Halloween Costume ideas 2015

कविता // कागज की कश्ती


०  सुषमा भंडारी ० 

कागज़ की मैं छोटी कश्ती

सागर बहुत ही गहरा

क्यूंकर जाउँ पार सखी री

मेरा ख्वाब सुनहरा

प्यार का चप्पू लिए हाथ में

नैया पार करूंगी

हरियाली सौंधी धरती पर

अपने पाँव धरूँगी

हवा बसंती मारे लहरा

मेरा ख्वाब सुनहरा

पत्तों की रूनझुन सुनकर मैं

गीतों में बह जाउँ

पिघले जैसे ओस की बूंदे

बूंद- बूंद ढह जाउँ

सदा प्यार पे लगता पहरा

मेरा ख्वाब सुनहरा

सूरज की किरणों से मेरा

तन हो जाये सुनहरी

इन्द्रधनुष के रंग में डूबे

मेरी शाम रुपहरी

वक्त सदा चलता ही रह्ता वक्त कभी न ठहरा

मेरा ख्वाब सुनहरा

कागज की मैं छोटी कश्ती

सागर बहुत ही गहरा

(कागज की कश्ती)

कागज़ की मैं छोटी कश्ती

सागर बहुत ही गहरा

क्यूंकर जाउँ पार सखी री

मेरा ख्वाब सुनहरा

प्यार का चप्पू लिए हाथ में

नैया पार करूंगी

हरियाली सौंधी धरती पर

अपने पाँव धरूँगी

हवा बसंती मारे लहरा

मेरा ख्वाब सुनहरा

पत्तों की रूनझुन सुनकर मैं

गीतों में बह जाउँ

पिघले जैसे ओस की बूंदे

बूंद- बूंद ढह जाउँ

सदा प्यार पे लगता पहरा

मेरा ख्वाब सुनहरा

सूरज की किरणों से मेरा

तन हो जाये सुनहरी

इन्द्रधनुष के रंग में डूबे

मेरी शाम रुपहरी

वक्त सदा चलता ही रह्ता वक्त कभी न ठहरा

मेरा ख्वाब सुनहरा

कागज की मैं छोटी कश्ती

सागर बहुत ही गहरा

Labels:

एक टिप्पणी भेजें

MKRdezign

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *

Blogger द्वारा संचालित.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget