० आशा पटेल ०
जयपुर .जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, महातपस्वी, शान्तिदूत, अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी के पावन प्रवास और अमृतवाणी के प्रभाव से गुलाबी नगरी जयपुर पूरी तरह आध्यात्मिक रंग में रंगी नजर आ रही है। आध्यात्मिकता की बहती बयार ने इस नगरी की फिजा को ही बदल दिया है। अणुव्रत विश्व भारती में प्रवास कर रहे तेरापंथ के वर्तमान अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने सोमवार को प्रातःकाल मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में समुपस्थित जनमेदिनी को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि तीन शब्द हैं-भोग, रोग और योग। सामान्य आदमी भोग के प्रति आकर्षित हो जाता है। पदार्थजन्य भौतिक सुखों को भोगने हेतु आदमी लालायित नजर आता है। पांच इन्द्रियों के पांच विषय हैं। आंख और कान से साक्षात आसेवन नहीं हो सकता है, इसलिए इन्हें काम कहा गया है तथा शेष तीन इन्द्रियों को भोग कहा गया है। हालांकि संक्षेप में पांचों को भोग कहा जाता है।
आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन चलाया। अणुव्रत अर्थात् छोटे-छोटे नियमों के द्वारा आदमी भोगों पर नियंत्रण रख सके और अपनी आत्मा को निर्मल बनाने का प्रयास करे। संयम, तप और साधना के माध्यम से अपनी आत्मा को मोक्ष प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने भी प्रवचन के मध्य तेरापंथ के चतुर्थ आचार्य श्रीमज्जयाचार्य, दसवें आचार्य महाप्रज्ञजी और मंत्रीमुनिश्री को याद करते हुए जयपुरवासियों को प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि यहां के समाज में धार्मिक, आध्यात्मिक माहौल बना रहे। सेवा व सौहार्द की भावना प्रवर्धमान बनी रहे।
साध्वी धनश्रीजी व साध्वी सलीलयशाजी ने पूज्यचरणों में अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा अणुव्रत गौरव सम्मान का आयोजन किया। अणुव्रत विश्व भारती के अध्यक्ष संचय जैन ने कार्यक्रम के संदर्भ में अवगति प्रस्तुत करते हुए वर्ष 2020 का अणुव्रत गौरव सम्मान जीएल नाहर को देने की घोषणा की। महामंत्री भीखम सुराणा ने प्रशस्तिपत्र का वाचन किया। जी.एल. नाहर ने आचार्यश्री के समक्ष अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। आचार्यश्री ने उन्हें पावन आशीर्वाद व मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी का अवदान अणुव्रत आंदोलन और आचार्य महाप्रज्ञजी द्वारा सम्पोषित इस आंदोलन को कार्यकर्ताओं का सहयोग और योगदासन मिला है।
सुश्री तनीषा लूणिया, पूर्वा-साक्षी बांठिया, हर्षिता दूगड़ ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया। तेरापंथी सभा, जयपुर के अध्यक नरेश मेहता, मंत्री पन्नालाल बैद, अणुविभा भवन के मंत्री हितेश भांडिया, छापर चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष माणकचन्द नाहटा, व बालक विश्रुत जैन ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री अणुव्रत विश्व भारती से अपनी धवल सेना संग गतिमान हुए। इस दौरान अनेकानेक श्रद्धालुओं को आचार्यश्री के दर्शन और मंगल आशीष का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आचार्यश्री लगभग सात किलोमीटर का विहार कर जवाहर नगर स्थित श्री जैन श्वेताम्बर संघ के महावीर साधना केन्द्र परिसर में अपने रात्रिकालीन प्रवास के लिए पधारे।
एक टिप्पणी भेजें
Click to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.