Halloween Costume ideas 2015
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० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली: देश की सेना को दिए जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार परमवीर चक्र देश के उन वीर सपूतों को दिया जाता है जो अपने अदम्य साहस  और जानी की बाजी लगाकर देश के लिए मर मिटते हैं। इस गणतंत्र दिवस आप  अपने परिवार और बच्चों के साथ  उन वीर शूरवीरों योधाओं की कहानी फोजियों की जुबानी सुन सकते हैं, जिन्होनें अपनी जान पर खेलकर देश की रक्षा की और उन्हें देश के सर्वोच्च पुरस्कार परमवीर चक्र से नवाजा गया।

कर्नल गौतम ऋषिराज  द्वारा लिखित और लेफ़्टिनेंट कर्नल संजय शर्मा की आवाज में स्टोरीटेल ऑडियोबुक प्लेटफार्म पर 26 जनवरी को 21 एपिसोड में 21 वीर योद्धा जिन्हें देश के सर्वोच्च सैन्य पदक परमवीर चक्र से नवाजा गया सुन सकते हैं।यह ऑडियो सीरीज  परमवीर चक्र हासिल करने वाले 21 जांबाज फौजियों की हैरतअंगेज गाथा है। 1947 में देश के पहले परमवीर चक्र से नवाजे जाने वाले मेजर सोमनाथ शर्मा-4 कुमाऊं रेजिमेंट से लेके  1999 में कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले कैप्टेन विक्रम बत्रा,13 बटालियन ,जम्मू कश्मीर राइफल्स तक 21  वीर फौजियों की  शौर्य की गाथा इस सीरीज में सुन सकते हैं।

इस ऑडियो सीरीज के लेखक कर्नल गौतम ऋषिराज ने 21 परमवीर चक्र विजेताओं की गाथाओं को लिखने पर अपने अनुभव साझा करते हुए कहा ““कैप्टन विक्रम बत्रा और मनोज कुमार पांडेय मेरे दोस्त थे और मेरे लिए उनकी गाथा को कागज में लिखना काफी भावुक क्षण रहा था। प्रथम परमवीर चक्र  विजेता सोमनाथ शर्मा कुमाऊँ रेजिमेंट के फोर्थ बटालियन से थे और मै भी उसी बटालियन से हूँ,और वो हमारे लिए भगवान सवरूप रहे हैं।” आगे उन्होंने कहा “ वैसे  परमवीर चक्र पुरस्कृत  वीरों पर पहले भी कई सीरियल, फ़िल्में और किताबें लिखी जा चुकी हैं. जिन लोगों ने परमवीर चक्र विजेताओं के बारे में  विस्तार से जाना नही, पढ़ा नही है, उनके लिए यह एक तौहफा है की वे चलते फिरते और काम करते देश की इन अद्भुत जाबाजों के बारे सुन सकें।”

इस ऑडियो सीरीज को अपनी आवाज देने वाले लेफ़्टिनेंट कर्नल संजय शर्मा ने कहा “मेरे लिए यह एक नया अनुभव था मै खुद सेना से हूँ लेकिन सच्चाई यही है कि अक्सर समय के साथ-साथ  हम लोग अपने हीरों को भी भूल जाते हैं। ये सब अनसंग हीरो थे , ज्यादातर लोग आज भी इन योधाओं के बारे में नही जानते हैं। मैं अपने आप में गर्व महसूस कर रहा हूँ कि मेने अपनी आवाज इस सीरीज को दी है और मेरे लिए यह अनुभव  रोंगटे खड़े करने वाला था।”


० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर  असम के वरिष्ठ कलाकार मृदु बोरा ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का पारम्परिक ‘मेन्यूस्क्रिप्ट पेंटिंग‘ लोक कला के माध्यम से बेहतरीन प्रदर्शन किया। मृदु बोरा आर्टिस्ट कम्यूनिटी ‘द सर्किल‘ के लिये निःशुल्क आयोजित ‘असमीज मेन्यूस्क्रिप्ट पेंटिंग‘ वर्कशॉप का संचालन कर रहे थे। रूफटॉप ऐप द्वारा आयोजित एवं राजस्थान स्टूडियो द्वारा प्रस्तुत इस वर्कशॉप का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव - सेलिब्रेटिंग इंडिया एट 75 के तहत किया गया। 

वर्कशॉप में मृदु बोरा ने सर्वप्रथम माखन चुराते हुए भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला को पेपरशीट पर ड्रा किया। इसके बाद उन्होंने पेंटिंग के आउटर बैक्ग्राउंड में नीला रंग और इनर बैक्ग्राउंड में लाल रंग पेंट किया। उन्हांेने इस आर्ट की जानकारी देते हुए कहा कि ‘मेन्यूस्क्रिप्ट पेंटिंग‘ में रेड बैक्ग्राउंड वाले हिस्से में ही सदैव पेंटिंग के सब्जेक्ट एवं करेक्टर बनाये जाते है। जबकि ब्ल्यू बैक्ग्राउंड को स्पेस मैनेजमेंट के तौर पर उपयोग में लिया जाता है। उन्होंने आगे बताया कि यह पेंटिंग नव वैष्णववाद पर आधारित है। इनमें भगवान विष्णु एवं भगवान श्रीकृष्ण की कथाओं को दर्शाया जाता है। पारम्परिक तौर पर इस कला में चित्रांकन पेड़ की छाल पर किया जाता था, जो कि इसकी मुख्य विशेषताओं में शामिल है। 

उन्होंने आगे बताया कि असमीज मेन्यूस्क्रिप्ट पेंटिंग आर्ट असम और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। संत शंकरदेव द्वारा शुरू किए गए भक्ति आंदोलन से असम चित्रकला स्कूल में भी रिफार्म आया। ब्रिटिश राज और स्वतंत्रता के बाद की अवधि के दौरान, पांडुलिपि चित्रकला पद्धति अपनाने में कमी आई। हालांकि, अब भी कुछ कलाकारों ने अपने समर्पित प्रयासों से इस शैली को जीवित रखा है।

उल्लेखनीय है कि मृदु बोरा को असमिया पांडुलिपि पेंटिंग आर्ट में 20 से अधिक वर्षों का अनुभव है। वे असम की अन्य विभिन्न कला एवं सांस्कृतिक परंपराओं जैसे, मास्क मेकिंग, वुड कार्विंग, टेराकोटा, आदि कलाओं से भी जुड़े हुए हैं। वे एकमात्र जीवित कलाकारों में से एक हैं जिन्होंने शंकरी चित्रकला परंपरा में पांच पांडुलिपियों का चित्रण किया है। वे अपने चित्रों में पारंपरिक और लोक तत्वों का उपयोग करते हैं, उन्हें विलुप्त होने से बचा रहें हैं।




