Halloween Costume ideas 2015
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० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली । थियेटर का आरंभ सभ्यता के आरंभ के साथ ही हो गया था। जब बच्चा आंख खोलता है उसी के साथ अभिनय करना शुरू कर देता है। इसलिए यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि थियेटर का जन्म सभ्यता के जन्म के साथ ही हुआ है। यह बात साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा (डीपी सिन्हा) ने दिल्ली के मुक्तधार सभागार में आयोजित '14वे नटसम्राट थियेटर अवार्ड' वितरण समारोह में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिष्ठित विभूतियों को सम्मानित करते वक्त कही। इस मौके पर हिंदी दैनिक 'राष्ट्रीय सहारा' के वरिष्ठ संवाददाता अमित कुमार को वर्ष 2022 के लिये बेस्ट क्रिटिक अवार्ड से नवाजा गया तो दूसरी ओर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) की पूर्व निदेशक कृति जैन आदि को सम्मानित किया गया। इस मौके पर जयवर्धन (जेपी सिंह) द्वारा रचित हिंदी राजनीतिक व्यंग्य नाटक 'खैरातीलाल का कुर्सी तंत्र' का विमोचन भी किया गया।
इस मौके पर कृति जैन ने नटसम्राट के निदेशक श्याम कुमार को पिछले 19 वर्षों से लगातार अपने बल बूते थियेटर करने के लिए बधाई दी तो दूसरी ओर वैसे लोगों को सम्मानित करने के लिए भी बधाई दी जो पर्दे के पीछे रहते हुए लगातार रंगमंच को समृद्ध कर रहे हैं।  
अमित कुमार ने कहा कि यह हर किसी को अपना काम लगन और ईमानदारी से करते रहना चाहिए एक न एक दिन उसका फल जरूर मिलता है। यह नही सोचना चाहिए कि कोई आपके काम का आंकलन नही कर रहा है। कही न कही कोई न कोई आपके काम का आंकलन करता है और उसका प्रतिफल इस तरह के पुरस्कार का मिलना है। वैक स्टेज संगीत के लिए पुरस्कार पाने वाले जमील खान ने कहा ने बताया कि उनकी पांच पीढियां 'नक्कारे' बजाने का काम करती आ रही है। पहले नौटंकी में बजाते थे तो वहां बंदिशें नही थी लेकिन थियेटर में आने के बाद पता चला कि यहां आपको एक सीमा में ही काम करना है और इसे मैने एक छात्र की तरह सीखता रहा।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के प्रमुख और सहायक प्राध्यापक शान्तनु बोस को इस साल का सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का सम्मान मिला है। श्री बोस ने सम्मान ग्रहण करने के बाद इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखों से आंसू इस लिये निकल गए कि वर्षो से रंगमंच करते आने के बाद भी आज तक बंगाली थियेटर से कोई पुरस्कार नही मिला। पुरस्कार के लायक हिंदी थियेटर वालों ने समझा और सम्मान दिया। इस मौके पर सर्वश्रेष्ठ लेखक का सम्मान अनीस आजमी को, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए मनीष मनोजा, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए दक्षा शर्मा को तथा डॉ. जीतराम भट्ट को थियेटर प्रमोटर के लिए सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप प्रत्येक को शॉल, प्रतीक चिन्ह और बुके भेंट किया गया।

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली - देश के नामचीन फिल्म निर्देशकों में शुमार होनेवाले राम गोपाल वर्मा ने कश्मीर घाटी से हिन्दुओं के निर्वासन पर आधारित बहुचर्चित फिल्म ’दि कश्मीर फाइल्स’ की दिल खोलकर तारीफ करते हुए कहा है कि सिर्फ मनोरंजन करना ही नहीं बल्कि समाज की सर्च्चाइयों को सामने लाना भी सिनेमा की जिम्मेदारी है। अपनी लेस्बियन थ्रिलर फिल्म ’डेजरस’ का ट्रेलर रिलीज करने के लिए राजधानी दिल्ली आए वर्मा ने इस मौके पर कहा कि आज नेशनलिस्टिक व रियलिस्टिक सिनेमा का जिस तरह से दर्शकों द्वारा स्वागत किया जा रहा है वह ना सिर्फ सुखद है बल्कि सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्मों की सफलता का स्कोप भी बढ़ा है। 
उन्होंने कहा कि सिनेमा में दिखाई जाने वाली घटनाएं और उसमें उठाए जाने वाले विषय समाज के एक वर्ग को असहज कर सकते हैं लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि उन हकीकतों पर पर्दा डाल दिया जाए और उसकी अनदेखी कर दी जाए। उन्होंने विश्वास जताया है कि रियलिस्टिक सिनेमा के मौजूदा दौर में अब विभिन्न विषयों पर फिल्में बनाने के लिए लोग प्रोत्साहित होंगे और दर्शकों को भी इसका लाभ मिलेगा।

दरअसल सत्य घटनाओं पर आधारित फिल्मों को जिस तरह अक्सर विवाद और प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है वैसा ही कुछ दि कश्मीर फाइल्स के मामले में भी देखा गया और इसे पुराने जख्मों को कुरेदने और समाज के एक खास वर्ग को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करने वाला करार देते हुए सड़क से लेकर अदालत तक में विरोध दर्ज कराके इसका प्रदर्शन रूकवाने की भरसक कोशिश की गई। यहां तक कि समाज के प्रबुद्ध वर्ग ने भी इस फिल्म को नकारात्मक प्रतिक्रिया ही दी और इसे बनाने के पीछे की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए इससे सिने जगत के ’धर्मनिरपेक्ष’ स्वरूप और स्वभाव को नुकसान पहुंचने की बात कही गई। लेकिन समाज के एक बड़ा वर्ग इसके समर्थन में भी आया जिसमें राम गोपाल वर्मा सरीखे दिग्गज भी शामिल हैं। 

आगामी आठ अप्रैल को रिलीज होने जा रही दो महिलाओं के आपसी प्रेम सम्बंध सरीखे बोल्ड विषय पर आधारित नैना गांगुली और अप्सरा रानी अभिनीत अपनी फिल्म डेंजरस का ट्रेलर रिलीज के मौके पर वर्मा ने दि कश्मीर फाइल्स की तारीफ करते हुए कहा कि इसने हर नियम को ध्वस्त कर दिया। फिल्म में स्टार्स नहीं हैं। यहां तक कि डायरेक्टर ने दर्शकों को इम्प्रेस करने की कतई कोशिश नहीं की, जो कि हर फिल्ममेकर करता है। उन्होंने यह भी कहा कि अब जब भी कोई डायरेक्टर फिल्म बनाने की कोशिश करेगा तो द कश्मीर फाइल्स का रिफरेंस लेगा और इसे स्टडी करेगा।

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर,  राजस्थान स्थापना दिवस सेलिब्रेशन के तहत नई दिल्ली स्थित बीकानेर हाउस के चांदनी बाग पर पारम्परिक चंग नृत्य की रंगारंग प्रस्तुति ने प्रवासी राजस्थानियों का मन मोह लिया। राजस्थान फांउडेशन और राजस्थान स्टूडियो की ओर से आयोजित इस सांस्कृतिक आयोजन में राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के प्रसिद्ध लोक गायक कलाकार गणेश खिची और साथी कलाकारों ने धमाकेदार प्रस्तुति दे कर शाम को कृष्णमय बना दिया। बांसुरी की मधुर तान पर चंग की लयबद्ध ताल पर जब कलाकारों ने नृत्य आरम्भ किया तो सभी उपस्थित ऑनग्रांउड एवं ऑनलाईन कलाप्रेमी गाने एवं झुमने लगे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर राजस्थान सरकार की उद्योग मंत्री श्रीमती शकुंतला रावत शामिल हुई। कार्यक्रम के दौरान प्रिंसिपल रेजिडेंट कमिश्नर राजस्थान, नई दिल्ली, श्रीमती शुभ्रा सिंह और राजस्थान फांउडेशन के कमिश्नर, श्री धीरज श्रीवास्तव के अतिरिक्त राजस्थान स्टूडियो एवं रूफटॉप ऐप्प के सीईओ एवं फाउंडर, श्री कार्तिक गग्गर तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर उद्योग मंत्री श्रीमती शकुंतला रावत ने राजस्थान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि राजस्थान वीरों, मीरा बाई, तपस्वियों और पन्ना धाय जैसी वीरांगनाओं की धरती है। उन्होंने सभी प्रवासी राजस्थानियों का प्रदेश में आने का निमंत्रण दिया और कहा ही राजस्थान की हवेलियां, महल देखते ही बनते हैं। राजस्थान के लोगों की वाणी मीठी है। इस प्रदेश का कल्चर बेहद लुभावना है।

