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"डॉ. विन्देश्वर पाठक सुलभ इंटरनेशनल सेनिटेशन एंड ह्यूमन राइट्स प्राइज फॉर एक्सीलेंस" पुरस्कार प्रदान

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली, देश के प्रमुख सामाजिक संगठन सुलभ इंटरनेशनल ने हिमाचल प्रदेश के एक मेधावी बच्चे को "डॉ. विन्देश्वर पाठक सुलभ इंटरनेशनल सेनिटेशन एंड ह्यूमन राइट्स प्राइज फॉर एक्सीलेंस" 12.50 लाख रुपये की पुरस्कार राशि से पुरस्कृत किया। यह चाइल्ड प्रोडिजी मास्टर अरुणोदय शर्मा पिछले साल कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सुर्खियों में आया था। सुलभ ने अपने 52वें स्थापना दिवस पर मास्टर अरुणोदय शर्मा के साथ-साथ कुछ अन्य बच्चों श्री प्रशम श्रीवास्तव, सुश्री दिशा तिवारी, ईशा तिवारी, अंबिका धौलपुरे और जीविका धौलपुरे को भी पुरस्कार और छात्रवृत्ति से सम्मानित किया।
 स्थापना दिवस का कार्यक्रम "स्वच्छता और स्वाधीनता," संस्कृति मंत्रालय, शहरी विकास एवं जल शक्ति, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित किया गया।कार्यक्रम में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से बड़ी संख्या में स्वच्छता के समाजशास्त्र के विद्वानों ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रसिद्ध विद्वान और सेंट्रल युनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ बिहार के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने मुख्य भाषण दिया।

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक मैसेज के द्वारा डॉक्टर पाठक के 52 वर्षों से स्वच्छता के क्षेत्र में किए गए कार्यों को सराहा।प्रमुख योग ग बाबा रामदेव हरिद्वार से ऑनलाइन इस कार्यक्रम में शामिल हुए और चल रहे स्वच्छता अभियान की सराहना की। बाबा रामदेव ने डॉ. विन्देश्वर पाठक द्वारा किए गए स्वच्छता के कार्यों एवं समाज के पिछड़े वर्गों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए उनके अथक प्रयासों की सराहना की।इस अवसर पर सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. विन्देश्वर पाठक ने सर्वांगीण विकास विशेषकर स्वच्छता के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों की सराहना की।

डॉ. पाठक ने संस्कृति मंत्रालय, शहरी विकास एवं जल शक्ति, भारत सरकार को देश भर में आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मनाने के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री जी ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष पर उन महापुरुषों को श्रदांजलि देने का निर्णय किया जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए ने अपनी कुर्बानियां दीं, उनके गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और उपलब्धियों को मनाने का आह्वान किया।डॉ. पाठक कहते हैं, "यह महोत्सव प्रधानमंत्री जी के भारत 2.0 के आत्मनिर्भर भारत के बारे में है, जिस पर हम सभी को गर्व है। सुलभ स्वच्छता आंदोलन दुनिया के सबसे बड़े स्वच्छता आंदोलनों में से एक है। इस आंदोलन के माध्यम से डॉक्टर पाठक ने महात्मा गांधी जी के सपनों को साकार किया है।

वर्ष 1970 में सुलभ की स्थापना के बाद, डॉक्टर पाठक ने मानव अपशिष्ट के सुरक्षित और स्वच्छ निपटान के लिए सीवरेज और जल निकासी प्रदान करके खुले में शौच और मानव-मल को ढोने जैसे घृणित कार्यों की समस्याओं को हल करने के लिए एक आंदोलन का नेतृत्व कर समाज को सुरक्षित और स्वच्छ मानव अपशिष्ट निपटान प्रणाली प्रदान की।

इन दोनों क्षेत्रों में, डॉ पाठक का संघर्ष और उपलब्धियां वर्षों से उत्कृष्ट रहें हैं—डॉ पाठक ने सुलभ टू-पिट पोर-फ्लश शौचालय (यूएनडीपी और डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त) का आविष्कार कर सिर पर हजारों वर्षों से मैला ढोने वालों की मुक्ति और पुनर्वास का कार्य किया। सुलभ द्वारा 1.6 मिलियन घरेलू शौचालयों के निर्माण के साथ-साथ 10,000 से अधिक पे-एंड-यूज़ शौचालय परिसरों का निर्माण, जिनका उपयोग 20 मिलियन भारतीयों द्वारा किया जा रहा है।स्वच्छता के समाजशास्त्र पर आधारित और डॉ. पाठक के योगदान से संबंधित सात पुस्तकों का विद्वानों की उपस्थिति में विमोचन किया गया। ये पुस्तकें विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रसिद्ध समाजशास्त्र के विद्वानों द्वारा लिखी गई हैं।

अमृत ​​महोत्सव के निदेशक, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, सुश्री प्रियंका चंद्रा ने अपने संबोधन में आजादी के 75वें अमृत महोत्सव को मनाने के लिए सरकार की पहल पर प्रकाश डाला।डॉ. पाठक ने अरुणोदय को बधाई देते हुए कहा कि महज 9 साल की उम्र में अरुणोदय ने प्रतिष्ठित क्विज शो "कौन बनेगा करोड़पति" जीता, जिसकी मेजबानी पिछले साल महान अभिनेता श्री अमिताभ बच्चन ने की थी।

प्रश्नों का उत्तर देते समय अरुणोदय ने उच्च कोटि की बुद्धिमत्ता और परिपक्वता का परिचय दिया अरुणोदय, वर्तमान में सेंट एडवर्ड्स स्कूल शिमला में पांचवीं कक्षा में पढ़ रहे हैं, अपने शुरुआती वर्षों से ही असाधारण प्रतिभा और असाधारण कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं। केबीसी के लिए उनकी यात्रा अधिक खोज, जिज्ञासा और शो के लिए गहरे जुनून से शुरू हुई। उन्होंने तीन एलिमिनेशन क्विज़ राउंड और एक ग्राउंड ऑडिशन के माध्यम से 800 बच्चों (8-14 वर्ष) में से अंतिम तीस तक पहुंचने के लिए मजबूत दृढ़ संकल्प दिखाया।प्रोफेसर रिचर्ड पाइस और प्रोफेसर रविंद्रनाथ राव, मंगलौर विश्वविद्यालय ने भी सुलभ के 52वें स्थापना दिवस के अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए।
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