जयपुर - नारी चेतना मंच ने डर और नफरत के खिलाफ देश में सद्भाव और मजबूती के लिए जन जागरण विषय पर एक कॉल कांफ्रेंसिंग की जिसमें वाणी मंजरी दास पटनायक भुवनेश्वर (उड़ीसा) , सरस्वती दुबे पटना (बिहार) , विभा जैन जयपुर (राजस्थान) एवं अजय खरे रीवा (मध्यप्रदेश) ने प्रमुखता से अपने विचार रखे . यह बराबर देखने को मिल रहा है कि देश में एक तरफ डर का माहौल बना हुआ है तो दूसरी तरफ लोगों के बीच में नफरत भी बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है .
इधर कोरोना काल में डर और नफरत को काफी बढ़ावा मिला है . समाज में एक दूसरे को डराकर रखने की प्रवृत्ति काफी खतरनाक है वहीं जाति धर्म गरीबी और बीमारी के आधार पर मनुष्य मनुष्य के बीच घृणा का माहौल काफी चिंताजनक और आपत्तिजनक बात है .
कॉल कांफ्रेंसिंग में वाणी मंजरी दास पटनायक ने अपनी बात रखते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी समाज में डर और नफरत को दूर करना चाहते थे . उन्होंने लोगों को निर्भीक बनाने का काम करने के साथ समाज में किसी भी तरह की नफरत के खिलाफ बड़े पैमाने पर जन जागरण किया . वाणी पटनायक ने कहा कि डर और नफरत देश और समाज को कमजोर करने वाले हैं . यह देखने में आ रहा है कि इधर सरकार खुद डर और नफरत के माहौल को पनाह दे रही है . यह बात लोकतांत्रिक लोक कल्याणकारी राज्य के लिए अच्छी नहीं है .सरस्वती दुबे ने कहा कि समाज में डर और नफरत का माहौल कभी अच्छा नहीं होता है . लोगों के अंदर डर और नफरत होने से समाज कभी आगे नहीं बढ़ सकता है . नफरत और डर से समाज में अलगाव बढ़ता है और भाईचारा टूटता है . उन्होंने कहा कि देश और समाज को मजबूत बनाने के लिए आपसी सद्भाव बेहद जरूरी है .लोगों को डरा धमका कर के सुशासन नहीं दिया जा सकता है . इसी तरह लोगों से नफरत करके भी समाज को सही तरीके से आगे नहीं ले जाया जा सकता है .
विभा जैन ने कहा कि देखने को मिल रहा है कि लोगों के बीच आपसी संवाद बुरी तरह बिखर गया है .डर और नफरत का माहौल समाज में जगह जगह फैला हुआ है . कोरोना महामारी काल के दौरान लोगों के बीच सामाजिक दूरियां काफी बढ़ गई है . समाज में डर और नफरत फैलाने वाले लोगों ने कोरोना काल में उसे और बढ़ावा दिया है . सांप्रदायिक माहौल भी बराबर खराब किया जा रहा है . राष्ट्र की व्यापक अवधारणा को संकुचित करने का दुष्चक्र चलाया जा रहा है . नफरत और डर का वातावरण बनाकर देश और समाज को मजबूत नहीं किया जा सकता है .
समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे ने कहा कि डर और नफरत देश और समाज को तोड़ती है . जहां लोग डरे सहमे रहते हैं और आपस में नफरत रखते हैं वहां गुलामी दस्तक देती है . जाति धर्म गरीबी के आधार पर नफरत और डर का माहौल देश और समाज के लिए हमेशा विघटनकारी साबित हुआ है . इसके चलते हजारों साल तक देश को गुलामी का शिकार होना पड़ा है .
खरे ने कहा कि कोरोना काल में महामारी से बचाव के लिए 2 मीटर दूरी मॉस्क जरूरी का ध्यान रखते हुए सामाजिक समरसता के लिए काम करने की जरूरत है . समाज में किसी के साथ नफरत का माहौल नहीं होना चाहिए और न किसी को डराने धमकाने का काम होना चाहिए . कोरोना महामारी के नाम पर भी किसी से नफरत नहीं करना चाहिए और समाज में फैले हुए मृत्यु भय को दूर करना चाहिए . एक सभ्य समाज के निर्माण के लिए डर और नफरत से नागरिकों को ऊपर उठना होगा . जहां डर और नफरत होगी वहां एकता और मजबूती कभी नहीं होगी .
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