इससे पूर्व राजस्थान फांउडेशन के कमिश्नर, श्री धीरज श्रीवास्तव ने राजस्थान दिवस पर प्रवासी राजस्थानियों के लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत का शुभकामना सन्देश भी पढ़ कर सुनाया। कार्यक्रम के दौरान श्री कार्तिक गग्गर ने चंग प्रस्तुति के बारे में जानकारी दी। इसके अतिरिक्त राजस्थान सरकार के पर्यटन मंत्री, श्री विश्वेन्द्र सिंह का राजस्थान दिवस पर बधाई विडियो सन्देश भी प्रसारित किया गया।

चंग नृत्य में प्रस्तुत डिवोशनल गीतों में - रंग मत डारे रे सांवरिया म्हारो गूजर मारे रे, घर मत आजे काना सास बुरी छः नन्दूली नादान म्हाने बोल्या मारे रे, नैना नीचा करले श्याम से मिलावेली काई रे नैना नीचा करले, चार तो चंगा की टोल्या बाजारां में बाजे रै, चालो देखण ने बाई सा थारो बीरो नाचौ रै, ढप बाज्यों रे श्याम अलबेल्या को ढप बाज्यारे, आदि गीत शामिल थे। गणेश खिची के साथ गायन में सिमरन सिंह ने संगत दी। अन्य साथी कलाकारों में चंग प्लेयर नवरंग सिंह शेखावत, जुगल सिंह एवं नरेंद्र सोनी शामिल थे जबकि ऑक्टोपैड पर हेमंत जुथारिया, ढ़ोलक पर जगदीश राव और दीपक चौहान ने कीबोर्ड पर संगत दी।

इससे पूर्व डॉ कमल एस. सक्सेना की राजस्थान को भारत के बाजरे के कटोरे के रूप में आधारित प्रेजेन्टेशन ‘हरे घास की रोटी‘ भी पेश किया गया। कार्यक्रम का समापन गाज़ी खान द्वारा प्रस्तुत धमाकेदार डेजर्ट सिम्फनी के साथ हुआ। उल्लेखनीय है कि राजस्थान स्टूडियो द्वारा राजस्थान फाउंडेशन के साथ मिलकर बीकानेर हाउस में प्रवासी राजस्थानियों के लिए पपेट वर्कशॉप का शानदार आयोजन किया गया था।


० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर,: युवा पीढ़ी के आइडियल (प्रेरणा देने वाले) लीडर्स को उनके द्वारा किये जा रहे उत्कृष्ट कार्य और सर्वोत्म योगदान की सराहना करते हुए प्रोत्साहित करने के लिए टाइम्स पावर आइकन्स 2022 राजस्थान ने क्रेडाई राजस्थान, एकमे और रीन्यू पावर के सहयोग सेराजस्थान के स्प्रिट ऑफ आइकन का जश्न मनाया, जो राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान देने के साथ ही प्रदेश में प्रभावशाली सामाजिक योगदान दे रहे हैं।
इस आयोजन को आरआरईसीएल, हॉप इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और फोर्टी वुमन विंग का समर्थन प्राप्त था। कार्यक्रम उस वक्त अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया जब भारतीय फिल्म अभिनेत्री भाग्यश्री, जो इस कार्यक्रम में ग्रेस ऑफ ऑनर थीं और कैबिनेट मंत्री, प्रताप सिंह खाचरियावास जैसी हस्तियों की उपस्थिति के बीच विजेताओं की घोषणा की गई।

डॉ. सुबोध अग्रवाल, एसीएस एनर्जी, माइंस एंड पेट्रोलियम, और सीएमडी, आरआरईसीएल, राजस्थान सरकार ने एक पैनल में चर्चा के दौरान राज्य में अक्षय ऊर्जा के भविष्य पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि साझा की और इस क्षेत्र में होने वाली अभूतपूर्व वृद्धि पर विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि राज्य अक्षय ऊर्जा के मामले में नित नये नये आयाम स्थापित कर रहा है जिसकी वजह से इंन्वेस्टर्स का प्रदेश ने अपनी और ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने सभी विजेताओं को बधाई दी।

यह कार्यक्रम टाइम्स ग्रुप के एक डिवीजन ऑप्टिमल मीडिया सॉल्यूशंस द्वारा आयोजित किया गया था,
जिसमें कला, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, मीडिया, रियल एस्टेट, खनिज और खान, स्वास्थ्य सेवा, आभूषण, इंटीरियर डिजाइनिंग, सोशल वर्क से जुड़ी हस्तियों की भागीदारी रही। कला, संगीत, फिल्म और खेल से जुड़ी हस्तियों में कुछ विश्व प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीतकार पंडित विश्व मोहन भट्ट मौजूद रहे। भरत अग्रवाल, क्ले क्राफ्ट, देवेंद्र झाझरिया, दो स्वर्ण पदक के साथ पहले भारतीय पैरालंपिक एथलीट, निखिल मदान, महिमा ग्रुप, नितिन जागड़ , एडफैक्टर्स पीआर, रवींद्र उपाध्याय, बॉलीवुड गायक, दिग्विजय ढाबरिया, पॉलीवुड लिमिटेड, डॉ. पीआर सोडानी , आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी , अक्षय गुरनानी, वीटो ग्रुप, आदि लोगों ने अपनी उपस्थिति से समारोह में समां बांध दिया।

कार्यक्रम में पार्टिसिपेटेड करने वाली हस्तियों और ब्रांड को कड़ी अैर विभिन्न जांच पेरामीटर्स से गुजरना पड़ा जिसकी पूरी जांच पड़ताल एवांस इनसाइट्स, एक इंडेपेंडेटस रिसर्च एजेंसी द्वारा की गई। जिसमें विभिन्न स्टेकहोल्डर्स और इंडस्ट्री एक्सपर्टस ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर बड़ी भूमिका निभाई


० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली - विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर अभिव्यक्ति कार्याशाल द्वारा लोधी रोड़ इंडिया इस्लामिक सेन्टर में चारू त्वारी द्वारा लिखित व मनोज चंदोला द्वारा निर्देशित नाटक "एक चाणक्य ऐसा भी " का मंचन किया वहीं पर्वतीय कल्याण समिति मन्डावली ने अपने पचास वर्ष पूरे करने पर भव्य उत्तराखण्डी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर समाज के गणमान्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

गढ़वाल हितैषिणी सभा ने समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता निभाते हुऐ दोनों कार्यक्रमों में सिरकत की, सभा की ओर अध्यक्ष अजयसिंह बिष्ट, सचिव दीपक द्विवेदी, खेल सचिव भगवान सिंह नेगी, कार्यकारिणी सदस्य श्रीमती यशोदा घिल्डियाल,  रूप चन्द बरोली,  बलबीर सिंह रावत एवं  विकास चमोली उक्त कार्यक्रमों में शामिल हुऐ।


० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली - विश्व के सबसे बहुप्रतीक्षित भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम, लाल किला महोत्सव-भारत भाग्य विधाता, का आयोजन 25 मार्च से 3 अप्रैल के बीच प्रतिदिन 17 वीं शताब्दी के प्रतिष्ठित धरोहर लाल किला नई दिल्ली में किया जाएगा। भारत की आजादी के 75 वें साल के आयोजन के तहत सरकार के आजादी का अमृत महोत्सव के एक अंग के तौर पर लाल किला महोत्सव-भारत भाग्य विधाता आगंतुकों को समृद्ध सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करने का वादा करता है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने लाल किले के लिए चयनित स्मारक मित्र (मोन्यूमेंट मित्र) डालमिया भारत लिमिटेड के साथ मिलकर इस कार्यक्रम की अवधारणा तैयार की है।

धरोहर संरक्षण और पर्यटन के क्षेत्र में निजी –सार्वजनिक सहभागिता (पीपीपी) के देश में सबसे सफल मॉडल के तौर पर लाल किला महोत्सव-भारत भाग्य विधाता की शुरुआत 25 मार्च सुबह 10 बजे भारत सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी के द्वारा उद्घाटन से होगी। “हम यह पूर्वानुमान लगा सकते हैं कि लाल किला महोत्सव-भारत भाग्य विधाता एक जीवंत भव्य आयोजन होगा जिसमें कलाओं व संस्कृतियों के संगम, संस्कृति प्रेमियों की उत्साह भरी भागीदारी और देश भर के खानपान का प्रदर्शन देखने को मिलेगा”, कहा श्री पुनीत डालमिया, डालमिया भारत लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने।, हम भारत सरकार के अत्यंत आभारी हैं जो हमें लाल किले के स्मारक मित्र के तौर पर देश की सेवा करने का अवसर दिया गया।

