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० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नई दिल्ली: स्वीडन दूतावास, मुंबई में स्वीडन महावाणिज्य दूतावास और भारत में कार्यरत स्वीडिश कंपनियों सहित टीम स्वीडन के कलाकार 14वां वार्षिक स्वीडन इंडिया नोबेल मेमोरियल सप्ताह (एसआईएनएमडब्ल्यू) मना रहे हैं। दरअसल यह सप्ताह 6-10 दिसंबर, 2021 का है लेकिन नोबेल की छत्रछाया में नवंबर से ही कार्यक्रम शुरू हैं और 15 दिसंबर तक चलेंगे। महामारी के कारण दूसरे वर्ष यह आयोजन वर्चुअली हो रहा है।

राजदूत क्लास मोलिन ने कहा : सही मायनों में दूतावास के अग्रणी कार्यक्रमों में एक 14वें स्वीडन इंडिया नोबेल मेमोरियल सप्ताह मनाने की हमें खुशी है। यह अल्फ्रेड नोबेल और विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार और कला जगत में उनकी शानदार विरासत का जश्न है। और इसके माध्यम से हम भारत में स्वीडन और स्वीडिश कंपनियों, हमारे प्रायोजकों की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता दुहरा रहे हैं। दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में बहुत मजबूत द्विपक्षीय संबंध रहे हैं।हम ने नवाचार और स्थिरता पर पूरा ध्यान केंद्रित करते हुए लैंगिक समानता को इस वर्ष के नोबेल मेमोरियल सप्ताह का मूल विषय बनाया है। कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए इस वर्ष के लिए कम संख्या में सुरक्षित आयोजन किए गए हैं। आगामी वर्ष 2022 में हम पुनः कम से कम एक हाइब्रिड स्वीडन इंडिया नोबेल मेमोरियल सप्ताह मनाने की उम्मीद करते हैं!

स्वीडन इंडिया नोबेल मेमोरियल सप्ताह 2021 ( एसआईएनएमडब्ल्यू 2021) की मुख्य विशेषताएं हैं: ‘शी स्टेम’: पिछले साल लॉन्च शी एसटीईएम बेहद सफल रहा।इसके बाद इंस्टाग्राम जेनरेशन के लिए नए अवतार में इसकी वापसी हुई है! ‘शी एसटीईएम’ भारत में स्वीडन दूतावास और अटल इनोवेशन मिशन की संयुक्त पहल है जो लड़कियों और महिलाओं की एसटीईएम शिक्षा का महत्व दर्शाती है। वर्ष 2021 के लिए ‘शी एसटीईएम’ 13-17 वर्षीय विद्यार्थियों के लिए बतौर इंस्टा रील चैलेंज शुरू किया गया था। उन्हें एक प्रतियोगिता के लिए वैज्ञानिक समाधानों हेतु रचनाकौशललगाने के लिए आमंत्रित किया गया था।प्रतियोगिता में उनसे पूछा गया कि‘फास्ट फारवर्ड टू 2040’कैसे करें। विद्यार्थियों से बतौर स्टेम लीडर (विज्ञान. प्रौद्योगिकी. इंजीनियरिंग. गणित लीडर) एक बेहतर दुनिया बनाने पर इंस्टाल रील पेश करने की अपेक्षा की गई थी।

आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मद्रास और आईआईटी मुंबई के साथ एमओयू/एलओआई 1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली और बिज़नेस स्वीडन-स्वीडिश ट्रेड एण्ड इन्वेस्ट काउंसिल ने स्वच्छ हवा और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग संबंध मजबूत करने के लिए एक सहमति करार (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। आईआईटी दिल्ली के निदेशक वी रामगोपाल राव और भारत में स्वीडन के व्यापार आयुक्त सेसिलिया ऑस्करसन ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इसके कई उद्देश्य हैं जैसे आपसी सहयोग के अवसर तलाशना, उद्योग और शिक्षा जगत के लिए इनोवेटिव साल्यूशन पेश करना, भारत स्वीडन इनोवेशन एक्सेलेरेटर प्रोग्राम एवं सस्टेनेबलिटी की निरंतरता, जो भारत में सस्टेनेबलिटी बाई स्वीडन शोरूम और प्लेटफॉर्म के माध्यम से पूरे होंगे। आईआईटी दिल्ली को स्वीडन के अग्रणी अनुसंधान विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ जोड़कर विश्वविद्यालय स्तर के सहयोग को बढ़ावा देना भी एक अहम् उद्देश्य होगा। खास कर भारत और स्वीडन के बीच आगामी शोध एवं नवाचार के आवाहन के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण होगा। सहमति करार के तहत विचार मंचों और शिक्षकों के आदान-प्रदान से भारत और स्वीडन के बीच विशेषज्ञता का आदान-प्रदान भी शामिल है।

2. आईआईटी मद्रास और आईआईटी मुंबई बिजनेस स्वीडन इंडिया और स्वीडिश एनर्जी एजेंसी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान - मद्रास (आईआईटी मद्रास) और इंटरनेशनल सेंटर फॉर क्लीन वाटर (आईसीसीडब्ल्यू) के साथ अभिनव और स्थायी स्वच्छ जल समाधान के सह-निर्माण के एक आशय पत्र पर भी हस्ताक्षर किए। अगले सप्ताह स्मार्ट ग्रिड और ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक और एलओआई पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आईआईटी-बी) के साथ हस्ताक्षर किए जाएंगे। इन समझौतों के बाद इन संस्थानों के सस्टेनेबिलिटी बाई स्वीडन इकोसिस्टम और भारत में शोरूम के रूप में शिक्षा और अनुसंधान के अन्य भागीदार होंगे। यह स्वीडिश एनर्जी एजेंसी और टीम स्वीडन की संयुक्त पहल है। स्वीडिश और भारतीय संस्थाओं के मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में ये करार महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं जो दोनों देशें के लिए जलवायु-निरपेक्ष भविष्य निर्माण के लिए लगातार काम करेंगे।

महिंद्रा समूह सस्टेनेबिलिटी का अर्थ अब केवल नुकसान कम करना नहीं बल्कि अधिक अच्छा करना है। सस्टेनेबिलिटी बाई स्वीडन इकोसिस्टम की ओर से बिजनेस स्वीडन भारत के प्रमुख व्यवसाय समूह महिंद्रा ग्रुप के साथ एक एलओआई पर हस्ताक्षर करेगा और बतौर उद्योग भागीदार इसमें शामिल करेगा। नोबेल पुरस्कार शिक्षक शिखर सम्मेलन: स्वीडन इंडिया नोबेल मेमोरियल सप्ताह 2021 के तहत स्वीडन महावाणिज्य दूतावास(मुंबई) एक स्थानीय भागीदार इडोब्रो इम्पैक्ट सॉल्यूशंस के सहयोग से 7 दिसंबर, 2021 को‘नोबेल पुरस्कार शिक्षक शिखर सम्मेलन’ का आयोजन करेगा। ‘नोबेल पुरस्कार शिक्षक सम्मेलन’एक अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक सम्मेलन है जिसका आयोजन नोबेल पुरस्कार संग्रहालय एक स्वीडिश संस्थान के सहयोग से करता है।

 इस वर्ष शिखर सम्मेलन का थीम ‘इन द फ्लड आफ फैक्ट्स’ है जो शिक्षकों को पढ़ाने सही रणनीति देगाताकि वे वैज्ञानिक तथ्यों, व्यक्तिगत मूल्यों और गलत धारणा बनाने के सिद्धांतों के बीच से ठोस ज्ञान प्रदान करें। शिक्षकों को नोबेल शिक्षक सामग्री वास्तविक और डिजिटल रूप में दी जाएगी। आशा है शिक्षक इस सामग्री का उपयोग कक्षाओं में करेंगे ताकि नोबेल पुरस्कार,शिखर सम्मेलन और थीम के उद्देश्य बच्चे जानें। इस तरह गलत धारणाओं के बारे में बुनियादी संवाद शुरू करना और ये समुदायों को नुकसान पहुंचाएं उससे पहले इन्हें रोकने का लक्ष्य रखा गया है। सतत विकास लक्ष्य नवाचार व्याख्यानमाला: एक स्थानीय सहभागी संस्था आचार्य संस्थान के सहयोग से स्वीडन एलुमनी नेटवर्क इंडिया का बेंगलुरु केंद्र एसआईएनएमडब्ल्यू 2021 के साथ एक नवाचार व्याख्यानमाला का आयोजन कर रहा है।

एसएएनआई (स्वीडन एलुमनी नेटवर्क इंडिया) अवार्ड्स नाइट: स्वीडिश इंस्टिट्यूट एलुमनी नेटवर्क में 140 से अधिक देशों के 15,000 से अधिक प्रतिभाशाली लोग शामिल हैं। इन लोगों ने स्वीडन के किसी विश्वविद्यालय में अध्ययन अथवा शोध किया है, स्वीडिश इंस्टिट्यूट के किसी न किसी नेतृत्व कार्यक्रम में भाग लिया है या एसआईडीए (स्वीडिश डिवेलपमेंट कोआॅपरेशन) के अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लिया है। इस वर्ष स्वीडन एलुमनी नेटवर्क इंडिया (बेंगलुरु, केरल, महाराष्ट्र और गोवा, नई दिल्ली, मुंबई और तमिलनाडु में इसके

सभी केंद्र) को एलुमनी नेटवर्क आफ दि ईयर 2021 की उपाधि से सम्मानित किया गया है। पुरस्कार का कारण उस प्रेरणा में निहित है, जिसमें ‘स्वीडन एलुमनी नेटवर्क इंडिया’ का उल्लेख है और इसके छह केंद्र एक निष्पक्ष और सतत विकास में सक्रियता से सहयोग करते हैं - भौगोलिक दृष्टि से विस्तृत एलुमनी गतिविधियों का संयोजन और रणनीतिक स्तर पर अलग-अलग कोणों व विस्तृत दृष्टिकोणों से एसडीजी का विन्यास करते हुए। हमारे सामूहिक लक्ष्यों की पूर्ति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए पूर्व छात्रों की गतिविधियों में न केवल एसआई और स्वीडन एलुमनी को बल्कि स्थानीय अधिकारियों, कंपनियों, स्कूली बच्चों और आम जनता को भी शामिल किया जाता है। नेटवर्क बोर्ड के संयुक्त प्रयासों में सहयोग, सह-संरचना, आदान-प्रदान और मैत्री का समावेश होता है। एसआईएनएमडब्ल्यू2022 को वर्ष 2022 में भी भौतिक या हाइब्रिड में वापस आने की आशा है।


० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नयी दिल्ली - नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एम्‍प्‍लॉयमेंट फॉर डिसैबल्‍ड पीपल (एनसीपीईडीपी) ने 3 दिसंबर को इंटरनेशनल डे ऑफ पर्सन्‍स विद डिसैबिलिटीज के अवसर पर मिसिंग मिलियंस कैम्‍पेन लॉन्‍च किया है। इस कैम्‍पेन का लक्ष्‍य मुख्‍यधारा से कटे लाखों दिव्‍यांगजनों की आवाज को बुलंद करना है, ताकि जीवन के सभी क्षेत्रों में उनकी सक्रिय भागीदारी हो सके। यह आयोजन कॉन्स्टिट्यूशन क्‍लब ऑफ इंडिया में  हुआ था। 

कार्यक्रम की शुरूआत यूनेस्‍को, नई दिल्‍ली के डायरेक्‍टर एरिक फाल्‍ट के वीडियो संदेश से हुई, जिसमें उन्‍होंने एनसीपीईडीपी को ‘मिसिंग मिलियंस’ कैम्‍पेन की शुरूआत करने के लिये बधाई दी। एरिक फाल्‍ट ने इंटरनेशनल डे ऑफ पर्सन्‍स विद डिसैबिलिटीज की याद दिलाते हुए दिव्‍यांगजनों को कोविड 19 के रिकवरी प्‍लांस में शामिल करने की जरूरत पर भी जोर दिया, खासकर शिक्षा के मामले में, जो जीवनभर पढ़ाई के लिये यूएन की प्रतिबद्धता के अनुसार है। उन्‍होंने कहा, "पहुँच और गुणवत्‍ता, दोनों के संदर्भ में समावेशी शिक्षा हमारी राष्‍ट्रीय और वैश्विक शिक्षा की प्रा‍थमिकताओं का केन्‍द्र होनी चाहिये।"  दिव्‍यांगजनों की शिक्षा को सहयोग में यूनेस्‍को की भूमिका पर जोर देते हुए उन्‍होंने आगे कहा, "पढ़ने वाले दिव्‍यांगों के लिये शिक्षा का अधिकार यह सुनिश्चित करने के लिये हमारा आरंभ बिन्‍दु होना चाहिये कि पढ़ाई कभी न रूके। पढ़ने वाला हर व्‍यक्ति मायने रखता है और बराबरी से मायने रखता है और समावेश का यही आशय है।"

