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श्रीकृष्ण शर्मा और फारूक आफरीदी को मिला रत्नाकर पांडेय सम्मान

० आशा पटेल ० 

जयपुर । संगम विश्वविद्यालय के अध्यक्ष रामपाल सोनी ने कहा है कि साहित्यकार समाज को नई दिशा देते हैं और साहित्य का संरक्षण राष्ट्र और समाज का दायित्व है। साहित्यकारों को संरक्षण देकर हम नई पीढ़ी का मार्ग सुगम और बोधगम्य बनाते हैं। साहित्य संवर्द्धन के लिए समर्पित साहित्य मनीषियों के सम्मान से समाज का सम्मान भी द्विगुणित होता है। सोनी राष्ट्रीय साहित्यांचल शिखर सम्मान समारोह एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

वरिष्ठ व्यंग्यकार, कवि एवं मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी फारूक आफरीदी ने कहा है कि साहित्य का समाज की विसंगतियों और विकृतियों को दूर करने एवं जीवन मूल्यों की पुनस्र्थापना में उल्लेखनीय योगदान होता है। साहित्यकार सुशिक्षित और संस्कारित समाज के निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाता है।  आफरीदी डाॅ. रत्नाकर पांडेय सम्मान समारोह में बोल रहे थे। वरिष्ठ साहित्यकार और ‘‘शब्द संसार‘‘ के अध्यक्ष श्रीकृष्ण शर्मा ने कहा कि साहित्य ने समाज को सदैव समृद्ध किया है। शब्द का सम्मान तभी संभव है जब इसका सही रूप में उपयोग करें। शब्द के त्रुटिपूर्ण उपयोग से अर्थ का अनर्थ हो जाता है। साहित्यकारों को शब्दों के प्रति सदैव सजग रहना चाहिए। 

 साहित्यांचल के दो दिवसीय 11वें राष्ट्रीय शिखर सम्मान समारोह में जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार और प्रतिष्ठित संपादक श्रीकृष्ण शर्मा एवं वरिष्ठ व्यंग्यकार, कवि फारूक आफरीदी को भीलवाड़ा में डाॅ. रत्नाकर पांडेय स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। संगम विश्वविद्यालय के अध्यक्ष रामपाल सोनी, संगम इंडिया के प्रबंध निदेशक डाॅ. एस.एन. मोदानी, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. करूणेश सक्सेना और साहित्यांचल समारोह के संयोजक सत्यनारायण व्यास ‘मधुप‘ ने दोनों साहित्यकारों को प्रशस्ति पत्र और श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए अन्य लेखकों को भी उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।
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