का खुलासा किया, जो शो का केंद्रबिंदु था। डिजिटल क्षेत्र में, जिसे अक्सर मेटावर्स के रूप में जाना जाता है, यह डिजिटल ह्यूमनॉइड HoK का प्रभावशाली व्यक्ति था। इसकी अपनी एक पहचान होगी और यह डिजिटल दुनिया में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के रूप में कार्यों को स्वीकार करेगा। हाउस ऑफ क्रिफिन के निदेशक और सीईओ समृद्धि शूर ने कहा, "मेटावर्स डिजिटल इंटरैक्शन के एक नए रूप के लिए एक अवसर प्रदान करता है जो सोशल मीडिया में विकास को आगे बढ़ाएगा। हम चाहते हैं कि महिलाएं इस नई डिजिटल क्रांति में सबसे आगे हों। फैशन से लेकर ऑटोमोबाइल से लेकर कला और संस्कृति तक हर उद्योग प्रभावित होगा। हमारा दर्शन विचारशील होना है और हम मानते हैं कि मेटावर्स एक 'खेल' नहीं है, बल्कि एक ऐसी जगह है जहां अगले दशक में लाखों लोग आत्म-अभिव्यक्ति करेंगे।''

'पापा डोंट प्रीच' की शुभिका शर्मा (बॉलीवुड सेलिब्रिटी डिज़ाइनर और भारत की पहली मेटावर्स फ़ैशन डिज़ाइनर), इस मेटावर्स प्लेटफ़ॉर्म पर अपने कपड़ों और एक्सेसरीज़ का प्रदर्शन किया, जिससे वे ऐसा करने वाले पहले फैशन परिधान ब्रांड बना। शुभिका शर्मा, 'पापा डोंट प्रीच' की सीईओ और संस्थापक ने कहा, "हम 'पापा डोंट प्रीच' में इस क्षेत्र में अग्रणी बनकर खुश हैं। मेटावर्स निश्चित रूप से एक वास्तविकता है जिसमें हम आगे बढ़ने जा रहे हैं - यह फैशन को और अधिक टिकाऊ बनाने में भी मदद करेगा। आपको वास्तव में वह सब कुछ बनाने की ज़रूरत नहीं है जिसे हम बनाना चाहते हैं और इसलिए संग्रह बहुत छोटा हो सकता है। इस तरह के अधिक 'अवांट-गार्डे' डिज़ाइनों को मेटावर्स रिलीज़ में ले जाया जा सकता है, इसलिए मेरा मानना है कि सभी ब्रांड अंततः इसमें आगे बढ़ेंगे क्योंकि यह मौजूदा ग्राहकों के लिए प्रासंगिक होने का एकमात्र तरीका होगा।"

सके अलावा, मेटावर्स में, बीबीटी (बिग बॉय टॉयज़) ऑटोमोबाइल डेब्यू किया। बिग बॉय टॉयज की सीओओ, श्रीमती रितिका जतिन आहूजा ने कहा, “बिग बॉय टॉयज में हमें WICCI के साथ अपनी साझेदारी को एकजुट और मजबूत करने पर गर्व है। हम इस सूचनात्मक पैनल चर्चा के लिए तत्पर थे और हम इस पहल का समर्थन करने के लिए उत्साहित हैं। इस तरह के आयोजन का हिस्सा बनने का यह हमारा पहला अनुभव है, जिसमें बीबीटी की गाड़िया फैशन शो के बाद मेटावर्स शो का हिस्सा हुयी। हम इसका हिस्सा बनने पर उत्साहित हैं।"

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली,-दुनिया के सबसे बड़े कार्यकर्ता संचालित, गैरलाभकारी संगठनों में से एक रोटरी इंटरनेशनल, जो दुनिया की सबसे गंभीर मानवीय चुनौतियों का प्रभावशाली व स्थायी समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, ने अपने 113 वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन हाउस्टन में किया।

इस सम्मेलन में पाँच महाद्वीपों और 100 देशों के 10,000 से ज्यादा रोटरी सदस्यों ने हिस्सा लिया और रोटरी के पहली हाईब्रिड सम्मेलन में एक दूसरे से व्यक्तिगत रूप से एवं ऑनलाईन मुलाकात की। सदस्य अपने-अपने समुदायों में स्थायी परिवर्तन लाने के लिए एक दूसरे के संपर्क द्वारा सीख लेंगे और विश्वप्रसिद्ध वक्ताओं से प्रेरणा प्राप्त करेंगे। रोटरी के सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि रोटरी इंटरनेशनल स्वच्छ पेयजल, साफ-सफाई और स्वच्छता उपलब्ध कराने में अपना सक्रिय योगदान दे रहा है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘रोटेरियन अपने क्षेत्र में सफल हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने खुद को सीमित नहीं किया और धरती को बेहतर बनाने में योगदान देते रहे हैं, यह सफलता के साथ सेवा का अनुपम उदाहरण है।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2025 तक देश से टीबी का उन्मूलन करने के भारत के प्रयासों में सहयोग करने के लिए रोटरी सदस्यों को आमंत्रित किया और रोटरी के पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम द्वारा स्थापित स्थायी वैश्विक स्वास्थ्य विरासत के ढांचे का उपयोग करने का आह्वान किया। रोटरी ग्लोबल पोलियो इरैडिकेशन इनीशिएटिव (जीपीईआई) के तहत पूरी दुनिया में सहयोगियों और सरकारों के साथ काम करते हुए पोलियो के मामलों में 99.9 प्रतिशत कमी लाने के लिए विख्यात है। पोलिया के उन्मूलन के लिए बनाया गया स्वास्थ्य का इन्फ्रास्ट्रक्चर लाखों लोगों को कोविड-19 सहित अन्य बीमारियों से सुरक्षा देने के लिए भी इस्तेमाल किया जा चुका है।

इस अवसर पर रोटरी इंटरनेशनल के वर्तमान अध्यक्ष  शेखर मेहता ने कहा, ‘‘हमें सबसे बड़ा उपहार जो मिला है, वह है लोगों की सेवा करते हुए जीवन में परिवर्तन लाने, जीवन के चक्र में परिवर्तन लाने की क्षमता। यह हमारे नैतिक मूल्यों में निहित है और स्वयं से ऊपर उठकर सेवा करने के हमारे मिशन का मूल है। पिछले एक साल में अलग-अलग महाद्वीपों में सैकड़ों रोटरी क्लब घूमने के बाद, मुझे रोटरी द्वारा पोलियो के उन्मूलन, कौशल विकास और शिक्षा द्वारा लड़कियों को सशक्त बनाने, पर्यावरण की रक्षा करने, बीमारियों से लड़ने, शांति, स्वच्छ जल प्रदान करने, शिक्षा में सहयोग करने, माँ व शिशुओं को बचाने और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के विकास के लिए किए जा रहे कामों पर गर्व है।’

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली - यात्रियों की अत्यधिक मांग को देखते हुये, कोविड महामारी के बाद पहला थाईलैण्ड का टूर पैकेज दिनांक 23.07.2022 से 28.07.2022 (05 रात्रि एवं 06 दिन) का टूर पैकेज आईआरसीटीसी, क्षेत्रीय कार्यालय, लखनऊ द्वारा संचालित किया जायेगा। इस पैकेज में पटाया में अलकजार शो, कोरल आईलैण्ड एव नांग नूच ट्रापिकल गार्डन, बैंकॉंक में जेम्स गैलरी, बैंकॉंक का हाफ डे सिटी टूर, चाओ प्राया क्रूज, सफारी वर्ल्ड तथा मरीन पार्क आदि का भ्रमण आईआरसीटीसी द्वारा कराया जायेगा।

 इस टूर पैकेज के यात्रियों के लिये लखनऊ से फ्लाइट द्वारा बैकॉक (थाइलैण्ड) वाया कोलकाता एवं वापसी की यात्रा बैकॉक (थाइलैण्ड) से लखनऊ वाया दिल्ली की गई है। इस हवाई यात्रा पैकेज में जाने/आने की हवाई यात्रा, वीजा फीस, तीन सितारा होटलों में ठहरने की व्यवस्था एवं खाने हेतु भारतीय खाने की व्यवस्था (ब्रेकफास्ट,लन्च एवं डिनर) आईआरसीटीसी द्वारा की जायेगी। दो/ तीन व्यक्तियों के एक साथ ठहरने पर पैकेज का मूल्य रू0- 59,700/- प्रति व्यक्ति एवं एक व्यक्ति के लिए पैकेज मूल्य रू0- 69,850/- होगा।

बुकिंग के समय आवश्यक डाक्युमेंट- 1-प्रवेश की तारीख से 6 महीने के लिए वैध पासपोर्ट2-छह महीने का बैंक स्टेटमेंट (मूल होना चाहिए या बैंक द्वारा प्रमाणित होना चाहिए) समकक्ष न्यूनतम वर्तमान शेष राशि के साथ प्रति व्यक्ति 700 अमरीकी डालर या प्रति परिवार 1400 अमरीकी डालर। 3-आवेदक की दो फोटो (3 महीने से अधिक पुरानी नहीं) आकार- 3.5Û4.5 सेमी, सफेद पृष्ठभूमि और मैट फिनिश, बैक साइड पर आवेदक के हस्ताक्षर के साथ। इसके अतिरिक्त लखनऊ से लद्दाख (22.06.2022 से 29.06.2022) एवं लखनऊ से नेपाल (22.06.2022 से 27.06.2022 एवं 27.06.2022 से 02.07.2022) हवाई यात्रा पैकेजों का संचालन किया जा रहा है। इच्छुक व्यक्ति इसका लाभ उठा सकते हैं।

उक्त यात्रा की बुकिंग हेतु लखनऊ स्थित आईआरसीटीसी कार्यालय एवं आईआरसीटीसी की बेवसाइट ूूूण्पतबजबजवनतपेउण्बवउ से ऑनलाइन बुकिंग भी कराई जा सकती हैे। अधिक जानकारी एवं बुकिंग के लिये नीचे दिये गये मोबाइल नम्बरों पर सम्पर्क कर सकते है: लखनऊ- 8287930922/8287930908