पारस्परिक संवाद के दृश्यों के साथ भारत के इतिहास को दर्शाने वाले इस लाल किला महोत्सव-भारत भाग्य विधाता को आजादी के संघर्ष, विगत 75 व आगे के वर्षों की उपलब्धियों, विचार आदि जैसे थीम पर आधारित एक सालाना कार्यक्रम के तौर पर नियोजित किया गया है। अपने पथ प्रदर्शक प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए डालमिया भारत लिमिटेड का उद्देश्य सामुदायों के भीतर राष्ट्रीय गौरव की भावना जगाते हुए उनके लिए नियोजन व अवसरों में सुधार लाना है। महोत्सव में कई सारे अनुभव जैसे मातृभूमि प्रोजेक्शन मैपिंग शो, यात्रा - एक 360 डिग्री पर सम्मोहित कर देने वाला अनुभव, एक सांस्कृतिक परेड, खाओ गली, रंग मंच पर लाइव प्रदर्शन, डांसेज ऑफ़ इंडिया, अनोखे वस्त्र, खेल मंच, खेल गांव तथा डॉ. सुरक्षित की ओर से योगा आन दि गो का आयोजन होगा।

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली
- खिलाड़ियों के सिर चढ़कर बोलरहा है भारत के पहले मोबा मोबाइल गेम क्लैश ऑफ़ टाइटन्स का जुनून हमें अक्सर रोमांचकएडवेंचर के लिए छुट्टियों की चाहत रहती है। आज हम डिजिटल गेम्स खेल कर उसीतरह के रोमांच, उत्तेजना और उत्साह का वास्तविक अनुभव कर सकते हैं। क्लैश ऑफ़ टाइटन्स आपनेहाथों में रखे उपकरण के आयाम के अनुकूल जोश का तूफ़ान पैदा करता है। यह गेम हर किसी के लिएअपने टाइटन्स सजाने-सँवारने और उनके हार्ट्स को अपनी बाहों पर पहनने काअवसर प्रदान करता है।परिधान की ये बाहें अलग-अलग त्वचा के रंगों में उपलब्ध हैं जो अपने-अपने योद्धाओंको सजीला बनाती हैं। 

चुनने के लिए अनेक टाइटन्स के विकल्पों के साथ क्लैश ऑफ़ टाइटन्स में हमारे दायरेमें आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का अवतार है।भारतमें डोटा 2 और लीग ऑफ़ लीजेंड्स जैसे सचमुच रोमांचकारी एमओबीए (मोबा) गेम्स काविशाल यूजर आधार है, जैसा कि भारतीय गेमर्स अपने पर्सनल कंप्यूटर पर इन्हें नियमितरूप से खेलते हैं।क्लैश ऑफ़ टाइटन्स भारतीय गेमर्स के लिए मोबाइल फ़ोन पर पहली बार डायनैमिक मोबागेम-प्ले के अनुभव को पूर्ण बनाता है। इससे प्लेयर्स को कभी भी औरकहीं से भी गेम का आनंद उठाने की सुविधा मिलती है।

क्लैशऑफ़ टाइटन्स ऐन्ड्रॉइड प्लैटफॉर्म पर आइओएस पर जारी किया गयाथा। अब लगभग एक महीना बीतनेके बाद आइये हम इस गेम की कुछ जबरदस्त खूबियों पर नजर डालें। क्लैश ऑफ़ टाइटन्स मोबाइल उपकरणों के लिए विकसित भारत का सबसे पहला मल्टीप्लेयर ऑनलाइन बैटल एरीना (एमओबीए), यानी एक से अधिक खिलाड़ियों वाला ऑनलाइन युद्ध का अखाड़ा है। भारत के विशाल मोबाइल गेमिंग मार्केट को देखते हुए, इस गेम को ऐन्ड्रॉइड और आइओएस प्लैटफॉर्म्स, दोनों के लिए बनाया गया है।● मोबा गेम्स जान फूँकने वाला, जुझारू, और रणनीति-आधारितगेमिंग विधा है जहाँ खिलाड़ियों की दो टीमें एक पूर्व-निर्धारित युद्धक्षेत्र मेंएक-दूसरे के विरुद्ध प्रतियोगिता करती हैं। 

सुविधाजनक स्थिति कादृष्टिकोण अंतिम उद्देश्य को रणनैतिक बनाता है, जो युद्धक्षेत्र के उस पार वालेकोने में स्थित दुश्मन के मुख्य महल को तहस-नहस करता है। इस गेम को इस तरह से डिजाइनकिया गया है कि प्लेयर्स युद्ध में शामिल होने के लिए अपने-अपने कैरेक्टर्स को कंट्रोलकरने के लिए अपने मोबाइल/हाथ में पकडे उपकरण पर केवल दो उंगलियों का प्रयोग करसकते हैं। ● इसक्लासिक 5V5 मोबा गेम में यूजर्स टाइटन्स और स्किन्स की वास्तविक संख्या केसाथ रियल-टाइम युद्ध का आनंद उठा सकते हैं। हरेक यूजर अपने नियत टाइटन औरभूमिका को खोजने के लिए अपना मेगा किल पाकर गोते लगा सकता है। 

● ‘टाइटन्स’ योद्धा लड़ाके हैं, जिनका इस्तेमाल प्लेयर्स इनरोमांचकारी मोबा युद्धों को जीतने के लिए कर सकते हैं। तरह-तरह के किरदारों कीभूमिकाएँ गेम के भीतर वर्गीकृत हैं - टाइटन का हर वर्ग अपनी खुद की अद्वितीयक्षमताओं के साथ आता है और विरोधी पर होशियारी से नियोजित हमले के लिए प्रयोग करसकता है। गेम का व्याप्त टाइटनरोस्टर में हमेशा भरोसा करने लायक टैंक्स, बहादुर लड़ाके, घात लगाकर मारने वालेचालाक हत्यारे, सम्मोहित करने वाले जादूगर, कुशल निशानेबाज, और अग्रसक्रिय सपोर्टटाइटन्स सम्मिलित हैं।प्लेयर्स चाहें तो अपने-अपने टाइटन्स को युद्ध के लिए तत्पर बनाने के लिए कस्टमाइजऔर अनुकूलित भी कर सकते हैं।

 ● प्लेयर्स किसी भी समय, किसी भी जगह से अपने दोस्तों के साथ टीमबना सकते हैं और ऑनलाइन नए दोस्तों से भी मिल सकते हैं जिन्हें वे अपने टीम मेंशामिल करके एक सम्मोहक गेम खेलने का आनंद उठा सकते हैं। हर रोज लॉग इन करने वालेगेमर्स को फ्री टाइटन्स और अन्य रोमांचक ऑफर के साथ पुरस्कृत किया जाता है। ● इस गेम को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि प्लेयर्स कोअपने-अपने कैरेक्टर्स को कंट्रोल करने और युद्ध में शामिल होने के लिए अपनेमोबाइल/हाथ में रखे उपकरण पर केवल दो उंगलियों का ही इस्तेमाल करना होता है। ● क्लैश ऑफ़टाइटन्स भारत में मोबा (एमओबीए) गेमिंग को विकसित करने के लिए उत्पत्ति के रूप मेंआगे और सेवा करेगा।● हर सप्ताह एकनया टाइटन लॉन्च किया जाएगा। यह क्लैश ऑफ़ टाइटन्स मंडली केलिए उत्तेजना का स्‍तर और भी ऊंचा करेगा क्योंकि इससे उनकी टाइटन टीम मजबूत बनेगी

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली - विशेष ट्रेनों की तर्ज पर एफटीआर ट्रेनों के माध्यम से कला, संस्कृति, सिनेमा, टेलीविजन और खेल के प्रचार और 
प्रसार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम लिमिटेड अब सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख फिल्म प्रोडक्शन हाउस के साथ एक बार फिर जुड़ा है। . फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों और कलाकारों के साथ बातचीत ने हमें यह विश्वास दिलाया है कि कलाकारों और फिल्म बिरादरी में अपने काम के प्रचार के लिए समान रूप से बेलगाम उत्साह है।
कला, संस्कृति और सिनेमा के प्रचार के लिए आईआरसीटीसी को फिल्म 'बच्चन पांडे' के प्रचार के लिए एक सिनेमा स्पेशल एफटीआर ट्रेन के संचालन का उल्लेख करते हुए गर्व हो रहा है। प्रोडक्शन हाउस के अनुरोध पर आईआरसीटीसी द्वारा ट्रेन को पंजीकृत किया गया था। ट्रेन में मुख्य स्टार कास्ट, प्रोडक्शन टीम के साथ-साथ मीडिया ने भी यात्रा की। यह ट्रेन बच्चन पांडे फ़िल्म के क्रिएटिव आर्टवर्क वाली विनाइल से सजाई गई थी।

