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विश्व मैत्री मंच,दिल्ली इकाई द्वारा बाल दिवस काव्य गोष्ठी

० शकुंतला  मित्तल ० 

नयी दिल्ली - अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच,दिल्ली  इकाई  द्वारा  शकुंतला मित्तल(अध्यक्ष, दिल्ली इकाई) एवं अर्चना  पाण्डेय (महासचिव,दिल्ली इकाई)  के संयोजन  में  काव्य  गोष्ठी  का आयोजन किया गया,जिसमें  अन्तर्राष्ट्रीय विश्व  मैत्री मंच की संस्थापिका और साहित्यकार संतोष श्रीवास्तव और निदेशक सविता चड्ढा का सान्निध्य  प्राप्त  हुआ। काव्य गोष्ठी  का कुशल, सुव्यवस्थित और मोहक संचालन  विश्व मैत्री मंच की अध्यक्ष शकुंतला मित्तल ने किय

आयोजन  की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार सुमन वाजपेयी  ने की।काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ बाल कवयित्री काव्या अग्रवाल ने मधुर सरस्वती वंदना से  कर मंच को भावविभोर कर दिया। अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की संस्थापिका वरिष्ठ लेखिका संतोष श्रीवास्तव  ने कार्यक्रम की अध्यक्षा और उपस्थित  सभी  बाल प्रतिभागियों को काव्य गोष्ठी  की सफलता के लिए शुभकामनाएँ  समर्पित की और अन्तर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की कार्य शैली , विपन्न बच्चों की सहायतार्थ विश्व मैत्री मंच के कार्य आदि की जानकारी उपलब्ध करवाते हुए  दूसरों के दुख में उनके प्रति संवेदनशील रहने का सुंदर संदेश दिया।

इस काव्य  गोष्ठी  में  सभी प्रतिभागियों  की  काव्य  प्रस्तुति  और गायन  ने समां बांध  दिया।चरिताक्षी नुणीवाल ,उत्कर्ष श्रीवास्तव,अर्शप्रीत आहूजा,राघव मित्तल,रिद्धि मित्तल,सिद्धि मित्तल,उन्नति श्रीवास्तव,हानिया नियाज़, दीक्षा सैनी,विहान मेहता, मायशा अग्रवाल काव्या अग्रवाल,जतिन,चिराग सती,सान्या शर्मा,श्रुति गुप्ता,ईशिता सेठी ...इन सभी बाल कवियों ने माँ,परिवार,नानू,पिता,देश,ध्यानावस्था, चूहा और आतंकवाद,पुलवामा के शहीद जैसे विविध विषयों पर अपनी अनुपम प्रस्तुति दी। प्रबुद्ध बच्चों के चिन्तनमय भावों में साहित्य ,समाज और देश के उत्तम भविष्य की सफलता दिखाई दी।

 एक झलक

मीठी मीठी बातें कर मुझे है हँसाती,

आज भी हर रात मुझे लोरी गाकर है सुलाती ।

चरिताक्षी नुणीवाल

हर डाट में जिसकी हो भरपूर प्यार

आँख से आंसू पूछकर जो करे दुलार

-दीक्षा सैनी

मैं भारत की माटी हूँ 

बलिदानों की कहूँ कहानी । 

बापू ने सींचा है इसमें 

सत्य- अहिंसा का ही पानी ।

रिद्धि मित्तल

बादल बन उड़ जाऊँ

आसमान में जाऊँ

नभ के चाँद सितारे

मुट्ठी में भर लाऊं।

राघव मित्तल

मिल जुल कर प्यार से रहने वाला, 

मेरा है यह परिवार सुहाना। 

नहीं शिकायत एक दूजे से, 

हमने तो सीखा प्यार निभाना। 

सिद्धि मित्तल

चूहा भाई चूहा भाई

जल्दी आओ जल्दी आओ

कुतर कुतर कर गन्ना खाओ 

गन्ना खाकर मौज उड़ाओ

मायशा अग्रवाल

मेरी मां सबसे अच्छी है

दिल की बहुत सच्ची है

जब भी हाथ बटाना चाहूँ 

कहती है तू बच्ची है 

काव्या अग्रवाल

कभी सपने,  कभी साहस,  कभी ज़िद और खुशियां अपार, 

अपनी मुट्ठी खोल कर देखा है हर बार...

