० डॉ. प्रद्युम्न कुमार सिन्हा ०
नई दिल्ली। राष्ट्र सृजन अभियान के प्रमुख, अंतर्राष्ट्रीय चिंतक व विचारक, प्रखर राष्ट्रवादी वक्ता डॉ. प्रद्युम्न कुमार सिन्हा ने कहा कि पश्चिम बंगाल हाल के वर्षों में अक्सर राजनीतिक हिंसा और हत्याओं के लिए सुर्खियों में रहा है लेकिन यह पहला मौका है जब एक साथ इतने लोगों के मारे जाने के बावजूद पुलिस, प्रशासन, तृणमूल कांग्रेस समेत कोई भी पार्टी इसे राजनीतिक हत्या नहीं बता रही है। वीरभूम जिले की लाल मिट्टी वाम मोर्चा सरकार के शासन काल से ही हिंसा की चपेट में रही है। अब तृणमूल नेता की हत्या और उसके बाद कथित बदले के तौर पर गांव के कई घरों में आग लगाकर कम से कम आठ लोगों को जिंदा जलाने की घटना ने लोगों को आज से कोई 22 साल पहले हुए नासर कांड को याद दिला दी है।
वाम मोर्चा के शासन काल में भी यह जिला राजनीतिक रूप में सबसे ज्यादा अशांत इलाके के तौर पर कुख्यात था। डॉ. सिन्हा ने बतलाया कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक विरोध के कारण होने वाली सामूहिक हत्यायंे नई नहीं है। इनकी शुरूआत तो 1970 के दशक में ही हो गई थी। खैर ताजा हिंसा के बाद मंगलवार सुबह से लोगों के अपने जरूरी समान के साथ गांव छोड़ने को जो सिलसिला शुरू हुआ था वह बुधवार को भी जारी रहा। इनमें उन भादू शेख का परिवार भी है, जिसकी मौत ही इस घटना का वजह बनी है। वैसे भादू शेख के विरोध करने वाले ज्यादातर घरों के पुरूष सदस्य तो भादू शेख की मौत को खबर मिलते ही गांव छोड़कर भाग चूके थे। अब गांव के लोग से कहीं ज्यादा तादाद में पुलिस के जवान तैनात है। इस घटना के बाद यह गांव राजनीतिक अखाड़ा बन गया है।
पश्चिम बंगाल में बीते करीब 11 साल में यह पहला मौका है जब एक साथ इतने सारे लोगों की हत्या हुई है। इससे पहले 7 मार्च 2011 को पश्चिम मेदिनीपुर के नेताई में एक साथ नौ लोगों की हत्या कर दी गई थी। डॉ. सिन्हा बतलाते हैं कि बीते एक दशक में ममता बनर्जी की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने बाद लगातार हत्याओं का सिलसिला एक सामूहिक हत्याकांड की घटना लगातार होते आ रहा है जो एक चिंता का विषय है। पश्चिम बंगाल का कानून व्यवस्था एकदम से चरमरा गई है। सबसे दुखद बात यह है कि इस घटना में बेकसूर महिलाएं और बच्चे शामिल है।
इस तरह की घटना का कोई कल्पना तक नहीं कर सकता। डॉ. सिन्हा ने ममता बनर्जी सरकार पर इस मामले को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। डॉ. सिन्हा ने राज्य में कानून और व्यवस्था के ध्वस्त होने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की है। और कहा है कि पश्चिम बंगाल की सरकार धीरे-धीरे राष्ट्रपति शासन की ओर आगे बढ़ रहा है। समय रहते सरकार नहीं चेती तो बहुत जल्दी ‘‘द पश्चिम बंगाल फाईल्स’’ जैसी फिल्म देखने को मिलेगी
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