सुषमा भंडारी
तुझे अपना बनाने की इजाजत दे रही हूं मैं
समाहित हो मेरे दिल में इजाजत दे रही हूं मैं
तुझे तुझ से चुरा लूंगी (देखना क्या समझना क्या)
तुझे पाकर मैं खो जाउँ इजाजत दे रही हूं मैं।
तेरी ही बन के रहना है उम्रभर यार मुझको तो
तेरे दिल में जगह पाई मिला है प्यार मुझको तो
(देखना क्या समझना क्या ) तेरे बिन मैं अधूरी हूं
मेरा घर-बार तुझसे है लगे संसार मुझको तो
तेरी छुअन तेरा स्पर्श है मौजूद सांसों में
लौट कर आ ही जाओगे अभी तो हो ख्वाबों में
मेरे बिन तुम अधूरे से ( देखना क्या समझना क्या)
जन्म सातों तेरी खातिर सकूँ तेरे ही हाथों में।
फूल हूं तेरी राहों की बिखरती जा रही हूं मैं
नदी हूं अपने सागर में उतरती जा रही हूं मैं
(देखना क्या समझना क्या)तुझी में मैं समाहित हूं
तेरी छुअन से साँवरिया संवरती जा रही हूं मैं
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