० भवेश चौधरी ० 

नयी दिल्ली - अनूठी पहल 'कला कुंभ' के तहत बनाए गए विशाल और शानदार स्क्रॉल गणतंत्र दिवस 2022 समारोह के लिए राजपथ पर स्थापित किए गए हैं। स्क्रॉल राजपथ के दोनों ओर सुशोभित हैं जो विस्मयकारी दृश्य प्रस्तुत करते हैं। सचिव, संस्कृति, गोविंद मोहन ने राजपथ का दौरा किया और प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया। ये स्क्रॉल देश के विविध भौगोलिक स्थानों से कला के विभिन्न रूपों के साथ राष्ट्रीय गौरव और उत्कृष्टता को व्यक्त करने के साधन के रूप में कला की क्षमता का विश्लेषण करते हैं। ओडिशा और चंडीगढ़ में दो स्थानों पर विशेष कार्यशालाओं या 'कला कुंभ' में भाग लेने वाले 500 से अधिक कलाकारों द्वारा इन पर परिश्रमपूर्वक शोध किया गया और उत्साहपूर्वक चित्रित किया गया।

 गोविंद मोहन ने कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और 750 मीटर लंबा स्क्रॉल संस्कृति मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय की एक अनूठी पहल है। उन्होंने कहा कि शानदार स्क्रॉल को विभिन्न क्षेत्रों के स्थानीय कलाकारों द्वारा चित्रित किया गया है और बड़े पैमाने पर स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों की वीरता की कहानियों को चित्रित किया गया है। सचिव ने समझाया कि इन कलाकारों के विविध कला रूप भी स्क्रॉल में परिलक्षित होते हैं जिन्हें एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची भावना में एक मंच पर एक साथ लाया गया है। गोविंद मोहन ने आगे कहा कि गणतंत्र दिवस के बाद, स्क्रॉल को देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाया जाएगा और वहां आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा।

संस्कृति मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम के अनुरूप इन कार्यशालाओं में सहयोग और सामूहिक कार्य के पहलू को रेखांकित किया गया है। नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, नई दिल्ली ने ओडिशा के भुवनेश्वर में कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और सिलिकॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ सहयोग किया और चंडीगढ़ में चितकारा विश्वविद्यालय के साथ सहयोग किया गया।

कला कुंभ-आजादी का अमृत महोत्सव विविधता में एकता के सार को दर्शाता है, साथ ही प्रगतिशील भारत के 75 साल और इसके लोगों, संस्कृति और इसकी उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को मनाने के लिए भारत सरकार की पहल का विश्लेषण भी करता है।भारत के संविधान में रचनात्मक दृष्टांतों से भी प्रेरणा ली गई है जिसमें नंदलाल बोस और उनकी टीम द्वारा चित्रित कलात्मक तत्वों ने भारत की स्वदेशी कलाओं के कई अभ्यावेदन के साथ एक विशिष्ट अपील प्रदान की है।एक भारत श्रेष्ठ भारत के सच्चे सार का उत्सव इन कार्यशालाओं में दिखाई दिया है जहां भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों के वीरतापूर्ण जीवन और संघर्षों को चित्रित करते हुए हमारे देश की समृद्ध विविधता अपने सांस्कृतिक पहलुओं में देखी गई।

० योगेश भट्ट ० 

देहरादून - नरेंद्र सिंह नेगी के नये गीत में गायिकी संगीत और रिदम में ताजगी लगी। बाकी कुछ समय से नेगी जी लेखनी में जो भी नई रचनाएं आ रही वो स्तरीय तो हैं पर उनके कद अनुरूप नही लगती वर्तमान में गढ़वाली साहित्य में लेखन में नई कथावस्तु साहित्यकार नरेंद्र कठैत लेखन में नजर आती है जिनके एक एक शब्द में साहित्य शिल्प दिखता है बाकी गढ़वाली रचनाएँ मंचीय स्तर की हो रही है।

 बाकी नेगी जी का नया गीत स्तरीय है गीत में जून(चांद) वाली  अंतरा काफी नई लगी  और बारहखड़ी वाली काफी आकर्षक है। गीत फिल्माकंन काफी सुन्दर हुआ है शुभकामनाएं पर नेगी जी नई शिल्प और कथावस्तु अनुरूप की उम्मीद एक बार फिर बनती नाम के अनुरूप । बाकी भविष्य जब सम्पूर्ण आकलन होगा गीतों यह सभी रचनाएँ स्तरीय श्रेष्ठ ही होंगी पर वर्तमान में कुछ समय नेगी जी कलम नया शिल्प नही आया नई रचनाएँ जरूर आ रही हैं । बाकी गीत बहुत मेलोडियस है  हर बार की तरह।शुभकामनाएं

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली : साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित नीलोत्पल मृणाल 21वीं सदी की नई पीढ़ी के सर्वाधिक लोकप्रिय लेखकों में से एक हैं, जिनमें कलम के साथ-साथ राजनैतिक और सामाजिक मुद्दों पर ज़मीनी रूप से लड़ने का तेवर भी हैं। इसीलिए इनके लेखन में भी सामाजिक विषमताएँ, विडंबनाएँ और आपसी संघर्ष बहुत स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होते हैं। लेखन के अलावा लोकगायन और कविताई में बराबर गति रखने वाले नीलोत्पल ने अपने पहले उपन्यास ‘डार्क हॉर्स’ के बरक्स ‘औघड़’ में ग्रामीण भारत के राजनैतिक-सामाजिक जटिलता की गाँठ पर अपनी कलम रखी है। 

इन दो चर्चित उपन्यासों के बाद  नीलोत्पल मृणाल के तीसरे उपन्यास ‘‘यार जादूगर’’ प्रकाशित होते ही ऑडियोबुक में स्टोरीटेल एप्प पर सुनने क़े लिए उपलब्ध है़ जिसे स्वयं लेखक ने अपनी आवाज दी है। लेखक नीलोत्पल मृणाल की मधुर आवाज में उन्हीं क़े लिखे उपन्यास को सुनना ऑडियोबुक प्रशंसको क़े लिए दिलचस्प होगा।

लेखक नीलोत्पल मृणाल ने स्टोरीटेल फेसबुक लाइव पर स्टोरीटेल हिंदी कंटेंट मेनेजर प्रशांत सुमन से बातचीत में कहा ‘कल्प या काल्पनिक  कथा या लेखन में लोग डर के कदम रखते हैं,असल में साहस हमारे पीछे की पीढ़ी ने हमें दी ही नहीं ,मुझे इस दुनिया को यह दिखाना था कि  मैं  एक ऐसा किरदार लिखूं जो इस दुनिया से परे हो। एक काल्पनिक किरदार को दुनिया में खोज कर लाऊं और उसे वर्तमान और यथार्थ के साथ जोड़ दूँ, यार जादूगर उपन्यास एक ऐसी ही कोशिश है़।