ट्रेन का संचालन मुंबई सेंट्रल और नई दिल्ली के बीच 14.03.2022 को बोरीवली, सूरत और कोटा में ठहराव के साथ किया गया था। ट्रेन मुंबई सेंट्रल से 16.00 बजे रवाना हुई और अगली सुबह नई दिल्ली पहुंची, जिसमें पांच कोच शामिल थे, जिसमें एक फर्स्ट एसी, दो सेकेंड एसी, एक थर्ड एसी और एक चेयर कार कोच शामिल थे। इसमें खानपान सेवाएं प्रदान करने के लिए वन पेंट्री कार भी शामिल है। ऐसी एफटीआर विशेष ट्रेनों के संचालन से एक ओर ट्रेनों के माध्यम से कला, संस्कृति, खेल और सिनेमा को बढ़ावा मिलता है और दूसरी ओर अतिरिक्त राजस्व सृजन का एक स्रोत भी है और साथ ही आईआरसीटीसी और भारतीय रेलवे के लिए नए अवसर भी खुलते हैं।

मीडिया के साथ अक्षय कुमार, अरशद वारसी, कृति सनोन, जैकलीन फर्नांडीस और क्रू सहित पूरी स्टार कास्ट ने बहुत सारी मजेदार गतिविधियों, मीडिया इंटरेक्शन आदि के साथ ऑन-बोर्ड बहुत अच्छा समय बिताया। आईआरसीटीसी, रेलवे के साथ समन्वय में कला, संस्कृति, खेल, सिनेमा, टेलीविजन के प्रचार और प्रसार के लिए भविष्य में इस तरह की एफटीआर ट्रेनों के संचालन के साथ ऐसी बेहतरीन यात्रा का अनुभव प्रदान करने का प्रयास रहेगा।

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली -गढ़वाल हितैषिणी सभा दिल्ली ने अपने शताब्दी वर्ष का शुभारम्भ करते हुए गढ़वाल भवन मे सामाजिक ,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समरसता लिए भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया | इस कार्यक्रम मे दिल्ली मे प्रवासियों की अनेक सामाजिक संगठनों के सदस्य , गढ़वाल हितैषिणी सभा के सलाहकार मंडल के सदस्य एवं पूर्व पदाधिकारियों के साथ साथ समाज के प्रबुद्ध जन,साहित्यकार,रंगमंच कलाकार एवं पत्रकारों ने खचाखच भरे सभागार मे कार्यक्रम का आनंद लिया,गढ़वाल हितैषिणी सभा की साहित्यिक सचिव मनोरमा भट्ट एवं डाक्टर कुसुम भट्ट के होली गीत पर लोग झुम उठे |
कार्यक्रम बहुत ही संतुलित,रोचक एवं आनंददाई रहा |जिसमे सर्वप्रथम गणमान्य लोगो द्वारा शताब्दी वर्ष शुभंकर का लोकार्पण किया गया तत्पश्चात प्रतिष्ठित कवि एवं कवित्रियों द्वारा हास्य विनोद से भरी कविताएं प्रस्तुत की गईं ओर कार्यक्रम के अंतिम भाग मे होली गायन एवं फूलों की होली खेली गई गढ़वाल 
हितैषिणी सभा के अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट एव उनकी पुरी टीम को इस सुंदर,भव्य ,सार्थक कार्यक्रम आयोजन हेतु हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 

० संवाददाता द्वारा ० 

मुंबई -भोजपुरी सिने जगत के चर्चित प्रचारक व पत्रकार संजय भूषण पटियाला को हाल ही में सम्पन्न दो - दो अवार्ड शो में बेस्ट PRO का अवार्ड मिला। उन्हें यह अवार्ड उनके उत्कृष्ट कार्यों और सिनेमा को जन - जन से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए दिया गया। संजय भूषण पटियाला को खेशारी लाल यादव के हाथों जहां लखनऊ में सम्पन्न Befa अवार्ड में बेस्ट PRO का अवार्ड मिला, वहीं मुंबई में आयोजित गोल्डन गर्ल अवार्ड शो में दीपा नारायण के हाथों बेस्ट मीडिया PRO के सम्मान से नवाजा गया। यानी साल 2022 के शुरुआत में ही संजय के काम की सराहना करते हुए इन अवार्ड शो के ज्यूरी ने उन्हें यह सम्मान दिया।

 दोनों अवार्ड शो में मिले सम्मान से संजय भूषण बेहद खुश नजर आए और उन्होंने दोनों अवार्ड शो और उसके ज्यूरी मेम्बर्स का शुक्रिया अदा किया। संजय ने कहा कि जब से मुंबई आया हूँ, और इस प्रोफेशन को चुना है। तब से मैंने सिर्फ अपने काम पर फोकस्ड होकर मेहनत की है। मैं अपने काम को ईमानदारी से करने में विश्वास रखता हूँ, जिसकी बदौलत आज मुझे यहां काम और सम्मान दोनों मिल रहे हैं। मुझे इस बात का गर्व है। उन्होंने कहा कि ये अवार्ड मेरे लिए खुशी और प्रेरणा है। इसके लिए दिल से सबों का आभार।

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर। जयपुर के साहित्य एवं कला प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। इस वर्ष क्लार्क्स आमेर में 10 मार्च से आयोजित होने जा रहे जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) के ऑनग्राउंड सैशंस में कला एवं साहित्य का संगम देखने को मिलेगा। ‘धरती के सबसे बड़े लिटरेरी शो’ का दर्जा हासिल करने वाले जेएलएफ में कला प्रेमियों को ऑथेंटिक आर्ट एक्सपीरियंस प्रदान करने वाले स्टार्टअप्स् राजस्थान स्टूडियो एवं रूफटॉप ऐप भाग लेने जा रहें हैं। यह जानकारी राजस्थान स्टूडियो एवं रूफटॉफ ऐप के संस्थापक एवं सीईओ, श्री कार्तिक गग्गर ने दी।
टीमवर्क आर्ट्स के वाईस प्रेसीडेंट सूरज ढ़ींगरा ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि आर्ट वर्कशॉप्स के ऑफिशियल पार्टनर के तौर पर राजस्थान स्टूडियो इस वर्ष जेएलएफ से जुड़ गया है। जेएलएफ के 15वें संस्करण में आने वाले साहित्य प्रेमी विजिटर्स के लिए राजस्थान स्टूडियो द्वारा क्रियेटिव एक्टिविटी के तौर पर विभिन्न मास्टरक्लास आर्ट वर्कशॉप्स आयोजित करवाई जायेगी। विश्व के सबसे बड़े साहित्य के मंच पर भारत की पारम्परिक कलाएं सीखने को मिलेगी इससे बेहतर और कुछ अनूठा हो ही नहीं सकता।

 गग्गर ने कहा कि जेएलएफ जैसे विश्व प्रसिद्ध प्लेटफार्म का हिस्सा बनना हमारे लिए दिवास्वप्न के साकार होने के समान है। हमारे लिए यह बेहद गर्व की बात है कि जेएलएफ के मंच पर राजस्थान स्टूडियो से जुडे़ नेशनल लेवल के अवार्डेड ऑर्टिस्ट्स से कला के विभिन्न स्वरूप सीखने को मिलेंगे। कार्तिक गग्गर ने आगे जानकारी दी कि जेएलफ के एफओएफ एंड डेलिगेट लाउंज में 11 मार्च से 13 मार्च को प्रातः 11 से 6 बजे के मध्य पपेटरी ( पप्पू भाट), मिनिएचर पेन्टिंग ( आशाराम मेघवाल), लाख वर्क ( आवाज़ मोहम्मद), मिनिएचर राईस राईटिंग (सुश्री नीरू छाबड़ा), पेपरमेशी  राकेश व्यास) की वर्कशॉप्स निःशुल्क आयोजित की जायेगी। फेस्टिवल में भाग लेने वाले ऑथर्स, डेलिगेट्स और फ्रैण्ड्स ऑफ द फेस्टिवल (एफओएफ) इन वर्कशॉप्स में भाग ले सकेंगे। आर्ट वर्कशॉप में भाग लेने के लिए रूफटॉप ऐप पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। फेस्टिवल के दौरान वॉलिटियंर्स ऑन द स्पॉट रजिस्ट्रेशन में सहयोग करेंगे।

राजस्थान स्टूडियो एवं रूफटॉप ऐप के संस्थापक एवं सीईओ ने आगे बताया कि जेएलएफ में आने वाले डेलिगेट्स के लिए 11 से 13 मार्च को पपेटरी वर्कशॉप होगी जबकि फ्रैण्ड्स ऑफ द फेस्टिवल के लिए 11 मार्च को पपेटरी, 12 मार्च को मिनिएचर पेन्टिंग एवं लाख वर्क और 13 मार्च को राईस राईटिंग एवं पेपरमेशी वर्कशॉप्स का आयोजन किया जायेगा। इसी प्रकार ऑथर्स के लिए फेस्टिवल के पश्चात् 15 एवं 16 मार्च को मास्टर आर्टिस्ट के रेजिडेंस पर विशेष तौर पर वर्कशॉप का प्रावधान किया जायेगा।

