जयपुर,आर्टिस्ट कम्यूनिटी ‘द सर्किल‘ के लिये मथुरा की पारम्परिक कला पर आधारित सांझी पेपर कटिंग आर्ट वर्कशॉप में प्रतिभागी कलाकारों ने मोरपंख बनाये। रूफटॉप ऐप द्वारा आयोजित एवं राजस्थान स्टूडियो द्वारा प्रस्तुत इस वर्कशॉप का संचालन कोलकाता के डॉ. मंथन कुमार दास द्वारा किया गया। इस वर्कशॉप का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव - सेलिब्रेटिंग इंडिया एट 75 के तहत किया गया था।
इस अवसर पर डॉ. मंथन ने जानकारी दी कि भारत में वर्तमान में इस आर्ट पर बहुत ही कम कलाकार काम कर रहें हैं। यह आर्ट चीन में बहुत प्रसिद्ध है। वर्कशॉप के दौरान उन्होंने पेपर शीट पर बने हुए मोरपंख की स्कैल्पल की सहायता से इनसाईड-आउट स्टाईल में कटिंग की। बैस के तौर पर उन्होंने कटिंग मैट का उपयोग किया। उन्होंने बताया कि इस आर्ट में अत्यधिक डेडिकेशन और कान्सन्ट्रैशन की आवश्यकता होती है।
उल्लेखनीय है कि मथुरा की सांझी पेपर कटिंग आर्ट एक ऐसा अनूठा शिल्प है जिसमें कागज की कटिंग करके आकर्षक डिजाइन और मॉटिफ पैटर्न्स बनाये जाते हैं। इस प्रक्रिया में क्राफ्ट्समैन विशेष रूप से डिज़ाइन की गई कैंची का उपयोग करते हैं। लोककथाओं के अनुसार इस कला की उत्पत्ति राधाजी ने की थी। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को लुभाने के लिए फूल, पत्तियों और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके सांझी रंगोली बनाई थी। राधाजी का अनुसरण करके अन्य गोपियों ने भी श्रीकृष्ण को प्रभावित करने के लिए आकर्षक डिजाइन भी बनाईं थी। सांझी कला तब से ही लोकप्रिय है। मुगल काल में इस आर्ट में समसामयिक तत्वों को जोड़ा गया। हाल ही में सांझी आर्ट का उपयोग दिल्ली मेट्रो स्टेशन्स पर और कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान पिक्टोग्राम के रूप में किया गया था। डॉ. मंथन कुमार दास एक पेशेवर चिकित्सक है जो वर्तमान में मैक्सिलोफेशियल सर्जरी में एमडीएस कर रहे हैं
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