० संवाददाता द्वारा ० 

कोलकाता - सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने भारतीय हथकरघा उत्पादों और शिल्प कौशल की भावना को बढ़ावा देने के प्रयास में, 1 जून से 14 जून 2022 तक बुनकरों और मास्टर बुनकरों द्वारा दस्तकारी "कॉटेज हैंडलूम एक्सपो 2022" का आयोजन कीया। यह हथकरघा प्रदर्शनी सुबह 10:30 बजे से शाम 7:30 बजे तक खुला रहेगा।

प्रदर्शनी में प्रामाणिकता, गुणवत्ता और पैसे के मूल्य के आश्वासन के साथ देश के विभिन्न हिस्सों से विशेष रूप से हाथ से बुनी साड़ी, शॉल, कपड़े, परिधान, सहायक उपकरण, फर्निशिंग, होम लिनन और बहुत कुछ दिखाया गया है।

भारत में एक समृद्ध और विविध कपड़ा विरासत है। एक्सपो इसकी एक झलक प्रदान करता है और बुनकरों और कला संरक्षकों के बीच सांस्कृतिक और कलात्मक आदान-प्रदान के लिए भी यह एक मंच प्रदान करता है। मुख्य उद्देश्य आगंतुकों को हथकरघा उत्पादों को पहनने और अपने दैनिक जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस तरह की पहल भारतीय बुनकरों और कपड़ा कारीगरों को उनकी आजीविका बनाए रखने और उन्हें अधिक विपणन अवसर प्रदान करने में बढ़ावा देगी।

० संवाददाता द्वारा ० 

नई दिल्ली : रिलायंस ब्रांड्स लिमिटेड (आरबीएल), ईटली की “प्लास्टिक लेग्नो एसपीए” के भारतीय खिलौना निर्माण व्यवसाय में 40% हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगा। इसके लिए दोनों कंपनियों की ओर से एक संयुक्त उद्यम व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए गए। रिलायंस ब्रांड्स का यह निवेश कंपनी के खिलौना व्यवसाय को और मजबूती देगा। आरबीएल, रिलायंस रिटेल वेंचर्स के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है।
आरबीएल की खिलौना उद्योग में मजबूत पैठ है। उसके पोर्टफोलियो में हैमलीज और घरेलू खिलौना ब्रांड - रोवन शामिल हैं। हैमलीज के पास वर्तमान में 15 देशों में 213 स्टोर्स हैं। भारत में यह खिलौनों के स्टोर्स की सबसे बड़ी चेन है।

रिलायंस ब्रांड्स लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा कि यह माननीय प्रधान मंत्री के आत्मानिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। विश्व स्तरीय खिलौना निर्माण में प्लास्टिक लेग्नो को गहरे अनुभव के साथ, वैश्विक खिलौना खुदरा उद्योग में हमारे मजबूत पैर जमाने से भारत में निर्मित खिलौनों के लिए नए दरवाजे और अद्वितीय अवसर खुलेंगे। इससे न केवल घरेलू खपत के लिए बल्कि वैश्विक बाजारों के लिए देश में एक मजबूत खिलौना निर्माण का इको सिस्टम बनेगा। प्लास्टिक लेग्नो एसपीए का स्वामित्व सनिनो समूह के पास है, जिसके पास यूरोप में खिलौना उत्पादन का 25 वर्षों से अधिक का अनुभव है। बढ़ते भारतीय खिलौना बाजार में पैठ बनाने और भारत को खिलौना बाजारों का वैश्विक हब बनाने के उद्देश्य से समूह ने 2009 में देश में व्यवसाय शुरू किया।

“हम इस संयुक्त उद्यम में भागीदार के रूप में आरबीएल को पाकर बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि खिलौनों के उत्पादन में प्लास्टिक लेग्नो का अनुभव और हैमलीज की व्यावसायिक पहुंच, संयुक्त उद्यम कंपनी को अधिक से अधिक ऊंचाइयों और सफलताओं को प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए एक दूसरे के पूरक होंगे। हमारे पास भारत के लिए महत्वपूर्ण विकास योजनाएं हैं। हम भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हैं, लेकिन जब आरबीएल जैसा समूह साथ होता है, तो हमें यकीन होता है कि हम साथ मिलकर कुछ बड़ा कर सकते हैं।” पाओलो सुनिनो, सह-मालिक, सुनीनो ग्रुप

० योगेश भट्ट ०

नयी दिल्ली - डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में दर्ज होना न केवल हम सबके लिए अपितु राष्ट्रभाषा हिंदी और भारत के गर्व की बात हैं। डॉ. निशंक गरीब परिवार से आये है। किन्तु संस्कारों की दृष्टि से वे अत्यंत समृद्ध परिवार में पैदा हुए। यह बात यहाँ नई दिल्ली के साहित्य अकादमी के सभागार में डॉ. निशंक का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में दर्ज होने के अवसर पर आयोजित एक भव्य समारोह में केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पाण्डेय ने कही।
एक ही साहित्यकार डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के साहित्य पर निर्बाध रूप से एक वर्ष से अधिक समय तक 50 श्रृंखलाओं से अधिक ऑनलाइन वेबिनार वार्ता 'डॉ. निशंक का रचना संसार' नाम से प्रसारित होने पर विश्व कीर्तिमान बना है। साहित्य अकादमी सभागार में वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड लंदन की महासचिव सुश्री तिथि भल्ला एवं मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय द्वारा उन्हें प्रमाण पात्र उपलब्ध कराया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रूप में केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय, अध्यक्ष के रूप में महात्मा गांधी अन्तराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति डॉ. रजनीश कुमार शुक्ल, विशिष्ट अतिथि के रूप मे नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. गोविन्द प्रसाद शर्मा, इग्नू की कुलपति प्रो. सुमित्रा कुकरेती, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रमेश कुमार पाण्डेय, ऑनलाइन वेबिनार वार्ता के संरक्षक डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा 'अरुण' सहित भारत के लगभग सभी प्रान्तों से आये प्रतिभागी उपस्थित थे।

"डॉ. निशंक का रचना संसार नाम" से 16 फरवरी 2021 को बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर एक अनवरत ऑनलाइन वेबिनार कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी । आज यह कार्यक्रम एक विशाल वट वृक्ष का रूप धारण कर चुका है । अब तक इसके 60 एपिसोड सफलतापूर्वक प्रचारित हो चुके हैं । इसके अंतर्गत डॉ. निशंक के सोलह काव्य संग्रह चौदह काव्य संग्रह, चार व्यक्तित्व विकास, चार पर्यटन ग्रन्थ, दस यात्रा वृत्तांत, तीन जीवनी सहित अन्य कथेतर साहित्य की साठ पुस्तकों पर देश के लगभग सभी राज्यों के प्रसिद्ध साहित्यकारों, शिक्षाविदों एवं समीक्षकों द्वारा चर्चा की गई हैं। डॉ. निशंक ने देश के अनेक राज्यों से कार्यक्रम में आये विद्वान प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया कि आपके ही माध्यम से यह विश्व कीर्तिमान बनाना संभव हो पाया। वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड लंदन की महासचिव सुश्री तिथि भल्ला एवं मंत्री महेंद्रनाथ पाण्डेय द्वारा डॉ. निशंक को विश्व कीर्तिमान बनने का प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए समानित किया गया।इसके साथ ही इस वेबिनार मे प्रतिभाग करने वाले अनेक विद्वानों को भी सम्मानित किया गया।

इनमें डॉ. रुपाली सारये उज्जैन ,डॉ. पुनीत बिसारिया झांसी,डॉ. उषी बाला गुप्ता दिल्ली, डॉ. दीपक पंजाब, डॉ. किरण खन्ना अमृतसर, डॉ. सुनीता सक्सेना एटा, डॉ. संजय कुमार लद्दाख, श्री परमजीत कुमार पंजाब, डॉ. स्मरप्रिया जम्मू-कश्मीर, डॉ. प्रभात कुमार बिहार, डॉ. पूर्णिमा मैसूर, आशा शर्मा हिमाचल, प्रो. सूर्यकांत असम, डॉ. सरोज बाला गुरुदासपुर, डॉ. रवि गौड़ हिमाचल प्रदेश, डॉ.साधना अग्रवाल दिल्ली, डॉ. कमलेश सरीन दिल्ली, डॉ. मुन्नी चौधरी दिल्ली,डॉ. राकेश कुमार दूबे दिल्ली, डॉ. वसुंधरा उपाध्याय पिथौरागढ़, डॉ. वेद प्रकाश दिल्ली डॉ. ब्रिजेश कुमार दिल्ली, डॉ. अनिरुद्ध कुमार सुधांशु दिल्ली सहित अनेक लोगों को सम्मानित किया गया।इसके पश्चात रचना संसार वेबिनार टीम को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन हिमालय विरासत न्यास, स्याही ब्लू बुक्स और वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विजय मिश्रा द्वारा किया गया।

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली । हिंदी पत्रकारिता दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय जन संचार संस्थान में आयोजित विशेष व्याख्यान को संबोधित करते हुए 'हिन्दुस्तान' समाचार पत्र के प्रधान संपादक शशि शेखर ने कहा कि डिजिटलाइजेशन ने पत्रकारों और पत्रकारिता को एक नई ताकत दी है। वर्तमान में कंटेंट सेक्टर की अकेली उम्मीद हिंदी भाषा है, जिसमें रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, अपर महानिदेशक आशीष गोयल, डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह एवं हिंदी पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद प्रधान भी उपस्थित थे।