 भारत के सर्वोच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायाधीश माननीय जस्टिस श्रीपति रविन्‍द्र भट्ट ने ‘जिसकी गिनती नहीं होती है, उसे गिना भी नहीं जाता है!’ पर जोर देते एक वीडियो के साथ कैम्‍पेन को आधिकारिक रूप से लॉन्‍च किया। उन्‍होंने बताया कि दिव्‍यांगता पर सटीक डाटा न होने के कारण कैसे दिव्‍यांगजन मुख्‍यधारा से बाहर हुए हैं। इस पर अपनी जानकारी साझा करते हुए उन्‍होंने कहा, "यह महत्‍वपूर्ण है कि सामान्‍य लोग दिव्‍यांगजनों की जरूरतों पर नीतियों के निर्माण के समय उन्‍हें प्रमुख साझीदार मानकर उनके साथ टेबल को साझा करें।" 

 इस लॉन्‍च के बाद दिव्‍यांगजनों की चुनौतियों और आगे के मार्ग पर दो पैनल चर्चाएं हुई, जिनमें प्रभावशाली वक्‍ताओं से भाग लिया, जैसे पद्मश्री जावेद अहमद टाक, यूनेस्‍को नई दिल्‍ली में एज्‍युकेशन यूनिट की चीफ जॉयस पोन, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया में एसेसेबिलिटी एंड स्‍ट्रैटेजिक इनिशियेटिव्‍स की लीड करिश्‍मा छाबड़ा, स्किल काउंसिल फॉर पर्सन्‍स विथ डिसैबिलिटी के सीईओ रविन्‍द्र सिंह और बैरियर ब्रेक की सीईओ शिल्‍पी कपूर। सुश्री जॉयस पोन ने दिव्‍यांगजनों के प्रति सोच में बदलाव पर जोर दिया, ताकि नीतियाँ सही काम कर सकें।

० योगेश भट्ट ० 

बेंगलुरू के वाटर सॉल्‍यूशन प्रोवाइडर डायमण्‍ड ड्रॉप्‍स ने डेनमार्क की वाटर टेक्‍नोलॉजी कंपनी एक्‍वापोरिन के साथ भागीदारी की, भारत में लॉन्‍च करेंगे पानी को शुद्ध करने वाले क्रांतिकारी उत्‍पाद   नोबल पुरस्‍कार-विजेता शोध पर आधारित और प्राकृतिक वाटर प्‍यूरीफायर्स का इस्‍तेमाल करने वाली एक्‍वापोरिन की टेक्‍नोलॉजी पानी के ज्‍यादा स्‍थायित्‍वपूर्ण शुद्धिकरण की बढ़ती मांग को पूरा करने और स्‍वच्‍छ पेयजल की गुणवत्‍ता तथा उस तक पहुँच की योग्‍यता को बढ़ाने का लक्ष्‍य रखती है

नई दिल्‍ली : बेंगलुरू में स्थित रिसोर्स एनवायरमेंटल इंजिनियरिंग प्रा. लि. की एक पहल डायमण्‍ड ड्रॉप्‍स ने डेनमार्क के एक्‍वापोरिन के साथ मिलकर नई दिल्‍ली में स्थित डेनमार्क के दूतावास में इसकी पेटेंटेड टेक्‍नोलॉजी एक्‍वापोरिन इनसाइड® पेश की है। नई दिल्‍ली में द रॉयल डैनिश एम्‍बेसी के राजदूत श्री फ्रेड्डी स्‍वेन ने पेयजल शुद्धिकरण उत्‍पादों को अधिकृत रूप से लॉन्‍च किया और इस भागीदारी को डेनमार्क और भारत, दोनों के लिये “महत्‍वपूर्ण’’ बताया। लॉन्‍च इवेंट में प्रतिष्ठित पत्रकार और एक्‍वापोरिन की टीम मौजूद रही, जो डेनमार्क से वर्चुअली जुड़ी थी और जिसका प्रतिनिधित्‍व फाउंडर और सीईओ पीटर होल्‍मे जेनसेन कर रहे थे। उन्‍होंने बताया कि यह उत्‍पाद भारत के कम बिजली वाले इलाकों के लिये बहुत फायदेमंद हैं, क्‍योंकि इन्‍हें शुद्धिकरण के लिये बिजली की जरूरत नहीं होती है और यह बेहतरीन स्‍वाद वाला पानी देते हैं।

नासा द्वारा अंतरिक्ष में परखी जा चुकी नोबल पुरस्‍कार-विजेता टेक्‍नोलॉजी पर आधारित ड्रिंकिंग वाटर प्‍यूरीफायर्स नोबल पुरस्‍कार-विजेता शोध पर आधारित एक्‍वापोरिन इनसाइड® टेक्‍नोलॉजी कीटनाशक, वायरस, बैक्‍टीरिया और दूसरे अवांछित कम्‍पाउंड्स हटाने के लिये प्राकृतिक प्रोटीन्‍स एक्‍वापोरिन्‍स का इस्‍तेमाल करती है। यह टेक्‍नोलॉजी प्रति मिनट ज्‍यादा आउटपुट, वाटर रिकवरी की ज्‍यादा दर और काट्रिज के लंबे जीवन के साथ स्‍वच्‍छ, सुरक्षित और बेहतरीन स्‍वाद वाला पानी देती है। अक्‍टूबर 2011 में एक्‍वापोरिन के वैज्ञानिकों ने नासा (सीए, यूएस) के साथ मिलकर अंतरिक्ष में एक्‍वापोरिन इनसाइड® टेक्‍नोलॉजी का पहला फील्‍ड टेस्‍ट सफलतापूर्वक किया था।

एक्‍वापोरिन के ड्रिंकिंग वाटर प्‍यूरीफायर्स एक्‍वापोरिन इनसाइड® टेक्‍नोलॉजी के अनोखे गुणों से युक्‍त हैं और दो वर्जन्‍स में आते हैं; ज़ीरो और वन। ज़ीरो बिजली के बिना चलता है और पहले मिनट में ही 3 लीटर प्‍यूरीफाइड वाटर देता है, जबकि वन एक पंप से चलता है और प्रति मिनट लगातार 1.75 लीटर प्‍यूरीफाइड वाटर देता है। एक्‍वापोरिन भविष्‍य में मॉड्यूलर किचंस और कॉर्पोरेट ऑफिसों के लिये भी सॉल्‍यूशंस विकसित करेगी। 

डायमण्‍ड ड्रॉप्‍स भारत को अभिनव वाटर सॉल्‍यूशंस प्रदान करता है इस लॉन्‍च पर अपनी बात रखते हुए, डायमण्‍ड ड्रॉप्‍स के सीईओ हरीश एचपी ने कहा, “साल 2024 तक हर घर को स्‍वच्‍छ पानी देना हमारे प्रधानमंत्री का सपना है। इसके लिये भारत सरकार ने कई देशों के साथ भागीदारी की है, जिनमें सबसे महत्‍वपूर्ण है डेनमार्क के साथ ग्रीन स्‍ट्रेटजिक पार्टनरशिप प्रोग्राम, जो अन्‍य महत्‍वपूर्ण मुद्दों के साथ-साथ मुख्‍य रूप से वाटर सॉल्‍यूशंस पर केन्द्रित है।”

डायमण्‍ड ड्रॉप्‍स ऐसे उद्यमियों की एक टीम द्वारा एक दशक तक किये गये प्रयासों का परिणाम है, जिन्‍हें गवर्नमेंट सेक्‍टर के लिये वाटर-बेस्‍ड सॉल्‍यूशंस में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। एक्‍वापोरिन के साथ भागीदारी निकट भविष्‍य में ज्‍यादा खोजपरक वाटर सॉल्‍यूशंस लाने के लिये है, जो भारत के लोगों की जरूरतों के अनुसार हों।

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली : मार्स पेटकेयर इंडिया ने प्रमुख पशु कल्याण विशेषज्ञों के एक सलाहकार बोर्ड के साथ साझेदारी में, हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में पहली बार स्टेट ऑफ पेट होमलेसनेस इंडेक्स जारी किया। यह पालतू जानवरों के बेघर होने की स्थिति को जानने का पैमाना है, जो भारत में इसमें योगदान करने वाले घटकों की पहचान करता है।यह इंडेक्‍स नौ देशों के 200 से अधिक वैश्विक और स्थानीय स्रोतों के डेटा से प्राप्त किया गया है, जो मनोवृत्ति डेटा पर आधारित नए मात्रात्मक अनुसंधान (क्वांटिटेटिव रिसर्च) द्वारा समर्थित है। 

समें तीन स्तंभ हैं, जो इंडेक्‍स का निर्माण करते हुए पालतू बेघरों को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों को देखते हैं। ये सभी पालतू जानवर वांछित, देखभाल और स्वागत योग्य हैं, जिनमें आवारा कुत्ते और बिल्ली प्रबंधन के विभिन्न पहलू शामिल हैं: सभी पालतू जानवर चाहते थे • प्रजनन नियंत्रण कार्यक्रमों का मूल्यांकन (स्पै / न्यूरर और जिम्मेदार प्रजनन प्रथाओं), घूमने वाले और आवारा आबादी, बीमारी की रोकथाम, और पालतू स्वामित्व के प्रति सांस्कृतिक दृष्टिकोण।• भारत में साथी पशु नसबंदी और टीकाकरण की अपेक्षाकृत कम मात्रा है। • जिम्मेदार प्रजनन प्रथाओं को सक्षम करने और मालिकों के कौशल और ज्ञान को सक्षम करने वाले सक्रिय भागीदारों का न्‍यून स्‍कोर।

सभी पालतू जानवरों की देखभाल • शेल्‍टर (आश्रय) अपनाने और पालतू स्वामित्व की दरों का मूल्यांकन, आश्रय के मुश्किल बिंदुओं का आकलन, और पशु चिकित्सा देखभाल तक पहुंच। भारत: • प्रति व्यक्ति पशु चिकित्सकों की कम संख्या, विशेष रूप से प्रति व्यक्ति छोटे पशु चिकित्सक भी। • भारत में कुत्तों में बीमारियों का उच्च प्रतिशत, जिनमें रेबीज, टीवीटी और पिस्सू/टिक शामिल हैं। • पालतू जानवरों के स्वामित्व/गोद लेने और जिम्मेदार पालतू स्वामित्व के साथ-साथ सरकारी समर्थन और नीति में बाधाओं का मूल्यांकन करना। भारत: • भारत में पालतू जानवर रखने की लागत अपेक्षाकृत महंगी है। • भारत में पालतू जानवरों की देखभाल उद्योग का कुल बाजार मूल्य कम है, हालांकि यह तेजी से बढ़ रहा है। • जानवरों के प्रति क्रूरता के खिलाफ पशु कल्याण मानकों और कानून प्रवर्तन के मजबूत प्रवर्तन की आवश्यकता है, विशेष रूप से सरकार के स्थानीय स्तर पर।

सूचकांक से पता चला है कि भारत में अनुमानित 80 मिलियन बेघर बिल्लियां और कुत्ते शेल्‍टर्स या सड़कों पर रह रहे हैं।  कोविड-19 महामारी के दौरान पालतू जानवरों के स्वामित्व में वृद्धि के बावजूद, भारत के आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान दो-तिहाई पालतू जानवर रखने वाले अभिभावकों को अपने पालतू जानवरों के लिए  सराहना मिली और 10 में से छह लोगों ने एक पालतू को अपनाने के लिए प्रोत्साहित महसूस किया। भारत के डेटा ने कई चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जिसमें आवास की सीमाएं, वित्तीय सीमाएं, व्यावहारिक बाधाएं और आवारा पालतू जानवरों के बारे में व्यवहारिक जागरूकता की कमी, जिसके कारण लोग आश्रय स्थलो या शेल्टर्स से गोद लेने के बजाय नस्ली कुत्तों और बिल्लियों को खरीद रहे हैं। इसके अलावा, भारत में त्याग या छोड़े जाने का स्तर वैश्विक स्तर की तुलना में अधिक है, जिसमें आधे (50%) वर्तमान और पिछले मालिकों का कहना है कि उन्होंने अतीत में एक पालतू जानवर को त्याग दिया है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह स्तर 28% है। लगभग 34% ने कहा कि उन्होंने सड़कों पर एक कुत्ते को छोड़ दिया है, और 32% ने एक बिल्ली को छोड़ दिया है। यह डेटा समग्र सूचकांक में 10 में से भारत को 2.4 अंक प्रदान करता है।

