नई दिल्ली । इतिहास का काम है सचाई से रूबरू कराना। लेकिन आज झूठ को इतिहास कहकर प्रचारित किया जा रहा है, तथ्यों को अफवाहों से दबाया जा रहा है। ऐसे में अशोक कुमार पांडेय की किताब ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ एक बेहद महत्वपूर्ण प्रयास है,जो झूठ और अफवाहों की धुंध को हटाकर वास्तविकता से हमारा परिचय कराती है । यह एक महत्वपूर्ण बौद्धिक पहल है जो इतिहास को नफरत का जरिया बनाने की साजिशों के खिलाफ उसे फिर से सचाई और न्याय के बोध से जोड़ती है। ये बातें कही त्रिवेणी सभागार में ‘इतिहास:पाठ-कुपाठ और हिंदी समाज’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में विद्वान वक्ताओं ने।
राजकमल प्रकाशन द्वारा यह परिचर्चा चर्चित इतिहासकार अशोक कुमार पांडेय की पुस्तक ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ के विशेष सन्दर्भ में आयोजित की गयी थी। इसमें इतिहासकार हरबंस मुखिया, राजनीतिज्ञ मनोज कुमार झा, आलोचक अपूर्वानंद, स्तंभकार शीबा असलम फहमी और कवि-लेखक गिरिराज किराडू ने अपने विचार रखे।मौके पर अशोक कुमार पांडेय और राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने भी श्रोताओं को संबोधित किया।
जाने माने इतिहासकार हरबंस मुखिया ने कहा,‘ ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ एक पठनीय किताब है । यह किताब पहली बारिश की मिट्टी खुशुबू की तरह है । जिस तरह से वर्तमान समय में इतिहास पर संकट खड़ा किया जा रहा है, राजनीतिक शक्तिओं द्वारा बनावटी इतिहास थोपा जा रहा है ऐसे समय में मेरे लिए ख़ुशी की बात है कि अशोक कुमार पांडेय जैसे नए इतिहासकार भी खड़े हो रहे हैं जो इतिहास की समग्रता को बचाने के लिए आवाज उठा रहे हैं’। स्तंभकार शीबा असलम फहमी ने कहा, ‘ आज के नफ़रत के दौर में जिस तरह से लोग नाउम्मीद हो रहे हैं ऐसे समय में ' कश्मीर और कश्मीरी पंडित'किताब एक उम्मीद जगाती है।’
लेखक,राजनीतिज्ञ मनोज कुमार झा ने कहा, ‘घावों पर तेज़ाब डालने का काम साहित्य या इतिहास का नही है। 'कश्मीर और कश्मीरी पंडित' घावों पर महरम लगाने का कार्य करती है । यह उपचार और सुलह की बात करती एक मुकमल किताब है।‘ आलोचक अपूर्वानंद ने कहा ‘ यह किताब समाजिक संवाद को आगे बढ़ाने का कार्य करती है। यह एक बैचेन कोशिश है हमारे समाज में उस संज्ञानात्मक चेतना को वापस लाने का जो इधर लगातार खत्म होती गयी है।साथ ही यह किताब कहती है कि तथ्यों और इतिहास का सामना कीजिये’।
लेखक अशोक कुमार पांडेय ने कहा ‘हम कश्मीर के बारे में बहुत जानने के बाद भी बहुत कुछ नही जानते हैं । कश्मीर का इतिहास हमारे करीब का का इतिहास है इसकी जड़ें पूरे देश में फैली हुई हैं। कश्मीर के बारे में पहले सिर्फ घटनाओं पर बात होती थी। उसमें तथ्य, विमर्श और विश्लेषण बहुत कम होता था। मेरी कोशिश थी कि कश्मीर के बारे में हिंदी पट्टी के पाठक समग्रता में जानें।’ इस मौके पर बोलते हुए राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, ‘लेखक अशोक कुमार पांडेय ने इतिहास के जवलंत मसलों पर प्रचारित धारणाओं और कथित तथ्यों को सचाई की कसौटी पर परख कर वास्तविकता को पेश किया है ,यह सबकी जरूरत है ‘।
गौरतलब है कि ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ में अशोक कुमार पांडेय ने कश्मीर के 1500 साल के इतिहास और कश्मीरी पंडितों के पलायन की प्रमाणिक दास्तान को प्रामाणिक रूप से पेश किया है। कश्मीर का इतिहास, समाज, राजनीति और उसकी समस्याओं को इस किताब में विस्तार से बताया गया है। इसका प्रकाशन राजकमल प्रकाशन ने किया है.
जाने माने इतिहासकार हरबंस मुखिया ने कहा,‘ ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ एक पठनीय किताब है । यह किताब पहली बारिश की मिट्टी खुशुबू की तरह है । जिस तरह से वर्तमान समय में इतिहास पर संकट खड़ा किया जा रहा है, राजनीतिक शक्तिओं द्वारा बनावटी इतिहास थोपा जा रहा है ऐसे समय में मेरे लिए ख़ुशी की बात है कि अशोक कुमार पांडेय जैसे नए इतिहासकार भी खड़े हो रहे हैं जो इतिहास की समग्रता को बचाने के लिए आवाज उठा रहे हैं’। स्तंभकार शीबा असलम फहमी ने कहा, ‘ आज के नफ़रत के दौर में जिस तरह से लोग नाउम्मीद हो रहे हैं ऐसे समय में ' कश्मीर और कश्मीरी पंडित'किताब एक उम्मीद जगाती है।’
लेखक,राजनीतिज्ञ मनोज कुमार झा ने कहा, ‘घावों पर तेज़ाब डालने का काम साहित्य या इतिहास का नही है। 'कश्मीर और कश्मीरी पंडित' घावों पर महरम लगाने का कार्य करती है । यह उपचार और सुलह की बात करती एक मुकमल किताब है।‘ आलोचक अपूर्वानंद ने कहा ‘ यह किताब समाजिक संवाद को आगे बढ़ाने का कार्य करती है। यह एक बैचेन कोशिश है हमारे समाज में उस संज्ञानात्मक चेतना को वापस लाने का जो इधर लगातार खत्म होती गयी है।साथ ही यह किताब कहती है कि तथ्यों और इतिहास का सामना कीजिये’।
लेखक अशोक कुमार पांडेय ने कहा ‘हम कश्मीर के बारे में बहुत जानने के बाद भी बहुत कुछ नही जानते हैं । कश्मीर का इतिहास हमारे करीब का का इतिहास है इसकी जड़ें पूरे देश में फैली हुई हैं। कश्मीर के बारे में पहले सिर्फ घटनाओं पर बात होती थी। उसमें तथ्य, विमर्श और विश्लेषण बहुत कम होता था। मेरी कोशिश थी कि कश्मीर के बारे में हिंदी पट्टी के पाठक समग्रता में जानें।’ इस मौके पर बोलते हुए राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, ‘लेखक अशोक कुमार पांडेय ने इतिहास के जवलंत मसलों पर प्रचारित धारणाओं और कथित तथ्यों को सचाई की कसौटी पर परख कर वास्तविकता को पेश किया है ,यह सबकी जरूरत है ‘।
गौरतलब है कि ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ में अशोक कुमार पांडेय ने कश्मीर के 1500 साल के इतिहास और कश्मीरी पंडितों के पलायन की प्रमाणिक दास्तान को प्रामाणिक रूप से पेश किया है। कश्मीर का इतिहास, समाज, राजनीति और उसकी समस्याओं को इस किताब में विस्तार से बताया गया है। इसका प्रकाशन राजकमल प्रकाशन ने किया है.
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