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बैंकों के निजीकरण के विरोध में 16 व 17 दिसंबर को देशव्यापी हड़ताल

जयपुर - केंद्र सरकार वर्ष 2000 में संसद सत्र के दौरान सार्वजनिक बैंक में सरकारी हिस्सा पूंजी 33% किए जाने के संबंध में एक बिल लाना चाहती थी जिसका यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस ने भारी विरोध किया तथा 15 सितंबर 2000 को बिल के विरोध में एक दिन की देशव्यापी हड़ताल की गई। सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं होने से सरकार ने उस समय संसद में बिल पेश नहीं किया 

परंतु सरकार फरवरी 2021 में बजट सत्र के दौरान आईडीबीआई के अतिरिक्त दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को लेकर बिल संसद में पारित कराना चाहती थी जिसके विरोध में यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस ने आंदोलन छेड़ दिया। यह आंदोलन कार्यक्रम एक महीना चलने के उपरांत 15 व 16 मार्च को देश के 10 लाख बैंक कर्मचारियों ने दो दिन की देशव्यापी हड़ताल की जिससे बिल पारित नहीं हो सका।

निजी कारपोरेट पूंजीपतियों के हित मे सरकार वर्तमान सत्र में बैंकिंग सुधार विधेयक पारित कराना चाहती है जिससे निजीकरण का रास्ता साफ हो जाए परंतु यूनाइटेड फोरम ने तुरंत अपनी बैठक बुलाकर इस बिल का विरोध करने हेतु 3 दिसंबर 2021 से आंदोलन का आगाज किया है जिसमें 16 व 17 दिसंबर की दो दिन की देशव्यापी हड़ताल भी शामिल है

हम देश में कर्मचारी एवं जन समर्थित बैंकिंग नीतियों के साथ देश के आर्थिक विकास से जुड़ी नीतियों के समर्थक हैं न की बैंकों के निजीकरण किए जाने की कॉरपोरेट समर्थित नीतियों के इसीलिए आमजन , कार्मिक व देश हित मे बैंक कर्मचारियों का यह आंदोलन जारी है। हड़ताल से संबंधित नोटिस यूनाइटेड फोरम द्वारा भारतीय बैंक संघ IBA को दिया जा चुका है अतः अलग से कोई नोटिस दिए जाने की आवश्यकता नहीं है। आंदोलन एवं हड़ताल आज की आवश्यकता है जिसे टाला नहीं जा सकता। आंदोलन के सभी कार्यक्रमों में हमारे साथी अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर "बैंक बचाओ -देश बचाओ "
० आशा पटेल ० 
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