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर, पर्यावरण और पेपर रिसाईक्लिंग की दृष्टि से पेपरमेशी आर्ट अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्राचीन काल में यह आर्ट हमारी दैनिक जीवन शैली का एक हिस्सा था। पेपरमेशी आर्टिस्ट, हिम्मत सिंह ने यह बात आर्टिस्ट कम्यूनिटी ‘द सर्किल‘ के लिये आयोजित दक्षिण भारत के पुडुचेरी की पारम्परिक तिरुकनूर पेपरमेशी आर्ट वर्कशॉप में कही। रूफटॉप ऐप द्वारा आयोजित एवं राजस्थान स्टूडियो द्वारा प्रस्तुत इस वर्कशॉप का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव - सेलिब्रेटिंग इंडिया एट 75 के तहत किया गया। उन्होंने आगे बताया कि इस पेपरमेशी से बने बर्तनों में अनाज, आटे, दालों के स्टोरेज में काम लेते थे। पेपरमेशी से डिकोरेटिव प्रोडक्ट, पूजा एवं किचन के सामान भी बनाये जाते हैं।  

वर्कशॉप के दौरान हिम्मत सिंह ने बताया कि सर्वप्रथम कागज को तीन दिन के लिए पानी में भिगो देते हैं। इसके बाद इसके पानी को बदल कर इसे तब तक ब्लेंड करतें हैं जब तक कि इसका पेस्ट ना बन जाए। इस पेस्ट में से गंदगी और स्याही को हटाने के लिए इसके पानी को बदला जाता है। इसके बाद इस पेस्ट में मुल्तानी मिट्टी गुंथ कर डो (daugh) बना लेते है जिसको इच्छानुसार आकृति में ढ़ाल दिया जाता है। 

उल्लेखनीय है कि तिरुकनूर पेपरमेशी शिल्पकला देश के इतिहास में शिल्प की सबसे प्राचीन स्वरूपों में से एक है। फ्रांसीसियों द्वारा इस तकनीक को पुडुचेरी लाया गया था। कागज को मैश करके इसे बनाया जाता है। पुडुचेरी के इस शिल्प को वर्ष 2010 में ज्योग्राफिकल इंडीकेशन टैग मिलने से इसे लोकप्रियता मिली। हिम्मत को पेपरमेशी कला में 20 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्हें इस कला का उपयोग करके खिलौने, आर्ट पीस, बर्तन आदि बनाने में महारत हासिल है। पेपरमेशी तकनीक उन्होंने अपनी दादीसा से सीखी जो इस कला का उपयोग कर दैनिक उपयोग की घरेलू चीजें बनाती थीं।

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर। कोविड की चुनौतियों के बीच, जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का चौदहवां संस्करण 8 देशों की 22 फिल्मों की ऑफ लाइन स्क्रीनिंग के साथ सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। कुल मिलाकर इस पांच दिवसीय फिल्म फेस्टिवल में 52 देशों की 279 फिल्में [ऑफ लाइन तथा ऑन लाइन स्क्रीनिंग] दिखाई गई। कोरोना की दहशत के बावजूद जिफ में 108 फिल्मों की ऑफलाइन स्क्रीनिंग हुई, जिसमें लगभग 70 फिल्मों के फिल्मकार, निर्माता और अभिनेताओं ने शिरकत की।
जिफ के फाउंडर - डायरेक्टर हनु रोज कोरोना काल में भी इस फेस्टिवल को दुनिया भर के फिल्मकारों से मिले प्रोत्साहन को लेकर अति उत्साहित हैं। हनु रोज ने बताया कि वे कोरोना काल में इसके आयोजन को लेकर आशंकित थे, लेकिन फिल्मकारों से मिले अमूल्य सुझावों और समर्थन के आधार पर उन्होंने पिछले साल यह आयोजन पूरी तरह ऑनलाइन करवाया और इस बार हाईब्रिड मोड [ऑन लाइन और ऑफ लाइन] पर करवाया। कोरोना के नियमों को ध्यान में रखते हुए समापन समारोह को रद्द कर उसे उद्घाटन समारोह के साथ ही, पुरस्कार वितरण भी उसी दिन कर दिया गया। ऐसा करके हमने पूरी दुनिया के सामने भारत की ‘शो मस्ट गो ऑन’ की जिजिविशा को बयां किया।

हनु रोज ने कहा कि इस बार समारोह में शिरकत करने आए देश - विदेश के फिल्मकारों और जो नहीं आ पाए, उनसे मिले सुझावों के आधार पर जिफ कमेटी ने अगले साल से इसके दो पृथक संस्करण - ऑफ लाइन और ऑन लाइन, आयोजित करने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि ऑन लाइन संस्करण, ऑफ लाइन संस्करण की तर्ज पर ही होगा, जिसमें वे सभी आयोजन होंगे, जो ऑफ लाइन होते हैं जैसे फिल्म मेकर्स और प्रोड्यूसर्स मीट, फिल्म मार्केट मीट, विभिन्न विषयों पर आधारित टॉक शोज़ और फिल्मों की स्क्रीनिंग तथा कुछ खास फिल्मों की स्क्रीनिंग के तुरन्त बाद उन पर चर्चाएं। ऐसा करने से जो फिल्मकार किसी वजह से उत्सव में शामिल नहीं हो पाएंगे, उन्हें घर बैठे ही वह सब कुछ देखने और समझने को मिलेगा, जो वे यहां आकर देख और समझ पाते।

संस्कृतियों के मेलजोल को बढ़ावा दे रहा है जिफ - गोक्सेल गुलेनसॉय [टर्की]
मेरी फिल्म मेरी मदर – इन – लॉ सदन हानिम को अल्जाइमर्स के दौरान हुए दुखद अनुभवों और धीरे धीरे याद्दाश्त खोते जाने के समय को दर्ज करती है। इस मुश्किल वक्त को डॉक्यूमेंट करना कठिन था, और फिल्म बनने के बाद स्पॉन्सर्स तलाशना और भी मुश्किल, और अब हमारी फिल्म जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल [जिफ] में ना सिर्फ दिखाई गई, बल्कि इसे कई पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया। सच कहूं, जिफ में मेरा अनुभव शानदार रहा है और उनका प्रबंधन काबिले तारीफ़ रहा है। फिल्म निर्देशकों और निर्माताओं के लिए इस तरह के फिल्म समारोह बहुत ज़रूरी हैं, चूंकि इससे कई देशों की संस्कृतियों का मेलजोल होता है।

गोक्सेल गुलेनसॉय [टर्की], निर्देशक सदन हानिम [बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर अवॉर्ड से सम्मानित]
जिफ के ज़रिए जयपुर बन रहा है देश की फिल्म कैपिटल - नीरज ग्वाल
मैने फिल्म मेकिंग के लिए कोई फॉर्मल कोर्स नहीं किया, लेकिन बचपन के दिनों से सिनेमा की दुनिया को लेकर मेरा जुनून मुझे फिल्मों तक ले ही आया। पहले दिन से अब तक जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल [जिफ] से जुड़े रहना अद्भुत रहा है। जयपुर को भारत की कल्चरल कैपिटल माना जाता है, और अब यह देश की फिल्म कैपिटल बनने की ओर बढ़ रहा है। एक फिल्म फेस्टिवल की सार्थकता इसमें होती है कि इसके ज़रिए ग्लोबल फिल्म कल्चर को बढ़ावा मिले, नए फिल्मकारों के ताज़ातरीन विचार और फिल्में लोगों तक पहुंचे, और जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल यह करने में सौ फीसदी कामयाब रहा है।

