Halloween Costume ideas 2015

बिकने वाली वस्तु का भी होता है दो बाजार

0 परिणीता सिन्हा 0

सज गया है बाजार, सज गया है आचार । 

वस्तुएं जो बन कर सँवर गई, 

वस्तुएं जो प्रदर्शित करने को हो गई तैयार । 

वह करीने से, साफ सफोई से सजा दी जाएंगी ।

फिर उसके ऊपर कीमत अंकित की जाएगी ।

बिकने वाली वस्तु का भी होता है दो बाजार । 

एक होती है वस्तु नयी 

और एक होती है पुरानी,

जिसे खरीदने में खरीदार की होती है मनमानी । 

वह लगाता है वही कीमत ,

जो उसने किसी की जानी । 

कभी कौड़ियों के दाम बिकती है ममता,

तो कभी महँगी बिक जाती है कोई वस्तु बेमानी ।

बाजार है एक क्रय विक्रय का संसार, 

जिसमें हमेशा कम कीमत में बिकती है ,

कभी कोई वस्तु तो कभी कोई लाचार । 

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