 शशि शेखर ने कहा​ कि पत्रकारिता सत्य, तथ्य और कथ्य के साथ चलती है। जितने भी लोग खबरों के व्यावसाय में हैं, उन्हें एक बात नहीं भूलनी चाहिए, कि वे 'प्रोफेशनल ट्रूथ टेलर' हैं। हम कहानीकार नहीं, बल्कि कलमकार हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी कंटेट की बढ़ती गुणवत्ता ने उसे डिजिटल माध्यमों पर अलग पहचान दिलाई है।  शेखर ने कहा कि दुनिया जब बदलती है, तो उसके फायदे और नुकसान दोनों होते हैं, लेकिन हमें सकारात्मक रवैया अपनाते हुए अच्छी चीजों को ग्रहण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकार अब डिजिटल युग में ग्लोबल रिसोर्स बनते जा रहे हैं। इसलिए मीडिया शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों को भी उसी हिसाब से तैयार करें। पत्रकारों को अब विशेषज्ञता की आवश्यकता है।

इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि भारत में हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत पं. युगल किशोर शुक्ल द्वारा 30 मई, 1826 को कोलकाता से प्रकाशित समाचार पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' से हुई थी। इसलिए 30 मई को पूरे देश में हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि 'उदन्त मार्तण्ड' का ध्येय वाक्य था, ‘हिंदुस्तानियों के हित के हेत’ और इस एक वाक्य में भारत की पत्रकारिता का मूल्यबोध स्पष्ट रूप में दिखाई देता है। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि पिछले वर्ष आईआईएमसी ने अपने पुस्तकालय का नाम पं. युगल किशोर शुक्ल के नाम पर रखा।

 यह हमारे लिए बड़े गर्व का विषय है कि हिंदी पत्रकारिता के प्रवर्तक पं. युगल किशोर शुक्ल के नाम पर यह देश का पहला स्मारक है। उन्होंने कहा कि हिंदी और भारतीय भाषाओं का यह स्वर्णिम युग है। हिंदी सभी को साथ लेकर चलने वाली भाषा है। माताएं और भाषाएं अपने बच्चों से ही सम्मान पाती हैं। भारतीय जन संचार संस्थान के समस्त विद्यार्थियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान श्री शशि शेखर ने विद्यार्थियों के प्रश्नों का उत्तर भी दिया एवं उनके साथ सार्थक संवाद किया।

० संवाददाता द्वारा ० 

मुंबई : इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (आईओसी) की सदस्या नीता अंबानी ने उड़ीसा में आईओसी द्वारा भारत के पहले 'ओलंपिक वैल्यूस एजुकेशन प्रोग्राम' (ओवीईपी) के लॉन्च की खूब सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ओलंपिक की मूल भावना के अनुरूप, ओवीईपी शिक्षा और खेल की दोहरी शक्तियों को साथ जोड़ता है। युवाओं को उत्कृष्टता, सम्मान और दोस्ती के ओलंपिक मूल्यों से परिचित कराने के लिए आईओसी द्वारा ओवीईपी को डिजाइन किया गया है। मूल्य-आधारित इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को सक्रिय, स्वस्थ और जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद करना है। मुंबई में प्रस्तावित आईओसी 2023 सत्र से पहले, ओवीईपी का शुभारंभ भारत में ओलंपिक आंदोलन की एक ऐतिहासिक पहल है।

इस साल की शुरुआत में श्रीमती नीता अंबानी ने आईओसी सत्र 2023 की मेज़बानी के लिए हुई बिडिंग में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, जहां 40 वर्षों के बाद भारत को करीब सर्वसम्मति से मेजबानी का अधिकार मिला। भारत में होने वाला आईओसी सत्र 2023, भारतीय खेल इतिहास में एक नए युग के शुरूआत का प्रतीक है। यह भारत की ओलंपिक आकांक्षाओं को बढ़ाएगा। देश में स्पोर्ट्स इको सिस्टम खड़ा करने में मदद करेगा, युवाओं को अपना कौशल निखारने और वैश्विक स्तर पर शानदार प्रदर्शन करने को प्रोत्साहित करेगा। बच्चों में मूल ओलंपिक मूल्यों को विकसित करने में मदद करने वाला और ओलंपिक एजुकेशन के अंतर्गत आने वाला 'ओलंपिक वैल्यूस एजुकेशन प्रोग्राम' श्रीमती अंबानी के दिल के बेहद करीब है। इसके साथ वे कई अन्य ओलंपिक मूवमेंट कमीशन्स का भी हिस्सा हैं।

आईओसी सदस्या नीता अंबानी ने कहा, "भारत महान अवसरों और अनंत संभावनाओं का देश है।" “हमारे स्कूलों में 25 करोड़ से अधिक बच्चे हैं, जिनमें प्रतिभा और क्षमता है। वे कल के चैंपियन हैं, हमारे देश का भविष्य हैं। दुनिया में बहुत कम बच्चे ही ओलंपियन बन पाते हैं, लेकिन हर बच्चे को ओलम्पिक के आदर्शों से अवगत कराया जा सकता है। यही ओवीईपी का मिशन है और यही इसे भारत के लिए एक बड़ा अवसर बनाता है। ऐसे में जब हम अगले साल मुंबई में आईओसी सत्र 2023 की मेजबानी की तैयारी कर रहे हैं, मैं आशा करती हूं कि देश में ओलंपिक आंदोलन और मजबूत होगा।“

ओवीईपी को आधिकारिक तौर पर उड़ीसा के माननीय मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, आईओसी सदस्या श्रीमती नीता अंबानी, आईओसी एजुकेशन कमीशन के अध्यक्ष मिकाएला कोजुआंग्को जॉवर्स्की (Mikaela Cojuangco Jaworski), ओलंपियन और आईओसी एथलीट कमीशन के सदस्य अभिनव बिंद्रा और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा द्वारा लॉन्च किया गया था। ओवीईपी को उड़ीसा की स्कूली शिक्षा प्रणाली में एकीकृत किया जाएगा। कार्यक्रम को स्कूल और जन शिक्षा विभाग, उड़ीसा सरकार और अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन ट्रस्ट की साझेदारी में विकसित किया जा रहा है। श्रीमती अंबानी ने भारत के ओलंपिक सपने के समर्थन और ज़मीनी स्तर पर विकास के लिए उड़ीसा सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “श्री पटनायक जी के दूरदर्शी नेतृत्व में उड़ीसा, भारत की खेल महत्वाकांक्षाओं का केंद्र बन गया है। राज्य सक्रिय रूप से खेल के लिए एक समग्र इकोसिस्टम बना रहा है, जो हमारे युवा एथलीटों को उच्च गुणवत्ता वाला प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचा प्रदान करेगा।”

उड़ीसा रिलायंस फाउंडेशन एथलेटिक्स हाई-परफॉर्मेंस सेंटर (एचपीसी) के लिए रिलायंस फाउंडेशन, उड़ीसा सरकार के साथ मिलकर काम करता है। एचपीसी के दो रिलायंस फाउंडेशन एथलीटों - ज्योति याराजी और अमलान बोरगोहेन ने पिछले एक महीने में अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक स्पर्धाओं में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़े और पदक जीते हैं। ज्योति ने 19 साल पुराने राष्ट्रीय रिकॉर्ड को ध्वस्त किया और फिर बाद में अपने ही रिकॉर्ड को और बेहतर बनाया। इस उपलब्धि के साथ ही ज्योति राष्ट्रमंडल खेलों के लिए क्वालिफिकेशन टाइम से आगे निकल गई हैं। यह इस बात को रेखांकित करता है कि भारतीय खेलों का भविष्य सुरक्षित हाथों में है।

ओवीईपी-उड़ीसा प्रोग्राम के बारे में: ओवीईपी-आधारित परियोजनाएं और गतिविधियां, खराब जीवन शैली, एकाग्रता की कमी और किशोरों के स्कूल छोड़ने जैसी वैश्विक चुनौतियों के समाधान में मदद करती हैं। प्रोग्राम के संसाधनों और टूलकिट को ऐसे डिजाइन किया गया है कि युवा, शारीरिक गतिविधि का आनंद लेने के साथ मानसिक शक्ति भी हासिल करें। कार्यक्रम का लक्ष्य, पहले वर्ष में भुवनेश्वर और राउरकेला शहरों के 90 स्कूलों में नामांकित 32,000 बच्चों तक पहुंचना है और एक बार पूरी तरह शुरू होने के बाद, यह लगभग 70 लाख बच्चों तक पहुंचाया जाएगा। उड़ीसा राज्य ओवीईपी को चरणबद्ध तरीके से अपने सभी स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में ले जाने का इरादा रखता है, जिससे इसकी युवा आबादी वास्तव में ओलंपिक मूल्यों को ग्रहण कर सके।

Olympic Foundation for Culture and Heritage (olympics.com), जो आईओसी के लिए ओवीईपी कार्यक्रम का नेतृत्व करता है, उड़ीसा राज्य द्वारा नामित "मास्टर ट्रेनर्स" के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित करेगा। ये मास्टर ट्रेनर्स राज्य में आठ से दस स्कूलों के फोकस समूहों के साथ प्रोग्राम की शुरूआत करेंगे। स्कूल के प्रधानाचार्यों, शिक्षा और खेल अधिकारियों और परियोजना में शामिल अन्य कोर ग्रुप सदस्यों के लिए ओरिएंटेशन सत्र आयोजित किए जाएंगे। ओलंपिक वैल्यूस एजुकेशन प्रोग्राम: ओलंपिक वैल्यूस एजुकेशन प्रोग्राम आईओसी द्वारा बनाए गए मुफ़्त और सुलभ शिक्षण रिसोर्स की एक श्रृंखला है। इसमें प्रतिभागियों को मूल्य-आधारित शिक्षा का अनुभव कराने और अच्छी नागरिकता की ज़िम्मेदारियों को संभालने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ओवीईपी ओलंपिक की समझ और व्यक्तिगत स्वास्थ्य, आनंद और सामाजिक संपर्क पर इसके प्रभाव के माध्यम से खेल और शारीरिक गतिविधि के दीर्घकालिक लाभों का संचार करता है। https://olympics.com/ioc/education/olympic-values-education-programme

