●●● डॉ• मुक्ता,
नववर्ष
लाए जीवन में
नव उमंग, नव तरंग
नव उत्कर्ष, नव हर्ष
आप्लावित तन मन
मिट जायें द्वंद्व
नव राह,नव चाह
जीवन में नव प्रवाह
नव भक्ति, नव शक्ति
जीवन की सम्पत्ति
नव आस्था, नव विश्वास
जगाते नव अहसास
नव साधना,नव संस्कार
जीवन का आधार
नववर्ष
समेट लें खुशियां और ग़म
आंचल में रंगीन स्वप्न
आकलन करें गत वर्ष का
सीख लें पूर्वानुभवों से
मृग-तृष्णा सम उलझातीं
बढ़ती आकांक्षाओं पर
लगाएं अंकुश
चिंतन-मनन कर
अपने लक्ष्य को पाएं
एक टिप्पणी भेजें