नीरज ग्वाल [भिलाई, छत्तीसगढ़], निर्देशक 4सम [कई अवॉर्ड्स से सम्मानित]
जिफ एक स्टेटमेंट बन चुका है - दीप्ति घाटगे
फिल्म के ज़रिए औरतों के दर्द को बयां करना, और फिल्म बनाने की प्रक्रिया में मुख्य रूप से महिलाओं का साथ मिलना मेरी उपलब्धि रही। जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में अपनी फिल्म के प्रदर्शन को लेकर मैं बेतरह खुश हूं और कोविड से जुड़े खतरों के बीच जिन सावधानियों के साथ पूरा फेस्टिवल हुआ है, सराहनीय है। पिछले बरसों से जिस तरह जिफ आगे बढ़ता जा रहा है, हनु रोज़ हज़ारों – हज़ार बधाई के पात्र हैं। जिफ एक फिल्म उत्सव से कहीं आगे एक स्टेटमेंट बन चुका है। यहां विदेशों से तो फिल्में आती ही हैं, राजस्थान की फिल्मों को भी बढ़ावा दिया गया है।

दीप्ति घाटगे [पुणे], निर्देशक स्वमान से: विद डिग्निटी [शॉर्ट फिक्शन फिल्म]
विश्व सिनेमा को जयपुर लाने की फितरत में मेरी जिंदगी एक फिल्म बन गई है। अगले पांच साल में जयपुर विश्व सिनेमा का एक हब बन चुका होगा। ये अब तक 14 सालों की अथक मेहनत का निचोड़ होगा. प्लान की गई हर योजना को हम खरगोश कछुआ चाल की कहानी के सन्देश के तहत पूरा करेंगे. हम धीरे चलते हैं पर जीतेंगे. विश्व का सबसे बड़ा सिनेमा केंद्र और लाइब्रेरी जयपुर में बनेगा. सपने पुरे करेंगे. ये ही मेरी जिद्द है, जुनून है।

० भवेश चौधरी ० 

नयी दिल्ली -मकर संक्रांति के पर्व को और अधिक खास बनाने के लिए आयुष मंत्रालय ने इस बार बड़ी तैयारी की है। केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि 14 जनवरी यानि मकर संक्रांति के दिन 75 लाख लोग एक साथ सूर्य नमस्कार करेंगे, जिसमें देश-विदेश के लोग भी शामिल होंगे। इस अभियान में विभिन्न मंत्रालयों के साथ-साथ योग एवं सामाजिक क्षेत्र की बड़ी संस्थाओं का सहयोग लिया जा रहा है।

सोणोवाल ने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए आम लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बनाना बहुत जरूरी है, इसके लिए अधिक से अधिक लोगों को सूर्य नमस्कार करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं में लाभ पाया जा सकता है।

सोणोवाल ने कहा कि हम सिर्फ सूर्य नमस्कार ही नहीं बल्कि योगासन, आयुर्वेद, होम्योपैथी, सिद्ध, नेचुरोपैथी और यूनानी आदि के माध्यम से आम लोगों की स्वास्थ्य देखभाल कर रहे हैं। इस दौरान सोणोवाल ने आयुष मंत्रालय द्वारा हालही में जारी की गई गाइडलाइन का पालन करवाने की अपील भी की। आयुष भवन में केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोणोवाल और केंद्रीय राज्य मंत्री आयुष मुंजपरा महेंद्रभाई ने आयुष मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की और कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए आयुष अभियानों को और अधिक विस्तारित करने के निर्देश दिए।

गौरतलब है कि कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर में आयुष मंत्रालय ने राज्यों के साथ मिलकर आम लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आयुष क्वाथ (काढ़ा), आयुष-64, कबासुरा कुडिनीर और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य रक्षा किट और आयु रक्षा किट को तैयार किया था। जिनसे आम लोगों को बहुत फायदा हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कोविड काल में आयुष मंत्रालय के कामकाज की तारीफ की थी।

० गौरव शर्मा ० 

नयी दिल्ली  - प्रयागराज, वाराणसी, रोहतक, जयपुर, जोधपुर और उदयपुर आकाशवाणी केंद्रों पर स्थानीय/क्षेत्रीय भाषाओं में कार्यकमों के प्रसारण की उचित अहमियत सुनिश्चित करने के लिए आकाशवाणी ने इन केंद्रों को निर्देश दिया है कि वे केंद्र से शुरू होने वाले प्राथमिक चैनल को अवश्‍य प्रसारित करें, ताकि विशेष शहर/कस्बे/क्षेत्र से संबंधित स्थानीय सामग्री भी एफएम पर उपलब्ध हो सके . प्रसार भारती उत्तरी क्षेत्र के आकाशवाणी केंद्रों पर स्थानीय भाषाओं/बोलियों में स्थानीय सामग्री के प्रसारण के स्‍थान पर विविध भारती राष्ट्रीय सेवा शुरू करने जा रहा है, इसे ही ध्‍यान में रखकर प्रसार भारती ने स्पष्ट किया है कि इन सभी केंद्रों पर एफएम पर स्थानीय भाषाओं में कार्यकमों का प्रसारण सुनिश्चित किया जाएगा।

इन आकाशवाणी केंद्रों से विविध भारती राष्ट्रीय सेवा के अपने प्रसारण को पूरे दिन में केवल 4 घंटे तक ही सीमित करने के लिए भी कहा गया है जिसमें सुबह में 9 बजे से 10 बजे तक, दोपहर में 3 बजे से 5 बजे तक और शाम में 9 बजे से 10 बजे तक का समय शामिल है।  केंद्रों पर प्राथमिक चैनलों पर सुबह की जाने वाली घोषणा में उस विशेष स्थान पर एफएम ट्रांसमीटर की फ्रीक्‍वेंसी संबंधी विवरण भी शामिल होंगे।

ये निर्णय उत्तरी क्षेत्र में आकाशवाणी के प्रसारण संचालन को सुव्यवस्थित करने के तहत लिए गए थे, जिससे एफएम पर स्थानीय सामग्री की उपलब्धता के लिए प्राथमिक चैनलों को एफएम सपोर्ट सुनिश्चित करने से स्थानीय भाषाओं में प्रसारण और भी अधिक मजबूत हुआ है/बढ़ावा मिला है।