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली - सर ग म मंदिर, दिल्ली एवं प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ द्वारा 58th महा शिव रात्रि, संगीत sammelan दिल्ली के तृवेणी सभागार मे आयोजित किया गया।मुख्य अतिथि  कुमार सुशांत सी एस मिश्र, एवं एन के झा। सर्व प्रथम वेदांश मोहन ने पांच रागो मे निबढ् पंचस्रोत् बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी। कार्य क्रम में अगली प्रस्तुति अजय पी झा ने राग श्याम कल्याण में दी, आप पंडित विश्व मोहन भट्ट के शिष्य है इनके साथ तबले पे साथ दिया हितेंद्र श्रीवास्तव, बहुत ही प्रभाव शाली कार्य क्रम रहा।
अगली प्रस्तुति पंडित छन्नु लाल मिश्र के शिष्य इंद्रेश मिश्र की थी, आपने राग मालकौं स में विलमवित् एवं द्रुत ख्याल की प्रस्तुति दी, आपके साथ तबले पे श्री प्रभा कर पांडे एवं हरमोनिय म पे पंडित देवेंद् वर्मा ने मनो हारी संगत की। संस्था ने पंडित जगदीश मोह का जन्म दिन भी मनाया और उन्हें श्रधा पूर्वक याद किया


0 बिपिन कुमार पाठक ० 

नयी दिल्ली - राज्य सरकारों, केंद्रशासित प्रदेश प्रशासनों और विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को महत्व देने के क्रम में, पर्यटन मंत्रालय ने विभिन्न श्रेणियों में स्वदेश दर्शन पुरस्कारों की शुरुआत की है। ये पुरस्कार योजनाबद्ध उद्देश्यों की उपलब्धि, अभिनव पहल, योजना, डिजाइन और संचालन में स्थिरता संबंधी सिद्धांतों को अपनाने, कुशल परियोजना निगरानी, ​​​​आसपास के क्षेत्र के विकास में निजी निवेश को आकर्षित करने की क्षमता और मनोवांछित संचालन और रखरखाव आदि सुनिश्चित करने के लिए किए गए प्रयासों सहित सर्वोत्तम तौर-तरीकों को प्रदर्शित करेंगे।

सबसे पहले, पर्यटन मंत्रालय ने निम्न श्रेणियों के तहत प्रविष्टियां आमंत्रित करने का निर्णय लिया है: -
i. सर्वश्रेष्ठ टूरिस्ट इंटरप्रिटेशन सेंटर ii. सर्वश्रेष्ठ लॉग हट सुविधा iii. सर्वश्रेष्ठ एमआईसीई सुविधा iv. सर्वश्रेष्ठ कैफेटेरिया v. सर्वश्रेष्ठ क्राफ्ट हाट/स्मारिका शॉप की सुविधा vi. सर्वश्रेष्ठ साउंड एंड लाइट शो vii. सर्वश्रेष्ठ तट विकास (समुद्र तट/नदी/झील )

पर्यटन मंत्रालय ने राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों से अपनी प्रविष्टियां ऑनलाइन दाखिल करने के लिए कहा है। पर्यटन मंत्रालय ने अपनी प्रमुख योजना 'स्वदेश दर्शन' के तहत भारत के 31 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में 5500 करोड़ रुपये से अधिक की 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत 500 से अधिक पर्यटन स्थलों पर पर्यटन संबंधी बुनियादी सुविधाओं का विकास किया गया है।

० निपिन कुमार पाठक ० 

० संवाददाता द्वारा ० 

कोलकाता -  भारत के अग्रणी महिला देखभाल ब्रांड व्हिस्पर® ने अपने #KeepGirlsInSchool अभियान के हिस्से के रूप में 'द मिसिंग चैप्टर' नामक अपनी नई फिल्म लॉन्च की। अपने प्रमुख कार्यक्रम #KeepGirlsInSchool के प्रति ब्रांड की प्रतिबद्धता को संबोधित करने के उद्देश्य से व्हिस्पर ®️ द्वारा अभियान फिल्म मुख्य रूप से यह स्पष्ट करने के लिए डिज़ाइन की गई है कि कैसे एक लड़की की मासिक धर्म की शिक्षा की कमी उसके लापता स्कूल के लापता दिनों में योगदान करती है, एक स्थिति जो भारतीय पाठ्यपुस्तकें में मासिक धर्म शिक्षा की स्पष्ट अनुपस्थिति से बढ़ जाती है।
ऑल-गर्ल्स स्कूल में सेट की गई अभियान फिल्म में युवा लड़कियों को लाल कागज की एक रहस्यमयी पर्ची से गुजरते हुए दिखाया गया है, जो किसी तरह से उनकी जिज्ञासा को शांत करती प्रतीत होती है। कक्षाओं, गलियारों और स्नानघरों में पेपर पास करने के बाद, यह अंततः एक स्कूल असेंबली में भी चक्कर लगाता है। असेंबली के दौरान, लड़कियों में से एक को उसके कब्जे में कागज के साथ पकड़ा जाता है और उससे आगे बढ़ने और कागज पर लिखे विषय घोषित करने की मांग की जाती है। इस बिंदु पर, दर्शकों को यह पता चलता है कि पेपर में वास्तव में मासिक धर्म से संबंधित जानकारी है। दर्शकों को 'पासिंग द पार्सल' के बचकाने खेल के दूरगामी परिणामों का एहसास होता है, जिसमें मासिक धर्म के बारे में खुद को शिक्षित करने वाली लड़कियों पर वास्तविक शैक्षिक सामग्री का अभाव है। इसलिए शीर्षक है - 'द मिसिंग चैप्टर'।

कई लड़कियों के लिए उनका पहला मासिक धर्म सरप्राइज होता है। भारत में, मासिक धर्म की वर्जना आज भी बनी हुई है और युवा लड़कियों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। यह फिल्म इस बात पर जोर देती है कि कैसे मासिक धर्म पर शिक्षा के लिए कलंक और उचित पहुंच की कमी, लड़कियों के स्कूल के दिनों की महत्वपूर्ण संख्या को कम करती है, और ज्यादातर मामलों में अंततः पूरी तरह से स्कूल छोड़ दिया जाता है। । यह हार्दिक, फिर भी शैक्षिक फिल्म स्कूलों में मासिक धर्म की शिक्षा लाने के लिए व्हिस्पर® के मिशन को दोहराती है।

जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को प्रभावित करने वाली महामारी के बावजूद, लड़कियों और महिलाओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जिससे सामाजिक व्यवस्था को हासिल करना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया। . वास्तव में, स्कूल बंद होने से भारत में कई युवा लड़कियों के भविष्य पर असर पड़ा है पर महामारी के कारण मासिक धर्म नहीं रुके। ऐसे अध्ययन हैं जो बताते हैं कि आज भी, 2.3 करोड़ लड़कियां अपने मासिक धर्म शुरू होने पर स्कूल छोड़ देती हैं, और 71% लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं। भारत में किशोरियों की संख्या को पता नहीं है कि मासिक धर्म होता है जब तक कि उनकी मासिक धर्म शुरू नहीं हो जाती। मासिक धर्म की शिक्षा और मासिक धर्म की स्वच्छता की कमी के कारण शिक्षा के नुकसान से घिरी एक और 1 करोड़ लड़कियों को महामारी ने जोड़ दिया है।

मासिक धर्म शिक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने की दिशा में अपने समग्र दृष्टिकोण में, व्हिस्पर® लापता अध्याय का संदेश लाने के लिए पूरे भारत में 25 प्रभावशाली दीवार चित्रों के साथ जमीनी स्तर पर जागरूकता बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रहा है। ये चित्र मधुबनी, भील भोसली आदि जैसे क्षेत्रीय कला रूपों का उपयोग करती हैं। । इसके अलावा, मार्च के पूरे महीने में, व्हिस्पर ® ने अपने उत्पाद पैक की श्रृंखला में 11,000 सीमित संस्करण कवर जोड़े। ब्रांड एंबेसडर भूमि पेडनेकर की विशेषता वाले इन कवरों को युवा लड़कियों की मदद के लिए दिया जा सकता है। वे मासिक धर्म स्वच्छता के महत्व और पैड का उपयोग करने के तरीके को समझते हैं।

इस अभियान के बारे में बात करते हुए अखिल मेश्राम, सीनियर डायरेक्टर, कैटेगरी लीडर, व्हिस्पर®, इंडियन सबकॉन्टिनेंट, प्रॉक्टर एंड गैंबल ने कहा, “व्हिस्पर® में, हम पिछले 25 वर्षों से मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन और मासिक धर्म शिक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। . दो साल पहले शुरू किए गए 'कीप गर्ल्स इन स्कूल' (केजीआईएस) अभियान ने इस प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाया है कि कैसे युवा लड़कियों और उनके परिवारों को मासिक धर्म को वर्जित के रूप में देखने की जरूरत नहीं है। इस साल, केजीआईएस 3.0 को बढ़ाकर , हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि देश में सभी किशोरियों में से 100% को मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में शिक्षित किया जाए ताकि कोई भी लड़की अपनी मासिक धर्म के कारण स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर न हो।”

