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यूनिसेफ “गो ब्ल्यू” वैश्विक अभियान द्वारा बाल अधिकारों के समर्थन में जागरूकता

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर, विश्व ‘बाल दिवस’ के अवसर पर यूनिसेफ के बाल अधिकारों के समर्थन में दुनिया भर की ऐतिहासिक इमारतों को नीली रोशनी में जगमगाने के अभियान के तहत जयपुर के विश्व प्रसिद्ध हवामहल, प्रतिष्ठित विधानसभा भवन, जयपुर विकास प्राधिकरण भवन, अमर जवान ज्योति स्मारक एवं गांधी सर्कल को नीली रोशनी से रंगीन किया गया। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी ने विधानसभा भवन को नीली रोशनी से रोशन करके बाल अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने इस अवसर पर प्रसारित पोस्टर के जरिए संदेश दिया कि कोविड -19 महामारी की शुरुआत के बाद से बच्चों की शिक्षा बाधित हुई हैजिसके दुष्परिणाम एक पूरी पीढ़ी को भुगतने पड़ेंगे।उन्होंने कहा कि हर बच्चे की पढ़ाई में हुए नुकसान की स्कूल में भरपाई की आवश्यकता है और उनके इस अधिकार की सुरक्षा से ही वे अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकेंगे।

यूनिसेफ राजस्थान फील्ड ऑफिस की प्रमुख इसाबेल बार्डन ने कहा, “विश्व बाल दिवस हमें बच्चों के अधिकारों की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने और हर बच्चे के बेहतर भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में काम करने के लिए खुद को फिर से समर्पित करने का अवसर देता है।”

बाल अधिकारों के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए हर साल दुनिया भर में सैकड़ों ऐतिहासिक इमारतें 20 नवंबर को बाल दिवस पर नीले रंग की हो जाती हैं। इमारतों का नीला हो जाना हर बच्चे के अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन को अपनाने की सालगिरह तथा उसके प्रतिनिधि यूनिसेफ के प्रत्येक बच्चे के अधिकारों को सुरक्षित रखने के जनादेश का प्रतीक है। विश्व बाल दिवस पर नीले में रंग जाना हर बच्चे के अधिकार के लिए खड़े होने के यूनिसेफ के जनादेश का द्योतक है। इस वर्ष चूंकि बच्चे कोविड-19 महामारी की चपेट में हैं, इसलिए यह कोई उत्सव नहीं है, बल्कि किसी भी बच्चे के लिए बेहतर दुनिया की फिर से कल्पना करने का संकल्प है।

विश्व बाल दिवस 2021 की थीम "हर बच्चे के लिए बेहतर भविष्य" है। जैसे-जैसे दुनिया विनाशकारी महामारी से उबर रही है, यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम हर बच्चे के अधिकार सुरक्षित करें। राजस्थान में बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता शायद अधिक महत्वपूर्ण है। विभिन्न रिपोर्टों ने राज्य में गंभीर स्थिति को उजागर किया है। बाल श्रम, बच्चों के खिलाफ अपराध और बाल विवाह की सामाजिक बुराई सभी मामलों में महामारी के दौरान वृद्धि दर्ज की गई है।

राजस्थान में 5-14 वर्ष के आयु वर्ग में देश के कुल बाल श्रम का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा पाया जाता है। यहां बच्चे खनन, रत्न और आभूषण, कालीन बुनाई, ईंट भट्टों, कृषि और श्रम जैसे क्षेत्रों में खराब परिस्थितियों में काम करते हैं। पुलिस के अनुसार पिछले दो वर्षों में राजस्थान में लगभग 3,000 बाल मजदूरों को बचाया गया है।एनसीआरबी अपराध रिपोर्ट 2020 के विश्लेषण से पता चलता है कि 2016 और 2020 के बीच बच्चों के खिलाफ अपराध में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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