० नूरुद्दीन अंसारी ०
प्रयागराज -इस सेंटर में ट्रेन संचालन के लिए एशिया में दूसरी सबसे बड़ी विश्वस्तरीय वॉल है, जो 80 मीटर लंबी है। यहां अधिकारी 24/7 टीएमएस एवं स्केडा डेटा पर नजर रखते हैं, ताकि ऑटोमेटेड गुड्स ट्रेन रनिंग सिस्टम का प्रबंधन किया जा सके। यह भवन पर्यावरण के लिए मित्रवत है तथा इसे ग्रिहा4 की ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग मिली हुई है।
दो पूरी तरह से भरी फ्रेट ट्रेनों को एल्सटॉम के डब्लूएजी 12 ई लोकोमोटिव्स द्वारा खींचा गया। हर ट्रेन में 1000 टन कोयला एवं अनाज भरा था और ये क्रमशः भाउपुर एवं खुर्जा से रवाना हुईं। इस शुरुआत के साथ ईडीएफसी के 351 किलोमीटर लंबे न्यू भाउपुर - न्यू खुर्जा खंड का उद्घाटन हुआ। ये ट्रैक 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से भारी लोड के आवागमन के लिए परखे जा चुके हैं।
इस समारोह में वर्चुअल रूप से मौजूद गणमान्य नागरिकों में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल; उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, योगी आदित्य नाथ; रेलवे, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, उपभोक्ता मामले एवं खाद्य व जन वितरण मंत्री, भारत सरकार, पीयूष गोयल तथा नव नियुक्त प्रबंध निदेशक, डीएफसीसीआईएल रविंद्र कुमार जैन शामिल थे।
इस अवसर पर एल्सटॉम इंडिया एवं साउथ एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टरए एलेन स्पोर ने कहा, ‘‘हम डीएफसीसीआईएल, पीएमसी एवं उनकी टीमों को बधाई देते हैं और एल्सटॉम की टीमों को शाबाशी देते हैं, जिन्होंने डीएफसी के पहले पूर्णतः पूरी तरह से विद्युतीकृत खंड में ‘भारत में प्रथम’ अभिनवता के साथ उल्लेखनीय काम किया। एल्सटॉम को इस परियोजना को शीघ्रता से पूरा करने के लिए भारत में अनेक पहली अभिनवताएं प्रस्तुत करने पर गर्व है। यह ‘मेक-इन-इंडिया’ के प्रति एल्सटॉम की प्रतिबद्धता का एक अच्छा संदर्भ है। ओएचई के इलेक्ट्रिफिकेशन, सिविल, पॉवर सप्लाई, सिग्नलिंग के लिए संपूर्ण डिज़ाईन व इंजीनियरिंग का काम देश के अंदर किया गया। इससे फ्रेट रेल क्रांति का एक नया युग शुरू होगा, जिसकी कल्पना सभी अंशधारकों ने मिलकर की थी। भारत के ‘मेक-इन-इंडिया’ के मिशन में साझेदारी करना गौरव की बात है।’’
एल्सटॉम द्वारा स्थापित अत्याधुनिक ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी), जो संपूर्ण ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के केंद्र का काम करेगा, उसका भी आधिकारिक उद्घाटन किया गया। एल्सटॉम के आईकोनिस (इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम) सिग्नलिंग प्लेटफॉर्म पर निर्मित, यह ओसीसी ईस्टर्न कॉरिडोर पर कोलकाता से लुधियाना तक चलने वाली सभी ट्रेनों की गतिविधियों की निगरानी करेगा, क्योंकि यह मुख्य लाईन्स के लिए भारत में पहली बार ‘इंटीग्रेटेड ट्रेन मैनेजमेंट सिस्टम’ (टीएमएस) के साथ सुगम निरीक्षण व निगरानी संभव बनाता है। यह ट्रेनों के नियंत्रण व निगरानी, रेलवे एवं ईडीएफसी के संपूर्ण मार्ग में पॉवर सप्लाई के लिए वन-स्टॉप सेंटर के रूप में काम करेगा। यह महत्वपूर्ण एवं प्रतीकात्मक उपलब्धि बैंगलोर में हमारे भारतीय क्रियान्वयन केंद्र से इंटीग्रेटेड सिस्टम का डिज़ाईन व आपूर्ति करने की एल्सटॉम की क्षमता की पुष्टि करती है। साथ ही इससे भारत में भारतीय रेल एवं अन्य ट्रेन ऑपरेटर्स के विशाल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लान में योगदान देने की हमारी प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित होती है।
यह खंड अब कार्यशील है। मौजूदा कानपुर-दिल्ली मेन लाईन से जल्द भीड़ कम होगी और भारतीय रेलवे ज्यादा तेज ट्रेनें चलाकर स्थानीय उद्योगों के लिए नए अवसरों के द्वार खोल सकेगा। इन स्थानीय उद्योगों में एलुमीनियम (कानपुर देहात जिले के पुखरायन क्षेत्र), डेयरी (औरैया जिला), टैक्सटाईल उत्पादन/ब्लॉक प्रिंटिंग (इटावा जिला), ग्लासवेयर (फिरोजाबाद जिला), पॉटरी उत्पाद (बुलंदशहर जिला का खुर्जा), हींग उत्पादन (हाथरस जिला) और ताले व हार्डवेयर (अलीगढ़ जिला) शामिल हैं।
प्रोजेक्ट एवं एल्सटॉम के काम की सीमा
महत्वाकांक्षी डैडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) प्रोजेक्ट दुनिया में चल रहे सबसे बड़े एवं सबसे जटिल रेल प्रोजेक्ट्स में से एक है। इसका उद्देश्य भारत के 70 प्रतिशत तक मौजूदा भारतीय रेल नेटवर्क से भीड़ को कम करना एवं क्षमता को बढ़ाना है। एल्सटॉम को यह अनुबंध प्राप्त करने और रिकॉर्ड गति से इस प्रोजेक्ट की आपूर्ति करने पर गर्व है।
एल्सटॉम के काम की सीमा में ईस्टर्न डीएफसी के 351 किलोमीटर लंबे मार्ग का विद्युतीकरण, सिग्नलिंग एवं टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम की स्थापना शामिल है। अनुबंध के तहत एल्सटॉम ने सब-स्टेशन बनाकर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दुनिया के सबसे बड़े ऑपरेशंस कंट्रोल सेंटर्स (ओसीसी) में से एक की स्थापना की, जो डीएफसी के संपूर्ण ईस्टर्न खंड के ऑपरेशंस की निगरानी करेगा। इस प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा करने के लिए एल्सटॉम को भारत में अनेक पहली अभिनवताएं प्रस्तुत करने पर गर्व है। इसमें कॉन्क्रीट ट्रेन की शुरुआत एवं सर्कुलर फाउंडेशन की स्थापना शामिल है, ताकि पारंपरिक फाउंडेशन बिछाने की तकनीक के मुकाबले प्रोजेक्ट की गति को बढ़ाया जा सके।
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