नई दिल्ली, हीमोफिलिया फेडरेशन (इंडिया) (HFI) देश में हीमोफिलिया से पीड़ित व्यक्तियों (PwH) के कल्याण के लिए सामूहिक स्तर पर काम करने वाला एक शीर्ष संगठन है। इस संगठन द्वारा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से होटल इन, एयरो सिटी में एक दिवसीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भारत सरकार में संसदीय कार्य एवं संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल थे। कॉन्फ्रेंस में उपस्थित प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए मेघवाल ने कहा कि "हीमोफिलिया फेडरेशन इंडिया "हीमोफिलिया केयर VI कॉन्फ्रेंस 2022 की" के तौर पर देशभर के बेहतरीन चिकित्सा पेशेवरों को एक मंच पर लाया है। यह लोग मिलकर इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान खोजने और नीति स्तर पर आवश्यक परिवर्तनों पर चर्चा कर रहे हैं। यह एक बहुत अच्छा कदम है। इस विषय पर जागरूकता बेहद महत्वपूर्ण है और इस तरह के आयोजन हीमोफिलिया की जानकारी पूरे देश के साथ साझा करने में मदद करते हैं।"
मोहम्मद फैजल पी पी, सांसद, लक्षद्वीप, एनसीपी और हर्ष मंगला, आईएएस, निदेशक, एनएचएम, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी सम्मेलन में उपस्थिति दर्ज की। उन्होंने भारत में दुर्लभ बीमारियों के बारे में जागरूकता पैदा करने व सर्वोत्तम सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए नए कदमों और नई नीतियों के बारे में बताया। कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन अवसर पर HFI के प्रेसि प्रेमरूप अल्वा ने कहा, “विश्व हीमोफिलिया दिवस दुनियाभर में 140 देशों में मनाया जाता है। यह हमारी मुख्य पहलों में से एक है। इस दिन हमारे साथ जितने अधिक लोग जुड़ेंगे और इस विषय पर बात करेंगे, उतना ही हीमोफिलिया समुदाय को अपने मुद्दों को सबके सामने रखने के अवसर प्राप्त होंगे। हमें खुशी है कि स्वास्थ्य मंत्रालय हीमोफीलिया की व्यापक देखभाल के लिए HFI के साथ पूर्ण सहयोग कर रहा है। हमने एक लंबा सफर तय किया है। हमें आगे भी बहुत लंबा सफर तय करना है। हीमोफिलिया समुदाय के सामने कई तरह की मुश्किलें हैं, जैसे- पहचान न कर पाना, सरकारी खरीद में भारी अभाव, असमान वितरण। यह ऐसी समस्याएं हैं जिन्हें राज्य और केंद्रीय स्तर पर अच्छी हीमोफिलिया नीति बनाकर दूर किया जा सकता है।”
मोहम्मद फैजल पी पी, सांसद, लक्षद्वीप, एनसीपी और हर्ष मंगला, आईएएस, निदेशक, एनएचएम, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी सम्मेलन में उपस्थिति दर्ज की। उन्होंने भारत में दुर्लभ बीमारियों के बारे में जागरूकता पैदा करने व सर्वोत्तम सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए नए कदमों और नई नीतियों के बारे में बताया। कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन अवसर पर HFI के प्रेसि प्रेमरूप अल्वा ने कहा, “विश्व हीमोफिलिया दिवस दुनियाभर में 140 देशों में मनाया जाता है। यह हमारी मुख्य पहलों में से एक है। इस दिन हमारे साथ जितने अधिक लोग जुड़ेंगे और इस विषय पर बात करेंगे, उतना ही हीमोफिलिया समुदाय को अपने मुद्दों को सबके सामने रखने के अवसर प्राप्त होंगे। हमें खुशी है कि स्वास्थ्य मंत्रालय हीमोफीलिया की व्यापक देखभाल के लिए HFI के साथ पूर्ण सहयोग कर रहा है। हमने एक लंबा सफर तय किया है। हमें आगे भी बहुत लंबा सफर तय करना है। हीमोफिलिया समुदाय के सामने कई तरह की मुश्किलें हैं, जैसे- पहचान न कर पाना, सरकारी खरीद में भारी अभाव, असमान वितरण। यह ऐसी समस्याएं हैं जिन्हें राज्य और केंद्रीय स्तर पर अच्छी हीमोफिलिया नीति बनाकर दूर किया जा सकता है।”
