उन्होंने कहा कि दुनिया में डेयरी क्षेत्र में विकास दर 2 प्रतिशत है. जबकि हमारे देश में यह दर 6 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत में इस क्षेत्र में विकास दर और बढ़ेगी. उन्होंने कह कि इस समय भारत दुनिया में दुग्ध उत्पादन में नंबर एक पर है. हमारा उत्पादन 21 करोड़ टन है. दुनिया में दूध की उपलब्धता प्रति व्यक्ति् 310 ग्राम प्रतिदिन है. जबकि हमारे यहां पर 427 ग्राम प्रति दिन है. यह एक बड़ी उपलब्धि है.उन्होंने कहा कि हमारे देश में डेयरी उद्योग सामुदायिक या कॉपरेटिव है. इससे बड़े स्तर पर रोजगार और स्वरोजगार भी सृजित हो रहे हैं.
नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमेन और आइडीएफ के इंडियन नेशनल कमेटी के सदस्य सचिव मीनेश शाह ने कहा कि हमारे देश में डेयरी उद्योग कितना महत्वपूर्ण है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इससे आठ करोड़ किसान जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि यह हमारे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ ही ग्रामीण स्तर पर लाखों रोजगार भी सृजित करता है. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि वलर्ड डेयरी सम्मिट भारत के लिए कितना अहम है. उन्होंने कहा कि न केवल किसान बल्कि भूमिहीन किसान भी दुग्ध क्षेत्र से जुड़े हुए हैं.
नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमेन और आइडीएफ के इंडियन नेशनल कमेटी के सदस्य सचिव मीनेश शाह ने कहा कि हमारे देश में डेयरी उद्योग कितना महत्वपूर्ण है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इससे आठ करोड़ किसान जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि यह हमारे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ ही ग्रामीण स्तर पर लाखों रोजगार भी सृजित करता है. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि वलर्ड डेयरी सम्मिट भारत के लिए कितना अहम है. उन्होंने कहा कि न केवल किसान बल्कि भूमिहीन किसान भी दुग्ध क्षेत्र से जुड़े हुए हैं.
हमारे देश में दूध के काम से हजारों लाखों लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंधित हैं. यही वजह है कि इस इस वलर्ड सम्मिट की थीम लाइवलीहुड एंड न्यूट्रिशन रखी गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि हमारे यहां पर किसानों के लिए दूध जीवन का साधन भी है. यह उनकी कमाई का स्त्रोत भी है. उन्होंने कहा कि इस समिमट में करीब 40—45 देश के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. उन्होंने दूध की उपयोगिता बताते हुए कहा कि इसमें पौष्टिकता के कई स्त्रोत होते हैं. भारत में एक बड़ी आबादी शाकाहारी है. ऐसे में उनके लिए दूध और उससे बने पदार्थ पौष्टिकता के लिए काफी अहमियत रखते हैं. उन्होंने कहा कि पहले दिन के उदघाटन सत्र के बाद एक सत्र किसानों के लिए रखा गया है. इसकी वजह यह है कि किसान हमारा फोकस क्षेत्र है.
अतुल चतुर्वेदी, सचिव, डिपार्टमेंट आफॅ एनिमल हैंसबेंडरी एंड डेयरिंग, ने कहा कि यह कोरोना के बाद इंटरनेशनल डेयरी फैडरेशन का पहला फिजीकल कार्यक्रम है. इससे पहले फिजीकल कार्यक्रम इस्तानाबुल में वर्ष 2019 में हुआ था.उन्होंने कहा कि इस सम्मिट के दौरान भारत वैश्विक स्तर पर कार्य कर रहे पेशेवरों और इंटरनेशनल डेयरी फैडरेशन के अनुभव और कार्य दक्षता का लाभ हासिल करेगा. हम इस सम्मिट से विश्व स्तर पर डेयरी क्षेत्र में हो रहे बदलाव से सीखने का कार्य करेंगे. इसके साथ ही हम अपने देश के डेयरी क्षेत्र के बेहतरीन कार्यो—गुण को दुनिया के सामने भी रखेंगे. जिससे वैश्विक स्तर पर भारत के समझौते होने की संभावना और बढ़े. उन्होंने कहा कि डेयरी क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर है.हम जितनी खपत करते हैं. उतना हम अपने देश में ही बनाने में सक्षम हैं.
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