सुषमा भंडारी
तुझे अपना बनाने की इजाजत दे रही हूं मैं
समाहित हो मेरे दिल में इजाजत दे रही हूं मैं
तुझे तुझ से चुरा लूंगी (देखना क्या समझना क्या)
तुझे पाकर मैं खो जाउँ इजाजत दे रही हूं मैं।
तेरी ही बन के रहना है उम्रभर यार मुझको तो
तेरे दिल में जगह पाई मिला है प्यार मुझको तो
(देखना क्या समझना क्या ) तेरे बिन मैं अधूरी हूं
मेरा घर-बार तुझसे है लगे संसार मुझको तो
तेरी छुअन तेरा स्पर्श है मौजूद सांसों में
लौट कर आ ही जाओगे अभी तो हो ख्वाबों में
मेरे बिन तुम अधूरे से ( देखना क्या समझना क्या)
जन्म सातों तेरी खातिर सकूँ तेरे ही हाथों में।
फूल हूं तेरी राहों की बिखरती जा रही हूं मैं
नदी हूं अपने सागर में उतरती जा रही हूं मैं
(देखना क्या समझना क्या)तुझी में मैं समाहित हूं
तेरी छुअन से साँवरिया संवरती जा रही हूं मैं
सुषमा भंडारी
शब्द शब्द मोती हुए
मोती हुए कमाल।
सीप भले ज़ख्मी हुई
दुनिया मालामाल ।।
भरा समन्दर आँख मेँ
बुझी न फ़िर भी प्यास ।
नमक भरा जल घाव दे
रूठा है उल्लास ।।
रच कर विधी - विधान को
बैठा अब तू मौन।
मैं तेरा ही अंश हूं
जग पूछे मैं कौन।।
बनकर सच्चे मीत जो
सुख में देते साथ
बिसरा देते उस समय
बिगडें जब हालात।।
काल चक्र ही घेरता
राजा हो या रंक
कमल रूप में मैं रहूं
रहूं मैं गहरे पंक।।
सच जीवन आधार है
सच दुनिया का मूल
वरना मिथ्या ये जगत
केवल एक बबूल।।।
बचपन का हर रुप ही
है कोमल सा फूल
आशीषों की छांव से
पड़े न इस पर धूल।।।
जब से हुई मशीन है
ये आदम की जात
भाव सभी धूमिल हुए
रूठ गये जज्बात।।।