इस समारोह पर हरदीप सिंह पुरी ने कहा ए “हम सभी के लिए आरआरटीएस ट्रेनसेट के रोल आउट को देखना एक गर्व का क्षण है जो माननीय प्रधान मंत्री के 'atm' आत्मनिर्त् भारतष् के दृष्टिकोण की सच्ची अभिव्यक्ति है। डिजाइन इन इंडिया, मेड इन इंडियाए मेड फॉर इंडिया . यह पीएम की मेक इन इंडिया पहल का सही प्रदर्शन है। यह जरूरी है कि हम अपने महानगरीय शहरों की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए कुशल सार्वजनिक परिवहन की योजना बनाएंए ताकि हम वास्तव में उन्हें कल की अर्थव्यवस्था के लिए विकास का इंजन बना सकें।“
रेलगाड़ी की आपूर्ति के बारे में, एलेन स्पोर, प्रबंध निदेशक, एल्स्टॉम इंडिया ने कहा, ‘‘हमें भारत की पहली मध्यम तीव्र गति की क्षेत्रीय यात्रा सेवा शुरू करने की दिशा में अपनी इस उपलब्धि पर गर्व है। आरआरटीएस परियोजना भारत में गतिशीलता के क्षेत्र में सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है, और यह क्षेत्रीय रेल के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लेकर आएगी। हमारी रेलगाड़ी और ईटीसीएस सिग्नलिंग सिस्टम विभिन्न शहरों के बीच सुरक्षित व सुगम यात्रा सुनिश्चित करेंगे, जिससे लाखों लोगों को लाभ और सामाजिक आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा। उत्पादन शुरू किए जाने के एक साल के भीतर ही पहली रेलगाड़ी की आपूर्ति से भारत के रेल नेटवर्क को आधुनिक बनाने के प्रति एल्स्टॉम की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है। हमें भारत में भविष्य के परिवहन की जरूरतों को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक सतत प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करने में पसंदीदा
मनोज जोशी, अध्यक्ष - एनसीआरटीसी, सचिव, भारत सरकार आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय “मैं आज पहली आरआरटीएस ट्रेनसेट का हस्तांतरण होते देख बेहद खुश हूं। विश्व स्तरीय शहरी मोबिलिटी समाधान प्रदान करने के अपने व्यापक अनुभव के साथए एल्स्टॉम ने इस परियोजना को वास्तविकता बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एक इंजीनियर के रूप मेंए मैं यहाँ एल्स्टॉम द्वारा स्थापित उन्नत सुविधाओं को देखकर मैं प्रभावित हूँ। यह ट्रेन प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को समर्थन देने की हमारी प्रतिबद्धता का एक ज्वलंत उदाहरण है। देश भर में बड़े पैमाने पर तेजी से परिवहन प्रणाली बनाने की भारत सरकार की महत्वाकांक्षा के साथए हम भारत में इस पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में योगदान देने और ष्आत्मनिर्भर भारतष् के दृष्टिकोण को बढ़ाने के लिए उत्साहित हैं।“
एल्स्टॉम के हैदराबाद इंजीनियरिंग केंद्र में प्रारूपित व सावली (गुजरात) में बना कर तैयार की गई ये रेलगाड़ी शत-प्रतिशत देश में ही बनी हैं, जिनमें भारत सरकार की भारत में निर्मित और आत्मनिर्भर भारत योजना के अनुरूप 85 प्रतिशत स्थानीयकरण किया गया है। इसमें इस्तेमाल होने वाले प्रोपल्ज़न सिस्टम और इलेक्ट्रिकल उपकरण मानेजा (गुजरात) स्थित संस्थान के कारखाने में बनाए गए हैं। सावली की इकाई में रेलगाड़ी का डब्बा, गाड़ी के ढांचे का उत्पादन किया जाता है और रेलगाड़ी की जाँच होती है। एल्स्टॉम की सावली इकाई ने दिल्ली मेट्रो, क्वींसलैंड रेल को रेलगाड़ी बनाकर दी हैं और वर्तमान में यह कानपुर शहर के लिए मेट्रो रेलगाड़ी बना रही है।
साल 2020 में संस्थान को 436 मिलियन यूरो का अनुबंध दिया गया है, जिसके तहत संस्थान रीज़नल कम्युटर एवं ट्रांज़िट ट्रेन कार का प्रारूप बनाकर एवं निर्माण कर उनकी आपूर्ति करेगी, तथा 15 सालों तक व्यापक रखरखाव सेवा देगी। सिग्नलिंग एवं ट्रेन कंट्रोल, सुपरविज़न, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर एवं टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम्स का प्रारूपण, आपूर्ति, स्थापना, जाँच व क्रियान्वयन करेगी। इन पूर्णतः वातानुकूलित रेलगाड़ियों में यात्रियों के लिए मौजूद सुरक्षा व सुविधा विशेषताओं में हैं - श्रेष्ठ रूप से निर्मित 2×2 ट्रांसवर्स सीटिंग, आराम से खड़े रहने के लिए चौड़ा गैंगवे, ओवरहेड लगेज रैक, सीसीटीवी कैमरा, फायर एवं स्मोक डिटेक्टर, इंटरकॉम, अग्निशामक, बाहरी कैमरा, डोर स्टेटस इंडीकेटर, ग्रैब हैंडल, वाईफाई, लैपटॉप/मोबाईल/यूएसबी चार्जिंग स्टेशन, डाइनामिक रूट डिस्प्ले मैप, ऑटो कंट्रोल्ड ऑम्बियांट लाईटिंग सिस्टम, विस्तृत दर्शन के लिए विशाल खिड़की, और दिव्यांगों एवं आपात चिकित्सा के लिए रेलगाड़ी में विशेष प्रारूप वाले क्षेत्र।
रेलगाड़ी का पहला प्रारूप दिल्ली के प्रतिष्ठित स्मारक, लोटस टैंपल से प्रेरित था, जिसका अनावरण सितंबर, 2020 में किया गया था। इसके निर्माण की प्रक्रिया जुलाई 2021 में शुरू की गई और एक साल के अंदर ही पहली रेलगाड़ी सौंप दी गई। यह आरआरटीएस मार्ग भारत में पहला मार्ग है, जहां यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस) हाईब्रिड लेवल 2 सिग्नलिंग सिस्टम का इस्तेमाल होता है, जो यूरोपियन रेल यातायात प्रबंधन प्रणाली (ईआरटीएमएस) की मुख्य सिग्नलिंग एवं रेलगाड़ी नियंत्रण व्यवस्था है। इस अनुबंध में अत्याधुनिक डिजिटल इंटरलॉकिंग एवं ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन (एटीओ) की मदद से अत्याधुनिक ईटीसीएस स्टैंडर्ड और लाँग टर्म इवॉल्यूशन (एलटीई) आकाशवाणी के संगम की विश्व में शुरुआत होगी।
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