० आशा पटेल ० 

जयपुर । राज्यपाल  कलराज मिश्र ने आकाशवाणी समाचार, जयपुर की राजस्थानी वेबसाइट का राजभवन में कंप्यूटर का बटन दबाकर लोकार्पण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रादेशिक भाषा और संस्कृति के संदर्भ में राजस्थान के निवासियों के लिए ऑनलाइन यह महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने प्रदेशवासियों को इसके लिए बधाई दी।

आकाशवाणी समाचार जयपुर के उप महानिदेशक मयंक कुमार ने बताया कि राजस्थानी में समाचार की यह पहली वेबसाइट है। राजस्थान में प्रमुख समाचारों को राजस्थानी में प्रसारण के साथ वेबसाइट पर भी देने की इससे पहल हुई है।इस दौरान आकाशवाणी जयपुर के उप निदेशक (समाचार) रामखिलाड़ी मीणा, संवाददाता जितेंद्र द्विवेदी और वरिष्ठ समाचार वाचक श्रीमती शीला चावला और राजस्थानी समाचार वाच  सुदर्शन नाहर उपस्थित रहे।

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर,  कुरुम्बा ट्राइबल पेंटिंग भारत की सदियों पुरानी कलाओं में से एक हैै। इस कला का पैटर्न काफी हद तक वर्ली एवं सौरा आर्ट के समान है। यह कहना था ओडिशा की युवा कलाकार आयुषी अभिप्सा का। आयुषी आर्टिस्ट कम्यूनिटी ‘द सर्किल‘ के लिये आयोजित दक्षिण भारत की प्रसिद्ध ‘कुरुम्बा ट्राइबल पेंटिंग आर्ट‘ वर्कशॉप का संचालन कर रही थी। रूफटॉप ऐप द्वारा आयोजित एवं राजस्थान स्टूडियो द्वारा प्रस्तुत इस वर्कशॉप का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव - सेलिब्रेटिंग इंडिया एट 75 के तहत किया गया।

वर्कशॉप में आयुषी ने कुरूम्बा आर्ट में उत्सव बनाते हुए जनजातीय लोगों का चित्र बनाया। उन्होंने सर्वप्रथम ए5 पेपर शीट ले कर इसमें क्रोम वॉटरकलर से बैकग्राउंड बनाया और फिर इसमें फ्री-हैण्ड से एक वृक्ष बनाया। इसके बाद उन्होंने बेहद खूबसूरती से लाल रंग से वर्ली आर्ट की भांति ज्योमेट्रिक आकृतियों में जनजाति के नाचते-गाते हुए लोगों को चित्रित किया। कलाकार ने कहा कि वर्ली आर्ट में मनुष्य की आकृतियां सफेद एवं काले रंग से बनाई जाती है, जबकि कुरूम्बा आर्ट में इनके लिए गहरे लाल-भूरे रंग का उपयोग किया जाता है।

वर्कशॉप के दौरान आयुषी ने जानकारी देते हुए कहा कि यह कला कुरुम्ब जनजाति में प्रचलित है। यह जनजाति दक्षिण भारत के नीलगिरी क्षेत्र में स्थित हैं जो तमिलनाडु, कर्नाटक एवं केरल राज्यों का हिस्सा है। यह आर्ट कुरुम्बा जनजाति के सामाजिक-धार्मिक ताने-बाने को अभिव्यक्त करती है। पारंपरिक रूप से यह कला मंदिर की दिवारों पर कुरुम्बा गांव के पुजारी द्वारा की जाती है। कुरुम्ब जनजाति की महिलाओं को इस पेंटिंग को बनाने की अनुमति नहीं होती।

० आशा पटेल ० 

 जयपुर । बॉलीवुड के जाने-माने स्क्रीन प्ले और डॉयलॉग राइटर जावेद सिद्दकी को इस बार जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फैस्टिवल के लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाज़ा जाएगा। वर्ष 1942 को रामपुर में जन्मे 80 वर्षीय जावेद सिद्दकी ने अपने फिल्मी करियर में साठ से भी अधिक हिटसुपर हिट और ब्लॉक बस्टर फिल्मों के स्क्रीन प्ले और डॉयलॉग लिखकर इस क्षेत्र में खासी शोहरत हासिल की है। उन्हें 1994 में सुपर हिट रही फिल्म बाजीगर के स्क्रीन प्ले और 1996 की ब्लॉक बस्टर फिल्म दिल वाले दुलहनियां ले जाएंगे के डायलॉग राइटर के रूप में प्रतिष्ठित फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।


 इसके अलावा जावेद को 1996 के सुपर हिट फिल्म राजा हिन्दुस्तानी के स्क्रीन प्ले राइटर के रूप में स्टार स्क्रीन प्ले अवार्ड से भी नवाज़ा जा चुका है। गौरतलब है कि जावेद धर्मेन्द्रफारुख शेखनसीरुद्दीन शाहस्मिता पाटिलराकेश रोशनशाहरुख खानसलमान खानआमिर खानगोविन्दा सहित कई बड़े – बड़े अभिनेताओं के लिए अपनी कलम का जादू चला चुके हैं। 


श्याम बेनेगल की फिल्म शतरंज के खिलाड़ी और चर्चित टीवी सीरियल भारत एक खोज से अपना करियर शुरू करने वाले जावेद सिद्दकी ने रमेश सिप्पी की किस्मत और यश चौपड़ा की फिल्म वक्त के स्क्रीन प्ले राइटर के रूप में भी शोहरत हासिल की है। इतना ही नहीं जावेद सिद्दकी ने नाट्य लेखन के क्षेत्र में भी काफी नाम कमाया है। उन्हें तुम्हारी अमृताहमेशाबेगम जान और कच्चे लम्हे जैसे नाटक लिखने का भी श्रेय प्राप्त है। जावेद ने कई बरसों तक भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के उपाध्यक्ष रहकर नाट्य कला के उत्थान में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 

जिफ के फाउन्डर डायरेक्टर हनु रोज ने बताया कि जावेद को यह अवार्ड 7 जनवरी को शाम 4.30 बजे से महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम में होने वाले उद्घाटन समारोह में ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ दिया जाएगा।

० आशा पटेल ० 

जयपुर  : राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (रिफ) का आठवां संस्करण 25 से 30 मार्च 2022 को जोधपुर में आयोजित किया जाएगा और राजस्थान दिवस का जश्न भी मनाएगा। राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2022 की फिल्मों की पहली सूची जारी की गयी  जिसमे एड मार्टन द्वारा निर्देशित अमेरिका की इंटरनेशनल डॉक्यूमेंटरी फ़िल्म "इट गेट्स इन योर ब्लड" , विनीत शर्मा द्वारा निर्देशित और सचिन खेडेकर एवम सोनाली कुलकर्णी द्वारा अभिनीत शॉर्ट फ़िल्म "गजरा" , म्या कप्लन द्वारा निर्देशित इजराइल की इंटरनेशनल शॉर्ट फ़िल्म "हाबिकुर (नाईट विजिट)"

