विश्व मे मानचित्र मे भारत की पहचान एक प्रजातांत्रिक देश की है।जहाँ की शासन व्यवस्था में नागरिको की अहम भुमिका होती है। तभी तो यहाँ जनता को . जर्नादन कहा गया है।भारत की जनता ने विश्व के राजनीति के पटल पर अनेको वार इसका उदाहरण दिया है।चाहे वह इंदिरा जी के शासन काल मे आपात काल के बाद लोक नायक जय प्रकाश की नेतत्व में जनता पार्टी की बहुमत सरकार का गठन हो या पुनः इन्दिरा जी शहादत के वाद प्रचंड बहुमत वाली राजीव जी सरकार या अन्ना आदोलन की लोकपाल के द्वारा स्वच्छ छवि वाले भाजपा की सरकार,जनता के द्वारा प्रचंड दिला कर सरकार बनाई !
राम मंदिर के नाम दिल्ली दरबार काबिज होना इस बात का सबसे बडा प्रमाण है।इसलिए सरकार - जनता के मध्य मे सम्पर्क ' संवाद ' सहयोग निरतर होते रहना चाहिए।तभी सरकार अपनी जनता की समस्याओ का निदान करेगी,परिणाम जनता तभी अपने सरकार को पुनः सता की कर्शी पर आसीन करेगी !इन दिनों सरकार व जनता के बीच ठीक ठाक नही चल रहा है। जिस तरह सरकार व जनता के मध्य संवाद में कटुता आई है । किसान आन्दोलन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।लगभग वर्ष भर चले आन्दोलन व 700 से किसानो शहीद के बाद सरकार को पीछे हटना पडा है।इन दिन भारतीय संसद में मानसुन सत्र चल रहा है।जब सदन चल रहा होता है तो लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप पत्रकारों को कवरेज करने के हेतु स्थाई तथा अस्थाई पास उपलब्ध कराई जाती थी लेकिन विगत वर्ष कोरोना के कारण बताते हुए यह सुविधा वापस ले लिया है।संसद सत्र के दौरान पत्रकार व सांसद व मंत्री के मध्य संवाद हो जाते थें ।
अब जब कोरोना के मामले कमी आई है।सारे कार्य पूर्व के भाँति हो रहे है। लेकिन सुविधा के नाम सरकार कोरोना की आड मे अपनी मनमानी कर रही है।इस का उदाहरण भारतीय रेल व रेल मंत्री है।आज के एक माह पूर्व भारतीय रेलवे के द्वारा एक आदेश जारी किया गया है जिसके द्वारा कोरोना आपदा प्रबंधन के दौरान व्यवस्था को समाप्त कर पुरानी व्यवस्था के अर्न्तगत रेल संचालन के लिए निर्देश दिए गये थें, लेकिन साथ ही साथ कुछ समय जनता से माँगी गई थी। लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी रेल परिचालन का पूर्व की भांति नही दिख रही है। वही दूसरी ओर रेलवे द्वारा अपने यात्रीयो को दी जाने वाली सुविधाये पुर्ण रुपेण नहीं हो पाई है। इसी श्रृंखला में भारतीय रेल पात्रता वाले रेल यात्रियो को रियायती टिकट की सुविधा उपलब्ध कराती है।जो कि कोरोना काल के पूर्व 20 मार्च 2020 में स्थगित कर दी गई है।
जिसे पुनः चालु करने के लिए विभिन्न संगठनो ,स्वयं सेवी संस्थाएं , पत्रकार संघ की अनुरोध अनेकों बार किया गया है। इसी क्रम में संसद के बर्त्तमान शीतकालीन सत्र के दौरान बरिष्ट नागरिको के लिये रेल सफर में रिआयती टिकट शुरू करने पर प्रशन के उतर में रेल मंत्री संसद में दिये अपने व्यक्त मे रेल सफर करने वाले सीनियर सिटीजन और दूसरे कैटगरी के यात्रियों को रियायती टिकट की सेवा फिलहाल शुरू नहीं होने जा रही है. रेल, संचार और सूचना प्रोद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा है कि कोविड महामारी और कोविड प्रोटोकॉल के मद्देनजर चार कैटगरी को छोड़कर सभी यात्रियों को दिये जाने वाले रिआयती टिकट की सेवा 20 मार्च 2020 से वापस ले ली गई थी ।लोकसभा में पूछा
टीएमसी के सांसद नुसरत जहाँ ने रेल मंत्री से सवाल पूछा था कि क्या सरकार वरिष्ठ नागरिकों को रेलवे टिकट में दिये जाने वाले सब्सिडी को फिर से शुरू करने जा रही है? जिसका जवाब देते हुये रेल मंत्री ने बताया कि महामारी कोविड प्रोटोकॉल के चलते दिव्यांगजन की चार श्रेणियों और मरीजों और छात्रों के 11 श्रेणियों को छोड़कर बाकी सभी कैटगरी के लिये दी जा रही है । शेष श्रेणियो के लाभार्थी को अभी यह सुविधा नही मिलेगी । परिणान स्वरूप पात्रता वाले रेल यात्रियों व बुजुर्गों के लिये रेल सफऱ महंगी हो गई।क्योकि यह सुविधा उन्हे उपलब्ध कराया जाता रहा है। जिन्हे इस सुविधा की आवशकता है। जो राष्ट्र व समाज सेवा क्षेत्र से जुडे थे ' या कर रहे है। इनमे ज्यादातर सीनियर सिटीजन का कोई इनकम का ठोस जरिया नहीं होता है।अभी एक जानकारी समाने आया है कि मार्च 2020 में कोरोना महामारी के शूरू होने के बाद सरकार ने रेल सफर करने के लिये उन्हें दी जाने वाली रियायतों को निलंबित कर दिया गया है, जो अभी भी असल में है. इससे बुजुर्गों को रेल सफर करने के लिये अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ रही है।
