सुषमा भंडारी
शब्द शब्द मोती हुए
मोती हुए कमाल।
सीप भले ज़ख्मी हुई
दुनिया मालामाल ।।
भरा समन्दर आँख मेँ
बुझी न फ़िर भी प्यास ।
नमक भरा जल घाव दे
रूठा है उल्लास ।।
रच कर विधी - विधान को
बैठा अब तू मौन।
मैं तेरा ही अंश हूं
जग पूछे मैं कौन।।
बनकर सच्चे मीत जो
सुख में देते साथ
बिसरा देते उस समय
बिगडें जब हालात।।
काल चक्र ही घेरता
राजा हो या रंक
कमल रूप में मैं रहूं
रहूं मैं गहरे पंक।।
सच जीवन आधार है
सच दुनिया का मूल
वरना मिथ्या ये जगत
केवल एक बबूल।।।
बचपन का हर रुप ही
है कोमल सा फूल
आशीषों की छांव से
पड़े न इस पर धूल।।।
जब से हुई मशीन है
ये आदम की जात
भाव सभी धूमिल हुए
रूठ गये जज्बात।।।
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