जयपुर -आईईईएमए वुमन इन पावर चैप्टर ने प्रारंभ - ए जर्नी टूवर्ड्स सेल्फ- बिलीफ नाम से अपना पहला कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम का उद्घाटन आध्यात्मिक लीडर और मोटिवेटर, सिस्टर बीके शिवानी ने किया। इस कार्यक्रम में सिस्टर बीके शिवानी के साथ पीजीसीआईएल की डायरेक्टर (ऑपरेशन्स), सुश्री सीमा गुप्ता का इंटरैक्टिव सेशन भी हुआ।
कार्यक्रम में आईईईएमए के प्रेसिडेंट अनिल साबू, आईईईएमए के वाइस प्रेसिडेंट्स, विजय करिया व नीरज नंदा, और आईईईएमए डब्ल्यूआईपी चैप्टर की चेयरपर्सन, सुश्री मीरा परसुराम भी उपस्थित थीं। इस वर्चुअल इवेंट में 1000 से ज़्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए। आईईईएमए के प्रेसिडेंट अनिल साबू ने कार्यक्रम में शामिल हुए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा, इलेक्रामा (ELECRAMA) ने पावर सेगमेंट में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और अनुभवों पर चर्चा करने के लिए पहली बार “महिला सशक्तिकरण प्लेटफार्म बनाया है। विकसित देशों में इस सेक्टर में महिलाकर्मियों का अनुपात लगभग 50% है, जबकि भारत में कोर पावर सेक्टर में केवल 6-7% ही महिलाकर्मी हैं। पावर सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उद्योग में महिला लीडर्स की अहमियत को स्वीकार करने के लिए हमने महिला सशक्तिकरण से जुड़ी ये पहल की है।”
आईईईएमए वीमेन इन पावर चैप्टर की चेयरपर्सन, सुश्री मीरा परसुराम ने कहा, “यह ऐसा प्लेटफार्म है जहां हम इंजीनियर, रिसर्चर, प्रशासक, विशेषज्ञ, रेगुलेटर्स, लीडर्स, उद्यमी और व्यापार मालिकों के रूप में एक दूसरे से मिल रहे हैं। शुरू में मैंने सोचा था कि इतने अलग-अलग पेशेवर क्षेत्रों से जुड़े लोगों का एक साथ काम करना मुश्किल होगा, लेकिन यहां सीखने व सहयोग करने के माहौल और खुशी भरा वातावरण देखकर मैंने तुरंत अपनी सोच को बदला। चैप्टर में शामिल हम सभी महिलाएं अपने क्षेत्रों में अग्रणी पदों पर हैं और हम मिलकर इस उद्योग को बेहतर और अधिक समावेशी बनाने की कोशिश कर रही हैं।”
सिस्टर बीके शिवानी का शामिल होना कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता रही। उन्होंने कई मुद्दों पर विस्तार से बात की, उन्होंने कहा, “कोविड-19 महामारी के कारण वर्तमान समय हम सभी के लिए कठिन है। पूरी दुनिया भर में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल असर हुआ है। कोविड-19 के समय खुद को मानसिक तौर से मजबूत बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि हम दिमाग को शांत और सकारात्मक रखें। लेकिन हमें यह सीखने की ज़रूरत है कि सूचनाओं की अधिकता से खुद को दूर रखकर मानसिक तौर पर मजबूत कैसे बना जाए।
उन्होंने कहा कम सोचना बहुत महत्वपूर्ण है। अपने दिमाग को ज़्यादा शक्तिशाली बनाने के लिए ज़रूरी है कि हम कम और सही दिशा में सोचें। कोविड-19 से पहले भी हम भावनात्मक निर्भरता का जीवन जीते आ रहे हैं। जब दुनिया पर संकट आया तो हम सबने कहा कि डर और चिंता सामान्य बात है। एक समाज के तौर पर हम यह संदेश दे रहे थे कि इस कठिन समय में डर और चिंता होना सामान्य है। पावरग्रिड में ऑपरेशन्स की डायरेक्टर,
आईईईएमए वीमेन इन पावर चैप्टर की चेयरपर्सन, सुश्री मीरा परसुराम ने कहा, “यह ऐसा प्लेटफार्म है जहां हम इंजीनियर, रिसर्चर, प्रशासक, विशेषज्ञ, रेगुलेटर्स, लीडर्स, उद्यमी और व्यापार मालिकों के रूप में एक दूसरे से मिल रहे हैं। शुरू में मैंने सोचा था कि इतने अलग-अलग पेशेवर क्षेत्रों से जुड़े लोगों का एक साथ काम करना मुश्किल होगा, लेकिन यहां सीखने व सहयोग करने के माहौल और खुशी भरा वातावरण देखकर मैंने तुरंत अपनी सोच को बदला। चैप्टर में शामिल हम सभी महिलाएं अपने क्षेत्रों में अग्रणी पदों पर हैं और हम मिलकर इस उद्योग को बेहतर और अधिक समावेशी बनाने की कोशिश कर रही हैं।”
सिस्टर बीके शिवानी का शामिल होना कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता रही। उन्होंने कई मुद्दों पर विस्तार से बात की, उन्होंने कहा, “कोविड-19 महामारी के कारण वर्तमान समय हम सभी के लिए कठिन है। पूरी दुनिया भर में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल असर हुआ है। कोविड-19 के समय खुद को मानसिक तौर से मजबूत बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि हम दिमाग को शांत और सकारात्मक रखें। लेकिन हमें यह सीखने की ज़रूरत है कि सूचनाओं की अधिकता से खुद को दूर रखकर मानसिक तौर पर मजबूत कैसे बना जाए।
उन्होंने कहा कम सोचना बहुत महत्वपूर्ण है। अपने दिमाग को ज़्यादा शक्तिशाली बनाने के लिए ज़रूरी है कि हम कम और सही दिशा में सोचें। कोविड-19 से पहले भी हम भावनात्मक निर्भरता का जीवन जीते आ रहे हैं। जब दुनिया पर संकट आया तो हम सबने कहा कि डर और चिंता सामान्य बात है। एक समाज के तौर पर हम यह संदेश दे रहे थे कि इस कठिन समय में डर और चिंता होना सामान्य है। पावरग्रिड में ऑपरेशन्स की डायरेक्टर,
सुश्री सीमा गुप्ता ने कहा, “जीवन में कड़ी मेहनत और सामने आने वाली सभी बाधाओं से पार पाने का दृढ़ संकल्प होना बहुत ज़रूरी है। एक दशक पहले तक पावर सेक्टर को फील्ड आधारित कठिन नौकरी समझा जाता था और यह महिलाओं के लिए करियर का बहुत आकर्षक विकल्प नहीं था। हालांकि, माइक्रो लेवल पर नई टैक्नोलॉजीज़ के आने से इस सेक्टर ने खुद को डिजिटल आधारित सेक्टर में बदला है और अब यह सबके लिए करियर का आकर्षक विकल्प बनकर उभरा है। हालांकि उद्योग में नौकरी देने के मामले में अभी भी लैंगिक समावेशन की नीति अपनाए जाने की ज़रूरत है।”
एक टिप्पणी भेजें