मार्स पेटकेयर इंडिया के प्रबंध निदेशक गणेश रमानी ने कहा: "अब तक, दुनिया भर में और भारत में बेघर आवारा कुत्तों और बिल्लियों के मुद्दे के पैमाने को मापने और ट्रैक करने का कोई तरीका नहीं था। इसलिए हमें स्टेट ऑफ पेट होमलेसनेस इंडेक्स को साझा करते हुए गर्व हो रहा है, जो समय के साथ किए जा रहे सामूहिक कार्य के प्रभाव को मापने का आधार प्रदान कर सकता है। ईपीएच इंडेक्स एक कॉल टू एक्शन है। हम जानते हैं कि यह सिर्फ एक शुरुआत है और हम सरकार, एनजीओ और व्यक्तिगत हितधारकों के साथ साझेदारी का स्वागत करते हैं, जो यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सभी साथी जानवरों की जरूरत है, उनकी देखभाल की जाए और उनका स्वागत किया जाए।’’

भारत के लिए ईपीएच इंडेक्स के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 82% कुत्तों को स्ट्रीट डॉग माना जाता है, और  53% लोगों को लगता है कि स्ट्रीट डॉग लोगों के लिए खतरा हैं। वहीं 65% लोग कुत्ते के काटने से डरते हैं, और 82% लोगों का मानना है कि गली के कुत्ते कुत्तों को हटाया जाना चाहिए और सड़कों से हटाकर आश्रयों या शेल्टर्स में रखा जाना चाहिए। आवारा कुत्तों के बारे में शिक्षा गलत धारणाओं को कम करने और स्वामित्व की संस्कृति को चलाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है। टीकाकरण पशु-मानव संघर्ष को कम कर सकता है और प्रभावी नसबंदी सड़कों पर आवारा पशुओं की संख्या को कम कर सकता है।

 गणेश ने कहा, "एक संगठन के रूप में, हम पालतू बेघरों को संबोधित करने और पालतू जानवरों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए काम कर रहे हैं। हम ऐसे कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला लागू कर रहे हैं जो लोगों को एक बड़ा प्रभाव पैदा करने के लिए एक साथ लाते हैं। हमारे कार्यक्रम जिम्मेदार पालतू स्वामित्व, पालतू जानवरों के लिए बेहतर शहरों, जानवरों के प्रति क्रूरता के प्रति सार्वजनिक संवेदीकरण, थॉट लीडरशिप सेमिनार, गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से आवारा पशुओं को भोजन और उन्हें गोद लेने की चुनौतियों का समाधान करते हैं।”

दिल्ली नगर निगम, करोल बाग क्षेत्र के उपायुक्त शशांक आला ने कहा, “दिल्ली जैसे शहरी केंद्रों के लिए पालतू जानवरों का बेघर होना एक चुनौती है। यह महामारी और लॉकडाउन के कारण और भी अधिक सामने आया। समाधान की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। पेट होमलेसनेस इंडेक्स की स्थिति सही दिशा में एक कदम है। मुझे खुशी है कि मार्स पेटकेयर ने यह अध्ययन किया, क्योंकि डेटा आवारा पशुओं के लिए सूचित कल्याणकारी पहलों को संचालित करेगा। दिल्ली नगर निगम उन पहलों का समर्थन और सहयोग करेगा जो पालतू बेघरों को कम करने में मदद करेंगी। ”

भारत में पालतू बेघरों की चुनौती से निपटने के लिए अधिक समन्वित प्रयास की स्पष्ट और सख्त जरूरत है। पालतू खाद्य उद्योग में अग्रणी के रूप में, मार्स पेटकेयर अपने विभिन्न कार्यक्रमों, साझेदारी, आवारा पशुओं के लिए पोषण और स्वामित्व की वकालत द्वारा पालतू जानवरों के बेघरों के मुद्दे को हल करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नीति निर्माताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे नसबंदी कार्यक्रमों के माध्यम से आवारा आबादी को संबोधित करने और कम करने में मदद करें और गैर सरकारी संगठनों और आश्रयों के पास टीकाकरण, नसबंदी, बचाव और गोद लेने के लिए आगे के कार्यक्रमों का अवसर है। पालक परिवार पुनर्वास, खोए हुए/घायल पालतू जानवरों के लिए अस्थायी घर उपलब्ध कराने और भारत में संसाधनों की कमी वाले आश्रयों के बोझ को कम करने में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। ईपीएच इंडेक्स का उद्देश्य इन प्रयासों के माध्यम से अधिकतम प्रभाव पैदा करने के लिए सभी बलों को एक साथ लाना है।

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर, विश्व ‘बाल दिवस’ के अवसर पर यूनिसेफ के बाल अधिकारों के समर्थन में दुनिया भर की ऐतिहासिक इमारतों को नीली रोशनी में जगमगाने के अभियान के तहत जयपुर के विश्व प्रसिद्ध हवामहल, प्रतिष्ठित विधानसभा भवन, जयपुर विकास प्राधिकरण भवन, अमर जवान ज्योति स्मारक एवं गांधी सर्कल को नीली रोशनी से रंगीन किया गया। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी ने विधानसभा भवन को नीली रोशनी से रोशन करके बाल अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने इस अवसर पर प्रसारित पोस्टर के जरिए संदेश दिया कि कोविड -19 महामारी की शुरुआत के बाद से बच्चों की शिक्षा बाधित हुई हैजिसके दुष्परिणाम एक पूरी पीढ़ी को भुगतने पड़ेंगे।उन्होंने कहा कि हर बच्चे की पढ़ाई में हुए नुकसान की स्कूल में भरपाई की आवश्यकता है और उनके इस अधिकार की सुरक्षा से ही वे अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकेंगे।

यूनिसेफ राजस्थान फील्ड ऑफिस की प्रमुख इसाबेल बार्डन ने कहा, “विश्व बाल दिवस हमें बच्चों के अधिकारों की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने और हर बच्चे के बेहतर भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में काम करने के लिए खुद को फिर से समर्पित करने का अवसर देता है।”

बाल अधिकारों के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए हर साल दुनिया भर में सैकड़ों ऐतिहासिक इमारतें 20 नवंबर को बाल दिवस पर नीले रंग की हो जाती हैं। इमारतों का नीला हो जाना हर बच्चे के अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन को अपनाने की सालगिरह तथा उसके प्रतिनिधि यूनिसेफ के प्रत्येक बच्चे के अधिकारों को सुरक्षित रखने के जनादेश का प्रतीक है। विश्व बाल दिवस पर नीले में रंग जाना हर बच्चे के अधिकार के लिए खड़े होने के यूनिसेफ के जनादेश का द्योतक है। इस वर्ष चूंकि बच्चे कोविड-19 महामारी की चपेट में हैं, इसलिए यह कोई उत्सव नहीं है, बल्कि किसी भी बच्चे के लिए बेहतर दुनिया की फिर से कल्पना करने का संकल्प है।

विश्व बाल दिवस 2021 की थीम "हर बच्चे के लिए बेहतर भविष्य" है। जैसे-जैसे दुनिया विनाशकारी महामारी से उबर रही है, यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम हर बच्चे के अधिकार सुरक्षित करें। राजस्थान में बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता शायद अधिक महत्वपूर्ण है। विभिन्न रिपोर्टों ने राज्य में गंभीर स्थिति को उजागर किया है। बाल श्रम, बच्चों के खिलाफ अपराध और बाल विवाह की सामाजिक बुराई सभी मामलों में महामारी के दौरान वृद्धि दर्ज की गई है।

राजस्थान में 5-14 वर्ष के आयु वर्ग में देश के कुल बाल श्रम का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा पाया जाता है। यहां बच्चे खनन, रत्न और आभूषण, कालीन बुनाई, ईंट भट्टों, कृषि और श्रम जैसे क्षेत्रों में खराब परिस्थितियों में काम करते हैं। पुलिस के अनुसार पिछले दो वर्षों में राजस्थान में लगभग 3,000 बाल मजदूरों को बचाया गया है।एनसीआरबी अपराध रिपोर्ट 2020 के विश्लेषण से पता चलता है कि 2016 और 2020 के बीच बच्चों के खिलाफ अपराध में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।


० संवाददाता द्वारा ० 

नयी दिल्ली - नेपाल के सेना प्रमुख जनरल प्रभु राम शर्मा, जिन्हें भारतीय सेना के मानद 'जनरल' पद से सम्मानित किया गया है, ने 'वॉल ऑफ ऑनर' पर अपने चित्र का अनावरण किया और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर नई दिल्ली में डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) में 'स्क्रॉल ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया गया। एनडीसी के ऐसे प्रमुख पूर्व छात्र, जो अपने-अपने देशों में सर्वोच्च रैंक तक पहुंचे हैं, उन्हें विशेष मान्यता से सम्मानित किया जाता है। जनरल शर्मा 53वें एनडीसी कोर्स से संबंधित हैं।

अपने संबोधन में जनरल शर्मा ने पेशेवर और अकादमिक अंतर्दृष्टि के उच्चतम मानकों के प्रति प्रतिबद्धता और उन्हें इस सम्मान के लिए एक सक्षम उम्मीदवार बनने के लिए आकार देने के लिए एनडीसी की सराहना की। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नेपाली सेना अपना राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय स्थापित करने के सफर पर है साथ ही सहयोग के क्षेत्रों को और भी आगे बढ़ाया गया है।

इससे पहले आउटरीच कार्यक्रम के अंतर्गत रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार ने एनडीसी के पूर्व छात्रों से जुड़े वेब पोर्टल का उद्घाटन किया और संस्थान में एनडीसी पूर्व छात्र न्यूजलेटर का उद्घाटन अंक जारी किया। यह पूर्व छात्रों को एनडीसी के साथ जुड़ने, साझा करने और जुड़ने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करेगा और इस तरह मित्र देशों के साथ संबंधों को मजबूत करेगा।

० संवाददाता द्वारा ० 

नई दिल्ली : अमेरिका के वॉशिंगटन डी सी में स्थित ‘स्मिथसोनियन नेशनल म्यूजियम ऑफ एशियन आर्ट’ के बोर्ड में ईशा अंबानी की नियुक्ति की गई है। ईशा अंबानी बोर्ड की सबसे युवा सदस्य हैं, बोर्ड में उनकी नियुक्ति 4 वर्ष के लिए की गई है। बोर्ड के में ईशा अंबानी के अलावा कैरोलिन ब्रेहम और पीटर किमेलमैन की भी नियुक्ति की गई है।

बोर्ड कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 17 सदस्यीय बोर्ड में अमेरिका के उपराष्ट्रपति, अमेरिका के मुख्य न्यायधीश, अमेरिकी सीनेट के तीन सदस्य और अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के तीन सदस्य शामिल होते हैं।

ईशा अंबानी की पर्सनेल्टी का जिक्र करते हुए “स्मिथसोनियन नेशनल म्यूजियम ऑफ एशियन आर्ट’ की प्रेस रिलीज में उन्हें भारत में डिजिटल क्रांति का अगुआ बताया गया है। वे रिलायंस जियो इनफोकॉम की निदेशक हैं। वे जियोप्लेटफॉर्म में निवेश लाने वाली टीम उस का हिस्सा थीं, जिसने फेसबुक के 5.7 अरब डॉलर के सौदे को अंजाम दिया था। फैशन पोर्टल Ajio.com के लॉन्च के पीछे भी ईशा अंबानी थी और वे ईकॉमर्स वेंचर जियोमार्ट की देखरेख भी करती हैं। उनके पास येल यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की डिग्री है और उन्होंने न्यूयॉर्क में मैकिन्से एंड कंपनी में बिजनेस एनालिस्ट के रूप में काम किया है।