..उन्नति श्रीवास्तव

आज भी मेरे  नानू जब मेरा हाथ पकड़ते हैं,मुंह से उनके ये ही शब्द निकलते हैं,

तुम हाथ पकड़ना मेरा,जब मैं बूढ़ा हो जाऊँ ,

छड़ी बन जाना मेरी,जब मैं लड़खड़ाऊँ ।।।।

- उत्कर्ष श्रीवास्तव 

भूलूँगी कैसे मैं ये बचपन का ज़माना,

अपनों की मोहब्बत का ये अनमोल खज़ाना |

हानिया  नियाज़

इस ज़ुल्मी दुनिया ने मुझे गलत ठैराया,

मेरे सीधे स्वभाव ने मुझे हँसी का पात्र बनाया।

-जतिन 

हमें शिक्षक  सिखाते है सही और बुरे मे फासले 

अंधेरे को भागते है 

चलो दीपक ले चले

विहान मेहता

मचा आतंक पुलवामा में

खून से भरी वो वादी है ।

मत समझो तुम आतंकवाद

ये हरकत पाकिस्तानी है ।। 

      - चिराग सती

मुझसे मुझको मिला दिया 

जीना मुझको सिखा दिया

सीखा था शौक शौक में जिस ध्यान को 

उसने मेरी जिंदगी को फूलों सा खिला दिया 

~अर्शप्रीत आहूजा

मेरे वतन को यह क्या हो रहा हैं ?

मेरे वतन के लिए मेरे मन में कोई नकारात्मक भाव नहीं, 

मेरा गर्व हैं भारत , उसके प्रति सम्मान का मेरे मन में अभाव नहीं ।

पर एक सवाल मेरे मन को हर पल पीड़ित कर रहा हैं ,

आखिर मेरे वतन को आखिर यह क्या हो रहा हैं ?

श्रुति गुप्ता

एक व्यक्ति करे बुरा काम

पूरे मजहब को कर दे बदनाम

हां, हम ही हैं इंसान।

सान्या शर्मा

वो दिन भी क्या दिन थे!! 

संजोयी हैं यहाँ यादें कितनी सारी,

वो था पहला दिन विद्यालय का जहाँ शुरू हुई एक नई कहानी। 

रो-रोकर था पहला दिन हमारा गुज़रा जहांँ, 

जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल ही था वहाँ।

ईशिता सेठी

अध्यक्षा "सुमन वाजपेयी" ने सभी  बाल रचनाकारों की काव्य  प्रस्तुति  की सराहना करते हुए उन्हे  बधाई  दी और "मैं सपने बुनती हूँ" कविता सुनाई।गोष्ठी में अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से और अपने आशीर्वचनों से बाल कवियों का मनोबल बढ़ाया।

कार्यक्रम  के  अंत में शकुंतला मित्तल  ने संस्थापिका संतोष  श्रीवास्तव  का,निदेशक सविता चड्ढा  का,महासचिव अर्चना पाण्डेय का,आयोजन अध्यक्षा सुमन वाजपेयी का, वरिष्ठ साहित्यकार दुर्गा सिन्हा "उदार"  पुष्पा शर्मा "कुसुम",वंदना रानी दयाल,तरुणा पुंडीर तरुनिल वीणा अग्रवाल ,कविता शर्मा और मंच पर उपस्थित  सभी सम्मानित साहित्यिक  विभूतियों,अभिभावकों और बाल कवियों के शिक्षकों  का  आभार  व्यक्त किया। गोष्ठी  हर्षोल्लास पूर्ण वातावरण में संपन्न  हुई। 

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