शीलेंद्र प्रताप सिंह (मंडल रेल प्रबंधक, सियालदह डिवीजन, पूर्व रेलवे) ने इस मौके पर कहा: संस्थान अब सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों के जरिये लोगों की सेवा के लिए एक बहुप्रतीक्षित स्थल बनता जा रहा है। पूर्व रेलवे ने 65वें और 66वें रेलवे सप्ताह महाप्रबंधक पुरस्कार समारोह, क्षेत्रीय रेलवे सप्ताह, संगोष्ठी और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों सहित नव-पुनर्निर्माण योजना में अपने कई सांस्कृतिक और आधिकारिक कार्यक्रमों और संगोष्ठियों की मेजबानी की है। इसके अलावा अब कई अन्य सांस्कृतिक संगठनों और संस्थानों ने भी बी सी रॉय संस्थान में अपने सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आयोजित करना शुरू कर दिया है।
सुजीत संगम प्रियदर्शी (एडीआरएम (आई), सियालदह डिवीजन, पूर्व रेलवे) ने कहा: स्वतंत्रता बाद क्लेम ब्राउन संस्थान समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पार्टियों, वैवाहिक कार्यक्रम एवं अन्य समारोह की मेजबानी के आयोजन का एकमात्र पता था। इस भव्य भवन के अंदरूनी हिस्सों के आकर्षक नए रूप ने कोलकाता की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत की पुरानी यादों को वापस ला दिया है। डॉ बी सी रॉय संस्थान एक बार फिर अपने पुराने गौरव को भुना रहा है और इसके नए माहौल ने कोलकाता के नागरिकों के साथ विशेष सामंजस्य स्थापित किया है।
उपेंद्र कुमार पांडे (एडीआरएम (ओ), सियालदह डिवीजन, पूर्व रेलवे) ने कहा : डॉ बी सी रॉय संस्थान की नवीनीकरण-सह-सौंदर्यीकरण परियोजना काफी पहले शुरू की गई थी, जिसे कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बावजूद एक साल में पूरा कर लिया गया। यह कार्य उस समय किया गया जब कोलकाता अपने पुराने वास्तुशिल्प वैभव को खोखला कर रहा है। बीसी रॉय संस्थान का नवीनीकरण पूर्वी रेलवे द्वारा उठाया गया एक स्वागत योग्य कदम है। जब कलकत्ता का सामाजिक जीवन अपने चरम पर था, यह उस समय से लेकर वर्तमान समय तक का एक रियर-व्यू मिरर दिखाने की कोशिश कर रहा है।
क्लेम ब्राउन इंस्टीट्यूट की स्थापना वर्ष 1920 में हुई थी. जिसे ब्रिटिश, यहूदी, एंग्लो-इंडियन और तत्कालीन भारतीय समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों और पार्टियों के आयोजन के लिए बनाया गया था। देखते ही देखते यह कलकत्ता के प्रसिद्ध बनों में से एक बन गया। पूर्व रेलवे की तरफ से डॉ बी सी रॉय संस्थान के इस परिसर को समय-समय पर सामाजिक गतिविधियों के लिए किराये पर दिया जाता रहा है। बी सी रॉय इंस्टीट्यूट में नवीनीकरण का मुख्य आर्कर्षित बिंदु इसकी पहली मंजिल पर मौजूद गुंबद है, जिसे शास्त्रीय कला के काम की तरह छत के साथ कलात्मक रूप से नया रूप दिया गया है। इसके शीशे में रेशा के माध्यम से तराशी गयी निष्पादित कलात्मक अवधारणाओं को लोकनाथ इंजीनियरिंग द्वारा भव्य रूप दिया गया है।
लोकनाथ इंजीनियरिंग के सुब्रत गांगुली ने इस मौके पर कहा: विभिन्न स्थानीय और इस राज्य के बदलते मौसम की स्थिति और इमारत की सांस्कृतिक और कलात्मक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हमने रखरखाव की लागत कम रखने के साथ इसके स्थायित्व को सुनिश्चित करने के लिए फाइबर ग्लास आधारित कलाकृति पर काम करने का फैसला किया। जिसे समय के मुताबिक पूरा भी किया गया। उम्मीद ही नहीं हमारा विश्वास है कि लोगों को इस इमारत का यह भव्य रूप अवश्य पसंद आयेगा।
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