हिरण्यकशिपु
प्रतीक असीमित इच्छाओं का
दमित वासनाओं का
अदम्य लालसा स्वर्ण पाने की
अधिकाधिक संपत्ति जुटाने की
एकमात्र लक्ष्य उसके जीवन का
वह करता नि:संकोच
जीवन में क़त्ल निरंतर
जीने का हक़ मिटाने को
सदैव तत्पर
ज़ुल्म ढाने में नंबर वन
बख़्शा नहीं
जिसने प्रहलाद को भी
जो था उसका आत्मज
मिटाना चाहता था
वह उसका अस्तित्व
जपता था
जो अहर्निश नाम नारायण का
जो अयन नर नारी का
समझता शत्रु नारायण को
उसका नाम उस अहंनिष्ठ मानव को
लगता विष सम
परंतु आज का मानव
बना हिरण्यकशिपु
अधिकाधिक संपत्ति पाने में रत
घिनौने कार्य करने में निरंतर लिप्त
उदाहरण राजनीतिज्ञ
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हिरण्याक्ष
नेत्र जिसके स्वर्ग
पाने को लालायित
उद्देश्य उसका
अधिकाधिक सुख-संपत्ति
ऐश्वर्य व स्वर्ग प्राप्ति
शत्रु परमात्मा का
घृणा भाव नारायण के प्रति
सदैव वासना पूर्ति में लीन
आश्रय बुराइयों का
ज़ुल्मों का, असत् का
मानवता का
साथी नहीं सत्य का
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प्रहलाद
प्रतीक अलौकिक आनंद का
उल्लास का, प्रसन्नता का
उत्साह और खुशी का
सदैव आनंद-मग्न
सबको आनंदित करने वाला
हर पल नारायण का
नाम जपने वाला
प्रहलाद
जिसने सहा
हर ज़ुल्म को निरंतर
छोड़ा नहीं आश्रय उसका
और बच गया
होलिका दहन होने पर भी
नष्ट हुआ ज़ुल्म करने वाला
और वह नारायण के हाथों
रहा सदैव सुरक्षित 'औ' आनंदित
पाया परमात्मा को
हुआ विजयी
कर राक्षसत्व का अंत
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