Halloween Costume ideas 2015

आगे -आगे क्यूं तू भागे

 


सुषमा भंडारी

आगे -आगे क्यूं तू भागे

होड़ मची है जीवन में

ठहर जरा ओ मूर्ख प्राणी

देख जरा तू दर्पण में


वर्षा कितना बोझ उठाती

बादल बनकर रह्ती है

सब की प्यास बुझाने को वो

बूंद- बूंद बन बहती है

तू केवल अपनी ही सोचे

रहता फिर भी उलझन में

आगे -आगे क्यूँ तू----


वीरों से कुछ सीख ले बन्दे

वतन की खातिर जीता है

वतन की मिट्टी वतन के सपने

जग की उधडन सीता है

सर्दी -गर्मी सब सीमा पर

सीमा पर ही सावन में

आगे-आगे क्यूँ तू-----


जीवन मूल्य टूट रहे सब

आओ इन्हें बचाएँ हम 

संस्कार के गहने पहनें

सुर- संगीत सजायें हम 

मात-पिता ही सच्चे तीर्थ

सुख है इनके दामन में

आगे-आगे क्यूँ तू----


चलना है तो सीख नदी से

चलती शीतल जल देती

लेकिन मानव तेरी प्रवृति 

बस केवल बस छल देती 

सूरज किरणें फैला देता

सब प्राची के प्रांगण में

आगे-आगे क्यूँ तू---


जीवन तो त्यौहार है प्राणी

नित नित रँग बदलते हैं

होली में सतरंगी दुनिया

दीप जले दीवाली में

हरदिन खुशियां त्योहारों सी

प्रेम-प्यार हो आंगन में

आगे आगे क्यूं-----'

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