अभियान के लिए अपना समर्थन साझा करना जारी रखते हुए, भूमि पेडणेकर ने टिप्पणी की, “भारत भर में युवा लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए व्हिस्पर® के #KeepgirlsInSchool अभियान के साथ मिलकर काम करना खुशी की बात है। महामारी ने कई युवा लड़कियों को मासिक धर्म शिक्षा संसाधनों तक जागरूकता और पहुंच प्राप्त करने से रोका है, जिससे उन्हें यह समझने में मदद नहीं मिली कि उनके शरीर में क्या चल रहा है । मुझे खुशी है कि अपने तीसरे वर्ष में, #KeepgirlsinSchool उनके शैक्षिक अनुभव में इस असंतुलन को संबोधित कर रहा है, और मुझे उम्मीद है कि हम एक साथ देश भर में युवा लड़कियों को उनके शरीर और उनके मासिक धर्म स्वास्थ्य को समझने में मदद कर सकते हैं जो मिसिंग चैप्टर के बारे में जागरूकता बढ़ा सकते हैं।

अभियान के बारे में बोलते हुए, राजदीपक दास, सीईओ और मुख्य रणनीति अधिकारी - दक्षिण एशिया, लियो बर्नेट ने कहा, "इस साल प्रोजेक्ट मिसिंग चैप्टर एक महत्वपूर्ण पहलू को संबोधित करता है कि क्यों 5 में से 1 लड़की स्कूल छोड़ देती है - मासिक धर्म की शिक्षा नहीं। मासिक धर्म स्वच्छता पर एक सरल अध्याय इन लड़कियों के लिए बहुत बड़ा प्रभाव डाल सकता है। हमारी फिल्म बताती है कि कैसे तीन लड़कियां, एक प्रतीकात्मक लाल कागज से लैस होकर मासिक धर्म स्वच्छता पर जानकारी और जागरूकता फैला रही हैं। व्हिस्पर® ह्यूमनकाइंड ब्रांड का एक आदर्श उदाहरण है, और हमें इस मिशन पर उनके साथ काम करने पर बहुत गर्व है।" अखिल ने आगे कहा, "स्कूली पाठ्यक्रम में मासिक धर्म की शिक्षा को अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए कहकर, 'द मिसिंग चैप्टर' का उद्देश्य जमीन पर वास्तविक प्रभाव डालना है। साथ में, हम मासिक धर्म की धारणा को शर्मनाक से ताकत और गर्व में बदल सकते हैं। “व्हिस्पर ® को इस बदलाव में सबसे आगे रहने पर गर्व है।

भारत में मासिक धर्म के बारे में सोच की गरीबी एक गंभीर समस्या है। दुनिया भर में महिलाएं मासिक धर्म का अनुभव करती हैं, और फिर भी यह अक्सर जटिलताओं के साथ होती है। भारत में, मासिक धर्म से जुड़ा कलंक और शर्म इसके लाखों नागरिकों को स्वतंत्र, पूर्ण, मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ जीवन जीने से रोकता है। मासिक धर्म स्वास्थ्य के आसपास इस वर्जना से छुटकारा पाने के लिए, युवा लड़कियों का जीवन और भारत में 100% मासिक धर्म स्वच्छता को अपनाने के लिए व्हिस्पर® महिलाओं की भलाई में सुधार के लिए एक मजबूत ताकत के रूप में खड़ा है।

० योगेश भट्ट ० 

देहरादून। गोवा में आयोजित हुए इंडिया ट्रेवल मार्ट (आईटीएम) के वार्षिक संस्करण में उत्तराखंड पर्यटन विभाग के स्टॉल को साहसिक पर्यटन और होम स्टे पर्यटन के लिए बेस्ट स्टॉल के अवार्ड से नवाजा गया। स्टॉल के माध्यम से उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने आईटीएम में प्रदेश के अनूठे पर्यटन स्थल व आकर्षक पैकेज की जानकारी उपलब्ध कराई। मार्ट में उत्तराखंड सहित गोवा, उड़ीशा और गुजरात पर्यटन, ट्रैवल एजेंट और पैन इंडिया से टूर ऑपरेटर, होटल व्यवसायी ने प्रतिभाग किया।

गोवा में ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत, देखो अपना देश” थीम पर आधारित तीन दिवसीय इंडिया ट्रैवल मार्ट का  समापन हुआ। इसका उद्देश्य लोगों को एक साथ लाना और घरेलू पर्यटन के साथ इन बाउंड व आउट बाउंड पर्यटन को एक अलग शैली में बढ़ावा देना है। स्टॉल के माध्यम से उत्तराखंड में होने वाली स्कीइंग, पैराग्लाइडिंग, बंजी जंपिंग, राफ्टिंग, माउंटेनियरिंग जैसे साहसिक खेलों के साथ ही नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों की जानकारी दी गई। 

यूटीडीबी के उप निदेशक योगेंद्र कुमार गंगवार ने कहा कि तीन दिवसीय कार्यक्रम में उत्तराखंड पर्यटन की ओर से स्टॉल लगा पर्यटकों और पर्यटन से जुड़े कारोबारियों को विभिन्न माध्यमों के बारे में जानकारी दी गई, जो उत्तराखंड आने पर उनकी मदद करेगी। कार्यक्रम के समापन के मौके पर उत्तराखंड पर्यटन विभाग के स्टॉल को बेस्ट स्टॉल के अवार्ड से नवाजा गया। कोरोना काल के बाद उत्तराखंड में पर्यटन गतिविधियों को सुरक्षित ढंग से संचालित करने के लिए विभाग प्रतिबद्ध है। जिससे पर्यटन क्षेत्र के हुए नुकसान को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके।


० योगेश भट्ट ० 

देहरादून। राजभवन में हर साल आयोजित होने वाला वसंतोत्‍सव-2022 आगामी आठ और नौ मार्च को आयोजित किया जाएगा। वसंतोत्‍सव की शुरुआत उत्‍तराखंड के लोकपर्व फूलदेई से की जाएगी। देहरादून स्थित राजभवन में ओयाजित बैठक में यह फैसला लिया गया।

यह बैठक राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस दौरान बताया गया कि दून के विभिन्न चौराहों पर फूलों के गुलदस्ते बेचने वाले छोटे कारीगर भी उत्सव में प्रतिभाग कर सकेंगे। उत्सव में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्तराखंड के स्थानीय भोजन की व्यवस्था भी रहेगी। इस दौरान मशरूम, शहद उत्पादन, जड़ी-बूटी, जैविक खेती आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पांच ब्रांड अम्बेसडर को राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया जाएगा। उत्‍सव में शहद उत्पादन, इत्र, ऐरामेटिक पौधों, औषधीय जड़ी-बूटी, जैविक खेती आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पांच ब्रांड अम्बेसडर को राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया जाएगा। उत्‍सव में शहद उत्पादन, इत्र, ऐरामेटिक पौधों, औषधीय जड़ी बूटियों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर,आर्टिस्ट कम्यूनिटी ‘द सर्किल‘ के लिये मथुरा की पारम्परिक कला पर आधारित सांझी पेपर कटिंग आर्ट वर्कशॉप में प्रतिभागी कलाकारों ने मोरपंख बनाये। रूफटॉप ऐप द्वारा आयोजित एवं राजस्थान स्टूडियो द्वारा प्रस्तुत इस वर्कशॉप का संचालन कोलकाता के डॉ. मंथन कुमार दास द्वारा किया गया। इस वर्कशॉप का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव - सेलिब्रेटिंग इंडिया एट 75 के तहत किया गया था।

इस अवसर पर डॉ. मंथन ने जानकारी दी कि भारत में वर्तमान में इस आर्ट पर बहुत ही कम कलाकार काम कर रहें हैं। यह आर्ट चीन में बहुत प्रसिद्ध है। वर्कशॉप के दौरान उन्होंने पेपर शीट पर बने हुए मोरपंख की स्कैल्पल की सहायता से इनसाईड-आउट स्टाईल में कटिंग की। बैस के तौर पर उन्होंने कटिंग मैट का उपयोग किया। उन्होंने बताया कि इस आर्ट में अत्यधिक डेडिकेशन और कान्सन्ट्रैशन की आवश्यकता होती है।