संग्रहालय के निदेशक चेस एफ.रॉबिन्सन ने कहा, "संग्रहालय के अपने सहयोगियों की ओर से, मुझे बोर्ड में इन विशिष्ट नए सदस्यों का स्वागत करते हुए बेहद प्रसन्नता हो रही है, मैं नए बोर्ड सदस्यों को बधाई देता हूं। इन प्रतिभाशाली नए सदस्यों के विजन और जुनून हमारे संग्रह और विशेषज्ञता को और अधिक सम्मोहक बनाएगा। हमारे संग्रह का विस्तार करने और एशियाई कला और संस्कृतियों को समझने के हमारे प्रयासों को और तेज करेगा।

1923 में स्थापित “स्मिथसोनियन नेशनल म्यूजियम ऑफ एशियन आर्ट’ ने अपने असाधारण संग्रह और प्रदर्शनियों, अनुसंधान, कला संरक्षण और संरक्षण विज्ञान की अपनी सदियों पुरानी परंपरा और उत्कृष्टता के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा हासिल की है। म्यूजियम 2023 में अपने शताब्दी वर्ष की तैयारी कर रहा है, ऐसे में नए बोर्ड की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नई दिल्ली : फिक्की ने हाल में अपने 15वें वार्षिक हेल्थकेयर कांफ्रेंस – फिक्की हील 2021 की घोषणा की है। यह 20 से 22 अक्तूबर के बीच आयोजित किया जाएगा और नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा समर्थित रहेगा। 15वें फिकी हील का थीम होगा, “कोविड के बाद हेल्थकेयर में बदलाव” और इसे एक वर्चुअल प्लैटफॉर्म पर निर्धारित किया जाएगा। इसमें एक मुख्य भाषण होगा, थॉट लीडरशिप एंड प्लीनरी सेशंस। इसके अलावा इसमें पैनल डिसकशन के साथ-साथ हेल्थकेयर डिलीवरी, जन स्वास्थ्य, क्षमता निर्माण, बीमा, डिजिटल हेल्थ, डायगनोस्टिक, मेडिकल टेक्नालॉजिज, होम हेल्थकेयर के साथ-साथ वैक्सीन आदि जैसे तमाम विषय शामिल होंगे।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा रसायन और उर्वरक मंत्री श्री मनसुख मंडाविया को कांफ्रेंस का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया गया है। इस मौके पर कई सम्मानित अतिथि भी मौजूदा रहेंगे उनमें प्रमुख हैं -  डॉ. वीके पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य), नीति आयोग, भारत सरकार राजेश भूषण, सचिव, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार (आमंत्रित) डॉ. आरएस शर्मा, सीईओ, नेशनल हेल्थ अथॉरिटी, भारत सरकार  विकास शील, एडिशनल सेक्रेट्री और मिशन डायरेक्टर, नेशनल हेल्थ मिशन, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार  सत्येन्द्र जैन, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री, दिल्ली की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार डॉ. रणदीप गुलेरिया, निदेशक, एम्स, नई दिल्ली डॉ. एनके अरोड़ा, प्रमुख, कोविड-19 वर्किंग ग्रुप ऑफ नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन

आयोजन के बारे में बताते हुए डॉ. आलोक राय, चेयर, फिक्की हेल्थ सर्विसेज कमेटी और चेयरमैन, मेडिका ग्रुप ऑफ हॉस्पीटल्स ने कहा, “कोविड-19 महामारी ने वैश्विक स्वास्थ्य पारिस्थितिकी के लिए अभूतपूर्व मुश्किलें खड़ी की हैं। इससे सरकारी नीतियों और हेल्थकेयर संरचना की कमजोरियां तो उजागर हुई ही हैं यह तथ्य भी रेखांकित हुआ है कि महामारी और उसके बाद के संकट से निपटने के लिए नए तरीकों और प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।  भारतीय हेल्थकेयर सिस्टम के लिए महामारी ने बेहद आवश्यक सुधारों की जरूरत भी बताई है। आज हेल्थकेयर केंद्र में है जैसे पहले कभी नहीं था। यह इस क्षेत्र में सरकारी खर्च बढ़ने के कारण हो या सभी स्टेकधारकों के बीच खेल बदलने वाली नवीनताओं तथा गठजोड़ों के कारण।”

इस पर  गौतम खन्ना, को-चेयर फिक्की हेल्थ सर्विसेज कमेटी और सीईओ, पीडी हिन्दुजा हॉस्पीटल ने कहा, “हमलोग अल्प अवधि की स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी सामूहिक क्षमता के अनुसार काम करते हैं पर यह भी आवश्यक है कि महामारी को रोकने के साथ-साथ तैयारियों की दिशा में हम मिलकर काम करें और महामारी के आगे भविष्य के हेल्थकेयर के लिए बदलाव की एक निश्चित योजना बनाएं। इसमें जन स्वास्थ्य के बेहतर उपाय और संचार रणनीतियां, टेलीमेडिसिन के बेहतर उपयोग और रिमोट पेशेंट मैनेजमेंट शामिल हैं।   इसके तहत डिजिटल टेक्नालॉजी का बेहतर उपयोग, हेल्थकेयर सुविधाओं के लिए नई अवधारणाएं, परिचालनों का अनुकूलन और लागत के साथ-साथ देसी उत्पादन क्षमता का विस्तार आदि भी आवश्यक है।”

तीन दिन के कांफ्रेंस का आयोजन हेल्थकेयर के सभी स्टेकधारकों को एकजुट करने और एक ऐसा मंच मुहैया करवाने के लिए किया गया है जहां ज्ञान और अनुभवों को साझा करने के साथ-साथ कोविड के बाद भारतीय हेल्थकेयर सिस्टम में बदलाव लाने के मौकों पर भी चर्चा की जा सके। इस कांफ्रेंस में सीईओ, नीति निर्माता, हेल्थकेयर और संबद्ध उद्योग के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अग्रणी लोग शामिल होंगे। 

उद्घाटन सत्र के दौरान, कोविड इंड्यूस्ड हेल्थकेयर ट्रांसफॉरमेशन पर फिक्की-केपीएमजी का नॉलेज पेपर भी जारी किया जाएगा।   उद्योग के सर्वश्रेष्ठ व्यवहारों को मान्यता देने की लंबी विरासत को जारी रखते हुए फिक्की अपने बहुप्रतीक्षित 13वें हेल्थकेयर एक्सीलेंस अवार्ड्स का आयोजन भी करेगी। यह तीन दिन के कांफ्रेंस के पहले दिन यानी 20 अक्तूबर 2021 को दिन में 12:00 बजे से दोपहर बाद 01:30 बजे तक वर्चुअल प्लैटफॉर्म पर होगा। इस पुरस्कार समारोह का आयोजन उन संस्थानों और व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए किया जाएगा जिन्होंने हेल्थकेयर को बेहतर करने के लिए बेजोड़ योगदान किए हैं। इस पुरस्कार समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार होंगे और इस मौके पर सम्मानित अतिथि होंगे पूर्व सचिव, भारत सरकार श्री सीके मिश्रा।

इस कांफ्रेंस में जन स्वास्थ्य पर एक चर्चा होगी जिसका विषय होगा, “कोविड पैनडेमिक – व्हाट कुड बी इंडियाज विनिंग स्ट्रेटजी?” संचालन ब्रिगेडियर डॉ. अरविन्द लाल करेंगे जो फिक्की स्वस्थ भारत टास्क फोर्स के चेयर डॉ लाल पैथ लैब्स के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन हैं और एएलवीएल फाउंडेशन के प्रबंध ट्रस्टी हैं। आयोजन के दूसरे दिन एक थॉट लीडरशिप सेशन होगा जो “हेल्थकेयर डिलीवरी – बैलेंसिंग कोविड एंड नॉन कोविड” पर फोकस करेगा।  इसके अलावा, कई अन्य मूल्यवान और जानकारीपूर्ण चर्चा होगी जो निम्न विषयों पर होनी है:

 >   महामारी के दौरान हेल्थकेयर सेक्टर के योगदान >   Digital Health Technologies- Lessons learnt from   COVID >   हेल्थकेयर चिन्ता:   कोविड के बाद की स्थितियां >   Transformational Leadership >   कोविड टीकाकरण: मौजूदा और भविष्य का परिदृश्य >   Healthcare at your doorstep- Future Possibilities >   स्वास्थ्य बीमा का स्वास्थ्य >   The Future Hospital>   डायगनोस्टिक की दुनिया भिन्न लेसों से देखना: क्या स्थिति बदल रही है?  >   मेडटेक विजन 2030: आत्म निर्भर आज और कल ग्लोबल लीडर्स   >   अगले दशक के लिए क्षमता निर्माण >   राजनीति और कोविड हेल्थकेयर – अभी तक के अनुभव फिक्की हील 2021 के लिए पंजीकरण अब खुला है (www.ficci-heal.com)

० आशा पटेल ० 

दुबई, संयुक्त अरब अमीरात/भारत, शाइकोकेन कॉर्पोरेशन ने एक्सपो २०२० दुबई में इंडिया पवेलियन के लिए आधिकारिक सुरक्षा भागीदार के रूप में अपनी नियुक्ति की घोषणा की। साझेदारी के तहत, शाइकोकन अपनी प्रमाणित नवीन सफलता प्रौद्योगिकी वायरस-क्षीणन उपकरणों को स्थापित करेगा, जो वैज्ञानिक रूप से बेअसर करने के लिए प्रमाणित है, और मौजूदा महामारी में वायरस के प्रसार को रोकने में मदद करेगा, जिसमें 99.9% प्रभावकारिता दर, पूरे लीजेंड इंडिया पवेलियन में होगी।
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आगंतुक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, संलग्न स्थानों में कोरोनावायरस के संचरण को रोकने के लिए उपकरणों को भारतीय मंडप में रखा जाएगा।

घुड़सवार होने पर बेलनाकार उपकरण में 1,000 वर्ग फुट का प्रभावी कवरेज क्षेत्र होता है। सक्रिय होने पर इसकी नवीन तकनीक उच्च-तीव्रता वाले फोटॉन का उत्पादन करती है जो मनुष्यों, जानवरों और पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं। फोटॉन नकारात्मक रूप से आवेशित इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन करते हैं क्योंकि वे क्षेत्र में सतहों से टकराते हैं और सतह और वायु-जनित कोरोनावायरस दोनों के पूरे परिवार को बेअसर करते हैं। डिवाइस सभी मौजूदा और भविष्य के वेरिएंट, वायरस के म्यूटेशन, लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा और व्यवसायों को बचाने पर काम करता है। इसके अतिरिक्त, यह अनुकूल जीवाणु पारिस्थितिकी तंत्र और रोगाणुओं को नुकसान नहीं पहुंचाता है जो पर्यावरण में पनपते हैं और हमारी प्रतिरक्षा के लिए आवश्यक हैं।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के महासचिव और इंडिया पवेलियन के पर्यवेक्षक दिलीप चेनॉय ने कहा, “भारत के विशाल चार मंजिल वाले मंडप का उद्देश्य दुनिया भर से लाखों आगंतुकों को आकर्षित करना है। इस वर्ष की थीम दिमाग को जोड़ने, भविष्य का निर्माण करने के साथ, हम एक स्मार्ट, सुरक्षित और अधिक संतुलित दुनिया बनाने में तकनीकी प्रगति का लाभ उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अपने वायरस क्षीणन उपकरणों के साथ भारतीय पवेलियन को सुरक्षित करने में श्यकोकेन कॉरपोरेशन के साथ हमारा जुड़ाव महामारी के बाद आगंतुकों के लिए सही वातावरण बनाने के हमारे प्रयासों का एक वसीयतनामा है। ”

ShykokenCorporation के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आलोक शर्मा ने कहा, “भारत और यूएई ने दशकों से हमेशा शानदार व्यापार और देश के संबंध साझा किए हैं। अब हम सभी हाल के मानव इतिहास में अपनी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक का सामना कर रहे हैं जब आजीविका और जीवन दोनों खो रहे हैं। EXPO2020दुबई दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे प्रतिष्ठित घटनाओं में से एक है और सामान्य स्थिति बहाल करने और विकास को गति देने में मदद करने के लिए एक अग्रणी प्रयास कर रहा है। 

