आईआईएफएल एचएफएल ने देश में ग्रीन हाउसिंग को बढ़ावा देने के लिए ADB के साथ 6.8 करोड़ डॉलर के कर्ज पर किया हस्ताक्षर
नयी दिल्ली, भारत के सबसे तेजी से आगे बढ़ते डिजिटल फर्स्ट होम फाइनेंस कंपनी आईआईएफएल एचएफएल ने भारत में कम आय वाले समूहों तक किफायती हरित मकान (अफोर्डेबल ग्रीन हाउसिंग) के लिए वित्तीय पहुंच (फाइनेंशियल एक्सेस) में सुधार के लिए एशियाई विकास बैंक (ADB) के साथ 68 मिलियन डॉलर (6.8 करोड़ डॉलर) का लोन साइन किया है.
इस फंडिंग में ADB से 58 मिलियन डॉलर (5.8 करोड़ डॉलर) का सीधा लोन और कनैडियन क्लाइमेट फंड फॉर द प्राइवेट सेक्टर इन एशिया (CFPS) से रियायती दरों पर 10 मिलियन डॉलर (एकर करोड़ डॉलर) का लोन शामिल है. एडीबी के लोन में से 80 प्रतिशत रकम महिला बॉरोअर या को-बॉरोअर के लिए रखा गया है. वहीं, 20 प्रतिशत रकम ग्रीन-सर्टिफाइड घरों के फाइनेंशियल मॉर्गेज के लिए आवंटित की जाएगी.
आईआईएफएल एचएफएल के एमडी और सीईओ मोनू रात्रा ने कहा, “एडीबी से मिलने वाली फंडिंग से हमें भारत के सुदूर इलाकों में ग्रीन अफोर्डेबल हाउसिंग के प्रसार में सुधार करने में मदद मिलेगी और कई भारतीय परिवारों के अपने घर के सपने को पूरा करने में मदद मिलेगा. हम अपनी विकास यात्रा में एडीबी के साथ पार्टनरशिप को लेकर काफी खुश हैं.”
सतत विकास लक्ष्य 2030 (Sustainable Development Goals 2030) के लक्ष्यों को हासिल करने को लेकर ग्रीन अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए फाइनेंशियल एक्सेस को बेहतर बनाने वाली पहलों को रफ्तार देने के लिए विकास के लिए मौलिक दृष्टिकोण (फंडामेंटल अप्रोच) के तौर पर जलवायु लचीलता (क्लाइमेट रेजिलिएंस), सस्टेनिबिलिटी से जुड़ी सोच और लैंगिक-संतुलन से जुड़ी उपलब्धियों जैसे मुद्दों पर सक्रिय तरीके से काम किए जाने की जरूरत है. इसके साथ-ही-साथ हरित मकानों को लेकर जागरूकता की कमी को दूर किए जाने की जरूरत है.
एडीबी की डायरेक्टर जनरल (प्राइवेट सेक्टर ऑपरेशन्स) सुजैन गबौरी (Suzanne Gaboury) ने कहा, “वित्तीय समावेशन के आईआईएफएल एचएफएल के फोकस और क्लाइमेट-रेजिलिएंट हाउसिंग में सीपीएफएस की लीडरशिप के इस्तेमाल के जरिए एडीबी कम इनकम वाली कम्युनिटीज को जलवायु परिवर्तन के असर को मैनेज करने में मदद कर सकता है.”उन्होंने कहा, “निर्माण उद्योग को यह दिखाने को लेकर आईआईएफएल को सपोर्ट करते हुए हमें खुशी हो रही है कि आप कम इनकम वाले लोगों के लिए अफोर्डेबल के साथ ग्रीन-सर्टिफाइड मकान बना सकते हैं.”
‘सबके लिए आवास’ की भारत सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप आईआईएफएल एचएफएल आर्थिक रूप से कमजोर तबके (EWS), कम आय वाले समूह (LIG) और मध्यम आय वाले समूह (MIG) को अफोर्डेबल लोन उपलब्ध कराती है. कंपनी 30 सितंबर, 2021 तक 1.40 लाख बॉरोअर्स को होम लोन दे चुकी है.
इस कार्यक्रम के सबसे प्रमुख लक्षित समूहों में से एक महिलाओं को भारत में अक्सर मॉर्गेज लोन प्राप्त करने में अतिरिक्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. यह चिंता का एक कारण है क्योंकि प्रोपर्टी पर मालिकाना हक नहीं होने के कारण महिलाओं का सोशल स्टेटस कमतर हो जाता है. इसके साथ ही वे गरीबी की मार पड़ने की आशंका ज्यादा होती है और घर में बार्गेन करने की उनकी क्षमता भी कम हो जाती है. इससे निपटने के लिए हाउसिंग सेक्टर में महिलाओं के मालिकाना हक पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम- प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) (सीएलएसएस-पीएमएवाई-यू) जैसी स्कीम और Situ Slum Redevelopment जैसी स्कीम के गाइडलाइंस महिलाओं को मालिकाना हक दिलाने की बात करती हैं. हालांकि, इसके बावजूद महिलाओं की भूमिका को प्रमुख स्टेकहोल्डर से प्रमुख फैसला करने वाले में शिफ्ट करने की जरूरत है.
इस संदर्भ में, देश में अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर में ग्रीन बिल्डिंग इकोसिस्टम को सपोर्ट करने के लिए 10 लाख डॉलर के टेक्निकल असिस्टेंस (TA) ग्रांट को भी शामिल किया गया है. यह देश के भीतर एडीबी का इस प्रकार का पहला निजी क्षेत्र का करार है. ग्रीन सर्टिफाइड और अफोर्डेबल हाउसिंग के निर्माण से जुड़ी चिह्नित बाधाओं को दूर करने वाले कदम उठाने का लक्ष्य है. आईआईएफएल एचएफएल इन गतिविधियों और टीए एग्रीमेंट में बताए गए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए 1,50,000 डॉलर की अतिरिक्त राशि का अंशदान करेगी. आईआईएफएल एचएफएल अपने प्लेटफॉर्म ‘कुटुंब’ के जरिए पहले ही ग्रीन अफोर्डेबल हाउसिंग को आगे बढ़ाने का काम करती रही है. कुटुंब ग्रीन बिल्डिंग से जुड़ी पहल है.
आईआईएफएल एचएफएल ने हाल में 50,000 परिवारों को सीएलएसएस के तहत मदद करने से जुड़ा मील का पत्थर हासिल करने का ऐलान किया है. इसके साथ ही यह PMAY-U के तहत कंट्रीब्युट करने वाली अग्रणी वित्तीय संस्था बन गई है. कंपनी जून, 2015 में स्कीम की शुरुआत से अब तक परिवारों को 1,200 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे चुकी है.
एक टिप्पणी भेजें