उल्लेखनीय है कि मथुरा की सांझी पेपर कटिंग आर्ट एक ऐसा अनूठा शिल्प है जिसमें कागज की कटिंग करके आकर्षक डिजाइन और मॉटिफ पैटर्न्स बनाये जाते हैं। इस प्रक्रिया में क्राफ्ट्समैन विशेष रूप से डिज़ाइन की गई कैंची का उपयोग करते हैं। लोककथाओं के अनुसार इस कला की उत्पत्ति राधाजी ने की थी। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को लुभाने के लिए फूल, पत्तियों और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके सांझी रंगोली बनाई थी। राधाजी का अनुसरण करके अन्य गोपियों ने भी श्रीकृष्ण को प्रभावित करने के लिए आकर्षक डिजाइन भी बनाईं थी। सांझी कला तब से ही लोकप्रिय है। मुगल काल में इस आर्ट में समसामयिक तत्वों को जोड़ा गया। हाल ही में सांझी आर्ट का उपयोग दिल्ली मेट्रो स्टेशन्स पर और कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान पिक्टोग्राम के रूप में किया गया था।  डॉ. मंथन कुमार दास एक पेशेवर चिकित्सक है जो वर्तमान में मैक्सिलोफेशियल सर्जरी में एमडीएस कर रहे हैं

० योगेश भट्ट ० 

 नयी दिल्ली - मोबाइल पर गेम खेलने के दीवानों को गेमिंग का जबर्दस्त अहसास कराने के लिए मोबा एक बेहद लोकप्रिय फॉर्मेट है। लेकिन गेमिंग के नए शौकीनों के लिए मोबा का मतलब “मल्टीप्लेयर ऑनलाइन बैटल एरीना” है। मोबा का प्रारूप दर्शकों को बेहद दिलचस्प मोबाइल गेमिंग के माहौल में डूबने का शानदार अनुभव प्रदान करता है। भारत में मोबा गेम्स की बढ़ती लोकप्रियता में क्लैश ऑफ टाइटन्स ने प्रमुख भूमिका निभाई है। यह मोबाइल डिवाइसेज के लिए विकसित सबसे पहला इंडियन मल्टीप्लेयर ऑनलाइन बैटल एरीना (मोबा) गेम है। देश में मोबाइल गेमिंग के फलते-फूलते माहौल को देखते हुए यह गेम एंड्रॉयड और आईओएस डिवाइसेज के लिए खासतौर से विकसित किया गया। 

क्या आपने कभी सोचा है कि मोबा गेम्स इतने लोकप्रिय क्यों हैं, भारत में मोबा की शानदार सफलता के पीछे कौन सा जादू है। मोबा की इस लोकप्रियता के पीछे चार प्रमुख कारण हैं।  सिंपल फॉर्मेट :  मोबा गेम्स जैसे क्लैश ऑफ टाइटन्स का सीधा-सादा फॉर्मेट है, जहां दो टीमें विपक्षी टीम के किले को ध्वस्त करने के उद्देश्य से एक दूसरे से मुकाबला करती हैं। इसके ओवरऑल व्यू के चलते खिलाड़ी एक नजर में यह देख सकते हैं कि गेम में लड़ाई कैसी चल रही है। क्लैश ऑफ टाइटन्स जैसे गेम्स को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि खिलाड़ियों को अपने मोबाइल या डिवाइस से गेम के करैक्टर्स को कंट्रोल करने और गेम में डूबने के लिए हाथ की केवल दो उंगलियों का इस्तेमाल करने की जरूरत होती है। इसे खेलना बहुत आसान और वाकई मनोरंजक है।

-हीरो वैरिएंट और कैरेक्टर्स : मोबा गेम्स आपको ढेर सारे हीरोज और करैक्टर्स ऑफर करता है, जिसमें से आप अपना पसंदीदा करैक्टर चुन सकते हैं, जिससे गेम बेहद आकर्षक और मनोरंजक बन जाता है। गेम में आपका स्किल लेवल चाहे जो हो. आप इसमें हमेशा कुछ ऐसै हैरतअंगेज करैक्टर्स पाएंगे, जो गेम को और ज्यादा आकर्षक और मजेदार बना दें। क्लैश ऑफ टाइटन्‍स में 56 टाइटन्स पेश किए गए हैं, जिनकी अपनी-अपनी क्षमताएं हैं। इन्हें टैंक्स, वॉरियर्स, असेसिन्स, मेग्स, मार्क्समैन और कई अलग अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है।  

फ्री टु प्ले-क्लैश ऑफ टाइटन्स गेम खेलने में कोई चार्ज नहीं लगता। यह मोबा फॉर्मेट के रोमांच से भरपूर है। इसमें आपको गेटकीपिंग से संबंधित कोई गेमिंग फीस नहीं देनी पड़ती। चाहे आप मोबाइल गेमिंग की दुनिया के नए खिलाड़ी हों या प्रोफेशनल हों, आप कहीं भी किसी भी समय अपने दोस्तों के साथ इसे खेल सकते हैं। इसके लिए आपको कोई फीस नहीं देनी पड़ेगी। रोज लॉगइन करने वाले गेमर्स को फ्री टाइटन्स और दूसरे आकर्षक पुरस्कार दिए जाएंगे। 

.बेहद सामाजिक- मोबा गेम्स दुश्मन के किले को नष्ट करने के लिए अपने स्पेशल टाइटन के कौशल और विशेषताओं का फायदा उठाने के लिए साथ मिलकर काम करने और आपस में मेलजोल बढ़ाने की अनुमति देते हैं। खिलाड़ी यह गेम खेलने के लिए अपने दोस्तों को आमंत्रित कर सकते हैं और टीम बना सकते हैं, जिससे वह साथ मिलकर इस गेम का मजा उठा सकें। मोबा ग्लोबल ऑनलाइन कम्युनिटीज भी बनाती है, जिसमें दुनिया भर के प्लेयर्स एक साथ आएं और आपस में साझा रिश्ता बनाएं। , गेम्स में लोगों को साथ लाने और उनका आपस में गहरा रिश्ता जोड़ने की ताकत है। क्लैश ऑफ टाइटन्स जैसे गेम्स इसका परफेक्ट उदाहरण है।



० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर - मंजूषा आर्ट की सहायता से बच्चों को आसानी से ड्राइंग एवं पेंटिंग और मॉइथोलॉजिकल वेल्यूज सिखाई जा सकती है। भुवनेश्वर की कलाकार रोजाली पांडा ने आर्टिस्ट कम्यूनिटी ‘द सर्किल‘ के लिये आयोजित मंजूषा पेंटिंग वर्कशॉप में यह बात कही। राजस्थान स्टूडियो द्वारा प्रस्तुत यह वर्कशॉप आजादी का अमृत महोत्सव - सेलिब्रेटिंग इंडिया एट 75 के तहत रूफटॉप ऐप द्वारा आयोजित की गई।

वर्कशॉप में रोजाली पांडा ने सर्वप्रथम ए4 पेपरशीट ले कर उसमें बॉर्डर बनाई और लाईन एवं कर्व की सहायता से बिहुला और विषहरी की लोककथा पर आधारित चित्र बनाये और उनमें रंग भरे। उन्होंने बताया कि मंजूषा पेंटिंग में काले रंग का प्रयोग नहीं किया जाता। इसमें गुलाबी, हरे और पीले रंगों का प्रयोग किया जाता है। वर्कशॉप के दौरान कलाकार रोजाली ने बताया कि मंजूषा पेंटिंग को भारतीय इतिहास में एकमात्र ऐसी कला शैली के रूप में जाना जाता है जिसमें कहानी का क्रमिक प्रदर्शन होता है। इसे स्क्रॉल पेंटिंग भी कहा जाता है।

रोजाली ने आगे बताया इस कला का उद्गम बिहुला और विषहरी की लोककथा से हुआ है। यह विषहरी पूजा के धार्मिक महत्व को भी प्रदर्शित करती है। इस पेंटिंग में पाँच प्रकार की बॉर्डर होती हैं - लहरिया, बेलपत्र, सर्प की लडी, त्रिभुज और मोखा। 7वीं शताब्दी की यह आर्ट अंग प्रदेश (भागलपुर, बिहार) मंे बेहद प्रचलित है। सिंधु घाटी सभ्यता में भी इस कला के ऐतिहासिक प्रमाण मिले हैं।

