० शकुंतला मित्तल ०
नयी दिल्ली - प्रणेता साहित्य संस्थान,दिल्ली के तत्वावधान में एस जी एस सिसोदिया और शकुंतला मित्तल द्वारा संपादित पुस्तक 'प्रणेता साहित्य संकलन' और सुविख्यात कथाकार गौरी सेन रचित 'तमन्ना' कहानी संग्रह का लोकार्पण समारोह गूगल पर आयोजित किया गया। यह आयोजन प्रणेता साहित्य संस्थान के संस्थापक और महासचिव एस जी एस सिसोदिया के सानिध्य में किया गया,जिसकी अध्यक्षता अनेक अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित 'विश्व मैत्री मंच'की संस्थापक अध्यक्षा संतोष श्रीवास्तव ने की।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की प्रशासनिक अधिकारी,लघुकथा शोध केंद्र भोपाल की निदेशक और अति प्रतिष्ठित साहित्यकारा कान्ता राॅय की गरिमामयी उपस्थित रही ।विशिष्ट अतिथि की भूमिका में सुविख्यात साहित्यसेवी डाॅ. दुर्गा सिन्हा 'उदार' ने आयोजन की शोभा बढ़ाई।कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रतिष्ठित कवयित्री सुषमा भण्डारी द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन और माँ शारदे की आराधना गीत के साथ किया।
कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन व संयोजन कवयित्री शकुंतला मित्तल और अति प्रतिष्ठित साहित्यकारा वीणा अग्रवाल ने समवेत रूप में किया। परिचय सत्र के बाद सिसोदिया ने प्रणेता साहित्य संस्थान की 4 वर्षों की उपलब्धियाँ बताते हुए कहा कि प्रणेता नवोदित साहित्यिक प्रतिभाओं का आह्वान कर उन्हें मंच प्रदान करता है।प्रणेता समय समय पर काव्य गोष्ठियाँ,प्रतियोगिता और सम्मान समारोह आयोजित करता है और साहित्यिक प्रतिभाओं को वरिष्ठ साहित्यकारों का मार्गदर्शन मिलता है।
अब प्रणेता फेसबुक पर भी आ गया है।सिसोदिया ने प्रणेता साहित्य संकलन में सम्मिलित सभी साहित्यकारों को बधाई और शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए विशेष रूप से कांता राॅय,अनिल मीत ,देवेन्द्र मांझी,लक्ष्मी शंकर वाजपेयी और बलराम अग्रवाल का आभार व्यक्त किया ,जिन्होंने अपनी रचनाओं का आशीर्वाद प्रणेता साहित्य संकलन को दिया।गौरी सेन को उनके कहानी संग्रह तमन्ना के लिए बधाई एवं शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए उन्होंने उनकी कहानियों को समाज की समस्याओं का समाधान देती हुई बताया।
तत्पश्चात शकुंतला मित्तल ने संपादकीय वक्तव्य में प्रणेता साहित्य संकलन में सम्मिलित सभी 47 रचनाकारों वीणा अग्रवाल, डाॅ.सरोज गुप्ता,अनिता प्रभाकर,डाॅ. भावना शुक्ल,चंचल पाहुजा,दिनेश चंद्र प्रसाद 'दीनेश',डाॅ. रामनिवास इंडिया,चन्नी वालिया,डाॅ. शारदा मिश्रा,अनिता गुप्ता,अंजु कोहली,कुमार जितेन्द्र 'जीत',मधु गौतम,कुसुम लता 'कुसुम',गीता प्रकाश,कुसुम मंजरी,विकास जैन,लाडो कटारिया,मनीष कुमार अग्रवाल,डाॅ.कामना तिवारी श्रीवास्तव,अशोक पाहुजा,सरिता गुप्ता,रितु प्रज्ञा, रशीद गौरी ,श्वेता कंसल,अंजली खेर,डाॅ.