० योगेश भट्ट ०
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के हेम्प सीड को खाने में इस्तेमाल की इज़ाजत देने के बाद अब आने वाले समय में देश में हेम्प सीड से बने आटे और इसकी रेडिमेड डिश बाज़ार में आ सकती है। सीड में बड़ी मात्रा में प्रोटीन और ओमेगा3 होने के कारण ये देश में न्यूट्रीशन क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। फिलहाल देश में हेम्प का पूरा कारोबार करीब 70 से 80 करोड़ रुपये तक का है, इसमें औषधी में इस्तेमाल होने वाले हेम्प लीव भी शामिल हैं। उम्मीद जताई जा रहा है कि अगले कुछ सालों में ये करीब 300-400 करोड़ रुपये तक जा सकती है। ये बातें यहां प्रेस क्लब में एक "हेम्प सीड फूड" मुद्दे पर चर्चा में सामने आई।
चर्चा के दौरान हेम्प सेक्टर में रिसर्च कर रहे इनकेयर लैब के रोहित चौहान के मुताबिक दुनिया के बहुत सारे देशों में हेम्प सीड को प्रोटीन और ओमेगा 3 के लिए खाने में इस्तेमाल किया जाता है। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूरोप, कनाडा और अमेरिका में इसके उपयोग को बहुत पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। हेम्प के पौधे के बीज में बड़ी मात्रा में प्रोटीन और ओमेगा3 होता है। इसलिए इसकी बनाई गई डिश में बड़ी मात्रा में न्यूट्रीशन होंगे, जोकि प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकें।
BOHECO के को फाउंडर अवनीश पांड्या ने बताया कि इसको पहले हम सिर्फ दवाओं में ही इस्तेमाल करते थे। सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है, उसके बाद अब इससे काफी कंज्यूमर प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं। हेम्प की ब्रेड, चॉक्लेट आदि में प्रोटीन ड्रिंक्स बनाई जा सकती है। कहा जाए तो अब पहली बार ये सेक्टर कंज्यूमर्स के लिए खुलने जा रहा है। जिससे कि भारत में कुपोषण की समस्या को भी दूर किया जा सकता है।
हेम्प हॉराइजन के सीएफओ कार्तिकेय के मुताबिक, सरकार की इस पॉलिसी से बहुत बड़ा इंडस्ट्री बदलाव होने जा रहा है, सरकार के हेम्प को खाने की कैटगरी में लाने के बाद हमसे करीब 15 नई कंपनियों ने मैन्यूफैक्चरिंग के लिए पूछताछ की है। नए नए फूड प्रोडक्ट बनाने के लिए कंपनियां पूछताछ कर रही हैं।
अनंता हेम्प वर्क्स के विक्रम बीर सिंह ने बताया कि इस FSSAI के नोटिफिकेशन से पहले हेम्प सीड का इस्तेमाल खाने में इस्तेमाल करना अवैध था। लेकिन अब नोटिफिकेशन आ गया है। अगले कुछ समय में आटा, चॉक्लेट, बिस्किट आदि में अब हेम्प सीड का इस्तेमाल किया जा सकेगा। अब ये एक प्रोसेस्ड फूड की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा। अभी तक हेम्प का इस्तेमाल दवाओं और कॉस्मेटिक्स में ही हो रहा था। लेकिन अब इससे खाने के कई तरह के आइटम बनाए जा सकेंगे।
नोएग्रा के विपुल गुप्ता ने बताया कि अब तक लोगों को ये पता नहीं था कि हेम्प क्या है। लेकिन इस पॉलिसी के बाद अब हम लोगों के बीच इसका विज्ञापन कर पाएंगे। इससे लोगों के बीच इसकी पहुंच बनेगी। अब इस पॉलिसी के बाद फूड और ब्रेबरेज में हेम्प का इस्तेमाल बढ़ जाएगा। लिहाजा इस सेक्टर में निवेश भी बढ़ेगा। इस चर्चा में एकेएस से सुनील कुमार ने बताया कि बीमारियों से बचने के लिए हमें हमारे पुराने खाने की ओर लौटना पड़ेगा। हेम्प उत्पादों का इस्तेमाल पर इंडियन वैद्यास के डॉ. पीयूष जुनेजा ने इस चर्चा में कहा कि ये एक ऐसा प्रोडक्ट है, जिसको प्राचीन ग्रंथों में विज्या कहा गया है और भांग के बीज को खाने से लेकर बीमारी सभी में इस्तेमाल किया जाता रहा है। लिहाजा अब सरकार के इसको फूड कैटगरी में डालने से लोगों को एक बेहतर स्वास्थ्य में मदद मिलेगी।
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