पुस्तकों के प्रकाशन में इस्तेमाल किये जाने वाले हल्के कागज़ की कीमत में 30 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी है। पुस्तकों के मुद्रण और बाईंडिंग से जुड़ी आवश्यक सामग्री की कीमतों में भी 25 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी हो चुकी है. यह सब बढ़ोतरी कोरोना काल में ही हुई है। इन मुश्किलों के बावजूद प्रकाशन जगत ने महामारी के दौरान लोगों को किताबों से जोड़े रख कर उन्हें अकेलेपन और मानसिक तनाव से दूर रखने में एक समर्पित कोरोना योद्धा की भूमिका निभाई। यह अब भी पूरी क्षमता से अपनी भूमिका निभा रहा है।
लेकिन इसको रियायत और सहयोग की तत्काल जरूरत है। सरकार से हमारा अनुरोध है कि वह प्रकाशन जगत के लिए भी बजट में रियायत का प्रावधान करे। पुस्तक प्रकाशन शिक्षा और ज्ञान से जुड़ा व्यवसाय है, जिसको मजबूत बनाए बिना देश और समाज की उन्नति नहीं हो सकती। इसलिए हमारा अनुरोध है कि सरकार प्रकाशन जगत की मुश्किलों तरफ अविलंब ध्यान दे।
एक टिप्पणी भेजें