स्मिता मिश्रा,सीमा मोंगा,अतुल कुमार 'अक्स',शिप्रा झा,पुष्पा गुप्ता,कान्ता राॅय,पंकज,डाॅ. रूपा पारिक,गोविन्द सिंह पवार,सुधा श्रीवास्तव,तरूणा पुंडिर 'तरुनिल',राजेशवरी जोशी आर्द्रा,विनीता सरस्वती,परिणीता सिन्हा,प्रेम लता कोहली,सुषमा भण्डारी,पुष्पा शर्मा 'कुसुम',अनिल मीत,देवेन्द्र मांझी,लक्ष्मी शंकर वाजपेयी,बलराम अग्रवाल को बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह साझा संकलन मात्र पुस्तक नहीं वरन प्रणेता से जुड़े साहित्यकारों के आत्मीय संबधों और भावपुष्पों का ऐसा गुलदस्ता है जिसमें गहरा सामाजिक चिंतन,देशभक्ति का भाव,शोषित,पीड़ित , दीन के लिए चिंता,नैतिक मूल्यों की स्थापना और प्रकृति की मनोरम झांकी दर्शाती रचनाएँ भी हैं।इस पुस्तक का एक एक पन्नाअनुभूतियों के पुष्प खिला मन को महकाता समाज में सकारात्मक परिवर्तन का आगाज़ करता है।
गौरी सेन जी के कहानी संग्रह 'तमन्ना' के लिए भी उन्होंने उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं। आयोजन में सरिता गुप्ता ,दुर्गा सिन्हा ,परिणीता ,चंचल पाहुजा, पुष्पा शर्मा, राजेंद्र निगम, राधा गोयल, सुषमा भंडारी, सरिता गुप्ता, चन्नी वालिया, डॉ रामनिवास इंडिया, भावना शुक्ल, एस जीशएस सिसोदिया जी , लाडो कटारिया , कुसुम गुप्ता ,गौरी सेन ,सरोज गुप्ता,सुलोचना दधीच तरुणा पुंडीर, शकुंतला मित्तल, कांता राय, संतोष श्रीवास्तव ,दुर्गा सिन्हा,वीणा अग्रवाल जी की विशेष उपस्थिति और प्रस्तुति ने आयोजन में समां बांध दिया।
विशिष्ट अतिथि डाॅ. दुर्गा सिन्हा उदार ने सबको बधाई देते हुए अपनी प्रस्तुति से सबको मुग्ध कर दिया,जिसकी कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार थीं
ख़ुद से ख़ुद की अपनी, पहचान ज़रूरी है
अपने इस जीवन पर, अभिमान ज़रूरी है।।
हम देखा करते हैं, औरों की कमज़ोरी
देखें अपनी ख़ुशियाँ-वरदान, ज़रूरी है।।
मुख्य अतिथि आदरणीया कान्ता राॅय ने बहुत ही ऊर्जावान शब्दों में प्रणेता के सभी पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि प्रणेता ने अपने इन 4 वर्षों में सृजन की ऐसी सार्थक ईंटें संग्रहित की हैं कि वे नई मीनारें बनाएँगी।उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता के चुनौती काल में सृजन द्वारा ही भावनाएँ एक दूसरे के दिलों को जोड़ पुल का काम करती हैं। प्रणेता के संस्थापक और महासचिव एस जी एस सिसोदिया साहित्य दीप जला कर उसकी रक्षा कर रहे हैं। इस साझा संकलन में सबको साथ ले कर चलने की भावना परिलक्षित हो रही है।उन्होंने इस साझा संकलन को 'बंधन का उत्सव' कह सबका मनोबल बढ़ाया और अपना आशीर्वाद दिया।
आयोजन की अध्यक्षा संतोष श्रीवास्तव जी ने प्रणेता साहित्य संकलन और तमन्ना कहानी संग्रह को अपनी बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हुए अपनी भावभीनी संदेशपरक गज़ल से सारे वातावरण को रससिक्त कर दिया।उनकी गज़ल का एक मिसरा कुछ यूँ था
तालीम याफ्ता हुई हैं जब से बेटियां
बस्ती में एक शख्स भी जाहिल नहीं रहा ।
आयोजन के अंत में सिसोदिया जी ने सभी अतिथियों,साहित्यिक मनीषियों और प्रणेता से जुड़े हर पदाधिकारी का आभार व्यक्त किया।आयोजन बहुत ही खुशनुमा वातावरण में संपन्न हुआ।
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