नयी दिल्ली - अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच अध्यक्ष श्रीमती संतोष श्रीवास्तव के सान्निध्य और दिल्ली इकाई की अध्यक्ष शकुंतला मित्तल के संयोजन में "तीन कहानी - तीन समीक्षक" का आयोजन सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार पुष्पा शर्मा "कुसुम" ने की तथा मुख्य अतिथि डाॅ. सविता चड्ढा रहीं और विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध दोहा मर्मज्ञ डाॅ. भावना शुक्ल रहीं।इस अनूठे आयोजन का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार वीणा अग्रवाल और तरुणा पुंडीर ने शानदार ढंग से किया।
कार्यक्रम का आरंभ साहित्यकार शारदा मदरा ने मधुर,सरस सरस्वती वंदना से किया। संतोष श्रीवास्तव ने सभी कहानीकारों,समीक्षकों तथा उपस्थित प्रबुद्ध साहित्यिक विभूतियों का स्वागत करते हुए कहा" कहानी का सूत्रपात मनुष्य के जन्म से ही आरंभ हो गया था।कहानी की एक लंबी और संपन्न परंपरा है।कहानी में असंभव को संभव करने की क्षमता है।बालमन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता था । बचपन में कहानी सुनना सुसंस्कृत मनुष्य को गढ़ने का काम करता है।हमारे त्योहारों के जड़ में कहानी वाचन रहा है।
साहित्यकार प्रमिला वर्मा जी की कहानी "माँ और मिन्नी" की समीक्षा डाॅ सविता चड्ढा ने की और कहा कि कहानी में रोचकता,जिज्ञासा और सरसता थी।हर क्षण यह जानने को मन जिज्ञासु बना रहा कि माँ हरीश को स्वीकार करेंगी या नहीं। उन्होंने अंत को भी बहुत उत्तम बताया।संवाद,भाषा और उद्देश्य हर कसौटी पर उन्होंने प्रमिला वर्मा की कहानी को श्रेष्ठ,मार्मिक और भावपूर्ण बताते हुए कहा कि यदि शीर्षक कुछ और होता तो शायद और अच्छा रहता।
कहानीकार एस जी एस सिसोदिया की कहानी 'वापसी' की समीक्षा अजमेर से प्रतिष्ठित और साहित्यकार पुष्पा शर्मा कुसुम ने की।कहानी के कथानक,पात्र,संवाद,भाषा,उद्देश्य सभी तत्वों पर विस्तार से उन्होंने "वापसी" की समीक्षा करते हुए कुछ संवादों को पढ़ कर सुनाया।इस कहानी का वाचन मंच पर शकुंतला मित्तल ने किया।प्रतिभा संपन्न वरिष्ठ कहानीकार सुमन बाजपेयी की कहानी "क्रिस्टल क्लीयर' की समीक्षा वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ भावना शुक्ल जी ने कहा कि कहानी "क्रिस्टल क्लियर" में
घटना और कार्य व्यापार के स्थान पर पात्र और उसका संघर्ष ही कहानी की मूल धुरी बन गए हैं। मालविका और देवेश मुख्य पात्र हैं दोनों के इर्द गिर्द कहानी घूमती है। इस कहानी में पुरुषवादी दृष्टिकोण है ।वह स्त्री को दबाने की कोशिश करता है और उसकी प्रतिभा को स्वीकार नहीं करना चाहता।यह पुरानी पुरुषवादी सोच आज भी कायम है।और हमेशा ही रहेगी । इसमें जो वातावरण उपस्थित है वह आज का ,आधुनिक युग का आधुनिक परिवेश का है कहानी मन: स्थिति के आधार पर घूमती है।
श्रोताओं के प्रबुद्ध वर्ग में कहानीकार मुजफ्फर इकबाल सिद्दीकी,महेश राजा,डाॅ.मुक्ता,शारदा मित्तल,सविता स्याल,अर्चना पाण्डेय,डाॅ. सरोज गुप्ता,जयंत,राधा गोयल,नीलम दुग्गल,वंदना दयाल,पुनीता सिंह,निशा गर्ग और डाॅ शोभा नारायण ने अपनी उपस्थिति दी।मुजफ्फर इकबाल सिद्दीकी ने तीनों कहानीकारों और समीक्षकों की प्रशंसा कर अपना विमर्श प्रस्तुत किया।
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