० योगेश भट्ट ०
नई दिल्ली : सात्विक कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया (विश्व की पहली शाकाहारी खाद्य सुरक्षा और संबद्ध अनुयायियों के लिए मानक परिषद्) ने ग्लोबल ऑडिट पार्टनर ब्यूरो वेरितास के साथ इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सात्विक सर्टिफिकेशन योजना और सात्विक हॉस्पिटैलिटी मैन्युअल को लांच किया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य शाकाहारी उपभोक्ताओं के लिए भारत और वैश्विक बाजारों में "शाकाहारी पर्यावरण" प्रदान करना है, जिसमें एसओपी के अंतर्गत सभी क्षेत्रों में 100 प्रतिशत शाकाहारी पर्यावरण की गारंटी शामिल है।
इस योजना में लगातार सुरक्षित शाकाहारी खाद्य आपूर्ति, उत्पाद और सेवाएं प्रदान करने की योजना शामिल है जो पूरी तरह से ग्राहक की आवश्यकता को पूरा करती है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिए शाकाहारी भोजन की गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियों के समग्र प्रदर्शन में सुधार करना है।सात्विक कॉउन्सिल सर्टिफिकेशन योजना की वजह से खाने से होने वाली बिमारियों का खतरा कम होगा। इसके अलावा यह उनके जीवनशैली में सुधार कर उपभोक्ता के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए सामाजिक और आर्थिक रूप से खाने की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा। खाद्य स्वच्छता के बारे में जागरूकता फ़ैलाने से लागत कम होगी और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा।
यह योजना व्यावसायिक जोखिमों को कम करते हुए बाजार तक पहुंचने के द्वार खोलेगी और इसी तरह यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार की सुविधा को प्रोत्साहित करेगी। इस प्रमाणपत्र की मदद से कम अपव्यय होगा जिसकी वजह से उत्पादन की लागत में कमी आएगी।
इस कार्यक्रम में भूपेंदर सिंह हुड्डा (हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री), संतोष गंगवार(पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार, सांसद, बरेली), वागीश पाठक(सात्विक काउंसिल ऑफ़ इंडिया अध्यक्ष), अभिषेक बिस्वास (संस्थापक, सात्विक काउंसिल ऑफ इंडिया) अमित घोष (सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, सीआईएफ साउथ एशिया रीजन, ब्यूरो वेरितास)और जगदीश एन मनियन (हेड साउथ एशिया सर्टिफिकेशन, बिजनेस, ब्यूरो वेरितास ) भी मौजूद थे।
इस पहल की सराहना करते हुए, भूपिंदर सिंह हुड्डा (हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री) ने कहा, “मैं एक ऐसी जगह से ताल्लुक रखता हूं जहां ज़्यादातर लोग मांसाहारी हैं, लेकिन अब लोग वेज की ओर रुख कर रहे हैं। एक प्रकृति प्रेमी होने के नाते, मेरा हमेशा से मानना था कि शाकाहार पूर्ण रूप से प्रकृति का हिस्सा है। जैसा कि मुझे याद है, कुछ साल पहले लोगो को एक वहम हुआ करता था कि मांसाहारी शाकाहारियों की तुलना में अधिक शक्तिशाली होते हैं जिसका सन्दर्भ बकरे और चिकन से है। उन्होंने ब्यूरो वेरितास की भी प्रशंसा की और उन्हें शाकाहारी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए महामारी का लाभ उठाने का सुझाव दिया।“
संतोष गंगवार (पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार, सांसद, बरेली) और स्वामी जितेंद्रानंद, बनारस ने भी एसोसिएशन के लिए भारतीय सात्विक काउंसिल और ब्यूरो वेरितास के प्रयासों की प्रशंसा करी।
इस मौके पर अमित घोष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, ब्यूरो वेरितास सीआईएफ साउथ एशिया रीजन ने कहा “यह एक प्रयास है जिसमे फ़ूड वैल्यू चेन में संगठनों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रबंधन प्रणाली मानक के रूप में आवश्यकताओं का एक संक्षिप्त सेट तैयार करेंगे इसमें फ़ूड प्रोसेसर, निर्माताओं, रेस्तरां, पैकेज्ड फूड निर्माताओं, व्यापारियों, डीलरों आदि के सभी स्तरों को आवश्यकताओं अनुसार ऐसे संगठनों के मूल्यांकन के लिए ब्यूरो वेरितास द्वारा उपयोग की जाने वाली आवश्यकताओं के कार्यान्वयन के लिए और उन्हें प्रमाणित करने के लिए शामिल किया गया है।“
इस अवसर पर अभिषेक बिस्वास, सात्विक काउंसिल ऑफ इंडिया के संस्थापक ने कहा, "इस योजना के माध्यम से हम कम एमिशन और कम कार्बन फुटप्रिंट के साथ जिम्मेदारी से खाद्य प्रसंस्करण करना चाहते हैं और इसी तरह, हम खाद्य आपूर्तिकर्ताओं के साथ-साथ उपभोक्ताओं के बीच भी भोजन की गुणवत्ता में सुधार करना चाहते हैं।” कार्यक्रम का समापन करते हुए, उन्होंने कहा कि दुनिया भर के सभी रेस्तरां सात्विक प्रमाण की देखरेख करेंगे जिसमे विशेष रूप से शाकाहारी रेस्तरां शामिल होंगे साथ ही उन्होंने सात्विक की पूरी टीम और ट्रस्टियों को बधाई दी और कहा कि यह आयोजन इस टीम के बिना संभव नहीं था जिनका केवल एक ही उद्देश्य है।“
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