नई दिल्ली: एनसीपीईडीपी ने स्कूली शिक्षा, शुरूआती बचपन की देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई), शिक्षकों की शिक्षा एवं वयस्कों की शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा के विकास पर नेशनल डिसैबिलिटी नेटवर्क (एनडीएन) के साथ एक राष्ट्रीय मंत्रणा का आयोजन किया। इस मंत्रणा में दिव्यांगजनों, दिव्यांगों की संस्थाओं, क्षेत्र विशेषज्ञों और एनसीईआरटी ने भी हिस्सा लिया।
एनसीईआरटी ने 28 दिसंबर, 2021 की अपनी अधिसूचना में स्कूली शिक्षा, ईसीसीई, शिक्षकों की शिक्षा और वयस्कों की शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखाओं के लिये जानकारियाँ प्रदान करने हेतु विभिन्न विषयों पर स्थिति पत्रों के विकास के लिये राष्ट्रीय केन्द्रित समूहों के गठन की सूचना दी थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 की अनुशंसाओं के अनुसार 25 विषयों की पहचान की गई है, ताकि राष्ट्रीय और प्रांतीय, दोनों स्तरों पर स्थिति पत्र विकसित किये जा सकें। हालांकि सावर्जनिक हलकों में उपलब्ध जानकारी के आधार पर पाया गया कि गठित हुए राष्ट्रीय केन्द्रित समूहों में दिव्यांगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं था। चूंकि राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा एक ऐसी कवायद है, जो आने वाली पीढि़यों के लिये शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करेगी, इसलिये इस आवश्यक मुद्दे पर चर्चा के लिये राष्ट्रीय मंत्रणा का आयोजन किया गया था।
राष्ट्रीय केन्द्रित समूह, समावेशी शिक्षा की सदस्य डॉ. स्रुति मोहापात्रा ने इस मंत्रणा की अध्यक्षता की और भाग लेने वालों को केवल समावेशी शिक्षा समूह में नहीं, बल्कि सभी 25 केन्द्रित समूहों में दिव्यांगों के समावेश के महत्व से अवगत कराया। एनसीपीईडीपी के कार्यकारी निदेशक श्री अरमान अली ने कहा, “समूचे विकलांगता क्षेत्र के लगातार आग्रह के बाद पहली बार दिव्यांग बच्चों/लोगों का ईसीसीई से लेकर उच्च शिक्षा तक एनईपी 2020 में उल्लेख हुआ है। एनसीएफ विकलांगता क्षेत्र को एकजुट होकर आने और इस पर जोर देने का एक और मौका देता है कि विकलांगता सभी विषयों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और केवल समावेशी शिक्षा तक सीमित नहीं है।”
इस चर्चा से उभरे कुछ अन्य महत्वपूर्ण अवलोकनों में समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने वालीं सभी मौजूदा सरकारी योजनाओं पर एक केन्द्रित अध्ययन और इसके लिये बजट में आवंटन की दोबारा जाँच करना तथा दिव्यांग समूहों की विविधतापूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करना और समावेशी अध्यापन के लिये लचीले पाठ्यक्रम का महत्व शामिल था। चर्चा के अन्य महत्वपूर्ण विषय थे कि समावेशी शिक्षा में शामिल करने के लिये डिजाइन सीखने की वैश्विक विधियाँ और पहुँच की योग्यता केवल बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं होनी चाहिये, बल्कि पाठ्यक्रम तथा डिजिटल शिक्षा के विस्तार में भी शामिल होनी चाहिये। विशेषज्ञों ने यह भी देखा कि बौद्धिक विकलांगता वाले बच्चों की चिंताओं को मुख्यधारा में शामिल किया जाना चाहिये, बजाए इसके कि उन्हें हाशिये पर रख दिया जाए। आगे के लिये डॉ. मोहापात्रा और श्री अली ने कहा कि एनडीएन द्वारा राष्ट्रीय केन्द्रित समूह को समावेशी शिक्षा, राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा पर एक समानांतर स्थिति पत्र सौंपा जाएगा।
इस चर्चा से उभरे कुछ अन्य महत्वपूर्ण अवलोकनों में समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने वालीं सभी मौजूदा सरकारी योजनाओं पर एक केन्द्रित अध्ययन और इसके लिये बजट में आवंटन की दोबारा जाँच करना तथा दिव्यांग समूहों की विविधतापूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करना और समावेशी अध्यापन के लिये लचीले पाठ्यक्रम का महत्व शामिल था। चर्चा के अन्य महत्वपूर्ण विषय थे कि समावेशी शिक्षा में शामिल करने के लिये डिजाइन सीखने की वैश्विक विधियाँ और पहुँच की योग्यता केवल बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं होनी चाहिये, बल्कि पाठ्यक्रम तथा डिजिटल शिक्षा के विस्तार में भी शामिल होनी चाहिये। विशेषज्ञों ने यह भी देखा कि बौद्धिक विकलांगता वाले बच्चों की चिंताओं को मुख्यधारा में शामिल किया जाना चाहिये, बजाए इसके कि उन्हें हाशिये पर रख दिया जाए। आगे के लिये डॉ. मोहापात्रा और श्री अली ने कहा कि एनडीएन द्वारा राष्ट्रीय केन्द्रित समूह को समावेशी शिक्षा, राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा पर एक समानांतर स्थिति पत्र सौंपा जाएगा।
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