आशुतोष चतुर्वेदी द्वारा निर्देशित शॉर्ट फ़िल्म "पीलीभीत" , मयंक पुष्पम सिंह द्वारा निर्देशित शॉर्ट फ़िल्म "ना जाने क्यों" , रूही अका रूहानी हक द्वारा निर्देशित अमेरिका की इंटरनेशनल शॉर्ट फ़िल्म "इ रिक्क्षावाली" , बंजी एवं मयूरी द्वारा निर्देशित अमेरिका का  इंटरनेशनल म्यूजिक एल्बम "एन्सिएंट लवर" , फबीएनने ले होउएरोउ द्वारा निर्देशित राजस्थान के मांगणियार संगीतकार और इनकी संगीत पहचान और पलायन पर आधारित फ्रांस की एथ्नोग्राफिक इंटरनेशनल डॉक्यूमेंटरी फ़िल्म "प्रिंसेस एंड वेगाबांड्स" , डॉ भवानी सिंह राठौर द्वारा निर्देशित डॉक्यूमेंटरी फ़िल्म "एक राजपूत किसान" , 

राम कमल मुख़र्जी द्वारा निर्देशित और ईशा देओल तख्तानी द्वारा अभिनीत फ़ीचर फ़िल्म "एक दुआ" और गुरमीत चौधरी एवम देबिना बनेर्जी द्वारा अभिनीत "शुभो बिजॉय" , बृजेश ककोडकर द्वारा निर्देशित कोंकणी शॉर्ट फ़िल्म "गगन" , अमर एल द्वारा निर्देशित फ़ीचर कन्नड़ फ़िल्म "मसनडा हुवु ( फ्लावर ऑफ़ ए ग्रेवयार्ड)" , अदारी मूर्ति साई द्वारा निर्देशित फ़ीचर तेलुगु फ़िल्म "दहानम" , जेयाचंद्र हाश्मी द्वारा निर्देशित तमिल शॉर्ट फ़िल्म "स्वीट बिरियानी" , अनंत नारायण महादेवन द्वारा निर्देशित मराठी फ़ीचर फ़िल्म "बिटरस्वीट" , कृतेश अग्रवाल द्वारा निर्देशित इंग्लिश शॉर्ट फ़िल्म "टायर्ड हार्ट" , इलनथिरायण एलन अरुमुगम द्वारा निर्देशित इंटरनेशनल इंग्लिश फ़ीचर फ़िल्म "अयाई रेथफुल सोल" , विजेश मणि द्वारा निर्देशित मलयालम फ़ीचर फ़िल्म "मममम - साउंड ऑफ़ पैन" और थरुन मूर्ति द्वारा निर्देशित मलयालम फ़ीचर फ़िल्म "ऑपरेशन जावा" शामिल है। 

रिफ फिल्म क्लब के मैनेजिंग ट्रस्टी एवं राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के संस्थापक सोमेन्द्र हर्ष एवं अंशु हर्ष ने बताया कि "इस वर्ष राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (रिफ) का आठवां संस्करण 25 से 30 मार्च तक जोधपुर मे आयोजित किया जाएगा। क्लोजिंग सेरेमनी , रिफ अवार्ड नाईट 2022 का भव्य आयोजन 30 मार्च 2022 को राजस्थान दिवस के उपलक्ष पर जोधपुर मे आयोजित किया जायेगा " राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (रिफ) के इस आठवें संस्करण मे शार्ट , डाक्यूमेंट्री , एनीमेशन , फीचर , रीजनल , राजस्थानी फिल्म एवं म्यूजिक एल्बम , फ़ेस्टिवल की वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू डॉट रिफ जयपुर डॉट ओआरजी पर जा कर सबमिट की जा सकती है और फ़िल्मफ्रीवे द्वारा भी की जा सकती है। फ़िल्म सबमिट करने की अगली डेडलाइन 31 जनवरी 2022 है। 

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर -आर्टिस्ट कम्यूनिटी ‘द सर्किल‘ के लिये सोमवार, 3 जनवरी को दक्षिण भारत की प्रसिद्ध ‘कुरुम्बा ट्राइबल पेंटिंग आर्ट‘ वर्कशॉप का रूफटॉप ऐप पर निःशुल्क आयोजन किया जायेगा। वर्कशॉप का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव - सेलिब्रेटिंग इंडिया एट 75 के तहत राजस्थान स्टूडियो की सहायता से किया जा रहा है। इस वर्कशॉप का संचालन ओडिशा की युवा कलाकार आयुषी अभिप्सा करेंगी।

आयुषी ने बताया कि यह आर्ट कुरुम्बा जनजाति के सामाजिक-धार्मिक ताने-बाने को अभिव्यक्त करती है। पारंपरिक रूप से यह कला मंदिर की देखभाल करने वाले पुरुष सदस्यों अथवा कुरुम्बा गांव के पुजारी द्वारा की जाती है। परिवार की महिलाएं घर के दरवाजों, खिड़कियों एवं फर्श पर बॉर्डर बना कर इन्हें सुसज्जित करती है। कुरुम्ब जनजाति के अन्य सदस्यों को इस कला का अभ्यास करने की अनुमति नहीं होती।

उल्लेखनीय है कि कुरुम्बा ट्राइबल पेंटिंग भारत की सदियों पुरानी कला है जो वर्तमान में भी भारतीय जनजातियों में प्रचलित है। कुरुम्ब जनजाति की बस्तियाँ दक्षिण भारत के नीलगिरी क्षेत्र में स्थित हैं जो तमिलनाडु, कर्नाटक एवं केरल राज्यों का हिस्सा है। वर्ली और सौरा पेंटिंग्स की तरह कुरुम्बा पेंटिंग में स्पष्ट बॉर्डर पैटर्न नहीं होता।

० आशा पटेल ० 

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की सुदर्शन कला दीर्घा मंडला आर्ट के सौंदर्य से सराबोर रही। मौका था देहरादून के जाने-माने मंडला आर्ट आर्टिस्ट राजीव वर्मा की बनाई कलाकृतियों की प्रदर्शनी ‘बिन्दी’ के उद्घाटन का। इस मौके पर कला दीर्घा में चारों ओर रंगों की स्वप्निल आभा से सजाई गई कलाकृतियां हर आने वाले को सहज ही अपनी ओर खींच रही थीं। संगीता वर्मा के संयोजन में आयोजित इस प्रदर्शनी का उद्घाटन ख्यातनाम मिनिएचर आर्टिस्ट पद्मश्री तिलक गिताई और भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी राकेश वर्मा ने किया। दोनों ही अतिथियों ने राजीव वर्मा की कलाकृतियों की भूरी भूरी प्रशंसा की। इस मौके पर राजीव वर्मा की मंडला आर्ट शैली में बनाई 30 कृतियां प्रदर्शित की गईं।
राजीव वर्मा की यहां प्रदर्शित की गईं सभी आकृतियां एक कलाकार की जिजिविशा और कलात्मक सोच का बेहतरीन उदाहरण हैं। राजीव वर्मा एक आत्मदीक्षित कलाकार हैं। राजीव मूल रूप से भारत सरकार में उच्चाधिकारी हैं। राजीव ने बताया कि कलात्मक अभिव्यक्ति उनके मन में बचपन  से ही रही है लेकिन उसे अभिव्यक्त करने का  उन्हें मौका नहीं मिला। कोरोना काल में मिले समय में उन्होंने अपनी जीवन संगिनी संगीता वर्मा के सहयोग से इस अभिव्यक्ति को मूर्त रूप दिया। यहां प्रदर्शित सभी कलाकृतियां उन्होंने डेढ़ वर्ष के समय में बनाई हैं। ये उनके जीवन की पहली आर्ट एग्जीबिशन है।