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली- देश में 48 साल बाद वलर्ड डेयरी सम्मिट का आयोजन किया जाएगा. सितंबर में आयोजित होने वाले डेयरी क्षेत्र के इस वैश्विक सम्मलेन की जानकारी देते हुए केंद्रीय मत्सय पालन और पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री संजीव बाल्यान ने कहा कि 12—15 सितंबर के बीच ग्रेटर नोएडा में आयोजित होने वाला यह सम्मेलन कोरोना के बाद होने वाला पहला फिजिकल या व्यक्तिगत कार्यक्रम होगा. जिसमें 40 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन का उददेश्य देश में डेयरी उद्योग के विकास में वैश्विक पेशेवरों की दक्षता का लाभ लेना और भारतीय डेयरी उद्योग को वैश्विक मंच पर स्थापित करना भी है.
उन्होंने कहा कि दुनिया में डेयरी क्षेत्र में विकास दर 2 प्रतिशत है. जबकि हमारे देश में यह दर 6 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत में इस क्षेत्र में विकास दर और बढ़ेगी. उन्होंने कह कि इस समय भारत दुनिया में दुग्ध उत्पादन में नंबर एक पर है. हमारा उत्पादन 21 करोड़ टन है. दुनिया में दूध की उपलब्धता प्रति व्यक्ति् 310 ग्राम प्रतिदिन है. जबकि हमारे यहां पर 427 ग्राम प्रति दिन है. यह एक बड़ी उपलब्धि है.उन्होंने कहा कि हमारे देश में डेयरी उद्योग सामुदायिक या कॉपरेटिव है. इससे बड़े स्तर पर रोजगार और स्वरोजगार भी सृजित हो रहे हैं.

नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमेन और आइडीएफ के इंडियन नेशनल कमेटी के सदस्य सचिव मीनेश शाह ने कहा कि हमारे देश में डेयरी उद्योग कितना महत्वपूर्ण है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इससे आठ करोड़ किसान जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि यह हमारे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ ही ग्रामीण स्तर पर लाखों रोजगार भी सृजित करता है. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि वलर्ड डेयरी सम्मिट भारत के लिए कितना अहम है. उन्होंने कहा कि न केवल किसान बल्कि भूमिहीन किसान भी दुग्ध क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. 
हमारे देश में दूध के काम से हजारों लाखों लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंधित हैं. यही वजह है कि इस इस वलर्ड सम्मिट की थीम लाइवलीहुड एंड न्यूट्रिशन रखी गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि हमारे यहां पर किसानों के लिए दूध जीवन का साधन भी है. यह उनकी कमाई का स्त्रोत भी है. उन्होंने कहा कि इस समिमट में करीब 40—45 देश के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. उन्होंने दूध की उपयोगिता बताते हुए कहा कि इसमें पौष्टिकता के कई स्त्रोत होते हैं. भारत में एक बड़ी आबादी शाकाहारी है. ऐसे में उनके लिए दूध और उससे बने पदार्थ पौष्टिकता के लिए काफी अहमियत रखते हैं. उन्होंने कहा कि पहले दिन के उदघाटन सत्र के बाद एक सत्र किसानों के लिए रखा गया है. इसकी वजह यह है कि किसान हमारा फोकस क्षेत्र है.

 अतुल चतुर्वेदी, सचिव, डिपार्टमेंट आफॅ एनिमल हैंसबेंडरी एंड डेयरिंग, ने कहा कि यह कोरोना के बाद इंटरनेशनल डेयरी फैडरेशन का पहला फिजीकल कार्यक्रम है. इससे पहले फिजीकल कार्यक्रम इस्तानाबुल में वर्ष 2019 में हुआ था.उन्होंने कहा कि इस सम्मिट के दौरान भारत वैश्विक स्तर पर कार्य कर रहे पेशेवरों और इंटरनेशनल डेयरी फैडरेशन के अनुभव और कार्य दक्षता का लाभ हासिल करेगा. हम इस सम्मिट से विश्व स्तर पर डेयरी क्षेत्र में हो रहे बदलाव से सीखने का कार्य करेंगे. इसके साथ ही हम अपने देश के डेयरी क्षेत्र के बेहतरीन कार्यो—गुण को दुनिया के सामने भी रखेंगे. जिससे वैश्विक स्तर पर भारत के समझौते होने की संभावना और बढ़े. उन्होंने कहा कि डेयरी क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर है.हम जितनी खपत करते हैं. उतना हम अपने देश में ही बनाने में सक्षम हैं.

० योगेश भट्ट ० 

 नई दिल्ली : वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित एक निर्यात संवर्धन परिषद भारत के सेवा निर्यातकों की सुविधा के लिए शीर्ष व्यापार निकाय SEPC ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन के प्लेनरी हॉल में एक दिवसीय सम्मेलन, "अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता: एक भारतीय परिप्रेक्ष्य" का आयोजन किया सम्मेलन के हिस्से के रूप में, वैश्विक मोर्चे पर भारत से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता से जुड़े कई मुद्दों पर प्रकाश डाला गया और यह सम्‍मेलन अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया / समझौतों को संभालने, प्रबंधित करने और लागू करने में कानूनी सेवा क्षेत्र को मदद देने और सशक्त बनाने में सहायता करेगा।

सभा को संबोधित करते हुए, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट, सर्वोच्च न्यायालय, भारत ने दुनिया भर की उन अभिनव तकनीकों के बारे में एक समग्र प्रस्तुति दी जो मध्यस्थता समय के अनुसार को कुशल बनाने में मदद करती है। उन्होंने अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा, "हॉट ट्यूबिंग जैसी तकनीकें, जो ऑस्ट्रेलिया में शुरू हुईं और विभिन्‍न मामलों के लिए भरपूर डेटा को सुव्यवस्थित करने में मदद करती हैं, से कानूनी प्रक्रियाओं को तेज गति से हल करने में मदद मिलती है। अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बनने के लिए इस तरह की नवीन और कुशल तकनीकों को भारत की विधायिका में स्‍थान देने की आवश्‍यकता है।”

एसईपीसी (SEPC) के महानिदेशक डॉ. अभय सिन्हा ने एक व्‍यवहारिकतापूर्ण जानकारी देते हुए कहा, "2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार विवादों से संबंधित कुल वैश्विक राशि 86 बिलियन अमरीकी डालर है और यह 10% की दर से बढ़ रही है। जैसे-जैसे हमारा देश अधिक वैश्विक व्यापार के लिए खुलेगा, ऐसे मामले बढ़ते रहेंगे। विवादों के वैश्विक मूल्य के तीन मुख्य पहलू जिन पर हमें काम करने की आवश्यकता है में एक अंतरराष्ट्रीय ढांचा तैयार करना, अपनी शक्ति और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के बारे में वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाना और निरंतर प्रयास करना शामिल हैं ताकि आंकड़े और ऊपर जा सकें।‘’ उन्होंने आपूर्ति के विभिन्न तरीकों के माध्यम से भारतीय कानूनी सेवाओं को वैश्विक स्तर पर ले जाने में एसईपीसी (SEPC) द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में भी जानकारी दी।

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली  - अग्रणी बहुराष्ट्रीय सतत गतिशीलता प्रदाता, एल्स्टॉम ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के 82.5 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस के पहले चरण के लिए भारत की पहली मध्यम तीव्र गति की क्षेत्रीय रेलगाड़ी सौंप दी है। इस रेलगाड़ी के लोकार्पण समारोह का आयोजन  मनोज जोशी, अध्यक्ष - एनसीआरटीसी, सचिव, भारत सरकार आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय; विनय कुमार सिंह, प्रबंध निदेशक - एनसीआरटीसी, एवं  एलेन स्पोर, प्रबंध निदेशक, एल्स्टॉम इंडिया की मौजूदगी में किया गया। 180 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से सवारियों को ले जाने के लिए बनाई गई यह ट्रेन दिल्ली और मेरठ के बीच सफर में लगने वाले समय में 40 प्रतिशत की कमी ला देगी। ये मध्यम तीव्र गति की एयरोडाईनामिक रेलगाड़ी कम ऊर्जा में चलती है, और दिव्यांगों सहित सभी मुसाफिरों को सफर की उत्कृष्ट अनुभव प्रदान करने के लिए सर्वश्रेष्ठ सुविधा व सुरक्षा विशेषताओं के साथ बनाई गई हैं ।
 इस समारोह पर  हरदीप सिंह पुरी ने कहा ए “हम सभी के लिए आरआरटीएस ट्रेनसेट के रोल आउट को देखना एक गर्व का क्षण है जो माननीय प्रधान मंत्री के 'atm' आत्मनिर्त् भारतष् के दृष्टिकोण की सच्ची अभिव्यक्ति है। डिजाइन इन इंडिया, मेड इन इंडियाए मेड फॉर इंडिया . यह पीएम की मेक इन इंडिया पहल का सही प्रदर्शन है। यह जरूरी है कि हम अपने महानगरीय शहरों की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए कुशल सार्वजनिक परिवहन की योजना बनाएंए ताकि हम वास्तव में उन्हें कल की अर्थव्यवस्था के लिए विकास का इंजन बना सकें।“
रेलगाड़ी की आपूर्ति के बारे में, एलेन स्पोर, प्रबंध निदेशक, एल्स्टॉम इंडिया ने कहा, ‘‘हमें भारत की पहली मध्यम तीव्र गति की क्षेत्रीय यात्रा सेवा शुरू करने की दिशा में अपनी इस उपलब्धि पर गर्व है। आरआरटीएस परियोजना भारत में गतिशीलता के क्षेत्र में सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है, और यह क्षेत्रीय रेल के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लेकर आएगी। हमारी रेलगाड़ी और ईटीसीएस सिग्नलिंग सिस्टम विभिन्न शहरों के बीच सुरक्षित व सुगम यात्रा सुनिश्चित करेंगे, जिससे लाखों लोगों को लाभ और सामाजिक आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा। उत्पादन शुरू किए जाने के एक साल के भीतर ही पहली रेलगाड़ी की आपूर्ति से भारत के रेल नेटवर्क को आधुनिक बनाने के प्रति एल्स्टॉम की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है। हमें भारत में भविष्य के परिवहन की जरूरतों को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक सतत प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करने में पसंदीदा