० संवाददाता द्वारा ० 

श्री सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चुरु जिले में स्थित है। सालासर बालाजी का मेला भक्तों के लिए एक त्योहार के समान महत्व रखता है। ये मेला चैत्र (मार्च-अप्रैल) और अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) के मास में आयोजित किया जाता है। करीब दस-पंद्रह दिन के इस मेले में देश-विदेश से लोग आते हैं। यह विदेशी लोगो के बीच भी बेहद लोकप्रिय है। दूर-दराज से लोग मन्नत मांगने और नारियल चढ़ाने आते है। नितिन पुजारी जी पूरी श्रद्धा के साथ अपने बालाजी की सेवा में लगे हुए हैं। वे मिट्ठू पुजारी के पुत्र हैं, एवम कनीराम जी के वंशज हैं। अपने प्रेरणादयक भाषण और मंदिर के लिए किए गए कार्यों की वजह से, नितिन पुजारी ने भक्तों के दिल में एक खास जगह बनाई है। वह सालासर के एक जाने-माने चेहरों में से एक है। समाज के प्रति उनके किए गए कार्यों की वजह से उन्हें संसद में भी नवाजा गया है। भारत सरकार ने उन्हें एक शॉल के साथ नवाजा है। नितिन पुजारी ने सालासर मंदिर के बनने के पीछे की पूरी कहानी हमें बताई।
बहुत साल पहले पंडित सुखराम जी सालासर में निवास करते थे। भी वहां अपनी पत्नी कांहीबाई के साथ रहा करते थे। कुछ सालों बाद परमपिता परमेश्वर ने उन्हें एक पुत्र के रूप में आशीर्वाद दिया। उन्होंने उसका नाम श्री उदय राम रखा। जब उदय राम 5 वर्ष के हुए, तब पंडित सुखराम जी की मृत्यु हो गई। कांहीबाई के ऊपर एक बच्चे की जिम्मेदारी थी और वह बिल्कुल अकेली थी। उन्होंने अपने पिता के घर रहने का फैसला किया। उनके पिता का घर रूल्याणी गांव में स्थित था। जब पंडित उदय राम समझदार हो गए तब कांहीबाई ने सालासर वापस आने का निर्णय लिया। उनके पिता पंडित लच्छी राम उनके लिए चिंतित थे। उन्होंने अपने सबसे छोटे बेटे को उनके साथ भेज दिया। पंडित मोहन दास अपनी बहन के साथ सलासर आ गए। वह भगवान हनुमान के भक्त थे। वो अपना जीवन उनके चरणों में बिताना चाहते थे एवम ब्रह्मचार्य अपनाना चाहते थे।

एक दिन पंडित उदयराम और पंडित मोहन दास खेत में हल जोत रहे थे। मोहन दास की पकड़ कुल्हाड़ी से छूटने लगी। कुल्हाड़ी उनके हाथों से बार बार गिर रही थी। उन्होंने इसके बारे में उदय राम को बताया। पंडित मोहन दास इसको आध्यात्मिकता से जोडके देख रहे थे। उनका पूर्णतया विश्वास था कि यह उनके प्रभु हनुमान की लीला है। उदय राम ने यह बात अपनी माता कान्हिबाई को बताई। उन्हें अपने भाई की चिंता होने लगी। वह नहीं चाहती थी कि वह आध्यात्मिकता के रास्ते पर जाकर दुनिया से अलग हो जाए। उन्होंने उनकी शादी के लिए कन्या का चयन करना शुरू किया। गांव में शगुन लेकर जाने वाला नाई होता है। जब वह नाई कन्या के घर शगुन ले कर के जा रहा था तभी पंडित मोहन दास ने एक भविष्यवाणी की। उन्होंने कहा कि जिस कन्या के घर शगुन जा रहा है उसकी मृत्यु हो जाएगी। उनका कहा हुआ यह वाक्य पूर्णता है सत्य साबित हुआ। उसके बाद पंडित मोहन दास को सभी लोग एक साधु संत के रूप में देखने लगे।

फिर मोहनदास अपने प्रभु हनुमान की भक्ति में लीन हो गए। वह काफी दिनों तक जंगल में जाकर तपस्या करते थे। उनका केवल एक ही उद्देश्य था अपने ग्रुप हनुमान के चरणों में आजीवन अर्पित करना। एक दिन वह अपनी बहन कान्हीबाई के साथ भोजन कर रहे थे। तभी दरवाजे पर एक आवाज सुनाई दी 'अलख'। कहानी भाई जैसे ही उस भिक्षुक को भोजन देने के लिए बाहर गई, वो वहां से गायब हो गए। पंडित मोहन दास को पूर्णतया विश्वास हो गया कि वह उनके प्रभु हनुमान ही थे। वो नंगे पैर बाहर जाकर उन्हें बहुत देर तक खोजते रहे परंतु कुछ नहीं मिला। मोहनदास बेहद उदास हो गए परंतु वह हमेशा की तरह अपनी तपस्या में लीन रहे।

दो मास उपरांत वही आवाज दरवाजे पर सुनाई दी। कांहीबाई ने आवाज को पहचान लिया। उन्होंने तुरंत मोहनदास को अवगत कराया। मोहनदास उनके पीछे भागे भागे जंगल की तरफ गए। एक जगह पर आकर वह भिक्षुक रुक गए। मोहनदास ने देखा की उस भिक्षुक का चेहरा बेहद चमकदार एवं पवित्र था। उन्होंने दाढ़ी एवं मुछ रखी हुई थी और उनके हाथों में एक छड़ी थी। मोहनदास को दर्शन देकर वह भिक्षुक आगे बढ़ने लगे। मोहनदास उनके पीछे पीछे भागे। हनुमान जी ने उनसे पूछा कि, "तुम्हें क्या चाहिए भक्त"। मोहनदास समझ गए कि यह उनकी परीक्षा है। वह उनके चरणों में गिर गए। उन्होंने कहा कि, "हे प्रभु, मैं संतुष्ट एवं खुश हूं। मुझे किसी वर की इच्छा नहीं है।" मोहनदास ने उनसे आग्रह किया कि वे उनके साथ उनके घर चलें। हनुमान जी ने उनके इस आग्रह को स्वीकार किया। उन्होंने उनके घर जाकर भोजन किया व एक अछूत चारपाई पर विश्राम किया। उसके बाद हनुमान जी गायब हो गए।

उनके एक दर्शन मात्र ने मोहनदास को वरदान दे दिया। उन्होंने हनुमान जी से रोज दर्शन की का आग्रह भी किया। अपने प्रिय भक्त के आग्रह तो प्रभु कैसे अस्वीकार कर पाते। मोहनदास चाहते थे कि हनुमानजी एक पल भी उनसे दूर ना हो। हनुमान जी ने भी मोहन दास की इच्छा अनुसार उन्हें दर्शन दिए। उन्होंने मोहनदास से एक वचन दिया कि वह सालासर में श्री बालाजी महाराज के रूप में स्थापित होंगे। मोहनदास ने अपनी तपस्या व पूजा जारी रखी। वह उस दिन का इंतजार करते रहे जिस दिन उनके हनुमान जी हमेशा उनके साथ होंगे।

फिर एक दिन असोता गांव के ठाकुर मोहनदास जी से मिलने आए। उन्होंने उनसे सेवा का आग्रह किया वह पूछा कि वह उनके लिए क्या कर सकते हैं। मोहन दास जी ने उनसे एक अच्छे मूर्ति चित्रकार के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि वह हनुमान जी की एक बेहद अच्छी मूर्ति चाहते हैं। ठाकुर ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वह उनकी यह इच्छा जरूर पूरी करेंगे। इतना कहकर वह अपने गांव वापस चले गए। एक दिन आसोता गांव में एक किसान का हल खेती करते वक्त अटक गया। जब उसने वहां खुदाई शुरू की तो वहां उसे हनुमान जी की मूर्ति मिली। उसने इस बारे में ठाकुर को अवगत कराया। उसी रात ठाकुर के सपने में हनुमानजी ने दर्शन दिए, उन्होने बताया कि वह मूर्ति मोहन दास के लिए है। ठाकुर यह सुनके बेहद खुश हुआ और अगले ही दिन गांव के कुछ लोगो के साथ भजन कीर्तन करते हुए सालासर के लिए प्रस्थान किया।

जिस दिन वह मूर्ति स्थापित हुई, वो दिन सम्वत १८११ (1811) में था। यही कारण था कि वहां सालासर बालाजी का मंदिर भी संवत 1815 में बनाया गया। उस मूर्ति को उसी रूप में सजाया गया जिस तरह से मोहनदास के हनुमान जी ने उन्हें पहली बार दर्शन दिए थे। मंदिर के निर्माण के कुछ समय पश्चात मोहनदास ने सारी शिक्षा दीक्षा उदय राम को देखकर मंदिर और मूर्ति की जिम्मेदारी उसे दे दी। सम्वत 1811 में वहां अमर ज्योत जलाई गई जो कि आज भी उसी रूप में अनंत में जल रही है।मोहन दास ने संवत 1850 में जीवित समाधि ले ली। वो बैसाख त्रियोदशी का दिन था। मोहनदास के श्राद्ध वाले दिन सालासर बालाजी में एक उत्सव का आयोजन होता है। वह पित्र पक्ष त्रयोदशी का दिन था। श्री सालासर बालाजी महाराज का मंदिर आज भारत के हिंदुओं के लिए धाम स्वरूप है। आज नितिन पुजारी श्रद्धालुओं को प्रेरित करने में बेहद अच्छा योगदान दे रहें है। वो लोगो का उनके भगवान में विश्वास पुनः स्थापित कर रहे हैं। चाहे वह ऑनलाइन दर्शन हो या गौ माता की सेवा, नितिन पुजारी हर वक्त लोगो को प्रेरित करने का काम कर रहें है।

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