यहां प्रदर्शित मंडला आर्ट आकृतियों को आकर्षक रूप देने के लिए राजीव ने कुछ सर्किल्स के बीच गणपति, भगवान शिव, गजराज, अश्व, सिंह, लक्ष्मी वाहन उलूक, पंख फैलाकर नृत्य में मगन मोर, माखन चोर कन्हैया आदि आकृतियों को खूबसूरत अंदाज में चित्रित किया है। कलाकार ने इसके  अलावा कांच की बोतलों को भी मंडला आर्ट की आकृतियों से सजाया है।मंडला आर्ट कला का एक रूप है जहां रचनाकार आमतोर पर एक गोलाकार रूप में जटिल डिजाइन तैयार करता है। इस डिजाइन में आमतौर पर कई परतें होती हैं जिन पर रंगों का आकर्षक संयोजन देखने योग्य होता है। इस कला में एक केंद्र बिन्दु होता है। कलाकार इसी केंद्र बिंदु को आधार बनाकर उसके चारों ओर तरह तरह की सूक्ष्म आकृतियों का निर्माण करता है.

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर । जयपुर में 7 से 11 जनवरी तक हाईब्रिड मोड पर होने जा रहे जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फैस्टिवल के चौदहवें संस्करण के पोस्टर का सोमवार को राज्य के पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने विमोचन किया। इस मौके पर जिफ के फाउन्डर डायरेक्टर हनु रोज भी मौजूद थे। इस दौरान पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने कहा की जिफ में मैं पिछले साल भी आया था इस बार भी आऊंगा. जिफ से पर्यटन को बढ़ावा मिलता है. दो देशों की संस्कृति का आदान प्रदान होता है.


8 जनवरी को 26 देशों की 70, 9 जनवरी को 24 देशों की 68, 10 जनवरी को 21 देशों की 66 और 11 जनवरी को 22 देशों की 69 फिल्मों की ऑनलाइन स्क्रीनिंग की जाएगी। ऑनलाइन शिड्यूल की गई फिल्में 24 घंटे यानि अगले दिन की रात 12 तक लाइव रहेंगी जिन्हें जिफ की वेबसाइट https://www.jiffindia.org/ पर देखा जा सकता है।

जीटी सैंट्रल स्थित ऑयनॉक्स में फिल्मों की स्क्रीनिंग का सिलसिला सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक जारी रहेगा। यहां दिखाई जाने वाली कुल 108 फिल्मों से 90 फिल्में वो होंगी जिनको इस बार पुरस्कृत किया जा रहा है। यहां 8 जनवरी को 10 देशों की 31, 9 जनवरी को 13 देशों की 23, 10 जनवरी को 15 देशों की 32 और 11 जनवरी को 8 देशों की 22 फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी।

फैस्टिवल के के लिए डेलीगेटस रजिस्ट्रेशन जारी है फैस्टिवल की सभी गतिविधियों में प्रवेश पूरी तरह निःशुल्क ( only for local film lovers ) रखा गया है जिसके लिए जिफ की ऑफिशियल वेबसाईट www.jiffindia.org पर रजिस्ट्रेशन जारी है।


० आशा पटेल ० 

जयपुर . इंटर्नैशनल ध्रुवपद धाम ट्रस्ट द्वारा जवाहर कला केन्द्र की सहभागिता में आयोजित भारत की आज़ादी एवं ध्रुवपद की अमृत वाणी नाम से जवाहर कला केन्द्र में सम्पन्न हुआ जिसमें ध्रुवपदाचार्य लक्ष्मणभट्ट तैलंग के सानिध्य में ध्रुवपद गायिका प्रोफ़ेसर मधु भट्ट तैलंग के संयोजन एवं ध्रुवपद गायक डाक्टर श्यामसुंदर शर्मा के संयोजन में दो दर्जन विद्यार्थियों ने ध्रुवपद का प्रशिक्षण लेकर कार्यशाला में ध्रुवपद शैली में विशेष रूप से तैयार राष्ट्रगीत वन्दे मातरम् का राग देस एवं ताल सूलताल में पं. प्रवीण आर्य के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया
जवाहरकला केंद्र की अतिरिक्त महानिदेशक अनुराधा गोगिया ने कार्यशाला के प्रतिभागी विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित कर सम्बोधित किया । आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ध्रुवपद नाद निनाद विरासत समारोह हुआ जिस में भाग लेने वाले कलाकार जापान के टेटसूया केनाको ने एकल पखावज वादन , ग्वालियर के अभिजीत सुखदाणे ने ध्रुवपद गायन , ग्वालियर के जयवंत गायकवाड़ ने एकल पखावज वादन ,पं. रबिंद्र गोस्वामी ने सुरबहार वादन ,दरभंगा घराना के समित मलिक ने ध्रुवपद गायन की उम्दा व एक से बढ़ कर एक प्रस्तुतियाँ दीं।
समारोह में अन्य क्षेत्रों को जोड़ते हुए समारोह के विशिष्ट अतिथी उपस्थित रहे जिनके द्वारा दीप प्रज्ज्वलन हुआ जिनमें सर्व श्री चित्रकार पद्मश्री शाकिर अली ,आकाशवाणी हिसार के कार्यक्रम अधिशासी, शिक्षाविद डॉक्टर केशव बड़ाया , अधिवक्ता डॉक्टर अखिल शुक्ला . डॉक्टर ममता शुक्ला ,चित्रकार गोपाल भारती ,रंगकर्मी श्री राजेंद्र राजू एवं आयकर अधिकारी श्री जी डी शर्मा थे। गोपाल भारती ने इस समारोह में संगीतज्ञा प्रो. मधु भट्ट तैलंग को उनकी पोर्ट्रेट भेंट की । 
समारोह में रवीन्द्र गोस्वामी , आकाशवाणी दिल्ली की श्रीमती वीणा पहाड़ी , व भोपाल की कला समय राष्ट्रीय पत्रिका के सम्पादक श्री भंवरलाल वास एवं उद्योगपति डॉक्टर के.एल.जैन को लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड , टेटसूया कनेको को विशिष्ट उपलब्धि सम्मान , अभिजीत सुखदाने , जयवंत गायकवाड़ एवं समित मल्लिक को ध्रुवपद सौरभ अवार्ड दिया गया।अंत में समारोह की संयोजिका प्रोफ़ेसर मधु भट्ट तैलंग ने सभी का आभार व्यक्त किया।


० आशा पटेल ० 

जयपुर की प्राइम लोकेशन मानसरोवर में फन किंगडम एम्यूज़मेंट पार्क प्रारंभ हुआ है  जो कि B2 बायपास पर है.  यहां पर आप अपनी फैमिली के साथ वीकेंड का लुफ्त उठा सकते हैं बच्चों के लिए यहां पर झूले और वाटर  एक्टिविटी पूर्ण रूप से तैयार है . 