 मनोज जोशी, अध्यक्ष - एनसीआरटीसी, सचिव, भारत सरकार आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय “मैं आज पहली आरआरटीएस ट्रेनसेट का हस्तांतरण होते देख बेहद खुश हूं। विश्व स्तरीय शहरी मोबिलिटी समाधान प्रदान करने के अपने व्यापक अनुभव के साथए एल्स्टॉम ने इस परियोजना को वास्तविकता बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एक इंजीनियर के रूप मेंए मैं यहाँ एल्स्टॉम द्वारा स्थापित उन्नत सुविधाओं को देखकर मैं प्रभावित हूँ। यह ट्रेन प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को समर्थन देने की हमारी प्रतिबद्धता का एक ज्वलंत उदाहरण है। देश भर में बड़े पैमाने पर तेजी से परिवहन प्रणाली बनाने की भारत सरकार की महत्वाकांक्षा के साथए हम भारत में इस पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में योगदान देने और ष्आत्मनिर्भर भारतष् के दृष्टिकोण को बढ़ाने के लिए उत्साहित हैं।“

एल्स्टॉम के हैदराबाद इंजीनियरिंग केंद्र में प्रारूपित व सावली (गुजरात) में बना कर तैयार की गई ये रेलगाड़ी शत-प्रतिशत देश में ही बनी हैं, जिनमें भारत सरकार की भारत में निर्मित और आत्मनिर्भर भारत योजना के अनुरूप 85 प्रतिशत स्थानीयकरण किया गया है। इसमें इस्तेमाल होने वाले प्रोपल्ज़न सिस्टम और इलेक्ट्रिकल उपकरण मानेजा (गुजरात) स्थित संस्थान के कारखाने में बनाए गए हैं। सावली की इकाई में रेलगाड़ी का डब्बा, गाड़ी के ढांचे का उत्पादन किया जाता है और रेलगाड़ी की जाँच होती है। एल्स्टॉम की सावली इकाई ने दिल्ली मेट्रो, क्वींसलैंड रेल को रेलगाड़ी बनाकर दी हैं और वर्तमान में यह कानपुर शहर के लिए मेट्रो रेलगाड़ी बना रही है।

साल 2020 में संस्थान को 436 मिलियन यूरो का अनुबंध दिया गया है, जिसके तहत संस्थान  रीज़नल कम्युटर एवं ट्रांज़िट ट्रेन कार का प्रारूप बनाकर एवं निर्माण कर उनकी आपूर्ति करेगी, तथा 15 सालों तक व्यापक रखरखाव सेवा देगी। सिग्नलिंग एवं ट्रेन कंट्रोल, सुपरविज़न, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर एवं टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम्स का प्रारूपण, आपूर्ति, स्थापना, जाँच व क्रियान्वयन करेगी। इन पूर्णतः वातानुकूलित रेलगाड़ियों में यात्रियों के लिए मौजूद सुरक्षा व सुविधा विशेषताओं में हैं - श्रेष्ठ रूप से निर्मित 2×2 ट्रांसवर्स सीटिंग, आराम से खड़े रहने के लिए चौड़ा गैंगवे, ओवरहेड लगेज रैक, सीसीटीवी कैमरा, फायर एवं स्मोक डिटेक्टर, इंटरकॉम, अग्निशामक, बाहरी कैमरा, डोर स्टेटस इंडीकेटर, ग्रैब हैंडल, वाईफाई, लैपटॉप/मोबाईल/यूएसबी चार्जिंग स्टेशन, डाइनामिक रूट डिस्प्ले मैप, ऑटो कंट्रोल्ड ऑम्बियांट लाईटिंग सिस्टम, विस्तृत दर्शन के लिए विशाल खिड़की, और दिव्यांगों एवं आपात चिकित्सा के लिए रेलगाड़ी में विशेष प्रारूप वाले क्षेत्र।

रेलगाड़ी का पहला प्रारूप दिल्ली के प्रतिष्ठित स्मारक, लोटस टैंपल से प्रेरित था, जिसका अनावरण सितंबर, 2020 में किया गया था। इसके निर्माण की प्रक्रिया जुलाई 2021 में शुरू की गई और एक साल के अंदर ही पहली रेलगाड़ी सौंप दी गई। यह आरआरटीएस मार्ग भारत में पहला मार्ग है, जहां यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस) हाईब्रिड लेवल 2 सिग्नलिंग सिस्टम का इस्तेमाल होता है, जो यूरोपियन रेल यातायात प्रबंधन प्रणाली (ईआरटीएमएस) की मुख्य सिग्नलिंग एवं रेलगाड़ी नियंत्रण व्यवस्था है। इस अनुबंध में अत्याधुनिक डिजिटल इंटरलॉकिंग एवं ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन (एटीओ) की मदद से अत्याधुनिक ईटीसीएस स्टैंडर्ड और लाँग टर्म इवॉल्यूशन (एलटीई) आकाशवाणी के संगम की विश्व में शुरुआत होगी।


० योगेश भट्ट ०                                                                                                   

नयी दिल्ली - जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च पीजीडीएम इंस्टीट्यूट ने जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज (इवनिंग), दिल्ली विश्वविद्यालय, वाणिज्य विभाग और आईक्यूएसी, नई दिल्ली के साथ संयुक्त रूप से 'व्यवसाय में विघटनकारी नवाचार और डिजिटल परिवर्तन प्रबंधन (DIDTBM2022)' ' पर छठे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन सत्र आयोजित किया।
 सम्मेलन को देश भर के 200 से अधिक शिक्षाविदों, चिकित्सकों और शोध विद्वानों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। श्री पंकज अग्रवाल, वाइस चेयरमैन, जीएल बजाज एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस; प्रो. (डॉ.) सपना राकेश, निदेशक, जीएलबीआईएमआर संस्थान और प्रो. (डॉ.) मसरूर अहमद बेग, प्राचार्य, जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज ने सम्मेलन में भागीदारी के लिए सभी की सराहना की। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) भीमराय मेत्री, निदेशक, भारतीय प्रबंधन संस्थान, नागपुर ने आज के संदर्भ में विघटनकारी नवाचार और डिजिटल परिवर्तन की प्रासंगिकता का उल्लेख किया। उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे डिजिटल अद्वितीय पेशकशों वाली एक उभरती रणनीति विकसित करने के लिए गिग इकॉनमी और विघटनकारी नवाचार के भविष्य के मैट्रिक्स की महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्य वक्ता अमित शुक्ला, संस्थापक और सीईओ, EasyGov ने जटिल डेटा को प्रबंधित करने के लिए एक प्रवर्तक के रूप में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डाला। उद्घाटन सत्र के बाद 'प्रभावी व्यवसाय प्रबंधन के लिए डिजिटल परिवर्तन के पैंतरेबाज़ी' पर पैनल चर्चा हुई। पैनलिस्ट- डॉ अमित कुमार सिंह, प्रोफेसर, वाणिज्य विभाग, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय; डॉ अजय कुमार जैन, प्रोफेसर, एमडीआई, गुरुग्राम; डॉ. डी. के. बत्रा, प्रोफेसर, अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली; डॉ. देवेंद्र पाठक, प्रोफेसर एमेरिटस, फोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, नई दिल्ली;

 डॉ सुशील कुमार दीक्षित, एसोसिएट प्रोफेसर, एलबीएसआईएम, नई दिल्ली और डॉ विदुषी शर्मा, सहायक प्रोफेसर, सूचना संचार प्रौद्योगिकी स्कूल, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा ने डेटा संचालित निर्णयों के आधार पर प्रासंगिक रणनीतियों को विकसित करने के लिए आगे की राह पर चर्चा की। उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे संवर्धित वास्तविकता, आभासी वास्तविकता, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, IoT व्यावसायिक परिदृश्य में बड़े पैमाने पर बदलाव ला रहे हैं। सम्मेलन ने सभी प्रतिभागियों को आगे देखने और पेशेवर उत्कृष्टता प्राप्त करने और बड़ी तस्वीर प्राप्त करने के लिए नेतृत्व कौशल विकसित करने में मदद की।

गणमान्य व्यक्तियों ने प्रो. (डॉ.) सपना राकेश को समकालीन व्यावसायिक अनुसंधान प्रथाओं की विचारशील अंतर्दृष्टि विकसित करने के लिए अनुसंधान बिरादरी को एक मंच प्रदान करने के लिए बधाई दी। संस्थान आयोजन समिति सदस्य-डॉ. लियो-पॉल डाना, प्रोफेसर, डलहौजी विश्वविद्यालय, कनाडा और विजिटिंग प्रोफेसर, किंग्स्टन विश्वविद्यालय, इंग्लैंड को उनके निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन के लिए; डॉ पियाली हलदर, डॉ आनंद राय, विक्रम शर्मा, डॉ अर्पण कुमारी, प्रो प्रियंका साधना की संयोजक टीम ने सभी गणमान्य व्यक्तियों, प्रतिभागियों, संकाय और स्टाफ सदस्यों और छात्र समन्वय टीम को उनके अथक परिश्रम के लिए आभार व्यक्त किया।

० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नई दिल्ली- वैश्विक स्तर पर हर साल 24-30 अप्रैल को विश्व टीकाकरण सप्ताह मनाया जाता है। इस सप्ताह 2022 को,आज यूनिसेफ ने भारत सरकार के स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर स्वास्थ्य पत्रकारों के साथ एक संवाद सत्र आयोजित किया है। यह संवाद सत्र बच्चों के नियमित टीकाकरण को तेज करने के दिशा में मीडिया सपोर्ट को सदृढ़ करने के लिए है।
इस साल के विश्व टीकाकरण सप्ताह का थीम‘ लांग लाइफ फाॅर आॅल ’ है। इससे दीघायु आयु व स्वस्थ जिंदगी के महत्व और वैक्सीन की निष्पक्षता के महत्व की झलक मिलती है। भारत हर साल सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत करीब 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं व 2.7 करोड़ बच्चों का टीकाकरण करता है। नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के आंकड़ों के अनुसार 12-23 माह के आयुवर्ग के बच्चों के पूर्ण टीकाकरण दर में पर्याप्त वृद्वि हुई है। यह वृद्वि भारतीय स्तर पर 62 प्रतिशत से बढ़कर 76 प्रतिशत हो गई है।

स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय की अतिरिक्त कमिश्नर डा. वीणा ध्वन ने सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम और गहन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) 4.0 पर नवीनतम जानकारी साझा की। आईएमआई 2022 के शुरू में लक्षित जिलों व ब्लाॅकों में बच्चों व गर्भवती महिलाओं के बीच टीकाकरण को गति देने के लिए लांच किया गया था। हर बच्चे के द्वारा ली जाने वाली वैक्सीन की प्रत्येक खुराक के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने में मीडिया की अहम भूमिका पर रोशनी डालते हुए उन्होंने बताया कि आईएमआई 4.0 का फोकस ऐसे बच्चों की पहचान करना और उनका टीकाकरण करना है, जिन्होंने वैक्सीन की कोई खुराक नहीं ली या जिन्होंने कुछ खुराकें नहीं ली।

विश्व टीकाकरण सप्ताह के इस वर्ष का थीम -टीकाकरण के लंबे इतिहास का जश्न मना रहा है (सामाजिक साक्ष्यों के लिए विश्वास पैदा कर रहा है), यह आभार, देखभाल और प्यार के लहजे में किया जा रहा है। विश्व टीकाकरण सप्ताह ऐसे अनेक असाधारण लोगों के काम का जश्न मना रहा है जिन्होंने बीते 300 सालों में वेक्सीन के निर्माण, विकसित करने व लगाने में अपना योगदान दिया है। हितधारकों का धन्यवाद करने वाला प्रेम पत्र समर्थकों के साथ साझा किया जाएगा, जिसमें वे उन सब का धन्यवाद करेंगे जिन्होंने टीकाकरण को संभव बनाया। एक हीरो वीडियो जारी किया जाएगा जो दर्शकों को सदियों की टीकाकरण की महायात्रा कराएगा।

यूनिसेफ इंडिया के एडवोकेसी कम्युनीकेशन एंड पार्टनरशिप की प्रमुख जफरीन चैधरी ने कहा-कोविड-19 टीकाकरण ने गंभीर रोगों की रोकथाम में टीकाकरण के महत्व के बारे में बता दिया है। कोविड-19 के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान ने वैक्सीन व वैक्सीन लगाने की व्यापक ताकत हमें दिखा दी है। इसी तरह सभी बच्चों के लिए जीवन रक्षक नियमित टीकाकरण की प्रगति को तेज करना है, विशेष तौर उन बच्चों के लिए जिन तक पहुंचा नहीं गया, जो छूट गए या ड्राॅप आऊट हो गए। वैक्सीन काम करती है। वैक्सीन बच्चों को रोकथाम वाल रोगों से संरक्षण प्रदान करती है। उन्हें एक स्वस्थ, सक्रिय जिंदगी का उपहार प्रदान करती है। और वे अवनी पूरी क्षमताओं का इस्तेमाल कर सकें, इसमें उनकी मदद करती है। उन्होंने यह भी कहा कि,जैसा कि महामारी से उभरने की उम्मीद करते हैं, यह विश्व टीकाकरण सप्ताह हमें सभी बच्चों के टीकाकरण को पूरा करने के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हमारी प्रतिबद्वता व स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े निवेश के नवीनीकरण का एक अवसर प्रदान करता है।’ मीडिया व हितधारकों की इस गतिशक्ति को बनाने में अहम भूमिका है।

यूनिसेफ इंडिया के स्वास्थ्य विशेषज्ञ, स्वास्थ्य के प्रभारी अधिकारी डा. विवेक वीरेंद्र सिंह ने भारत की टीकाकरण कवेरज को गति देने और हर बच्चे के लिए पूर्ण टीकाकरण कवेरज का लक्ष्य हासिल करने वाली प्रतिबद्वता की सराहना करते हुए 70 से अधिक राष्ट्रीय व राज्य स्तर के पत्रकारों के साथ आॅनलाइन पारस्पारिक वार्ता की। विश्व टीकाकरण सप्ताह सुदृढ़ स्वास्थ्य तंत्र में टीकाकरण अभियान के जरिए भारत को हाल ही में कोविड-19 टीकाकरण की सफलता व पूर्व में पोलियो उन्मूलन में मिली सफलता को हम सबको फिर से याद करने का अवसर प्रदान करता है। विश्व टीकाकरण सप्ताह नियमित टीकाकरण की
जरूरत को दोहराता है और हर जगह हर बच्चे तक जरूरी टीकों को पहुंचाने के लिए जिन सामूहिक गतिविधियों की जरूरत है, उस बावत भी बार-बार कहता है।

ढलती उम्र के बावजूद वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों के छुड़ा दिए छक्केमैरवा में आये थे बाबू कुंवर सिंह ।
वह प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का दौर था, जब इस संग्राम के प्रथम नायक बने मंगल पाण्डेय ने वर्ष 1857 में विद्रोह का बिगुल बजाया था. उसी समय जहां एक तरफ झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों और ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ झांसी, कालपी और ग्वालियर में अपना अभियान छेड़ रखा था तो वहीं दूसरी तरफ गुरिल्ला युद्ध प्रणाली के अग्रणी योद्धा तात्या टोपे और नाना साहेब ग्वालियर, इंदौर, महू, नीमच, मंदसौर, जबलपुर, सागर, दमोह, भोपाल, सीहोर और विंध्य के क्षेत्रों में घूम-घूमकर विद्रोह का अलख जगाने में लगे हुए थे. वहीं पर एक और रणबांकुरे थे वीर कुंवर सिंह, जिसकी वीरगाथा आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है.

भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के हीरो रहे जगदीशपुर के बाबू वीर कुंवर सिंह को एक बेजोड़ व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है जो 80 वर्ष की उम्र में भी लड़ने तथा विजय हासिल करने का माद्दा रखते थे. अपने ढलते उम्र और बिगड़ते सेहत के बावजूद भी उन्होंने कभी भी अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके बल्कि उनका डटकर सामना किया। बिहार के शाहाबाद (भोजपुर) जिले के जगदीशपुर गांव में जन्मे कुंवर सिंह का जन्म 1777 में प्रसिद्ध शासक भोज के वंशजों में हुआ. उनके छोटे भाई अमर सिंह, दयालु सिंह और राजपति सिंह एवं इसी खानदान के बाबू उदवंत सिंह, उमराव सिंह तथा गजराज सिंह नामी जागीरदार रहे.

बाबू कुंवर सिंह के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह जिला शाहाबाद की कीमती और अतिविशाल जागीरों के मालिक थे. सहृदय और लोकप्रिय कुंवर सिंह को उनके बटाईदार बहुत चाहते थे. वह अपने गांववासियों में लोकप्रिय थे ही साथ ही अंग्रेजी हुकूमत में भी उनकी अच्छी पैठ थी. कई ब्रिटिश अधिकारी उनके मित्र रह चुके थे लेकिन इस दोस्ती के कारण वह अंग्रेजनिष्ठ नहीं बने. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बाबू कुंवर सिंह की भूमिका काफी महत्वपूर्ण थी. अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर कदम बढ़ाया. मंगल पाण्डे की बहादुरी ने सारे देश को अंग्रेजों के खिलाफ खड़ा किया. ऐसे हालात में बाबू कुंवर सिंह ने भारतीय सैनिकों का नेतृत्व किया. उन्होंने 27 अप्रैल, 1857 को दानापुर के सिपाहियों, भोजपुरी जवानों और अन्य साथियों के साथ मिलकर आरा नगर पर कब्जा कर लिया. इस तरह कुंवर सिंह का अभियान आरा में जेल तोड़ कर कैदियों की मुक्ति तथा खजाने पर कब्जे से प्रारंभ हुआ.

कुंवर सिंह ने दूसरा मोर्चा बीबीगंज में खोला जहां दो अगस्त, 1857 को अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए. जब अंग्रेजी फौज ने आरा पर हमला करने की कोशिश की तो बीबीगंज और बिहिया के जंगलों में घमासान लड़ाई हुई. बहादुर स्वतंत्रता सेनानी जगदीशपुर की ओर बढ़ गए. अंग्रजों ने जगदीशपुर पर भयंकर गोलाबारी की. घायलों को भी फांसी पर लटका दिया. महल और दुर्ग खंडहर कर दिए. कुंवर सिंह पराजित भले हुए हों लेकिन अंग्रेजों का खत्म करने का उनका जज्बा ज्यों का त्यों था. सितंबर 1857 में वे रीवा की ओर निकल गए वहां उनकी मुलाकत नाना साहब से हुई और वे एक और जंग करने के लिए बांदा से कालपी पहुंचे लेकिन लेकिन सर कॉलिन के हाथों तात्या की हार के बाद कुंवर सिंह कालपी नहीं गए और लखनऊ आए. स बीच बाबू कुंवर सिंह रामगढ़ के बहादुर सिपाहियों के साथ बांदा, रीवां, आजमगढ़, बनारस, बलिया, गाजीपुर एवं गोरखपुर में विप्लव के नगाड़े बजाते रहे.