भारत पवेलियन के आधिकारिक सुरक्षा भागीदार के रूप में श्योकैन कॉरपोरेशन को चुनने के लिए हम फिक्की को धन्यवाद देते हैं। यह हमारे मेड इन इंडिया, मेड फॉर द वर्ल्ड, वायरस एटेन्यूएशन डिवाइस, शाइकोकन की अत्याधुनिक तकनीक को प्रदर्शित करने में मदद करेगा और इंडिया पवेलियन में भाग लेने वाले प्रदर्शकों और ग्राहकों दोनों की सुरक्षा में मदद करके इसकी प्रभावकारिता साबित करेगा। श्योकैन घर के अंदर 99.9% प्रभावकारिता के साथ परिवार और कोरोनावायरस के प्रकारों को निष्क्रिय कर देता है, जिससे लोगों के लिए काम करना और सुरक्षित रूप से रहना सुरक्षित हो जाता है, जीवन को सामान्य स्थिति में वापस लाता है।

यूएई के आईसीपीएम हेल्थकेयर सम्मेलन और प्रदर्शनी में श्योकैन के लॉन्च के बाद से, स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों, होटलों, कार्यालयों, रेस्तरां, सभागारों, परिवहन, खुदरा और अन्य को सामान्य स्थिति में लाने में मदद करने में काफी प्रगति हुई है, जबकि ग्राहकों की सेवा करते हुए सुरक्षित वातावरण में। प्रौद्योगिकी के अलावा, शाइकोकन संयुक्त अरब अमीरात में अनुकूलित परामर्श, एक मजबूत समर्थन और सेवा नेटवर्क और एक पोस्ट-इंस्टॉलेशन ऑडिट भी प्रदान करता है।

डिवाइस ने दुनिया भर में संस्थागत खरीदारों से एक मजबूत मांग देखी है, इसे सीई क्लास I डिवाइस के रूप में वर्गीकृत किया गया है और पहले से ही यूएई, कतर, यूएस, कनाडा, मैक्सिको, यूके, फ्रांस जैसे देशों की नियामक आवश्यकताओं के अनुरूप है। जर्मनी, इटली, स्पेन, नीदरलैंड, बेल्जियम, सिंगापुर, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, बोत्सवाना और भारत सहित अन्य। सुरक्षा और प्रभावकारिता दोनों के लिए विश्व स्तर पर कई मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में इसका परीक्षण किया गया है और सभी में उत्कृष्ट रहा है, इनडोर स्थानों में 99.9% प्रभावकारिता के साथ कोरोनावायरस को अक्षम करने के लिए साबित हुआ है। शाइकोकन इस पथप्रदर्शक तकनीक को अधिक से अधिक लोगों और संगठनों तक पहुंचाने की उम्मीद करता है ताकि जीवन को सामान्य और सामान्य व्यवसाय में वापस लाने में मदद मिल सके।

मुंबई रिलायंस फाउंडेशन और यू.एस. एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) द्वारा शुरू किए गए वूमेनकनेक्ट चैलेंज इंडिया के माध्यम से पूरे भारत में दस संगठनों को अनुदान प्राप्तकर्ताओं के रूप में चुना गया है। इस पहल के माध्यम सेलैंगिक डिजिटल विभाजन को दूर करने में मदद करने के लिए 11 करोड़ रुपये (1.5 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक) का निवेश किया गया है और इसमें सेरिलायंस फाउंडेशन ने विभिन्न समस्याओं के इनोवेटिव समाधान बनाने के लिए परियोजनाओं के लिए अनुदान में 8.5 करोड़ रुपये (1.1 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक) का समर्थन किया है। इस प्रयास के तहत 17 राज्यों में 3 लाख (300,000) से अधिक महिलाएं और लड़कियां लैंगिक डिजिटल विभाजन को दूर करने और प्रौद्योगिकी के माध्यम से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ाने की पहल से लाभान्वित होंगी।

 

चुने गए संगठनों की घोषणा के मौके पर नीता एम.अंबानीसंस्थापक-चेयरपर्सनरिलायंस फाउंडेशन ने कहा कि ‘‘जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं को सक्षम और सशक्त बनाना हमारा मिशन रहा है। जब हमने जियो लॉन्च कियातो हमने एक डिजिटल रेवोल्यूशन की कल्पना की थी जो सभी के लिए समान अवसर प्रदान करे। जियो के माध्यम सेहम अपने देश के हर हिस्से में मौजूद लोगों को सबसे सस्ती कनेक्टिविटी प्रदान कर रहे हैं। रिलायंस फाउंडेशन भारत में लैंगिक डिजिटल अंतर को पाटने की दिशा में यूएसएड के साथ साझेदारी में भी काम कर रहा है। प्रौद्योगिकी असमानता को दूर करने और समाप्त करने का एक शक्तिशाली साधन है। मैं परिवर्तन की इस यात्रा पर हमारे वूमेनकनेक्ट चैलेंज इंडिया के दस विजेताओं को बधाई देती हूं और अपने साथ आने पर स्वागत करती हूं।’’

 

इस प्रयास के तहत अनुदान प्राप्त करने वाले संगठनों में अनुदीप फाउंडेशनबेयरफुट कॉलेज इंटरनेशनलसेंटर फॉर यूथ एंड सोशल डेवलपमेंटफ्रेंड्स ऑफ विमेन वर्ल्ड बैंकिंगनंदी फाउंडेशनडेवलपमेंट एक्शन के लिए प्रोफेशनल असिस्टेंससोसाइटी फॉर डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्ससॉलिडेरिडाड रीजनल एक्सपर्टाइज सेंटरटीएनएस इंडिया फाउंडेशन और जेडएमक्यू डेवलपमेंट शामिल हैं। समाधान महिला किसानोंउद्यमियोंस्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को लैंगिक डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करने के लिए किए जा रहे प्रयासों को संबोधित करते हैं।

 

वूमेनकनेक्ट चैलेंज इंडिया को अगस्त 2020 में लॉन्च किया गया था। 180 से अधिक आवेदनों के पूल से, 10 संगठनों को 12 से 15 महीनों की अवधि के लिए 75 लाख से 1 करोड़ रुपए (100,000- 135,000 यूएस डॉलर) के बीच अनुदान के साथ चुना गया था। जनवरी 2021 मेंयूएस एड और रिलायंस फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से एक सॉल्वर सिम्पोजियम की मेजबानी कीजिसमें भारत में लैंगिक डिजिटल विभाजन पर विचार-मंथन करते हुए क्षमता निर्माण के लिए सेमी-फाइनलिस्ट और बाहरी विशेषज्ञों को एक साथ लाया गया।

 

महिलाओं में हर साल मोबाइल इंटरनेट के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। जबकि 2017 में भारत में केवल 19 प्रतिशत महिलाएं ही मोबाइल इंटरनेट के बारे में जानती थीं; 2020 में यह बढ़कर 53 प्रतिशत हो गया। स्वामित्व के मामले में, 79 प्रतिशत  पुरुषों की तुलना में 67 प्रतिशत महिलाओं के पास मोबाइल फोन है। वर्षों सेरिलायंस फाउंडेशन की पहल का उद्देश्य डिजिटल विभाजन को दूर करना रहा है। रिलायंस जियो के माध्यम से, 1.3 बिलियन से अधिक भारतीयों ने राष्ट्रव्यापी स्तर पर एक संपूर्ण डिजिटल क्रांति देखी है जिसने सभी के जीवन को बदल दिया। आजजियो भारत में सबसे बड़ी डिजिटल सर्विस प्रोवाइडर कंपनी हैऔर 120 मिलियन महिला जियो उपयोगकर्ताओं के साथ दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी कंपनी हैंऔर डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए यह संख्या तेजी से बढ़ रही है।

 

वीमेनकनेक्ट चैलेंज महिलाओं की पहुंच और प्रौद्योगिकी के उपयोग के तरीकों को सार्थक रूप से बदलकर रोजमर्रा की जिंदगी में महिलाओं की भागीदारी को बेहतर बनाने के समाधान के लिए एक वैश्विक आह्वान है। यूएसएड ने भारत में लैंगिक डिजिटल विभाजन को बंद करने वाले नए दृष्टिकोणों का समर्थन करने के लिए रिलायंस फाउंडेशन के साथ भागीदारी की है और नए अनुदान प्राप्त करने वाले महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ाने के लिए पिछले वीमेनकनेक्ट राउंड से प्रमाणित रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

 

यूएसएड: परिचय

यूएसएड दुनिया की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी है और विकास के परिणामों को चलाने वाली एक प्रेरक संस्था है। यूएसएड जीवन को ऊपर उठानेसमुदायों के निर्माणलोकतंत्र को आगे बढ़ाने और दुनिया भर में महिला सशक्तिकरण के लिए चैंपियन बनाने में मदद करने के लिए काम करता है। यूएसएड के कार्य से यू.एस. की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि को प्रोत्साहन मलता हैअमेरिकी उदारता प्रदर्शित करता हैऔर देशों को उनकी विकास यात्रा में प्रगति में मदद करता है।

 

आज तकयूएसएड के पास तीन अलग-अलग दौरों में 16 वीमेनकनेक्ट चैलेंज ग्रांट हैं जो महिलाओं की प्रौद्योगिकी तक पहुंच को सीमित करने वाली बाधाओं को दूर करने और 16 देशों में लगभग 6 मिलियन महिलाओं को जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं। वीमेनकनेक्ट राउंड वन, 2018 मेंनौ ग्रांट्स से सम्मानित किया गया और 2019 में वूमेनकनेक्ट राउंड टू को तीन से सम्मानित किया गया। इस साल की शुरुआत मेंवूमेनकनेक्ट राउंड थ्री के लिए चार विजेताओं की घोषणा की गई थी।

 

रिलायंस फाउंडेशन: परिचय

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की जनसेवा इकाई रिलायंस फाउंडेशन का उद्देश्य नवीन और सक्षम  समाधानों के माध्यम से राष्ट्र के विकास के लिए मौजूद चुनौतियों के समाधान करने में प्रमुख भूमिका निभाना है। संस्थापक और चेयरपर्सन श्रीमती नीता अंबानी के नेतृत्व मेंरिलायंस फाउंडेशन निरंतर सभी के लिए समग्र सुख और उच्च गुणवत्ता के जीवन को सुनिश्चित करने के लिए परिवर्तनकारी बदलावों परिवर्तनों को सुविधाजनक बनाने की दिशा में काम कर रहा है। भारत की सबसे बड़ी सामाजिक पहलों मेंफाउंडेशन ग्रामीण परिवर्तनशिक्षास्वास्थ्यखेल विकासआपदा प्रतिक्रियाशहरी नवीकरण और कलासंस्कृति और विरासत के क्षेत्र में राष्ट्र के विकास चुनौतियों के समाधान करने पर केन्द्रित है। रिलायंस फाउंडेशन ने 44,700 से अधिक गांवों और 51 मिलियन से अधिक लोगों के जीवन को स्पर्श किया है।

 

इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए: www.reliancefoundation.org

 

० आशा पटेल ० 

जयपुर : लगभग 18 महीनों बाद राज्‍य सरकारें चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन के नियमों में छूट दे रही हैं और स्‍कूल दोबारा खुल रहे हैं। इस बीच प्रमुख एडटेक (एजुकेशन टेक्‍नोलॉजी) कंपनी लीड ने पेरेंट्स के साथ एक सर्वे किया है, ताकि बच्‍चों को वापस स्‍कूल भेजने पर उनके विचार समझे जा सकें। इस सर्वे के परिणाम बताते हैं कि जवाब देने वालों में से 59% को लगता है कि महामारी के कारण उनके बच्‍चों की पढ़ाई का नुकसान हुआ है और जयपुर में 70% पेरेंट्स अपने बच्‍चों को वापस स्‍कूल भेजना चाहते हैं। उनका मानना है कि स्‍कूलों के दोबारा खुलने से ही स्‍कूल का पूरा अनुभव मिलना संभव है।

यह सर्वे मेट्रो और नॉन-मेट्रो शहरों में रहने वाले उन 10500 पेरेंट्स के बीच हुआ था, जिनके बच्‍चे कक्षा 1 से लेकर 10 में पढ़ते हैं। लीड का सर्वे बताता है कि अपने बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य और सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए, 22% पेरेंट्स के लिये स्‍कूल स्‍टाफ का वैक्‍सीनेशन सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इसके अलावा, 55% मेट्रो पेरेंट्स ने सामाजिक दूरी को सबसे महत्‍वपूर्ण माना, जिसके बाद स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा सुविधाओं की बारी थी (54%)। इधर नॉन-मेट्रो पेरेंट्स ने कहा कि खेलों और सामाजिक दूरी का महत्‍व बराबर है (52%)।

