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यह पुस्तक नए गीतकारों और कलाकारों के लिए प्रेरणा देने का काम करेगी- सोनल मानसिंह

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली: गौहर जान एक ऐसी फ़नकारा थी जिनकी जिंदगी के बहाने उस दौर के रियासतों का इतिहास और रिकॉर्डिंग का इतिहास का पता लगता है।गुरु शिष्य परंपरा घरों में कैसी गढ़ी गयी और कैसे उस जमाने के तवायफों ने स्वतन्त्रता सैनानियों के लिए गुप्तचर की भूमिका निभाकर देश की आज़ादी में मदद की। गौहर जान उस जमाने की महिला सशक्तिकरण की मिसाल थी यह बातें प्रभा खेतान फाउंडेशन की पहल ‘किताब- सुर और साज़’ में विक्रम संपत की पुस्तक ‘मेरा नाम है गौहर जान’ के विमोचन में उपस्थित देश के जाने माने संगीत विद्य्वान वक्ताओं ने की।
त्रिवेणी कला केंद्र में प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम मे पुस्तक का विमोचन पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह, पद्म भूषण पंडित साजन मिश्र, पद्मश्री श्रीमती मालिनी अवस्थी, लेखक विक्रम संपत,अनुवादक अंशुमान जैन और अहसास वुमेन एनसीआर द्वारा किया गया।पैनल डिस्कशन का संचालन अहसास वुमेन एनसीआर की सुश्री शिंजिनी कुलकर्णी द्वारा किया गया, तत्पक्षात श्रीमती मालिनी अवस्थी द्वारा गौहर जान के स्मृति में मधुर प्रस्तुति दी गयी । पुस्तक का हिंदी अनुवाद अंशुमान पांडेय और अंशुमान जैन ने मिलकर किया है। यह पुस्तक में गौहर जान किस तरह भारतीय शास्त्रीय संगीत के शिखर पर पहुंची, महज़ 13 साल की उम्र में हुए दुष्कर्म के बाद यह हादसा उन्हें आगे बढ़ने से रोक नहीं पाया। वो इस सदमे से उबरते हुए संगीत की दुनिया का एक बेहद बड़ा नाम बन गईं। इन सभी घटनाओं का भी जिक्र है।

प्रभा खेतान फाउंडेशन 'किताब' पहल का उद्देश्य है कि पुस्तक का आना लेखक के लिए हर्ष का विषय होता है,पहल लेखकों के लिए एक मंच प्रदान करता है ताकि वे अपनी नवीनतम साहित्यिक कृतियों को एक विवेकशील दर्शकों और मीडिया के सामने शानदार ढंग से क्यूरेटेड पुस्तक विमोचन के माध्यम से प्रदर्शित कर सकें। प्रभा खेतान फाउंडेशन 'किताब' पहल देश –विदेश की 40 शहरों में फैला हुआ है।
लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने कहा ‘यह पुस्तक दरअसल एक फ़नकारा के जिंदगी के बहाने उस दौर के रिकॉर्ड के इतिहास,रियासतों के इतिहास के बारे में जानने में मदद करती है । गौहर जान एक बहुआयामी प्रतिभा की कलाकार थी । गुरु शिष्य परम्परा उस दौर में परिवारों में कैसे शुरु हुई इस किताब से पता चलता है। गौहर जान उस जमाने की महिला सशक्तिकरण की मिसाल थी,आज के जमाने में यह किताब नये मानक गढ़ेगी’।

प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक साजन मिश्रा ने कहा “गौहर जान एक अद्भुत महिला और कलाकार थी, वो भी हमारी तरह ही एक आम इंसान थी एक ऐसे समाज में होने के कारण उन्हें तवायफ का नाम दे दिया गया मैं ऐसी तवायफ को सलाम करता हूँ जिसने देश को संगीत के क्षेत्र में इतना सशक्त किया। विक्रम संपत ने इस किताब से गौहर जान को पुनर्जन्म दिया है”। पद्मविभूषण व प्रसिद्ध नृत्यांगना डा. सोनल मान सिंह ने कहा कि ‘यह पुस्तक नए गीतकारों और कलाकारों के लिए प्रेरणा देने का काम करेगी’।

 किताब के अनुवादक अंशुमान जैन ने इस अवसर पर कहा’अनुवाद एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा भाषा का, संस्कृति का भेद भुला कर हम मानवीय एकता को उभार सकते हैं। ये भी कहा गया है की अनुवाद से हम एक कृति को पुनर्जन्म देते है। मुझे संतोष है कि गौहर जान जैसी असीम शक्सियत को हम अंग्रेजी से निकाल कर हिंदी पाठको तक ला सके और इसमें एक नई जान डाल सके । ये आवश्यक था कि डॉ. विक्रम संपत द्वारा पुनर्जीवित की गई भारत की इस शान को अधिक से अधिक लोग अपनी भाषा , अपनी बोली में पढ़े, समझे और जानें’।

इस मौके पर नीलिमा डालमिया आधार ने कहा’ यह प्रभा खेतान फाउंडेशन के लिए गर्व की बात है कि वह विक्रम संपत की किताब ‘मेरा नाम है गौहर जान’ का हिंदी अनुवाद का विमोचन कर रहा है.एक बीते युग के इतिहास के पन्नों में भूली बिसरी रानी की कहानी जो एचएमवी के लिए गीत रिकॉर्ड करने वाली पहली शख्सियत थी. अपनी यात्रा में कठिन संघर्षों के बावजूद उनके खिलाफ खड़ी रहीं और सभी बाधाओं का सामना किया। विक्रम संपत की यह एक और बड़ी उपलब्धि, जिनकी साहित्यिक प्रतिभा ने एक और बुलंद बेंचमार्क हासिल किया है’। पुस्तक गौहर जान की कहानी का व्याखान है, एक कहानी जो मिथक और पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है, साथ ही उस समय के दौरान जब वह रहती थी। साथ ही यह पुस्तक भारतीय रिकॉर्डिंग उद्योग के विकास और देश के संगीत, रंगमंच और सामाजिक जीवन पर इसके प्रभाव का भी वर्णन करती है।
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