लेकिन कुंवर सिंह की यह विजयी गाथा ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकी और अंग्रेजों ने लखनऊ पर पुन: कब्जा करने के बाद आजमगढ़ पर भी कब्जा कर लिया. इस बीच कुंवर सिंह बिहार की ओर लौटने लगे. जब वे जगदीशपुर जाने के लिए गंगा पार कर रहे थे तभी उनकी बांह में एक अंग्रेजों की गोली आकर लगी. उन्होंने अपनी तलवार से कलाई काटकर नदी में प्रवाहित कर दी. इस तरह से अपनी सेना के साथ जंगलों की ओर चले गए और अंग्रेज़ी सेना को पराजित करके 23 अप्रैल, 1858 को जगदीशपुर पहुंचे. वह बुरी तरह से घायल थे. 1857 की क्रान्ति के इस महान नायक का आखिरकार अदम्य वीरता का प्रदर्शन करते हुए 26 अप्रैल, 1858 को निधन हो गया ।बाबू वीर कुंवर सिंह अपने संघर्ष के दौरान मैरवा भी आये थे जहाँ मैरवा के वीर योद्धाओं ने उनको काफी मदद किया था ।राष्ट्रसृजन अभियान के स्वप्नद्रष्टा अमर स्वतंत्रता सेनानी बाबू रामविलास सिंह वीर कुंवर सिंह के वीरता से काफी प्रभावित थे तथा आजीवन उनके जीवन दर्शन पर संघर्ष करते रहे ।

० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नई दिल्ली - भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं सालगिरह पर आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव और यह विशिष्ट साप्ताह मनाते हुए यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि युमासा किमुरा और पंचायती राज मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार ने दूरदृष्टि के साथ आपसी सहयोग से भारत के युवा और बाल अधिकार सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता दुहराई।

भारत की आबादी में एक तिहाई बच्चे हैं - और हमारे देश को उसकी जनसंख्या का लाभ मिलेगा क्योंकि इसमें 22 प्रतिशत किशोर और युवा आबादी है। सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) के मद्देनजर इस साझेदारी का उद्देश्य बाल / बालिका सभाएं बना कर ग्राम सभाओं में युवाओं और बच्चों को उनकी बात रखने का अवसर देना है। बाल सभाओं का काम बच्चों की प्राथमिकता जानना और उन्हें ग्राम पंचायत की विकास योजनाओं में जगह दिलाना है। इससे नीतियांे, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और कार्यक्रमों में बच्चों और किशोरों की जरूरतों और आकांक्षाओं को जगह और अहमियत देना सुनिश्चत होगा। साझेदारी का मार्गदर्शक सिद्धांत बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन का अनुच्छेद 12 है जिसके तहत प्रत्येक बच्चे को स्वतंत्र रूप से अपना विचार व्यक्त करने का सही माध्यम प्रदान करने का प्रावधान है।

साझेदारी के शुभारंभ पर  सुनील कुमार, सचिव, एमओपीआर ने बताया, “केवल केंद्र और राज्य सरकारों को ही नहीं बल्कि क्षेत्र के विशेषज्ञ, शैक्षणिक संस्थान, आईजीओ / गैर सरकारी संगठन और पंचायत अर्थात् पूरे समाज को एकजुट होना पड़ेगा। आज हमारे बीच यूनिसेफ का होना इसका प्रमाण है कि एसडीजी के स्थानीकरण के लिए सभी को एकजुट होने, परस्पर सहयोग करने और प्रतिबद्धता पर अडिग रहने की आवश्यकता है। इस सहयोग के लिए हम यूनिसेफ का धन्यवाद करते हैं।’’

यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि यासुमासा किमुरा ने कहा, “यूनिसेफ-एमओपीआर साझेदारी से ग्राम पंचायत के निर्णयों में बच्चों और युवाओं के विचारों को महत्व मिलना सुनश्चित होगा। लड़के और लड़कियां उनके जीवन को प्रभावित करने वाली नीतियों और उनके विकास की योजनाओं में भाग लेंगे। हमें विश्वास है कि इस मॉडल से पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, भागीदारी और सुरक्षा संबंधी बच्चों की आकांक्षाओं को गांव के एजेंडे में बुनियादी महत्व दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘यूनिसेफ को एमओपीआर से साझेदारी करने और इसके तहत तकनीकी सहयोग देने का गर्व है। इससे सभी सामाजिक क्षेत्रों में बच्चों के लिए किए जा रहे कार्य अधिक फलदायक होंगे है।’’

बाल/बालिका पंचायतों से बच्चों के लिए एसडीजी के लक्ष्य अधिक सफल होंगे। बच्चों की जीवन रक्षा, उनकी सुरक्षा, विकास और भागीदारी पर केंद्रित कार्यक्रमों से एसडीजी के लक्ष्यों को जल्द पूरा करना मुमकिन होगा। इस अवसर पर यूनिसेफ ने एमओपीआर के साथ मिल कर ‘चाइल्ड फ्रेंडली लोकल गवर्नेंस- डॉक्यूमेंटिंग बेस्ट प्रैक्टिसेज फ्रॉम इंडिया’ पर एक शोध-पत्र जारी किया। बच्चों के साथ मिल कर संवाद सत्र का आयोजन भी किया गया ताकि गांवों को बच्चों के अनुकूल बनाने पर बच्चों के विचारों को सुना और साकार किया जाए।


० आशा पटेल ० 

जयपुर - दिल्ली जयपुर रोड स्थित निम्स यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ होटल मैनेजमेंट की ओर से  दुनिया का सबसे बडा कबाब बनाकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करने का दावा किया गया। इस अवसर पर होटल मैनेजमेंट के 5 फैकल्टी मेंबर्स और 50 स्टूडेंट्स ने मिलकर 50 फीट लम्बा वेजिटेबल कबाब बनाया। इस कबाब का वजन था करीब 62 किलो।

इसमें 27 तरह की 60 किलो सब्जियां शामिल थी। इस कबाब में 31 तरह के इंडियन मसाले डाले गए। सुबह सात बजे से निम्स यूनिवर्सिटी में इस कबाब को बनाने की शुरुआत की गई, वहीं शाम को चार बजे तक ये कबाब बनकर तैयार था। होटल मैनेजमेंट के प्रिंसिपल डॉ. मनोज श्रीवास्तव ने इस कबाब को बनाने में अपना निर्देशन दिया। मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि इस कबाब को बनाने के लिए खास आकार का तवा भी तैयार किया गया तवे के साथ ही कबाब को सेका गया। शहर में बनाया गया इस लार्जेस्ट वेजिटेबल कबाब ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज किया। कबाब को बनाने की टीम में फैकल्टी मेंबर साहिल दीप, विकास राणा, प्रकाश मीना, राजीव माथुर शामिल थे वहीं कबाब की तैयारी के लिए तीन दिन पहले भी ट्रायल किया गया था।

निम्स यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉक्टर प्रोफेसर बी.एस. तोमर ने इस कबाब को काटकर विश्व रिकॉर्ड बनाने पर होटल मैनेजमेंट स्कूल को बधाई दी और भविष्य में भी इसी प्रकार के विश्वस्तरीय कार्यक्रमों के आयोजन के लिए संपूर्ण सहयोग देने का वादा किया। इस मौके पर देशभर के विशेषज्ञों ने भाग लिया और अपने अनुभव विद्यार्थियों के साथ बांटे। इस कबाब के लिए एक विशेष कुक एंड रोस्ट तकनीक का प्रयोग किया गया वह विशेष रूप से 50 फीट लंबा गैस रेंज बनाया गया जिसकी कीमत लगभग ₹140000 की आई 1 साल की अथक मेहनत और रिसर्च के बाद इस कबाब को बनाने का फैसला प्रिंसिपल मनोज श्रीवास्तव ने लिया इस संबंध में बनाए गए पोस्टर का विमोचन चेयरमैन प्रोफेसर डॉ. बलबीर सिंह तोमर, कुलपति डॉ. संदीप मिश्रा, रजिस्टार डॉ संदीप त्रिपाठी एवं डॉ मनोज श्रीवास्तव ने किया.

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली - ड्रिलमेक, इटली के पियासेंज़ा में स्थित एक तेल और गैस क्षेत्र मे काम करेनेवाली कंपनी है। बुनियादी क्षेत्र मे काम करनेवाली भारतीय दिग्गज कंपनी Meil का , Drillmec एक हिस्सा है । कंपनी के निदेशक मंडल ने ऊर्जा संक्रमण में 35 मिलियन युरो से अधिक का निवेश करने की योजना को मंजूरी दी है। इससे इलेक्ट्रोलिसिस, पायरोलिसिस जैसे आधुनिक तरीकों से हाइड्रोजन का उत्पादन होगा । CO2 कैप्चर और स्टोरेज सिस्टम के डिजाइन और निर्माण तथा उपलब्ध प्रौद्योगिकियों जैसे भू-तापीय ऊर्जा द्वारा हाइड्रोजन का उत्पादन इस निवेश से साध्य होगा।

इसके लिए ड्रिलमेक ने इड्रोजेना नाम की कंपनी बनाई है। यह स्टार्ट-अप कंपनी अल्ट्रा-क्लीन हाइड्रोजन के उत्पादन और इसके औद्योगिक उत्पादन के लिए आवश्यक पायरोलाइटिक कनवर्टर के अनुसंधान विकास पर काम करेगी।प्रक्रिया इंजीनियरिंग में तीस से अधिक वर्षों के अनुभव रखनेवाली इड्रोजेना के टीम द्वारा डिजाइन किए गए कन्वर्टर्स पायरोलिसिस द्वारा प्रदूषकों के उपयोग के बिना हाइड्रोजन का उत्पादन कर सकते हैं। यह ऊर्जा संक्रमण की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा, जो लोगों के लिए सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक सुविधा का एक आदर्श संयोजन होगा।

ड्रिलमेक एसपीए के सीईओ साइमन ट्रैविसानी ने कहा, "हमें भारत में नई पहलों की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है जो हमारी कार्य संस्कृति के अनुरूप हैं। हम सामाजिक और पर्यावरणीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा उत्पादन को विकसित करने का प्रयास करेंगे20 साल से इंतजार कर रही यह प्रक्रिया वाकई में क्रांति लाने वाली है। यह कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित किए बिना हाइड्रोजन का उत्पादन करेगी।

कनवर्टर द्वारा सीधे ईंधन स्टेशनों पर हाइड्रोजन का उत्पादन, भंडारण और परिवहन की लागत को कम करता है और साथ ही यात्रा के दौरान हाइड्रोजन के जोखिम को समाप्त करता है। "प्रौद्योगिकी प्राकृतिक गैस मूल्य श्रृंखला में यह बराबर बैठता है । उसे हाइड्रोजन वितरण नेटवर्क की आवश्यकता नहीं है। वितरण नेटवर्क स्थापित करना हमेशा मुश्किल होता है," ड्रिलमेक एसपीए के सीईओ साइमन ट्रैविसानी ने कहा। मैं इस नई पहल के लिए टीम को बधाई देता हूं और तेजी से विकसित हो रही हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी में टीमकी सफलता की कामना करता हूं "श्रीनिवास बोमारेड्डी, निदेशक मंडल के अध्यक्ष, ड्रिलमेक एस.पी.ए.

