० योगेश भट्ट ०
नयी दिल्ली : अस्थमा के बारे में मिथकों और आशंकाओं को दूर करने और अस्थमा के रोगियों को सामान्य जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक जागरूकता अभियान "#इन्हेलर्स हैं सही" सिप्ला लिमिटेड के तत्वावधान में शुरू किया गया। अभियान का उद्देश्य इनहेलर के उपयोग के बारे में लोगों को जागरूक करना, इसे सामाजिक रूप से अधिक स्वीकार्य बनाना तथा रोगियों और उनके डॉक्टरों के बीच संवाद को बढ़ावा देना है।
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट के अनुसार, "भारत में, लगभग 93 मिलियन लोग सांस की पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं; जिनमें से लगभग 37 मिलियन अस्थमा के रोगी हैं। वैश्विक स्तर पर अस्थमा में भारत का योगदान केवल 11.1% है, हालांकि, यह वैश्विक अस्थमा से होने वाली मौतों का 42% से अधिक है, अतः समूचे विश्व में अस्थमा से होने वाली सबसे अधिक मौतें यहीं पर हो रही हैं।
डॉ विकास मित्तल, एसोसिएट डायरेक्टर - पल्मोनोलॉजी एंड स्लीप, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग, दिल्ली के अनुसार, “अस्थमा और इनहेलर्स के प्रति धारणा को बदलना महत्वपूर्ण है। जहां इनहेलर लोगों के जीवन पर अस्थमा के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, वहीं इसका सही इस्तेमाल बेहद महत्वपूर्ण है। इनहेलर्स दवा को सीधे फेफड़ों तक पहुंचाते हैं और अस्थमा को रोकने, लक्षणों से राहत देने और इसके बढ़ने को कम करके अस्थमा को नियंत्रित करने का काम करते हैं। हालांकि, इनहेलर तभी प्रभावी हो सकता है जब मरीज अपने डॉक्टरों की सलाह पर ध्यान दें और प्रेस्क्रिप्शन का पालन करें
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