नई दिल्ली, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की अनुषंगी कंपनी साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) द्वारा छत्तीसगढ़ से बाहर कोयला भेजने के संबंध में इंटक के राष्ट्रीय महासचिव एवं छत्तीसगढ़ इंटक के अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने मांग की है कि सरकार को कोयला उत्पादन वाले राज्यों में सक्रिय उद्योगों को कोयला उपलब्ध कराने की प्राथमिकता देनी चाहिए। कोयला उत्पादक राज्यों के उद्योगों की जरूरतें पूरी करने के बाद गैर-उत्पादक राज्यों को कोयला आपूर्ति की जानी चाहिए।
सिंह ने इस संबंध में एक पत्र प्रधानमंत्री को लिखा है। पत्र में मांग की गई है कि पहले कोयला उत्पादक राज्यों में सक्रिय उद्योगों की जरूरतें पूरी की जाएं और फिर अन्य राज्यों को कोयला भेजा जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने पर लोग विरोध पर उतारू हो सकते हैं। अगर सीपीपी आधारित उद्योगों को कोयले की आपूर्ति शीघ्र नहीं की गई तो वे बंद होने के कगार पर आ जाएंगे। लाखों मजदूरों की रोजी-रोटी संकट में पड़ जाएगी। इन सब बातों को देखते हुए विभिन्न राज्यों में कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका है।
सिंह बताते हैं कि एसईसीएल द्वारा उत्पादित कोयले का प्रयोग छत्तीसगढ़ स्थित उद्योगों और राज्य के बाहर के उद्योगों में किया जाता है पिछले एक वर्ष के दौरान एसईसीएल प्रबंधन ने सीपीपी आधारित उद्योगों के कोयले में लगातार कटौती की है। छत्तीसगढ़ का कोयला प्राथमिकता के आधार पर राज्य के बाहर स्थित पावर सेक्टर को उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे सीपीपी आधारित उद्योगों के सामने अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है।
देश के कुल कोयला भण्डार का 18 प्रतिशत हिस्सा यानी 56 बिलियन टन कोयला छत्तीसगढ़ मंे है। राज्य के 250 से अधिक कैप्टिव विद्युत संयंत्रों पर आधारित उद्योगों को सुचारू रूप से चलाने के लिए 32 मिलियन टन कोयले की जरूरत है जो एसईसीएल के उत्पादन का मात्र 19 प्रतिशत है। एसईसीएल का सालाना उत्पादन 165 मिलियन टन है। वर्तमान में सीआईएल द्वारा कोयले का पर्याप्त उत्पादन होने के बावजूद भी छत्तीसगढ़, ओड़ीसा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना, झारखंड आदि राज्यों के सीपीपी आधारित उद्योगों को कोयला नहीं मिल पा रहा है।
सिंह ने इंटक की ओर से मांग की है कि छत्तीसगढ़ एवं देश के अन्य राज्यों के उद्योगों की रक्षा के लिए विभिन्न संयंत्रों के लिए रोड सेल एवं रेल सेल के जरिये कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए एवं प्राथमिकता के आधार पर सीआईएल प्रबंधन नॉन-पावर सेक्टर के विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति तत्काल प्रभाव से की जाए। इसके साथ सिंह ने केंद्र सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशों को कोयला आपूर्ति करने पर कहा कि घरेलू उद्योगों की जरूरतें ही पूरी नहीं हो पा रही हैं। ऐसा नहीं है कि कोयला उत्पादन कम हो रहा है। दरअसल, सरकार की नीति ही गलत है। अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो आने वाले दिनों में लोगों की नौकरियां जा सकती हैं जिससे हर राज्य में अशांति पैदा होगी।
सिंह ने सरकार एवं कोल इंडिया लिमिटेड को यह चेतावनी दी है कि मांगे पूरी नहीं होने की स्थिति में इंटक साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) मुख्यालय के साथ-साथ विभिन्न प्रदेशों की कोल कंपनियों के मुख्यालयों का घेराव करेगी और अन्य राज्यों को भेजे जा रहे वाहनों का आवागमन भी बाधित किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी सीआईएल प्रबंधन की होगी।
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