पेरेंट्स ने महामारी के दौरान बच्‍चों और खुद के सामने आई चुनौतियों पर बात की और याद किया कि शुरूआती दिनों में वे कैसे ‘वर्क फ्रॉम होम’ और ‘स्‍कूल फ्रॉम होम’ के बीच ताल-मेल बिठाते थे। अध्‍ययन में पाया गया कि 47% मेट्रो पेरेंट्स ने अपने बच्‍चों के स्‍कूल में हर दिन 3 से 4 घंटे बिताये, जबकि ऐसा करने वाले नॉन-मेट्रो पेरेंट्स 44% थे। इसके आगे, सर्वे ने बताया कि अधिकांश पेरेंट्स (63%) को लगता है कि फिजिकल क्‍लासरूम में होने से बच्‍चों की सामाजिक पारस्‍परिक क्रिया बेहतर होती है।

लीड के को-फाउंडर और सीईओ सुमीत मेहता ने कहा, “पिछला डेढ़ साल टीचर्स, प्रिंसिपल्‍स, स्‍कूलों और सबसे महत्‍वपूर्ण, स्‍टूडेंट्स के लिये आसान नहीं रहा है। सबसे कम आय वाले परिवारों के बच्‍चों को डाटा और डिवाइसेस तक पहुँच नहीं होने के कारण पढ़ाई में सबसे ज्‍यादा नुकसान हुआ है। हमारा सर्वे स्‍पष्‍ट रूप से दिखाता है कि जयपुर में 70% पेरेंट्स अपने बच्‍चों को वापस स्‍कूल भेजना चाहते हैं। तो, आइये हम पेरेंट्स की बात सुनें और जो 30% लोग तैयार नहीं हैं, उनके लिये ऑनलाइन पढ़ाई की व्‍यवस्‍था करें। स्‍कूलों को अनिवार्य उपयोगिता माना जाना चाहिये और पेरेंट्स अपने बच्‍चों को सकारात्‍मक और खुले दिमाग से वापस स्‍कूल भेजें। आइये, हम सभी जरूरी सावधानियाँ बरतते हुए और सुरक्षा के उपायों को अपनाकर स्‍कूल में बच्‍चों के स्‍वागत की तैयारी करें।”

नॉन-मेट्रो पेरेंट्स के बीच ज्‍यादा असंतोष नॉन-मेट्रो में केवल 40% पेरेंट्स ने कहा कि उनके बच्‍चे ने पर्सनल कंप्‍यूटर पर पढ़ाई की थी, जबकि लगभग 60% मेट्रो पेरेंट्स ने बताया कि उनका बच्‍चा लॉकडाउन का एक साल बीतने के बाद भी कंप्‍यूटर/लैपटॉप पर पढ़ता रहा। नॉन-मेट्रो के ज्‍यादातर स्‍टूडेंट्स ने स्‍मार्टफोन के जरिये स्‍कूल अटेंड किये, जिससे पेरेंट्स को अक्‍सर चिंता हुई।

डाटा यह भी बताता है कि भविष्‍य के लिये स्किलसेट्स के मामले में बच्‍चों के वर्चुअल पढ़ाई के माहौल से मेट्रो पेरेंट्स की तुलना में नॉन-मेट्रो पेरेंट्स ज्‍यादा चिंतित थे। 53% मेट्रो पेरेंट्स ने प्रॉबलम सॉल्विंग और लॉजिकल रीजनिंग को सबसे महत्‍वपूर्ण स्किल माना, जबकि ऐसा मानने वाले नॉन-मेट्रो पेरेंट्स 47% थे। इसी प्रकार 50% से ज्‍यादा मेट्रो पेरेंट्स ने डिजिटल साक्षरता को महत्‍वपूर्ण स्किल माना, जबकि ऐसा मानने वाले नॉन-मेट्रो पेरेंट्स केवल 45% थे। पेशेवर मौके और कुशलताएं, आचार-सम्‍बंधी और नैतिक श्रवण, और कोडिंग तथा कंप्‍यूटेशनल स्किल्‍स उन अन्‍य कुशलताओं में से कुछ थे, जिन्‍हें मेट्रो पेरेंट्स ने महत्‍वपूर्ण माना।

चिंताओं के कुछ आम कारणमेट्रो और नॉन-मेट्रो, दोनों तरह के 70% पेरेंट्स ने कहा कि वे अपने बच्‍चों की पढ़ाई से जुड़े थे, लेकिन इस पढ़ाई से जुड़ने वाली ‘माताओं’ की सहभागिता मेट्रो शहरों में ज्‍यादा (21%) थी, जबकि नॉन-मेट्रो में 18%, यानि कम थी। इससे पता चलता है कि उस दौरान खासतौर से कामकाजी महिलाओं की जिम्‍मेदारियाँ बढ़ गई थीं।

० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नयी दिल्ली - 5 एशियाई देशों की 16 प्रतिष्ठित टीमों के 320 से अधिक खिलाड़ी वीएसएल 2021 में भाग लेंगे। वेटरन्स सुपर लीग 40+ आयु वर्ग के एथलीटों के बीच फुटबॉल भावना को आत्मसात करने के लिए एक मंच स्थापित करेगा।} वाल्डोना स्पोर्ट्स मीडिया एंड एंटरटेनमेंट ने  40 वर्ष की आयु सिमा पार कर चुके एशियाई फुटबॉल के सभी दिग्गजों, , जिन्होंने खेल से संन्यास ले लिया है उनकी  की भावना का जश्न मनाने व खेल में वापसी के लिए वेटरन सुपर लीग 2021 की घोषणा की है। भारत, बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका और नेपाल सहित 5 एशियाई देशों की 16 प्रतिष्ठित टीमों के 320 से अधिक खिलाड़ी 12 दिसंबर 2021 से 2 जनवरी 2022 तक डॉ. अंबेडकर स्टेडियम, नई दिल्ली में शुरू होने वाले भव्य फुटबॉल टूर्नामेंट में भाग लेंगे।

वेटरन सुपर लीग के उद्घाटन समारोह में सनी लियोन के शानदार प्रदर्शन के साथ एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन होगा। "मैन ऑफ टुडे" की उपाधि से सम्मानित दानिश परवेज खान के सहित निदेशक, वीएसएल, निकिता जायसवाल और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, वीएसएल, अमित चौधरी की अगुवाई में  मुख्य अतिथि के तौर पर साहिल खान व खेल जगत के अन्य गणमान्य कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। सुपर लीग का टेलीकास्ट डीडी स्पोर्ट्स पर किया जायेगा।

एमडी और चेयरमैन, वाल्डोना स्पोर्ट्स मीडिया एंड एंटरटेनमेंट प्रा० लि०, दानिश परवेज खान ने कहा, "यह लीग देश में फुटबॉल के एक नए युग की शुरुआत करेगा। मैं इस लीग के माध्यम से फूटबाल के लिए देश वाशियों में अटूट प्रेम और जुनून को साझा करने के साथ भारत में फूटबाल के मजबूत आधार को स्थापित करने के लिए तत्पर हूं।" जारी रखते हुए उन्होंने आगे कहा, "यह सुपर लीग 40+ आयु वर्ग के खिलाड़ियों को खेल के प्रति अपनी योग्यता, अपनी भावना और खेल के प्रति प्यार दिखाने का अवसर प्रदान करेगा।"

वेटरन्स सुपर लीग भारतीय खेल प्रेमियों के बीच फुटबॉल भावना को आत्मसात करने के लिए एक मंच स्थापित करेगा। इस लीग का उद्देस्य संन्यास ले चुके एशियाई फूटबाल खिलाड़ियों को एक जुट कर उनकी वापसी के भव्य स्वागत के साथ   उनकी खेल क्षमता को पहले की तरह उजागर करना है

० आशा पटेल ० 

जयपुर। युगांडा उच्चायोग द्वारा निवेश को आकर्षित करने हेतु पीएचडी चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साथ जयपुर में हो रहे तीन दिवसीय रोड शो के पहले दिन निवेशकों का भारी उत्साह रहा। रोड शो का उद्घाटन युगांडा सरकार के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्री ओरिम ओकेलो ने वर्चुअल रूप से करते हुए कहा की भारतीय निवेशक यूगांडा की प्राथमिकता हैं एवं उन्हें हर संभव सहयोग व सहायता प्रदान की जाएगी ताकि युगांडा के विभिन्न क्षेत्रों के विकास में उनकी भागीदारी बढ़ाई जा सके।

इस अवसर पर भारत में युगांडा की उच्चायुक्त ग्रेस अकिलो ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए युगांडा में व्याप्त निवेश की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह आश्वासन दिया की इच्छुक निवेशकों को भारत में स्थित उच्चायोग द्वारा हर संभव सहायता एवं प्राथमिकता दी जायेगी।

पीएचडी चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के राष्ट्रीय अध्यक्ष  संजय अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में आश्वासन दिया की पीएचडी चैम्बर युगांडा सरकार के साथ सकारात्मक भागीदारी निभाते हुए युगांडा में निवेश करने हेतु इच्छुक निवेशकों को भारत में स्थित उच्चायोग के साथ मिलकर यथा संभव सहायता एवं मार्गदर्शन करेगा ताकि दोनों देशों के मध्य व्यापर एवं उद्योग में अपेक्षित बढ़ोतरी सुनिश्चित की जा सके।

विशिष्ठ अतिथि के रूप में समारोह को सम्बोधित करते हुए पूर्व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एवं भूतपूर्व अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एक्जिम बैंक एवं विशिष्ट सचिव नीति आयोग यजुवेंद्र माथुर ने युगांडा में व्यापार एवं निवेश के लिए अनुकूल वातावरण पर प्रकाश डाला एवं बताया की दोनों देशों के मध्य व्यापार एवं निवेश बढ़ाने की प्रचुर समभावनाएं उपलब्ध हैं जिनका भारतीय निवेशकों को भरपूर फायदा उठाना चाहिए।

सत्र में युगांडा सरकार के उद्योग एवं संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने वर्चुअल रूप से भाग लेते हुए भारतीय निवेशकों को देश में व्याप्त युगांडा में निवेश के अनुकूल वातावरण एवं अवसरों, निवेशकों के लिए टैक्स की प्रणाली, यूगांडा की खनिज सम्पदा एवं उसके दोहन एवं नीतियों और तेल तथा गैस क्षेत्र में उपलब्ध व्यापक एवं प्रचुर संभावनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। श्री मार्टिन मोहान्जी, निदेशक युगांडा निवेश प्राधिकरण, एंड्रू मुगेरवा, निदेशक, निवेश प्रोत्साहन, युगांडा विकास प्राधिकरण, अबल कागुमेर, आयुक्त, युगांडा राजस्व प्राधिकरण, श्री विन्सेंट के डी, आयुक्त, भूविज्ञान सर्वेक्षण, मलिंगा हनी, निदेशक, पेट्रोलियम, ऊर्जा एवं खनिज मंत्रालय, युगांडा सरकार ने इस सत्र में भाग लिया एवं निवेशकों के प्रश्नों का जवाब दिया।

पीएचडी चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री राजस्थान समिति के अध्यक्ष दिग्विजय ढाबरिया ने युगांडा की नीतियों एवं उसके अमेरिका, यूरोप एवं अन्य विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार अनुबंधनों को निवेशकों के लिए बड़ा अवसर बताया।

० आशा पटेल ० 

जयपुर। युगांडा में भारतीय निवेशको के लिए अपार अवसरों की संभावना एवं उद्यमियों को निवेश के लिए आमंत्रित करने हेतु यूगांडा उच्चायुक्त द्वारा पीएचडी चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सहयोग से एक तीन दिवसीय हाइब्रिड रोड शो का जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में 16 से 18 सितम्बर को आयोजन किया जा रहा है।
इस अवसर पर एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमे पीएचडी चैम्बर राजस्थान के अध्यक्ष दिग्विजय ढाबरिया ने बताया की भारत एवं युगांडा के मध्य मित्रता के लम्बे सम्बन्ध रहे हैं। युगांडा में भारतीय मूल के उद्यमी व्यापार एवं उद्योग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। विगत वर्षों में युगांडा में उद्योगों को आकर्षित करने हेतु कई नीतिगत नवाचार एवं आधारभूत सुविधाओं का सृजन किया जा रहा है ताकि विदेशी निवेश को बढ़ाया जा सके। वर्तमान में भारत और युगांडा के मध्य बैलेंस ऑफ़ ट्रेड में भारी विसंगति है जिसे ठीक करने के लिए दोनों देश प्रतिबद्ध हैं। इसी सन्दर्भ में इस रोड शो का आयोजन किया जा रहा है।