 फन किंग्डम एम्यूजमेंट पार्क  को फुल डे एंजॉयमेंट के अनुरूप बनाया गया है. यह जयपुर का अब तक का सबसे पहला प्राइवेट एम्यूज़मेंट पार्क है जहां पर  आप अपने परिवार के साथ  शहर के बीचो बीच वीकेंड का मजा ले सकते हैं.  जयपुर के सेंट्रल लोकेशन होने के कारण यहां पर  प्रतिदिन सैकड़ों लोगों का आना जाना रहता है.  इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में अपने परिवार के साथ सुकून के दो पल  फन किंग्डम एम्यूजमेंट पार्क  के आने से  सकून के दो पल  बिताए जा सकना  संभव हुआ है

० आशा पटेल ० 

जयपुर । चौदहवां जयपुर इन्टरनेशनल फिल्म फैस्टिवल-जिफ अपने आप में खास होगा क्योंकि इसमें दिखाई जाने वाली फिल्मों में से अवार्ड के लिए फिल्मों का पहले ही चयन कर घोषणा का कर दी जाएगी। यह बात फिल्म के फाउन्डर हनु रोज और प्रवक्ता राजेन्द्र बोड़ा ने समारोह के लिए 8 देशों की 39 चयनित फिल्मों की तीसरी और अन्तिम सूची जारी करते समय कही। उन्होंने कहा कि स्क्रीनिंग से पहले अवार्डों की घोषणा करने वाला जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फैस्टिवल दुनिया का पहला फैस्टिवल होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से फिल्म प्रेमियों को बेस्ट फिल्में देखने का ऑप्शन मिल जाएगा और लोग अपनी पसंद के अनुसार फिल्मों का आनन्द ले सकेंगे। अवार्ड के लिए चयनित फिल्मों की घोषणा इसी माह के अंत में कर दी जाएगी.
यह भी पहला ही मौका होगा जब किसी फिल्म फैस्टिवल के उद्घाटन के दिन ही अवार्ड सैरेमनी आयोजित कर दी जाएगी। अवार्ड सैरेमनी 7 जनवरी को शाम 4 :30 बजे महाराण प्रताप ऑडिटोरियम में आयोजित की जाएगी। इसके बाद अवार्डेड और नॉन अवार्डेड फिल्मों की स्क्रीनिंग 8 से 11 जनवरी आयनॉक्स जी सेन्ट्रल में सुबह 10 से रात 10 बजे तक तक की जाएगी। हनु रोज ने बताया कि तीसरी और अन्तिम सूची की फिल्में मिलाकर अब इस समारोह में 52 देशों की 279 फिल्मों की हाईब्रिड मोड पर स्क्रीनिंग की जाएगी। तीसरी सूची में चयनित 8 देशों की 39 फिल्मों में भारत की 24, राजस्थान की

8 जनवरी को 26 देशों की 70, 9 जनवरी को 24 देशों की 68, 10 जनवरी को 21 देशों की 66 और 11 जनवरी को 22 देशों की 69 फिल्मों की ऑनलाइन स्क्रीनिंग की जाएगी। ऑनलाइन शिड्यूल की गई फिल्में 24 घंटे यानि अगले दिन की रात 12 तक लाइव रहेंगी जिन्हें जिफ की वेबसाइट https://www.jiffindia.org/ पर देखा जा सकता है।

जीटी सैंट्रल स्थित ऑयनॉक्स में फिल्मों की स्क्रीनिंग का सिलसिला सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक जारी रहेगा। यहां दिखाई जाने वाली कुल 108 फिल्मों से 90 फिल्में वो होंगी जिनको इस बार पुरस्कृत किया जा रहा है। यहां 8 जनवरी को 10 देशों की 31, 9 जनवरी को 13 देशों की 23, 10 जनवरी को 15 देशों की 32 और 11 जनवरी को 8 देशों की 22 फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी।लगभग 70% फिल्मों के फिल्मकार अपनी टीम के साथ समारोह में भाग लेने जयपुर पहुंचेंगे.

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली : Dream Zon के बैनर तले दिल्ली के मोहन विला में सीजन 4 फैशन शो का आयोजन हुआ जिसमें फैशन से जुड़े देश के कोने कोने से लोग सामिल हुए ,फैशन डिजाइनर से लेकर बड़े बड़े दिग्गज लोगो ने हिस्सा लिया , इस मौके पर मीडिया से रूबरू होकर Dream zon के जोनल मैनेजर (नार्थ वेस्ट ,ईस्ट) अभिषेक मिश्रा ने बताया कि ये प्रोग्राम हर साल अलग अलग जगह आयोजित होता है , हमारा खास मकसद है नए नए फैशन डिजाइनर व नए मॉडल को मंच पर लाना ताकि उनको एक नई पहचान मिल सके , dream zon कंपनी पिछले कई सालों से बच्चो का भविष्य संवारने का काम कर रही है। इस कार्यक्रम का सफल बनाने के लिए स्पांसर का काफी सहयोग रहा है , जिनका में दिल से शुक्रिया अदा करता हूं

कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए  mtv की एक्टर नील मिश्रा, dream zon के विकास पूरी से मंजीत सिकंद , गौरव सिकंद, पीतम पूरा से पंकज भाटिया, वैशाली से dr आलम, मयूर विहार से सीपी सिंह, new फ़्रेंड्स कॉलोनी से सईद, रियाज, हजरत गंज व आलम बाग से तिरंग सिंघल, हल्द्वानी से आशीष, विनीत, वाराणासी से रचित अग्रवाल, देहरादून से सुमित, विशाल, पठानकोट से अस्वनी चौधरी, इसके साथ ही mm atire से निकिता सिंह, edukhoj से अभिषेक, इवेंट सपोर्ट ,rks  रुद्राक्ष, इवेंट से अमित वर्मा, फोटोग्राफी, अर्जुन, मेकअप योगदान, चंदा मेकओवर,  लेक्मे से सिमरन ,सोनम, दीपिका, मनमीत मेकओवर, रिट्ज डिजाइन रितु अधिकृत मीडिया पार्टनर ,ओसियन मीडिया से रोहित शर्मा जितेंद्र पाल, डिजाईंग पार्टनर से मल्टी इमेज शुभ्रा अरोड़ा ,के अन्य गणमान्य लोग ने भी शिरकत की।



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