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प्रखर समाजवादी चिंतक किशन पटनायक की 91 वीं जयंती पर अंतर्राज्यीय कॉल कांफ्रेंसिंग

० आशा पटेल ० 

रीवा  . प्रखर समाजवादी चिंतक , वैकल्पिक राजनीति के सूत्रधार , सन 1962 से 1967 तक संबलपुर उड़ीसा लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर तत्समय सबसे कम उम्र में भारत की संसद में प्रवेश करने वाले स्वर्गीय किशन पटनायक को 91वीं जयंती के अवसर पर उनके क्रांतिकारी विचारों एवं पावन स्मृतियों को याद करते हुए अंतर्राज्यीय कॉल कांफ्रेंसिंग के जरिए एक विचार संगोष्ठी संपन्न हुई . संगोष्ठी की मुख्य अतिथि किशन पटनायक की धर्मपत्नी वाणी मंजरी दास पटनायक भुवनेश्वर (उड़ीसा) थीं . वक्ताओं ने किशन जी को याद करते हुए कहा कि भारतीय राजनीति में जिस तरह की गंदगी फैल गई है उसे लेकर किशन पटनायक अपने जीवन काल में वैकल्पिक राजनीति की बात निरंतर करते रहे . उन्होंने नई राजनीति के लिए देश में चल रहे विभिन्न जन आंदोलनों को जोड़ने का काम किया
.

 श्री पटनायक का निधन 27 सितंबर 2004 हो गया था . वर्तमान दौर के बिगड़ते हुए माहौल में उनके विचारों की अहमियत का अहसास हो रहा है . देश के किसानों के लिए अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत में किशन पटनायक ने निरंतर संघर्ष किया . देश के किसान आंदोलन के लिए उन्होंने वैचारिक आधार दिया . वक्ताओं ने कहा कि मौजूदा किसान आंदोलन देश की राजनीति को नई दिशा दे सकता है . किसान आंदोलन में हर वर्ग के लोगों का समावेश काफी आशाजनक है . इधर देश में राजनीतिक वातावरण सही नहीं होने से सांप्रदायिक तानाशाही का खतरा भी बढ़ता जा रहा है . अभी सत्ता पाने के लिए जिस तरह की ओछी राजनीति चल रही है वह किसी तरह से शुभ नहीं है . वर्तमान हालत आपातकाल के समय से भी बदतर हो चुकी है . पूरे देश में अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति बनी हुई है .

 देश में नफरत और डर का माहौल बनाया जा रहा है . असहमति के स्वरों को तेजी से दबाया जा रहा है . सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सत्याग्रह करने वालों को देशद्रोही बताने का योजनाबद्ध काम हो रहा है . यह भारी विडंबना है कि आजादी के आंदोलन में देश के साथ गद्दारी करने वाली वंशावली के लोग आज देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांट रहे हैं . कोरोना काल में सरकार महामारी से कम , विसंगतियों पर सवाल उठाने वालों से ज्यादा लड़ रही है . संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि देश में जिस तरह संवैधानिक संस्थाएं खत्म की जा रही है और निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है उससे लोकतंत्र का संकट काफी गहरा गया है . आज सभी को एकजुट होकर सांप्रदायिक तानाशाही के खिलाफ लामबंद होना होगा . वैकल्पिक राजनीति के लिए काम करते रहना होगा . संगोष्ठी में प्रमुख रूप से वरिष्ठ समाजवादी साथी मदनलाल हिंद , हरिमोहन मिश्रा (नई दिल्ली ) , बिहार आंदोलन के वरिष्ठ साथी रघुपति पटना , 

शिवजी सिंह डेहरी आन सोन जिला रोहतास (बिहार ) , बिहार आंदोलन के वरिष्ठ साथी अख्तर हुसैन करुणा झा चंद्र भूषण चौधरी रांची , बजरंग सिंह मिहिजाम जामताड़ा (झारखंड) , गंगा प्रसाद कोलकाता (पश्चिमी बंगाल) , जयप्रकाश पिपलानी रायपुर (छत्तीसगढ़) , मयोरी माईबम , इंफाल (मणिपुर) , सुधेंदु पटेल ,आशा पटेल , विभा जैन जयपुर (राजस्थान) , वीणा सिन्हा इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश) , विष्णु ढोबले , औरंगाबाद (महाराष्ट्र) , अनुराग मोदी मुंबई (महाराष्ट्र) , गोपाल सिंह ठाकुर हैदराबाद (आंध्रप्रदेश) जोशी जेकब कोट्टयम (केरल) लीला पंवार इंदौर , अजय खरे एवं रामाधार पटेल रीवा (मध्य प्रदेश) ने सक्रिय भागीदारी की . कार्यक्रम के संचालन कर्ता अजय खरे ने भागीदार सभी साथियों को धन्यवाद संप्रेषित किया है .
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