इस अवसर पर युगांडा के भारत में उप उच्चायुक्त श्री मोहम्मद कजाला ने युगांडा में निवेशकों के लिए उपलब्ध व्यापक संभावनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया की शिक्षा, कौशल विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर, मेटल्स एंड मिनरल्स, तेल एवं गैस, रिफाइनरी, कृषि आधारित उद्योग, सूचना एवं संचार तकनीक, पर्यटन, फिल्म निर्माण, हेल्थ केयर, डेयरी आदि क्षेत्रों में भारी अवसर एवं संभावनाएं व्याप्त हैं। श्री कजाला ने बताया की इस हाइब्रिड रोड शो में युगांडा के मंत्रियों एवं उच्च अधिकारियों के द्वारा इन क्षेत्रों में विस्तृत जानकारी दी जायेगी एवं चर्चा होगी। 

 कजाला ने युगांडा सरकार द्वारा दी जाने वाली विभिन्न निवेश प्रोत्साहन योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा की युगांडा भारतीय उद्यमियों के साथ आपसी साझेदारी और सहयोग के लिए तत्पर है। रोड शो में युगांडा की संस्कृति के बारे में भी अनेक प्रस्तुतियां होंगी श्री कजाला ने बताया।

 कजाला ने बताया की वर्तमान में भारत से युगांडा को लगभग 800 मिलियन यूएस डॉलर का निर्यात होता है जबकि आयत मात्र 47 यूएस मिलियन डॉलर का है एवं युगांडा अपनी नीतियों एवं विभिन्न कार्यक्रम के द्वारा निवेशकों को आकर्षित कर रहा है ताकि युगांडा में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर उद्योग लगें ताकि युगांडा में मूल्यवर्धन हो सके। तीन दिवसीय रोड शो में निवेश, व्यापार, पर्यटन, फिल्म निर्माण आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा होगी।

० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नई दिल्ली : स्पोर्ट्सवियर के दिग्गज ब्राण्ड एडिडास ने भारत में अपना पहला फ्लैगशिप स्टोर खोला है। राजधानी के केंद्र कनॉट प्लेस में खुला ‘द होम ऑफ पॉसिबिलिटीज‘ स्टोर में कई डिजिटल टचपॉइंट, सस्टेनेबिलिटी जोन का तालमेल है और इसमें ग्राहकों की खुदरा खरीदारी का आने वाला कल नजर आता है।

स्टोर 4 मंजिलों का है और 5900 वर्ग फुट में फैला है। स्टोर में ब्रांड के कांसेप्ट ‘ओन द गेम‘ की रणनीति को सकार किया गया है जिसके 3 बुनियादी पहलू हैं - अनुभव, स्थिरता और विश्वसनीयता। सीपी में एडिडास का फ्लैगशिप स्टोर ग्राहकों को इनोवेटिव तकनीक का अनुभव देता है। इसमें 32 डिजिटल टच पॉइंट हैं जो स्वच्छ ऊर्जा से संचालित हैं। स्टोर में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर ग्राहकों को खरीदारी का बेहतर डिजिटल अनुभव देने के लिए इमर्सिव स्क्रीन, डिजिटल प्लिंथ और सीलिंग स्क्रीन लगाए गए हैं।

स्टोर के फ्लोर पर अपसाइक्लि कार्बन टाइल्स लगी हंै जो पर्यावरण के प्रदूषण से कार्बन हासिल कर बनाई जाती हैं। यह देश का पहला एलईईडी मान्यता प्राप्त एडिडास स्टोर है। सस्टेनेबलिटी को लेकर एडिडास का दीर्घकालिक दृष्टिकोण रहा है और यह उसके लिए प्रतिबद्ध भी है जिसका प्रमाण फ्लैगशिप स्टोर में एक खास ‘सस्टेनेबिलिटी जोन‘ बनाया जाना है। इस जोन में एंड प्लास्टिक वेस्ट का लोगो लगा है और अंदर एडिडास का सबसे अच्छा सस्टेनेबल कलेक्शन पेश किया गया है।

एडिडास ने महिलाओं पर हमेशा खास ध्यान दिया है और अधिक से अधिक लोगों के लिए स्थान बनाने के लक्ष्य से फ्लैगशिप स्टोर को इस तरह से संवारा गया है कि प्रोडक्ट और खरीदारी के बेहतरीन अनुभव के  लिए लोग आएं और एडिडास खेल और फिटनेस के इस सफर में उनका सहायोगी बने।

नया फ्लैगशिप स्टोर खुलने के अवसर पर सुनील गुप्ता, सीनियर डायरेक्टर, ब्रांड एडिडास, इंडिया ने कहा, “भारत का हमारा पहला फ्लैगशिप स्टोर देश की राजधानी के केंद्र सीपी में खोल कर हम बहुत उत्साहित हैं। हमारे ब्रांड का बेहतरीन ‘द होम ऑफ पॉसिबिलिटीज‘ स्टोर बेमिसाल है। यह एक जगह विश्वस्तरीय खरीदारी का अनुभव देता है। हम इनोवेशन, सृजन और डिजाइन के माध्यम से खरीदारी के वास्तविक (भौतिक) अनुभव की नई कल्पना साकार कर रहे हैं ताकि ग्राहकों को खरीदारी का बेजोड़ अनुभव मिले। स्टोर में कलाकृति के माध्यम से स्थानीय फ्लेवर और एलिमेंट दिए गए हैं। खास जोन में हमारे देश के एथलीटों की झलकियां हैं और कस्टमाइजेशन जोन में अद्भुत लोकल प्रिंट हैं।’’

स्टोर में भारतीय विशिष्टता के प्रदर्शन के साथ एक खास सेक्शन कस्टमाइजेशन, पर्सनलाइजेशन और लोकलाइजेशन का है। इसके दिल्ली प्रिंट शॉप में चर्चित डिजिटल डीआईवाई का अनुभव मिलेगा जहां ग्राहक तत्काल अपनी टीज़ को कस्टमाइज और पर्सनलाइज कर सकते हैं। दिल्ली और भारत के कुछ खास एलिमेंट के साथ कलाकारों के सहयोग इस स्टोर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ग्लोबल$ लोकल का सुंदर तालमेल हो।

स्टोर में एक खास ‘आउटडोर‘ कलेक्शन जोन स्काइलाईट सीलिंग के साथ है। यह हाइकिंग और ट्रेल रनिंग एडवेंचरर्स के लिए है। इसके अंदर ‘कलेक्शन’ कांसेप्ट पर एक खास ओरिजिनल्स सेक्शन है। साथ ही, पुरुषों का परफाॅर्मेंस और बास्केटबॉल सेक्शन है। स्टोर में एक खास फ्लोर फुटबॉल कलेक्शन का है जिसमें एक डिजिटल फुटवियर वाॅल, विक्टरी मैनेक्विन, लिट क्रेस्ट और सीलिंग में एलईडी फील्ड लाइनें हैं।

० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नई दिल्ली : स्वीडन के दूतावास ने फेमे फस्र्ट फाउंडेशन के सहयोग से ‘संसद में महिलाएं: स्वीडन के अनुभव’ पर एक वर्चुअल विमर्श का आयोजन किया। यह स्वीडन की महिला सांसदों और भारत की महत्वाकांक्षी महिला राजनेताओं के बीच एक गंभीर चर्चा थी। यह अभूतपर्व विमर्श था और इसकी परिकल्पना स्वीडन की नारीवादी विदेश नीति की पृष्ठभूमि में की गई थी। इस अवसर पर भारत में स्वीडन के राजदूत क्लास मोलिन ने आरंभिक संबोधन किया।

स्वीडन के राजदूत  क्लास मोलिन ने कहा: ‘‘स्त्री-पुरुष समानता और सभी को एक समान अधिकार स्वीडन की विदेश नीति की बुनियाद है। इसका अर्थ सभी के अधिकारों का आदर करना, संसाधनों का सही आवंटन करना और सभी स्तरों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है। हमें फेम फस्र्ट के मिशन और सरकार में महिलाएं फेलोशिप कार्यक्रम का समर्थन करने का गर्व है जो राजनीति और सरकार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और बेहतर बनाने के रचनात्मक प्रयास का सशक्त उदाहरण है।‘‘

 ‘संसद में महिलाएं: स्वीडन के अनुभव’ का सृजन एवं संचालन फेम फेस्र्ट फाउंडेशन ने किया है जो भारत में महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत निरपेक्ष गैर-आर्थिक लाभ संगठन है। यह आयोजन वर्तमान में जारी उनके ‘वुमन इन गवर्नमेंट फेलोशिप’ के तहत किया गया है जो क्षमता के विकास, प्रशिक्षण और राजनीति में महिलाओं के मार्गदर्शन पर केंद्रित छह महीने का कार्यक्रम है। इसका मकसद भारत में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी और गुणवत्ता बढ़ाना है।

फेम फस्र्ट फाउंडेशन की संस्थापक अंजेलिका अरीबाम ने कहा:‘‘भारतीय संसद में केवल 14.3 फीसद महिलाएं हैं और इस लिहाज से दुनिया में इसका 145वां स्थान है। बहुत-से देश लैंगिक समानता की बाधाओं को तोड़ चुके हैं जिनसे हमें बहुत कुछ सीखना है और स्वीडन ऐसे देशों की सूची में सबसे ऊपर है। स्वीडेन की सरकार का यह स्वाभिमान है कि यह दुनिया की पहली नारीवादी सरकार है। स्वीडेन की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 50 प्रतिशत है और यह उनके नीति निर्माण में दिखता है। आज के संवाद में राजनीति में सक्रिय भारतीय महिलाओं को स्वीडन की महिला सांसदों के वास्तविक अनुभवों को प्रत्यक्ष रूप से सीखने और स्थायी मैत्री कायम करने का अवसर मिला। यह स्त्री-पुरुष भेदभाव से दूर एक नई दुनिया बनाने की ओर बड़ा कदम है।‘‘

फेलोशिप के पहले समूह में पूरे देश की 18 उल्लेखनीय महिला नेता शामिल हैं। इनमें कुछ पहले से निर्वाचित कार्यालय में मौजूद हैं, कुछ राजनीतिक दलों की पदाधिकारी और कुछ अन्य राजनीति में उतरने की इच्छुक नागरिक समाज की महिला नेता हैं। स्वीडन की सांसदों में पूर्व स्वीडिश रक्षा मंत्री सुश्री कैरीन एनस्ट्रॉम (मॉडरेट पार्टी और संविधान समिति की अध्यक्ष), सुश्री कैमिला हैनसेन (ग्रीन पार्टी और विदेश कार्य समिति की सदस्य), सुश्री एमिलिया टोयरा (सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी और सामाजिक आश्वासन समिति की सदस्य) और सुश्री टीना एक्टाॅफ्ट (लिबरल पार्टी और संवैधानिक मामलों की प्रवक्ता); इनमें कुछ हाल में 2019 में भारत दौरे पर आई थीं।

इस अवसर पर स्वीडिश सांसदों ने अनौपचारिक बातचीत की और आज के दौर में महिलाओं के नेतृत्व संभालने के लाभों के बारे में विमर्श किया। उन्होंने निजी अनुभव साझा किए और नारीवादी नेतृत्व के भविष्य के बारे में वे क्या सोचती हैं इस बारे में बताया। इसके अतिरिक्त प्रोग्राम के अध्येताओं (फेलोज़) को छोटे-छोटे समूहों में सांसदों से अंतरंग विमर्श का अवसर मिला ताकि वे इस सफर की चुनौतियों और उपलब्धियों के बारे में संक्षिप्त विचार रखें।

आयोजन बहुत आकर्षक था और दोनों पक्षों के लिए लाभदायक साबित हुआ। अध्येता (फेलो) महिलाएं जानकार थीं और अनुभवी सांसदों से अधिक जानने को उत्सुक भी थीं। सांसद भी युवतियों के सवालों से प्रभावित और उत्साहित थीं। राजनीति में उतरने की इच्छुक भारतीय महिलाओं को उनकी मुख्य सलाह यह थी कि अन्य महिलाओं का समर्थन प्राप्त करें। इसके लिए दलगत राजनीति और विचारधाराओं की सीमाओं से उठ कर प्रयास करें।

