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गीता पर अशोक लव की अभूतपूर्व कृति

 

●समीक्षक-डाॅ0 सुरेंद्र कुमार शर्मा 

📙पुस्तक-द श्रीमद्भगवदगीता जीवन दिशा ●लेखक-अशोक लव ●मूल्य-150 रु. ●प्रकाशन वर्ष-2020 ● पृष्ठ-144 ●संपर्क-अशोक लव, फ्लैट-363, सूर्य अपार्टमेंट, सेक्टर-6, द्वारका, नई दिल्ली-110075

अशोक लव प्रयोगधर्मी साहित्यकार हैं । साहित्य की विभिन्न विधाओं में उनकी लगभग 150 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें उन्होंने नए-नए प्रयोग किए हैं। उनकी आरंभ से ही अध्यात्म की ओर  रुचि रही है। उनके साहित्य में भी आध्यत्मिकता के दर्शन किए जा सकते हैं। उनका बहुचर्चित उपन्यास ‘शिखरों से आगे’ इसका प्रमाण हैं । इसके नायक और एक अन्य मुख्य पात्र स्वामी आलोकानंद के माध्यम से लेखक ने अध्यात्म को व्यक्ति के उत्थान का एकमात्र मार्ग दर्शाया है ।

‘द श्रीमद्भगवदगीता जीवन दिशा’अशोक लव की नवीनतम पुस्तक है, जिसका प्रकाशन सन् 2020 में हुआ है। इससे पूर्व 2019 में उनका ग्रंथ ‘सर्वजन हिताय श्रीमद्भगवदगीता ’ प्रकाशित हुआ था जिसमें लेखक ने अनेक नए प्रयोग किए थे।उसमें संपूर्ण महाभारत को चित्रों सहित संक्षेप में दिया गया है। द श्रीमद्भगवदगीता जीवन दिशा’ अन्य गीताओं से भिन्न हैं। यह प्रश्नोत्तर शैली में है । गीता के प्रत्येक अध्याय में जिन प्रमुख विषयों की चर्चा हुई है, उनके आधार पर अंग्रेज़ी और हिंदी में प्रश्न दिए गए हैं। प्रश्नों के उत्तर  अध्याय से मूल संस्कृत में देकर उनके भावार्थ अंग्रेज़ी और हिंदी में दिए गए हैं। उदाहरण के रूप में अध्याय ग्यारह का एक प्रश्न और उसका उत्तर दिया जा रहा है।

पश्यामि देवास्ंत्व देव देहे सर्वांस्तभा भूतविशेषसंधान।                                                                          ब्रह्माणमीशं कमलास्नस्य- मृषींश्च सर्वानुरगांश्च दिव्यान। (11-15)

हे प्रभु, मैं आपके शरीर में समस्त देवों, अनेक प्राणियों के समूहों को जाते हुए देख रहा हूँ। मैं कमल के आसन पर स्थित भगवान ब्रह्मा और भगवान  शिव तथा संपूर्ण ऋषियों को और दिव्य सर्पों को देख रहा हूँ।

इसके पश्चात अंग्रेज़ी में अर्थ दिया गया है। प्रश्नों के माध्यम से श्रीमद्भगवदगीता के अठारहों  अध्यायों को इस पुस्तक में समाहित किया गया है। एक प्रश्न के उत्तर यदि पाँच श्लोकों में हैं तो पाँचों श्लोकों को संस्कृत में उद्धृत  करके उनके अंग्रेज़ी और हिंदी में भावार्थ दिए गए हैं। मेरी दृष्टि में गीता पर ऐसा कार्य संभवतः प्रथम बार किया गया है। इससे संस्कृत,अंग्रेज़ी और हिंदी के पाठक लाभान्वित होंगे। यह कार्य प्रशंसनीय तो है ही, उपयोगी भी है। समस्त प्रश्नों को परिशिष्ट में भी प्रकाशित किया गया है।  

अशोक लव गीता के गहन अध्येता हैं। उन्होंने गीता का सूक्ष्म अध्ययन किया है। चिंतन-मनन करके प्रश्नों को तैयार किया है।उनके उत्तरों को सरल भाषा में दिया है।अशोक लव के अनुसार- ‘‘गीता महाभारत महाकाव्य का एक अंश है, फिर भी यह स्वयं में संपूर्ण स्वतंत्र पवित्र ग्रंथ है। यह जीवन कीअद्भुत, दार्शनिक कविता है।’’

यह कृति भारतीय संस्कृति और वैदिक-पौराणिक साहित्य की धरोहर को जीवंत रखने का अद्भुत कार्य है।पुस्तक का आवरण सहज ही आकर्षित कर लेता है । गीता के प्रचार-प्रसार को दृष्टिगत रखते हुए इसका मूल्य बहुत कम रखा गया है। इसका प्रकाशन ‘स्प्रिचुएलिटी फोरम फ़ार ह्ययूमैनिटी’ संस्थान की ओर से किया गया है। इसके चेयरमैन स्वयं अशोक लव हैं। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर और ‘काशी पत्रकारिता पीठ’ के निर्देशक डाॅ. अर्जुन तिवारी ने अशोक लव और उनकी इस कृति के संबंध में लिखा है-‘मैं मानता हूँ कि गीता मानवता की आचार-संहिता है। जब-जब मानव मूल्यों का चिंतन-मनन होगा, गीता की प्रासंगिकता सर्वोपरि बनी रहेगी। इसके साथ-साथ इस कृति और श्री अशोक लव का उल्लेख भी किया जाएगा।’’ 

गीता जीवन को दिशा देने, कर्म करने और सात्विक जीवन जीने का प्रेरक ग्रंथ है। इस महत्वपूर्ण कृति के लिए लेखक अशोक लव को बधाई !

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