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विंडरजी इंडिया 2022 चौथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 27-29 अप्रैल, प्रगति मैदान

० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नयी दिल्ली -  विंडरजी इंडिया 2022 एक मेगा विंड एनर्जी ट्रेड फेयर और सम्मेलन जिसे स्वच्छ ऊर्जा के लिए तीव्र माइग्रेशन और पवन ऊर्जा इको सिस्टम को बढ़ाने के राष्ट्रीय संकल्प पर विचार-विमर्श करने हेतु संगठित किया जा रहा है। तीन दिन का यह मेगा विंड एनर्जी कार्यक्रम 27-29 अप्रैल तक नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित किया जाएगा और इसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा के लिए तीव्र माइग्रेशन की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता (कमिटमेंट) को पूरा करने पर सभी का ध्यान केंद्रित करना है, जिसमें पवन ऊर्जा का मुद्दा प्रमुख है।

भारत सरकार के विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री आर के सिंह, रसायन और उर्वरक मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में राज्य मंत्री भगवंत खुबा तथा डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वेन, अन्य कई हस्तियों और उद्योग जगत के दिग्गजों संग इस उच्च स्तरीय सम्मेलन में हिस्सा लेंगें। इस समारोह में 150 से अधिक कंपनियां अपने उत्पाद, समाधान और प्रौद्योगिकी कौशल का प्रदर्शन करेंगी। जिसका लाभ समारोह में उपस्थित सभी लोग लाभ उठा सकते हैं। यह इवेंट 3 दिवसीय प्रदर्शनी और 2 दिनों के गहन विचार-विमर्श के आलावा इसमें भाग लेने वाले लोगों के लिए बेहतर नेटवर्किंग और व्यवसाय का अवसर भी है।

जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने और 2070 तक नेट जीरो एमिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सीओपी-26 (नवंबर 2021) में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पांच प्रमुख लक्ष्यों का आगाज़ किया था । जिसमें से (1) देश की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 2030 तक 500 गीगावाट तक बढ़ाना (2) 2030 तक देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करना (3) अब से लेकर 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी लाना (4) 2030 तक भारत अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेंसिटी को 45 प्रतिशत से अधिक कम करेगा (5) वर्ष 2070 तक, भारत नेट जीरो एमिशन के लक्ष्य को प्राप्त करेगा।

पवन ऊर्जा उपरोक्त इन सभी उद्देश्यों को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जो क्षमता वृद्धि, विनिर्माण कैपेसिटी और अन्य क्षेत्रों में पहले ही प्रभावशाली प्रगति कर चुकी है। वर्तमान समय में, हमारे देश में कुल स्थापित बिजली क्षमता का 27% नवीकरणीय ऊर्जा से आता है, जिसमें से 37.73% पवन ऊर्जा (40.13 गीगावाट) द्वारा प्राप्त की जाती है। भारत ने 2022 तक रिन्यूएबल एनर्जी कपैसिटी का 175 गीगावाट तक का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें सौर ऊर्जा 100 गीगावाट, पवन से 60 गीगावाट, बाकी बची हुई ऊर्जा जैव-शक्ति और हाइड्रोपावर से प्राप्त होगा।

भारतीय पवन ऊर्जा उद्योग 10,000 मेगावाट पवन टरबाइन की प्रभावशाली वार्षिक निर्माण क्षमता रखता है, जिसे आने वाले समय में सही नीति और वित्तीय सहायता के साथ 15,000 मेगावाट तक बढ़ाया जा सकता है। भारतीय पवन ऊर्जा क्षेत्र ने भी 80% स्वदेशीकरण हासिल किया है, जो "मेक इन इंडिया" पहल के अनुरूप है। इसका ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विशेष लाभकारी प्रभाव पड़ता है क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में इसके योगदान के अलावा, पवन ऊर्जा को भी प्राथमिकता दी जाती है। इसके अलावा पवन ऊर्जा से ग्रामीण क्षेत्रों में 2 मिलियन से अधिक रोजगार प्राप्त हुए हैं ।

पवन ऊर्जा क्षेत्र के एकमात्र व्यापक व्यापार कार्यक्रम का आयोजन इंडियन विंड टर्बाइन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईडब्ल्यूटीएमए) और पीडीए ट्रेड फेयर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। इस व्यापक पवन ऊर्जा कार्यक्रम को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार, भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (आईआरईडीए), इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस(आईईएसए), इंडियन विंड पावर एसोसिएशन (आईडब्ल्यूपीए), इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईपीपीएआई), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विंड एनर्जी (एनआईडब्ल्यूई), सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई), स्किल काउंसिल फॉर ग्रीन जॉब्स (एससीजीजे), वर्ल्ड विंड एनर्जी एसोसिएशन (डब्ल्यूडब्ल्यूईए), नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन (एनएसआईसी), रियर - रिन्यूएबल एनर्जी एसोसिएशन और द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीईआरआई), पार्टनर देश- डेनमार्क एम्बेसी द्वारा समर्थन प्राप्त है।
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