० आशा पटेल ० 

जयुपर। उद्योग शासन सचिव आशुतोष ए. टी पेडणेकर से अर्जेंटीना रिपब्लिक के डेलिगेशन ने यहां उद्योग भवन में मुलाकात की। इस डेलीगेशन में अर्जेण्टीना रिपब्लिक के राजदूत ह्यूगो जेवियर गोब्बी तथा दूतावास में कृषि अटैशे श्री मारियानो बेहरान और वाणिज्य विभाग की प्रमुख सुश्री डेनिस प्रेगुइका बोज़िक शामिल थी। इस मुलाकात में राजस्थान और अर्जेंटीना रिपब्लिक के मध्य कृषि, आईटी, खनन सहित अन्य क्षेत्रों में निवेश की संभावानाओं और तकनीक के आदान – प्रदान पर चर्चा हुई।

उद्योग शासन सचिव ने कहा कि राजस्थान और अर्जेंटीना के मध्य कृषि, आईटी, खनन, जैम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर में निवेश की काफी संभावनाएं हैं। उद्योग विभाग द्वारा एग्री एवं एग्रो प्रोसेसिंग, ऑटो एवं ईवी, मेडिकल एवं मेडिकल डिवाइसेस, फार्मा, स्पोर्टस एवं टॉय तथा सेरेमिक्स सेक्टर विकसित किए जा रहें है।

कृषि आयुक्त डॉ.ओमप्रकाश ने टिड्डी नियंत्रण और कृषि क्षेत्र में निवेश को लेकर प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने टिड्डी नियंत्रण में कृषि विभाग द्वारा किए नवाचारों के बारे में भी विस्तार से बताया। उद्योग एवं बीआईपी आयुक्त अर्चना सिंह ने कहा कि राज्य में उद्योग की भारी संभावनाओं को देखते हुए सरकार औद्योगिक निवेश को लेकर काफी गंभीर हैं और लगातार प्रयासरत है कि निवेशकों को किसी प्रकार की समस्या ना आए। इस अवसर पर उद्योग और कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।


० आशा पटेल ० 

जयपुर-लोकतांत्रिक जनपक्षीय जनसंगठनों की ओर से शहीद स्मारक, जयपुर पर  अफगानिस्तान पर तालिबान कब्जे के खिलाफ और महिलाओं की आजादी में खलल पैदा किए जा रहे हालातों के खिलाफ एवं उनकी सुरक्षा के मद्देनजर प्रदर्शन किया गया।

सभी जन संगठनों के नेताओं ने भारत सरकार से आग्रह किया कि वह अफगानिस्तान के मामले में तालिबान को लेकर चुप्पी तोड़े और जो लोग पीड़ित हो रहे हैं उनके दमन से उनकी रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वार्ता करके उनको सुरक्षा प्रदान करना सुनिश्चित किया जाए। इसके अलावा अफगानिस्तान में भारतीय एवं ऐसे लोग जो मानवतावादी हैं उन्हें भारत में शरण दी जाए।

 प्रदर्शन में वामपंथी नेता नरेंद्र आचार्य, गांधी वादी नेता सवाई सिंह, समाजवादी नेता शैलेन्द्र अवस्थी, ऐपवा की  मंजुलता, परवीन बानो, एडवा की नीरज चौहान, शिल्पा, एन एफ आई डब्ल्यू की निशा सिद्दू, सुनीता चतुर्वेदी, राजस्थान नागरिक मंच के आर सी शर्मा, बसन्त हरियाणा, अनिल गोस्वामी,नेशनल वुमेन्स वेलफेयर की निशात हुसैन, फैयाज खान, इंकलाबी नोजवान सभा के राहुल चौधरी, एटक के कुणाल रावत, एक्टू के मोहम्मद सलीम, एप्सो के रमेश शर्मा सहित अनिल शर्मा,जहारा अली, नसीम कुरेशी, जाहिरा, कोहिनूर, महेश शर्मा प्रमुख तौर पर शामिल रहे।

० आशा पटेल ०

जयपुर -आईईईएमए वुमन इन पावर चैप्टर ने प्रारंभ - ए जर्नी टूवर्ड्स सेल्फ- बिलीफ नाम से अपना पहला कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम का उद्घाटन आध्यात्मिक लीडर और मोटिवेटर, सिस्टर बीके शिवानी ने किया। इस कार्यक्रम में सिस्टर बीके शिवानी के साथ पीजीसीआईएल की डायरेक्टर (ऑपरेशन्स), सुश्री सीमा गुप्ता का इंटरैक्टिव सेशन भी हुआ।

कार्यक्रम में आईईईएमए के प्रेसिडेंट अनिल साबू, आईईईएमए के वाइस प्रेसिडेंट्स, विजय करिया व नीरज नंदा, और आईईईएमए डब्ल्यूआईपी चैप्टर की चेयरपर्सन, सुश्री मीरा परसुराम भी उपस्थित थीं। इस वर्चुअल इवेंट में 1000 से ज़्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए। आईईईएमए के प्रेसिडेंट अनिल साबू ने कार्यक्रम में शामिल हुए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा, इलेक्रामा (ELECRAMA) ने पावर सेगमेंट में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और अनुभवों पर चर्चा करने के लिए पहली बार “महिला सशक्तिकरण प्लेटफार्म बनाया है। विकसित देशों में इस सेक्टर में महिलाकर्मियों का अनुपात लगभग 50% है, जबकि भारत में कोर पावर सेक्टर में केवल 6-7% ही महिलाकर्मी हैं। पावर सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उद्योग में महिला लीडर्स की अहमियत को स्वीकार करने के लिए हमने महिला सशक्तिकरण से जुड़ी ये पहल की है।”

आईईईएमए वीमेन इन पावर चैप्टर की चेयरपर्सन, सुश्री मीरा परसुराम ने कहा, “यह ऐसा प्लेटफार्म है जहां हम इंजीनियर, रिसर्चर, प्रशासक, विशेषज्ञ, रेगुलेटर्स, लीडर्स, उद्यमी और व्यापार मालिकों के रूप में एक दूसरे से मिल रहे हैं। शुरू में मैंने सोचा था कि इतने अलग-अलग पेशेवर क्षेत्रों से जुड़े लोगों का एक साथ काम करना मुश्किल होगा, लेकिन यहां सीखने व सहयोग करने के माहौल और खुशी भरा वातावरण देखकर मैंने तुरंत अपनी सोच को बदला। चैप्टर में शामिल हम सभी महिलाएं अपने क्षेत्रों में अग्रणी पदों पर हैं और हम मिलकर इस उद्योग को बेहतर और अधिक समावेशी बनाने की कोशिश कर रही हैं।”

सिस्टर बीके शिवानी का शामिल होना कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता रही। उन्होंने कई मुद्दों पर विस्तार से बात की, उन्होंने कहा, “कोविड-19 महामारी के कारण वर्तमान समय हम सभी के लिए कठिन है। पूरी दुनिया भर में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल असर हुआ है। कोविड-19 के समय खुद को मानसिक तौर से मजबूत बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि हम दिमाग को शांत और सकारात्मक रखें। लेकिन हमें यह सीखने की ज़रूरत है कि सूचनाओं की अधिकता से खुद को दूर रखकर मानसिक तौर पर मजबूत कैसे बना जाए।

उन्होंने कहा कम सोचना बहुत महत्वपूर्ण है। अपने दिमाग को ज़्यादा शक्तिशाली बनाने के लिए ज़रूरी है कि हम कम और सही दिशा में सोचें। कोविड-19 से पहले भी हम भावनात्मक निर्भरता का जीवन जीते आ रहे हैं। जब दुनिया पर संकट आया तो हम सबने कहा कि डर और चिंता सामान्य बात है। एक समाज के तौर पर हम यह संदेश दे रहे थे कि इस कठिन समय में डर और चिंता होना सामान्य है। पावरग्रिड में ऑपरेशन्स की डायरेक्टर, 

सुश्री सीमा गुप्ता ने कहा, “जीवन में कड़ी मेहनत और सामने आने वाली सभी बाधाओं से पार पाने का दृढ़ संकल्प होना बहुत ज़रूरी है। एक दशक पहले तक पावर सेक्टर को फील्ड आधारित कठिन नौकरी समझा जाता था और यह महिलाओं के लिए करियर का बहुत आकर्षक विकल्प नहीं था। हालांकि, माइक्रो लेवल पर नई टैक्नोलॉजीज़ के आने से इस सेक्टर ने खुद को डिजिटल आधारित सेक्टर में बदला है और अब यह सबके लिए करियर का आकर्षक विकल्प बनकर उभरा है। हालांकि उद्योग में नौकरी देने के मामले में अभी भी लैंगिक समावेशन की नीति अपनाए जाने की ज़रूरत है।”


० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नई दिल्ली,अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सेवाओं के विश्व प्रमुख संगठन आईडीपी एडुकेशन का तीसरा सबसे बड़ा वर्चुअल शिक्षा मेला 3 अगस्त से शुरू होगा और 29 सितंबर तक चलेगा। ऑस्ट्रेलिया, इंगलैंड, अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड और आयरलैंड जैसे देशों के 170 से अधिक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय और संस्थान इसमें भाग लेंगे। इसका मकसद विदेश में पढ़ने के इच्छुक विद्यार्थियों को इसकी योजना बनाने में मदद करना है। भागीदार विश्वविद्यालयों और संस्थानों के प्रतिनिधि वीडियो कॉल से विद्यार्थियों से व्यक्तिगत तौर पर बात करेंगे और विदेश में पढ़ने संबंधी सभी प्रश्नों के उत्तर देंगे।

मेले में भागीदारी की प्रक्रिया बहुत आसान है। विद्यार्थी आधिकारिक आईडीपी वेबसाइट पर जाएंगे और वर्चुअल मेले में अपना स्लॉट बुक करेंगे। उनके पंजीकृत मेल आईडी पर आयोजन से जुड़ने के लिए कुछ दिन पहले एक लिंक आएगा। विद्यार्थी शेड्यूल के अनुसार लिंक क्लिक कर आयोजन से जुड़ जाएंगे। मेले में एक आईडीपी एक्सपर्ट की मदद से वे मनपसंद विश्वविद्यालय या संस्थान चुन सकते हैं और वीडियो काॅन्फ्रेसिंग के जरिये व्यक्तिगत बात सकते हैं।

आईडीपी एडुकेशन के क्षेत्रीय निदेशक (दक्षिण एशिया) पीयूष कुमार ने कहा, ‘‘हम समझ सकते हंै कि संस्थान का चयन और आवेदन करना छात्रों और अभिभावकों के लिए कितना कठिन होता है। आईडीपी में हम उन्हें बेहतरीन सलाह और उच्च गुणवत्ता की सहायता देने को प्रतिबद्ध हैं ताकि वे अपने करियर के सपने पूरे करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, इंगलैड, कनाडा, न्यूजीलैंड और आयरलैंड जैसे दिग्गज देशों में आसानी से सही कोर्स और संस्थान चुनें। हमारी हमेशा यही कोशिश रही है कि छात्रों और संस्थान के विशेषज्ञों के बीच महत्वपूर्ण जानकारी के आदान-प्रदान का सशक्त माध्यम दें ताकि सोच-समझ कर निर्णय लेने के लिए पर्याप्त मार्गदर्शन मिले।’’ कुमार ने कहा, ‘‘महामारी की वजह से हर एक देश ने अपने नियमों और विनियमों में कुछ बदलाव किए। इसलिए हम आरंभिक चरणों से लेकर विद्यार्थियों के कैंपस में सुरक्षित पहुंचने तक चरणबद्ध सहायता और मार्गदर्शन देते हैं।’’ 

आईडीपी इस मेले का वर्चुअल आयोजन कर रहा है। इसलिए विद्यार्थी घर पर आराम से उच्च शिक्षा के श्रेष्ठ देशों में पढ़ने की संभावना तलाश सकते हैं। योग्यता के बारे में जानकारी ले सकते हैं। साथ ही, प्रोग्राम, स्काॅलरशिप, पढ़ाई पूरी करने के बाद के काम के विकल्प और इंटर्नशिप के अवसरों के बारे में भी जान सकते हैं। वे 2021 और 2022 के दाखिले के लिए आवेदन दर्ज कर सकते हैं, आवेदन शुल्क में छूट का लाभ उठा सकते हैं और आईडीपी के अंतराष्ट्रीय शिक्षा विशेषज्ञों से वीडियो काॅल के जरिये अपने सभी प्रश्नों के उत्तर के साथ सही मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। आईडीपी विदेश में पढ़ने के उनके सपने साकार करने में मदद करने के लिए निरंतर समर्पित रहा है।

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