4 करोड़ सीनियर सिटीजन को नहीं मिल ने वाली रियायते के संदर्भ मे हाल ही में आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद रेल सफर करने वाले लगभग चार करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को अपनी यात्रा के लिए पूरा किराया का भुगतान करना पड़ा है।एक आरटीआई का जवाब देते हुये भारतीय रेलवे ने कहा है कि 22 मार्च, 2020 से सितंबर 2021 के बीच तीन करोड़ 78 लाख 50 हजार 668 (37,850,668) वरिष्ठ नागरिकों व पात्रता वाले रेल यात्रियो को ने ट्रेनों में यात्रा की है।पहले रेल किराये पर छुट मिलती थी लेकिन कोरोना के दौरान जब पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया तो ट्रेनों का परिचालन भी बंद कर दिया गया. तथा परिचालन शुरू हुआ तो सभी ट्रेनों को स्पेशल या फेस्टिवल स्पेशल के नाम से चलाया गया और सभी श्रेणी के यात्रियों को दी जाने वाली रियायत वापस ले ली गई थी इसके अलावा स्पेशल ट्रेन के नाम पर किराया भी बढ़ा दिया गया । पात्रता प्राप्त रेल यात्रियों को
रियायत नहीं मिलने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । आप को यहाँ स्पष्ट कर दूँ कि रेलवे के नियमों के अनुसार, अगर किसी महिला की उम्र 58 साल है और किसी पुरुष की उम्र कम से कम 60 साल है तो उन्हें वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में गिना जाता है. मार्च 2020 से पहले ऐसे लोगों को सीनियर सिटीजन कोटे का फायदा मिलता था और किराए पर महिला यात्रियों को 50%और पुरुष यात्रियों को 40%की छूट दी जातीथी,मान्यता प्राप्त पत्रकारों,युवाओं,किसानों, दूधियों,सेंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड, भारत सेवा दल,रिसर्च स्कॉलर्स, पदक विजेता शिक्षकों,सर्वोदय समाज,स्काउट-गाइड,वॉर विडो,आर्टिस्ट व खिलाड़ियों सहित 30 से ज्यादा कैटेगरी के लोगों को टिकटों पर मिलने वाली छूट बंद कर दी है।
रेल मंत्री से जब -जब इस संदर्भ में सवाल पूछे गए तो उन्होने बडे वेरुखी व कोरोना प्रोटोकाल को अपना डाल बनाते हुए एक जी जबाव दिया कि अभी फिलहाल रियायती देने का कोई इरादा नही है। ऐसे में जहाँ कोरोना पर विजय प्राप्त करने का डिंडोरा पिटा जा रहा है। सभी कार्य ,रेली ' उद्घाटन समारोह । सिलान्यास का कार्यक्रम की झडी लगी है। आगामी वर्ष 5 राज्यो के होने वाले विधान सभा के चुनाव के समर मे 100 सांसदों को तब संसद का शीतकालीन सत्र दो हफ्ते चलने वाला है। विधान सभा के चुनावी समर उतरने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया है । वही कोरोना को विलन के रूप मे खडा कर पात्रता प्राप्त रेल यात्री यों के लिए रियायत टिकट नही देने का घडियाली आँसू बहाने का नाटक हमारी समझ तो नहीं आ रही है '
श्याद जनता जर्नादन को भली भाँति परिचित है जो पहले पाँच राज्यो के विधान सभा चुनाव व आगामी सन 2024 के लोक सभा के चुनाव के समय अपना फैसला सुनाने के लिए अपनी बारी आने की इतंजार में है। ऐसे समय मे देश के प्रधान सेवक को स्वयं ही पात्रता प्राप्त वाले रेल यात्रियों को रियायती टिकट की पुरानी व्यवस्था को पुनः स्थापित करते हुए । अपने समर्थक मनदाताओ नाराज नही करना चाहिए । क्योकि ये पब्लिक है ' पब्लिक सब जानती है! प्रधान सेवक जी । हमे क्या ' हम तो अपने पाठकों से यह कहते हुए विदा लेते है कि ना ही काहूँ से दोस्ती,ना ही काहूँ से बैर।खबरीलाल तो,सबकी खैर ॥
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