नई दिल्ली - भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं सालगिरह पर आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव और यह विशिष्ट साप्ताह मनाते हुए यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि युमासा किमुरा और पंचायती राज मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार ने दूरदृष्टि के साथ आपसी सहयोग से भारत के युवा और बाल अधिकार सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता दुहराई।
भारत की आबादी में एक तिहाई बच्चे हैं - और हमारे देश को उसकी जनसंख्या का लाभ मिलेगा क्योंकि इसमें 22 प्रतिशत किशोर और युवा आबादी है। सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) के मद्देनजर इस साझेदारी का उद्देश्य बाल / बालिका सभाएं बना कर ग्राम सभाओं में युवाओं और बच्चों को उनकी बात रखने का अवसर देना है। बाल सभाओं का काम बच्चों की प्राथमिकता जानना और उन्हें ग्राम पंचायत की विकास योजनाओं में जगह दिलाना है। इससे नीतियांे, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और कार्यक्रमों में बच्चों और किशोरों की जरूरतों और आकांक्षाओं को जगह और अहमियत देना सुनिश्चत होगा। साझेदारी का मार्गदर्शक सिद्धांत बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन का अनुच्छेद 12 है जिसके तहत प्रत्येक बच्चे को स्वतंत्र रूप से अपना विचार व्यक्त करने का सही माध्यम प्रदान करने का प्रावधान है।
साझेदारी के शुभारंभ पर सुनील कुमार, सचिव, एमओपीआर ने बताया, “केवल केंद्र और राज्य सरकारों को ही नहीं बल्कि क्षेत्र के विशेषज्ञ, शैक्षणिक संस्थान, आईजीओ / गैर सरकारी संगठन और पंचायत अर्थात् पूरे समाज को एकजुट होना पड़ेगा। आज हमारे बीच यूनिसेफ का होना इसका प्रमाण है कि एसडीजी के स्थानीकरण के लिए सभी को एकजुट होने, परस्पर सहयोग करने और प्रतिबद्धता पर अडिग रहने की आवश्यकता है। इस सहयोग के लिए हम यूनिसेफ का धन्यवाद करते हैं।’’
यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि यासुमासा किमुरा ने कहा, “यूनिसेफ-एमओपीआर साझेदारी से ग्राम पंचायत के निर्णयों में बच्चों और युवाओं के विचारों को महत्व मिलना सुनश्चित होगा। लड़के और लड़कियां उनके जीवन को प्रभावित करने वाली नीतियों और उनके विकास की योजनाओं में भाग लेंगे। हमें विश्वास है कि इस मॉडल से पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, भागीदारी और सुरक्षा संबंधी बच्चों की आकांक्षाओं को गांव के एजेंडे में बुनियादी महत्व दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘यूनिसेफ को एमओपीआर से साझेदारी करने और इसके तहत तकनीकी सहयोग देने का गर्व है। इससे सभी सामाजिक क्षेत्रों में बच्चों के लिए किए जा रहे कार्य अधिक फलदायक होंगे है।’’
बाल/बालिका पंचायतों से बच्चों के लिए एसडीजी के लक्ष्य अधिक सफल होंगे। बच्चों की जीवन रक्षा, उनकी सुरक्षा, विकास और भागीदारी पर केंद्रित कार्यक्रमों से एसडीजी के लक्ष्यों को जल्द पूरा करना मुमकिन होगा। इस अवसर पर यूनिसेफ ने एमओपीआर के साथ मिल कर ‘चाइल्ड फ्रेंडली लोकल गवर्नेंस- डॉक्यूमेंटिंग बेस्ट प्रैक्टिसेज फ्रॉम इंडिया’ पर एक शोध-पत्र जारी किया। बच्चों के साथ मिल कर संवाद सत्र का आयोजन भी किया गया ताकि गांवों को बच्चों के अनुकूल बनाने पर बच्चों के विचारों को सुना और साकार किया जाए।
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