"हीमोफिलिया केयर VI कॉन्फ्रेंस" में कंसल्टेंट, MAMC, हीमोफिलिया के सलाहकार, लोक नायक हॉस्पिटल दिल्ली के प्रो. नरेश गुप्ता, एम.डी. मेडिकल, एम्स नई दिल्ली की प्रो तुलिका सेठ, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, नोएडा की प्रमुख और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीता राधाकृष्णन, नोवो नॉर्डिस्क इंडिया के डॉ. रोहन कोल्ला, रोश इंडिया प्रा.लि. के लीड मार्केटिंग श्री मोहित सक्सेना और फाइजर के डॉ. हितेश मुले जैसे विचारशील नेताओं ने हीमोफिलिया के नए उपचार विकल्पों, WHF की भूमिका- मानवीय सहायता, अधिकतम देखभाल तक पहुंच, सरकारी खरीद और राज्य-विशेष में व्यापक देखभाल पर चर्चा के साथ ही भारत में हीमोफिलिया देखभाल में गोरखधंधे पर विषय केंद्रित विचार-विमर्श किया।
इसके अलावा कॉन्फ्रेंस में देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के प्रमुख डॉक्टर, हेमटोलॉजिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट और हीमोफिलिया देखभाल करने वालों ने भी भाग लिया। इस आयोजन को प्रमुख दवा कंपनियों- फाइजर, रोश, नोवो नॉर्डिस्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ग्रिफोल्स ने भी अपना समर्थन दिया। 1983 में अपनी स्थापना के बाद से फेडरेशन पिछले 39 वर्षों से हीमोफिलिया समुदाय की आवाज बना हुआ है। इस पहल का उद्देश्य स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर हीमोफिलिया के मरीजों को लेकर जागरूकता पैदा करने, कारगर समाधान खोजने और व्यापक देखभाल को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय और अन्य हितधारकों को एक मंच पर लाना है।
उल्लेखनीय रूप से पिछले चार कार्यक्रमों में स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ हीमोफिलिया फेडरेशन (इंडिया) का एकीकरण बहुत अधिक सफल रहा है और इसने हीमोफिलिया को बड़े स्तर पर मान्यता प्रदान की है।मनुष्य के जीवन में रक्त एक अनिवार्य तत्व है। इसका कोई विकल्प नहीं है। सुरक्षित रक्त तक पहुंच एक जीवनरक्षक उपाय है। प्रबंधन के बोझ और लागत को ध्यान में रखते हुए और उपयुक्त नियंत्रण उपायों के लिए भारत सरकार ने हीमोग्लोबिनोपैथी (थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और अन्य प्रकार की एनीमिया) के लिए व्यापक दिशानिर्देश तैयार किया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में रक्त विकारों से निपटने की प्रणाली सहित उनकी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मजबूत करने के लिए भारत सरकार राज्यों को निम्नलिखित कार्यों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है;
हीमोग्लोबिनोपैथी दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए ब्लड सेल RBSK और मातृत्व स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय करता है। शिशुओं और प्रसव-पूर्व माताओं की स्क्रीनिंग को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर सेवाओं की नेटवर्किंग के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का मजबूतीकरण सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है रक्त विकारों के कार्यक्रम में शामिल कर्मचारियों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करने में भी केंद्रीय सहायता दी जाती हैराज्यों के स्वास्थ्य विभागों को ट्रांसफ्यूजन और फ्यूजन के लिए डे-केयर सुविधाओं की स्थापना कर थैलेसीमिया, सिकल सेल और हीमोफिलिया के रोगियों को आवश्यक देखभाल प्रदान करने में सहयोग किया जाता है।
राज्यों के स्वास्थ्य विभागों के साथ समन्वय से आयरन केलेशन, AHF और अन्य आवश्यक दवाओं को प्राप्त करने को सुनिश्चित किया जाता है। हीमोग्लोबिनोपैथीज और हीमोफिलिया के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाई जा रही है जो भविष्य में रोगी सेवाओं की योजना बनाने के लिए सार्थक और एक महत्वपूर्ण संसाधन बनेगी।
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