इस तकनीक के साथ तुलनात्मक रूप से समान लागत पर कम दबाव पर काम करके हाइड्रोजन का उत्पादन करना संभव है। इस परियोजना के लिए बहुत कम प्रशिक्षण की आवश्यकता है और यह उपयोग करने के लिए सुरक्षित होगी। यह किसी भी प्रदूषक या उत्प्रेरक का उपयोग नहीं करेगा और कोई अपशिष्ट उत्पन्न नहीं करेगा। इससे उत्पादित हाइड्रोजन औद्योगिक उपयोग और स्थानीय सार्वजनिक परिवहन की जरूरतों को पूरा कर सकता है।

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली : दिव्यांगों के लिए काम करने वाले प्रमुख गैर-लाभकारी संस्थान, नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपुल (एनसीपीईडीपी) ने नई दिल्ली में यूनेस्को के सहयोग से वैश्विक दिव्यांगता शिखर सम्मेलन (ग्‍लोबल डिसैबिलिटी समिट/जीडीएस) की मुख्य थीम में से एक समावेशी शिक्षा पर वर्चुअल साइड-इवेंट का आयोजन किया।

वर्चुअल रूप से ऑनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम का लक्ष्य दक्षिण एशियाई परिपेक्ष्य में दिव्यांग बच्चों को समग्र रूप से शिक्षा प्रदान करने पर कोरोना के प्रभाव को समझना था। इसका उद्देश्य दिव्यांगों समेत सभी को समावेशी शिक्षा देने के क्षेत्र में आने वाली तमाम परेशानियों और चुनौतियों की पहचानना था। इस संक्षिप्त सम्मेलन में दिव्यांगों को ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए तकनीक तक पहुंच के समान अवसर सुनिश्चित करने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया। इस कार्यक्रम में दिव्यांगों को शिक्षा देने के मामले में क्षेत्रीय तंत्र बनाने और दक्षिण एशिया में एसडीजी 4 के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने के सुझाव और सिफारिश की गई।यूनेस्को, नई दिल्ली में शिक्षा विभाग के प्रमुख जॉयस पोआन ने बताया, “स्कूलों के लगातार बंद रहने से पढ़ाई के नुकसान को देखते हुए दिव्यांग बच्चों की शिक्षा पर काफी बुरा असर पड़ा है। अगर हमें एसडीजी 4 के लक्ष्यों की ओर से बढ़ना है और शिक्षा को वास्तविक अर्थों में सभी के लिए सुलभ बनाना है तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह समावेशी हो और शिक्षा तक पहुंच के लिए सभी को समान अवसर उपलब्ध कराए जाएं।”

आज के मौजूदा समय में समावेशी शिक्षा प्रणाली की अहमियत काफी बढ़ जाती है, जिसमें सभी शामिल हों और जिससे सभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए समान भागीदारी के अवसर सुनिश्चित किए जाएं। हमें उम्मीद है कि जीडीएस 2022 के लिए होने वाले साइड इवेंट में अनगिनत दिव्यांग छात्रों को उनकी पढ़ाई पूरी करने के लिए आवाज उठाई जाएगी। अब जब हम महामारी के प्रकोप से उबर रहे हैं, हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि दुनिया भर में शिक्षा का विजन फिर से तय करने और शिक्षा प्रणाली का नया ढांचा तैयार करने में समावेशी और सभी के लिए सुलभ शिक्षा ही मुख्य पैमाना हो। एनसीपीईडीपी के कार्यकारी निदेशक श्री अरमान अली के स्वागत भाषण से इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा, “महामारी ने हमें दशकों पीछे धकेल दिया है। इस नाजुक मौके पर हमें समावेशी या समग्र शिक्षा प्रणाली के बारे में फिर सोचना होगा, जिसमें सभी को शिक्षा प्राप्त करने के समान अवसर मिले और सभी की समान रूप से भागीदारी हो। जीडीएस 2022 ने हमें साथ आने और एसडीजी 4 के लक्ष्यों की ओर बढ़ने के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय तंत्र बनाने का अवसर दिया है।”

नेशनल प्रोग्रामिंग ऑफीसर सुश्री हुमा मसूद ने इस चर्चा को संक्षिप्त रूप में पेश करते हुए कहा, “समावेशी शिक्षा के लिए बनाए गए रोडमैप के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्धताओं को ठोस कार्यों के रूप में बदलने की जरूरत है। यूनेस्को दुनिया भर में सस्टेनेबल डिवेलपमेंट गोल (एसडीजी) की अगुवाई कर रहा है और इस लक्ष्य को हासिल करने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच समन्वय बनाने के लिए भी जिम्मेदार है। यूनेस्को साझेदारी, नीति निर्माण के क्षेत्र में मार्गदर्शन, क्षमता निर्माण, निगरानी और पैरवी से यह जिम्मेदारी पूरी करता है। शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने और समावेशी शिक्षा के लिए एक ऐसा तंत्र बनाने, जिसमें सभी छात्रों को समान अवसर मिले और जो सभी के लिए प्रासंगिक हो, के लिए क्षेत्रीय साझेदारी की जरूरत है। इस संदर्भ में हमारी सिफारिशों में से एक यह होगी कि ऐसी संस्था की स्थापना की जाए या इस दिशा में काम करने वाले संगठनों और संस्थाओं के विशेषज्ञों के मौजूदा संघ में शामिल होना चाहिए।”

इस कार्यक्रम के वक्ताओं में बांग्लादेश के प्रतिबोंधी नागोरिक शांगथानेर परिषद के संस्थापक और महासचिव मिस सलमा महबूब, भूटान में शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग में समावेशी और विशेष शिक्षा विभाग में उपमुख्य कार्यक्रम अधिकारी पेमा छोग्येल, भारत में स्वाभिमान संस्था की मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिस श्रुति महापात्रा, मालदीव में मालदीव असोससिएशन ऑफ पर्संस विद डिसएबिलिटीज के अध्यक्ष अहमद मोहम्मद और आईडीईए के लिए नेपाल में ग्लोबल नेटवर्क कॉर्डिनेटर अमर बहादुर तिमलसिना शामिल थे।


० संवाददाता द्वारा ० 

कोलकाता : भारत के पर्यटक यात्रियों को बांग्लादेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को पर्यटक वीजा के लिए आवेदन करने की अनुमति दी है, आवेदकों को कोविड -19 के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुमोदित दोनों खुराक टीका लगवाना अनिवार्य होगा।

आवेदक बांग्लादेश वीजा आवेदन केंद्र, 13,000 वर्ग फुट में फैला देश का सबसे बड़ा एकल वीजा आवेदन केंद्र जो इनफिनियम डिजीस्पेस के पहली मंजिल में स्थित है, प्लॉट नंबर 15 सीपी ब्लॉक, सेक्टर 5, साल्ट लेक सिटी कोलकाता में सुबह 9:00 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच में अपना आवेदन जमा कर सकेंगे एवं प्रत्येक सप्ताह सोमवार से शुक्रवार दोपहर 1 बजे से शाम 6 बजे तक अपने पासपोर्ट प्राप्त कर सकेंगे। आगंतुकों को बांग्लादेश की यात्रा के लिए अपना वीज़ा प्राप्त करने में एक सहज अनुभव सुनिश्चित करने के लिए, सभी श्रेणियों के वीज़ा के लिए प्रसंस्करण शुल्क प्रति आवेदन जीएसटी सहित 825 रुपये निर्धारित किया गया है, जो कि भारत में आने वाले आगंतुकों के लिए वीज़ा आवेदन केंद्र में भुगतान के अनुरूप है। इसके अलावा, बांग्लादेश में वीजा के लिए आवेदन करने वाले भारतीयों के लिए कोई अतिरिक्त वीजा शुल्क लागू नहीं है।

बांग्लादेश वीजा आवेदन केंद्र में निवेशक, प्रशिक्षु, पर्यटक, राजनयिक, अनुसंधान, छात्र, गैर सरकारी संगठन, सरकारी प्रतिनिधि, पत्रकार, व्यवसाय, रोजगार और कार्य परमिट, पर्यटक परिवार सहित बांग्लादेश के सभी श्रेणियों के वीजा स्वीकार करने के लिए 10 काउंटर हैं। केंद्र में आवेदकों की सुविधा के लिए 2 पासपोर्ट रिटर्न काउंटर के साथ 15 फॉर्म भरने वाले डेस्क उपलब्ध हैं, बांग्लादेश वीजा आवेदन केंद्र में वीजा फॉर्म भरने के लिए एक मुफ्त स्वयं सहायता डेस्क उपलब्ध है, इसके अतिरिक्त निर्धारित शुल्क पर फोटो डेस्क, फोटोकॉपियर प्रिंट आउट सेवाएं, निजी लाउंज और कूरियर सेवाएं आदि भी उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, कारों और दोपहिया वाहनों दोनों के लिए पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था हैं। इसके अलावा, आवेदन केंद्र पर कैफेटेरिया और प्रार्थना कक्ष जैसी सुविधाएँ उपलब्ध है।

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