स्वावलंबन शब्द सार द्वारा नवरात्रि के शुभ अवसर पर ऑनलाइन काव्य गोष्ठी
नयी दिल्ली - स्वावलंबन शब्द सार (साहित्यिक प्रकोष्ठ स्वावलंबन ट्रस्ट) द्वारा नवरात्रि के शुभ अवसर पर ऑनलाइन काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर रचनाकारों की माँ दुर्गा विषय पर लिखित रचनाओं ने श्रोताओं को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। इस गोष्ठी का शुभारंभ स्वावलंबन शब्द सार की राष्ट्रीय संयोजिका परिणीता सिन्हा ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। सुषमा भंडारी ने मधुर कंठ से माँ शारदे का वंदन-गान किया ।
राष्ट्रीय संयोजिका परिणीता सिन्हा ने अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया । राष्ट्रीय संयोजिका परिणीता सिन्हा ने कार्यक्रम का संचालन किया । राष्ट्रीय सह संयोजिका भावना सक्सैना की गरिमामय उपस्थिति रही | इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध कवयित्री एवम् शिक्षाविद् सुषमा भंडारी की मौजूदगी रही। स्वावलंबन ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष मेघना श्रीवास्तव और मार्गदर्शक मंडल अनंत श्रीवास्तव की विशेष उपस्थिति रही।
मेघना श्रीवास्तव ने स्वावलंबन ट्रस्ट की विभिन्न समाजिक गतिविधियों के बारे में बताया और आत्मरक्षा प्रशिक्षण हेतु गठित ' रानी लक्ष्मीबाई ब्रिगेड ' के बारे में विस्तृत जानकरी दी, उन्होंने स्वावलंबन ट्रस्ट की साहित्यिक शाखा की प्रशंसा करते हुए कहा कि "स्वावलंबन शब्द सार" पूरी निरंतरता के साथ साहित्य जगत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रही है । इतनी सुंदर कार्यशैली के लिए पूरी कार्यकारिणी की टीम बधाई की पात्र है।
मुख्य अतिथि सुषमा भंडारी की रचना की पंक्तियाँ
'आयोजन सुंदर बहुत, संयोजन अनमोल।
स्वावलंबन सार में, घुला प्यार का घोल।।
स्वावलंबन सार का, है ये सुंदर मंच।
आयोजन नित नित करे, ना कोई प्रपंच।। '
सुन कर सभी सदस्य गद - गद हो गये ।
कार्यक्रम के अध्यक्षीय संबोधन रघुनाथ मिश्र ' सहज ' ने सभी के काव्य-पाठ की सराहना की और एक -एक प्रतिभागी के काव्य पाठ की निरंतर समीक्षा की और हृदयतल से आभार प्रकट करते हुए स्वावलंबन शब्दसार परिवार के उज्जवल भविष्य की कामना की । कार्यक्रम में पधारे वरिष्ठ गज़लकार प्रवीण सक्सेन की गज़ल 'ख़ामोशी की ओढ़ के चादर ख़ौफ़ में क्यूँ बैठे हैं सब I हक़ की कहने की तो इजाज़त तुम को भी है मुझ को भी 'सुन कर श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गये ।वरिष्ठ साहित्यकार एवम् शिक्षाविद् डा० मुक्ता की विशेष गरिमामय उपस्थिति रही ।
इस अवसर पर यशपाल सिंह ' यश ', ऋचा सिन्हा , सीमा सिंह, निवेदिता सिन्हा, श्रुतकृति अग्रवाल, चंचल ढींगरा ,रीना सिन्हा, पूनम श्रीवास्तव , राखी कटियार , जिज्ञासा श्रीवास्तव, चंचल हरेंद्र वशिष्ठ आदि की उपस्थिति रही ।गोष्ठी के अंत में राष्ट्रीय संयोजिका परिणीता सिन्हा ने स्वावलंबन शब्द सार के सदस्यों की आत्मीयता का उल्लेख किया और उनके सामंजस्य की प्रशंसा की । श्रीमती मेघना श्रीवास्तव (अध्यक्ष स्वावलंबन ट्रस्ट ) ने प्रबुद्ध मंच एवम् प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
काव्यपाठ की चंद पंक्तियाँ :-
१ 'नदियों पर होते हैं समझौते, वह कुछ कर नहीं पाती
बँट जाती है मौन, नदी कुछ कह नहीं पाती ।'
भावना सक्सैना
२ ' जग जननी भवानी
मेरी अंबे माता बड़ी वरदानी।'
डॉ. राखी सिंह कटियार
३ ' जो परिंदों को पर नहीं होते,
आज हम चाँद पर नहीं होते ।'
यशपाल सिंह
४ 'ओ मैया शेरोंवाली, ओ मैया पहाड़ावाली , तेरे दर पे आते, न जाने कितने सवाली '
परिणीता सिन्हा
५ 'कर दे तू हर नारी में अपनी उर्जा का संचार माँ,
ताकि कोई कभी न कर पाये नारी पर अत्याचार माँ ।' निवेदिता सिन्हा
६ ' अमरत्व के वर से उच्छृंखल वह, मतिभ्रष्ट महिष उत्तप्त मदमत्त ।
भीत देवगण भयभीत मनुज सब, ऐसी विपदा से सब संतप्त । ' श्रुतकीर्ति अग्रवाल
७ जिन पर हो सारा ब्रम्हांड आश्रित ,जहाँ सारी भावनायें हो समाहित ,जहाँ से स्नेह हो प्रवाहित । सीमा सिंह
८ ' इस बार नवरात्रि में केवल इतना संकल्प उठाना तुम
देवी पूजन मत करना भले,नारी अस्मिता बचाना तुम ।।'
चंचल हरेंद्र वशिष्ठ
९ ' लहरों की मधुर धुन को सुन,हम भी तरन्नुम में नगमें गा लें ।
कब जीवन-संध्या हो जाए ,हर क्षण हँसी-खुशी से बिता लें ' डॉ• मुक्ता १० 'नवरात्र की आयी है शुभ घड़ी ।
सोच रही मैं खड़ी - खड़ी ॥' रीना सिन्हा ११ ' जग की रक्षा करना हे प्यारी महारानी माँ।'
डा० पूनम श्रीवास्तव
१२ 'नव दुर्गा तुमको नमन, माँ दुर्गा तुमको नमन।
तुम ही मेरा हो आधार, तुमसे ही सारा संसार॥'
ऋचा सिन्हा
१३ ' था कोपल सा छोटे अंकुर सा जब था
माँ के कोख में ' चंचल ढींगरा
१४ 'माँ तुम आना मेरे घर नवदुर्गा बन कर'
जिज्ञासा श्रीवास्तव
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