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कविता // हम हीं हैं जननी,हम रत्न गर्भा हैं

 

विजय सिंह बिष्ट ० 

आओ बालिका दिवस मनाएं,

गर्भ से लेकर राह तक बचाएं।

 हम हीं हैं जननी,हम रत्न गर्भा हैं,

राष्ट्र निर्माता और गृहस्वामी हैं।

अधूरा है जीवन, अधूरा संसार है,

मेरी रक्षा में , सच्चा तुम्हारा भार है।

हमहीं दुर्गा दशप्रहरणधारिणी,

हमहीं हैं ज्ञान और धर्म प्रचारणी।

आओ मिलकर बालिका दिवस मनाएं,

शत-शत नमन करें,हमें बचाएं।

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