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सांगानेरी गेट पर अभियान का पांचवा चरण आयोजित होगा, संयुक्त अभिभावक संघ का जागरूकता अभियान


० आशा पटेल ० 

जयपुर। शिक्षा में सुधार को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे संयुक्त अभिभावक संघ ने अभिभावकों में जागरूकता फैलाने को लेकर अभी हाल ही में आये राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को लेकर जागरूकता अभियान का संचालन किया है। पिछले चार दिनों से जारी इस अभियान से अब तक डेढ़ हजार से अधिक अभिभावक फिजिकल जुड़ चुके है और करीबन 1 लाख से अधिक अभिभावकों को सोश्यल मीडिया से जोड़कर जाग्रत किया जा रहा है।

उपाध्यक्ष मनोज शर्मा और मंत्री मनोज जसवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार को सायं 4 बजे मानसरोवर के पशुराम पार्क, रजत पथ पर ज्ञान आश्रम, स्प्रिंगफील्ड, एसबीओआई, सेंट एंसलम, मार्डन और सेंट टेरेसा स्कूलों के सक्रिय अभिभावक जुटे और संवाद स्थापित किया। इस दौरान एडवोकेट अमित छंगाणी ने कोर्ट आदेश सहित अभिभावकों मिले कानूनी अधिकारों की जानकारी से अवगत करवाया और मंत्री युवराज हसीजा और महिला प्रभारी अमृता सक्सेना व दौलत शर्मा ने संगठन के कार्यो सहित, संगठन के विजन एवं अभिभावकों के लिए चलाई हेल्प डेस्क की जानकारी उपलब्ध करवाई। 

 सांगानेरी गेट पर अभियान का पांचवा चरण आयोजित होगा, जिसमे अग्रसेन स्कूल सहित विभिन्न स्कूलों के अभिभावक जुटेंगे। इस दौरान संजय शर्मा, हेमेंद्र दुबे, अंजली सचदेवा, रेखा गंगवानी, किरण जगवानी, दीपा गंगवानी, अनुराग जैन, विकास गुप्ता, समुर माथुर, आदित्य भारद्वाज, जयश्री तिवाड़ी, नितिन गुप्ता, सोहन सिंह, ए.के झा, शालिनी तिवाड़ी, दिनेश चौधरी, माला नांकवानी आदि सहित अन्य अभिभावक शामिल हुए। 

प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि राज्य सरकार से अपील की है कि वह स्कूलों को खोलने पर जो विचार कर रही है वह जब तक वेक्सीन नही आ जाती है तब तक के लिए त्याग देंवे। पूर्व में भी मुख्यमंत्री ने मेघालय, आंध्र प्रदेश, मिजोरम सहित विभिन्न राज्यों द्वारा स्कूल खोलकर बन्द करने का हवाला देते हुए 31 दिसम्बर तक बंद करने के आदेश दिए थे। दिल्ली सरकार ने पहले ही जब तक वेक्सीन नही तब तक कोई स्कूल नही की घोषणा कर चुकी है।

 मध्य प्रदेश सरकार ने कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के सभी स्कूल 31 मार्च तक बंद करने के आदेश दे दिए है। इन सभी राज्यों ने कोरोना काल मे स्कूल खोलने का परिणाम भोगकर दुबारा बन्द करने पड़े इससे पहले इन्ही स्कूलों और सरकारों की लापरवाही ने सैकड़ों टीचरों और बच्चों को से ग्रस्त होने पर मजबूर कर दिया था। जबकि केंद्र सरकार ने दो महीने पहले माता-पिता की अनुमति के बाद बच्चे स्कूल जाकर चर्चा कर सकते है किंतु उसमे भी अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल नही भेजा। राज्य सरकार से अपील है कि वह प्रदेश में स्कूलों को खोलने का विचार त्याग देंवे। अन्यथा अभिभावकों को अपने बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सड़कों पर उतना पड़ेगा।

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